आज हम आपके साथ करणी माता की आरती (Karni Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। भारत भूमि कई तरह के चमत्कारों से भरी हुई है। यहाँ पर ईश्वर व मातारानी के कई रूप हुए हैं और हर युग में वे अलग-अलग अवतार लेकर मनुष्य जाति का उद्धार करते हैं। इसी में ही मातारानी का एक प्रसिद्ध रूप करणी माता का है जिनका जन्म आज से कई सदियों पहले राजस्थान राज्य में हुआ था।
राजस्थान सहित भारतवर्ष में करणी माता का बहुत महत्व है। यहीं कारण है कि आज हम करणी माता की आरती का पाठ करने जा रहे हैं। इसी के साथ ही आपको करणी आरती (Karni Aarti) के लाभ व महत्व भी बताए जाएंगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं करणी माता की आरती।
Karni Mata Ki Aarti | करणी माता की आरती
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
भक्त जनन भय संकट, पल छिन में हरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी।
आदि शक्ति अविनाशी, वेदन में वरणी।
अगम अनंत अगोचर, विश्वरूप धरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी।
काली तूं किरपाली, दुर्गे दुःख हरणी।
चंडी तूं चिरताली, ब्रह्माणी वरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी।
लक्ष्मी तूं हिंगलाजा, आवड़ अघ हरणी।
दैत्य दलण डाढाली, अम्बे अव तरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी।
ग्राम सुवाप सुहाणो, धिन थलवट धरणी।
देवला माँ मेहा घर, जनमी जग जननी॥
ॐ जय अम्बे करणी।
राज दियों रिड़मल ने, कानो खय करणी।
धन दुहत वाणीये को, तारी कर तरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी।
शेखो लाय सिन्ध सूं, पेथड़ आचरणी।
दशरथ थान दिपायी, सांपू सुख सरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी।
जेतल भूप जिताड्यो, कमरु दल दलणी।
प्राण बचाय भगत के, पीर कला हरणी॥
ॐ जय अम्बे करणी।
परचा गिण नहीं पाउ, माँ आशरण शरणी।
सोहन चरण शरण में, दास अभय करणी॥
ॐ जय अम्बे करणी।
ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।
भक्त जनन भय संकट, पल छिन में हरणी॥
करणी माता की आरती का महत्व
भारत भूमि पर ईश्वर तथा माँ आदि शक्ति ने अलग-अलग कालखंड में धर्म रक्षा करने तथा लोगों का मार्गदर्शन करने हेतु कई अवतार लिए हैं जिसमें से एक प्रसिद्ध अवतार माँ करणी का भी है। उन्होंने अपने जीवनकाल में कई तरह के चमत्कार किये थे और जो भी भक्तगण उनकी शरण में जाता था, उसका उद्धार हो जाता था। ऐसे कई उदाहरण हैं जो करणी माता की दैवीय शक्ति को दिखलाते हैं।
ऐसे में करणी माता की आरती के माध्यम से करणी माता के गुणों, शक्तियों, उद्देश्य तथा महत्व पर प्रकाश डाला गया है और उसी के साथ ही उनकी आराधना भी की गयी है। करणी माता की आरती को पढ़ने से हमें करणी माता के बारे में संक्षेप में बहुत कुछ जानने को मिल जाता है और साथ ही इसके पाठ से उनकी पूजा-अर्चना भी हो जाती है। यही करणी माता आरती का महत्व होता है।
करणी आरती के लाभ
यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन के साथ करणी माता की आरती का पाठ करता है और उनकी भक्ति करता है तो उसके जीवन के सभी दुःख समाप्त हो जाते हैं। यदि दंपत्ति को कई समय से पुत्र प्राप्ति या संतान प्राप्ति में दुविधा हो रही है या लाख प्रयास करके भी पुत्र नहीं हो रहा है तो उन्हें तो नित्य रूप से करणी माता की आरती का पाठ करना चाहिए। यदि करणी माता उनसे प्रसन्न हो जाती हैं तो जल्द ही उन्हें पुत्र का मुख देखने को मिलता है।
इसी के साथ ही यदि व्यक्ति को अपनी संतान से सुख नहीं मिल पा रहा है या उसके जीवन में कोई संकट आया हुआ है तो भी उन्हें करणी माता आरती का पाठ करना चाहिए। करणी माता की आरती के पाठ से उनके संतान का जीवन सुखमय बनता है और वह अपने जीवन में उन्नति करता है। इस तरह से करणी माता की आरती के माध्यम से एक व्यक्ति संतान का सुख तो प्राप्त करता ही है और साथ ही अपना जीवन भी सुखमय बना लेता है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने करणी माता की आरती (Karni Mata Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने करणी आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
करणी माता आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: करणी माता किसकी आराध्य देवी है?
उत्तर: करणी माता का जन्म राजस्थान राज्य के राजपूत परिवार में हुआ था। ऐसे में उनका महत्व राजस्थान के राजपूतों के लिए बहुत ज्यादा होता है किन्तु उनकी दैवीय शक्तियों के कारण सभी के द्वारा ही उन्हें पूजनीय माना जाता है।
प्रश्न: करणी माता का प्रतीक क्या है?
उत्तर: बीकानेर में स्थित करणी माता के प्रसिद्ध मंदिर में 25 हज़ार से भी अधिक चूहे होते हैं जो मातारानी के भक्त हैं। ऐसे में उन्हें चूहों की देवी भी कह दिया जाता है।
प्रश्न: करणी माता का असली नाम क्या है?
उत्तर: करणी माता के बचपन का नाम रिधुबाई था किन्तु बाद में उनकी बुआ के द्वारा उनका नाम बदल कर करणी रख दिया गया था। इस तरह से रिधुबाई इस संसार में करणी माता के रूप में प्रसिद्ध हुई।
प्रश्न: क्या करणी माता मंदिर में लोग बीमार पड़ते हैं?
उत्तर: यह किसी चमत्कार से कम नहीं है कि करणी माता मंदिर में 25 हज़ार से भी अधिक चूहे होने कारण वहां के पंडित व सेवादार तथा वहां आने वाले भक्तगण बीमार नहीं होते हैं।
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