यमुना जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी – महत्व व लाभ सहित

Yamunaji Aarti

आज के इस लेख में हम आपके साथ यमुना जी की आरती (Yamunaji Aarti) का पाठ करेंगे। सनातन एक ऐसा धर्म है जहाँ ईश्वर के साथ-साथ जीवन के लिए आवश्यक कारकों को भी पूजनीय माना गया है। अब मनुष्य व अन्य प्राणियों के लिए नदियाँ उनके जीवन का आधार होती हैं।

भारत देश में बहने वाली माँ गंगा व माँ यमुना का अत्यधिक महत्व है जो मुख्यतया उत्तर भारत के लोगों के जीवनयापन में अहम भूमिका निभाती है। भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण ने अपना बचपन यमुना नदी के किनारे ही व्यतीत किया था जिस कारण उसका महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

इसके साथ ही हम आपको बता दें कि यमुनाजी की आरती (Yamuna Ji Ki Aarti) एक नहीं बल्कि दो-दो हैं। इसमें से एक प्राचीन है तो वहीं एक नयी व लयबद्ध है। हम आपके सामने दोनों तरह की यमुना माता की आरती रखेंगे और वो भी अर्थ सहित। इससे आपको यमुना जी की आरती का भावार्थ समझने में सहायता मिलेगी।

अंत में हम आपके साथ यमुना आरती का महत्व व लाभ भी साझा करेंगे ताकि आपको उसका संपूर्ण ज्ञान मिल सके। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं यमुना जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी।

Yamunaji Aarti | यमुना जी की आरती – प्राचीन

जय कालिंदी, हरिप्रिया जय।
जय रबि-तनया, तपोमयी जय॥

जय श्यामा, अति अभिरामा जय।
जय सुखदा श्रीहरि रामा जय॥

जय ब्रज-मंडल-वासिनी जय जय।
जय द्वारका निवासिनी जय जय॥

जय कलि-कलुष-नसावनि जय जय।
जय यमुने जय पावनि, जय जय॥

जय निर्वाण-प्रदायिनी जय जय।
जय हरि-प्रेम-दायिनी जय जय॥

Yamuna Ji Ki Aarti | यमुना जी की आरती हिंदी में – अर्थ सहित

जय कालिंदी, हरिप्रिया जय।
जय रबि-तनया, तपोमयी जय॥

हे पर्वतों से निकली हुई यमुना माता, आपकी जय हो। आप भगवान विष्णु को अत्यधिक प्रिय हैं और आपकी जय हो। आपका तेज सूर्य देव के समान है और आपकी जय हो। आप ही तपस्या का स्वरुप हैं अर्थात आपके किनारे बैठकर हजारों लोगों ने तपस्या की है और इसलिए आपकी जय हो।

जय श्यामा, अति अभिरामा जय।
जय सुखदा श्रीहरि रामा जय॥

आप बहुत ही सुन्दर स्त्री हो और आपकी जय हो। आप हमें आनंद प्रदान करने वाली हो और इसलिए आपकी जय हो। आप ही सुख प्रदान करने वाली और हम सभी की मातारानी हो, आपकी जय हो।

जय ब्रज-मंडल-वासिनी जय जय।
जय द्वारका निवासिनी जय जय॥

आप ब्रज क्षेत्र में निवास करती हो और वहां के लोगों का जीवनयापन करती हो, इसलिए आपकी जय हो, जय हो। आप भगवान श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका में भी निवास करती हो और इसलिए आपकी जय हो।

जय कलि-कलुष-नसावनि जय जय।
जय यमुने जय पावनि, जय जय॥

आपके जल में नहाकर तो मनुष्यों के सभी पाप धुल जाते हैं अर्थात आप कलियुग के कष्टों का निवारण कर देती हो और इसलिए आपकी जय हो। हे यमुना माता और हम सभी के शरीर को पावन करने वाली मातारानी, आपकी जय हो, जय हो।

जय निर्वाण-प्रदायिनी जय जय।
जय हरि-प्रेम-दायिनी जय जय॥

आप ही हम सभी को मोक्ष प्रदान कर हमारा उद्धार करती हो और आपकी जय हो। आपकी कृपा से ही हमें श्रीहरि का प्रेम और सानिध्य प्राप्त होता है, इसलिए आपकी जय हो, जय हो।

Yamuna Ji Aarti | यमुना जी आरती – नवीन

ॐ जय यमुना माता, हरि जय यमुना माता।
जो नहावे फल पावे, सुख दुःख की दाता॥
ॐ जय यमुना माता…॥

पावन श्रीयमुना जल अगम बहै धारा।
जो जन शरण में आया कर दिया निस्तारा॥
ॐ जय यमुना माता…॥

जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे।
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे॥
ॐ जय यमुना माता…॥

कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही।
तुम्हारा बड़ा महातम चारो वेद कही॥
ॐ जय यमुना माता…॥

आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो।
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो॥
ॐ जय यमुना माता…॥

नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी।
मन बेचैन भया हैं तुम बिन वैतरणी॥

ॐ जय यमुना माता, हरि जय यमुना माता।
जो नहावे फल पावे, सुख दुःख की दाता॥
ॐ जय यमुना माता…॥

यमुना जी की आरती लिरिक्स इन हिंदी – अर्थ सहित

ॐ जय यमुना माता, हरि जय यमुना माता।
जो नहावे फल पावे, सुख दुःख की दाता॥

यमुना माता की जय हो। भगवान श्रीहरि को अत्यधिक प्रिय यमुना माता की जय हो। जो भी यमुना के जल में स्नान करता है, उसे परम फल की प्राप्ति होती है। यमुना माता ही सभी सुखों व दुखों की दाता हैं।

पावन श्रीयमुना जल अगम बहै धारा।
जो जन शरण में आया कर दिया निस्तारा॥

माता यमुना का पावन जल बिना किसी रूकावट के ब्रज मंडल में बह रहा है। जो कोई भी यमुना माता की शरण में आया है, उसका उद्धार हो गया है।

जो जन प्रातः ही उठकर नित्य स्नान करे।
यम के त्रास न पावे जो नित्य ध्यान करे॥

जो मनुष्य सुबह जल्दी उठकर यमुना के जल से स्नान करता है, वह उनके भाई अर्थात यमराज के प्रकोप से बच जाता है। यमराज माता यमुना के भाई हैं और इस कारण हम यमराज के भय से मुक्त होते हैं।

कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही।
तुम्हारा बड़ा महातम चारो वेद कही॥

कलियुग के इस समयकाल में यमुना माता की महिमा सबसे अपरंपार और अटल है। उनकी महिमा का वर्णन तो चारों वेदों में भी किया गया है।

आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो।
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो॥

यमुना माता के मान की रक्षा करने के लिए तो स्वयं श्रीहरि ने अपना आठवां अवतार श्रीकृष्ण के रूप में उनके समीप लिया था। श्रीकृष्ण ने यमुना माता का जल पीकर ही कंस जैसे अत्याचारी राजा का वध कर दिया था।

नमो मात भय हरणी शुभ मंगल करणी।
मन बेचैन भया हैं तुम बिन वैतरणी॥

हम सभी के भय को दूर करने वाली और सभी का शुभ व मंगल करने वाली यमुना माता को हमारा नमन है। हे यमुना माता!! हमारा मन बहुत ही बेचैन है और अब आप ही हमें वैतरणी नदी पार करवाकर हमें मोक्ष प्रदान कीजिये।

यमुनाजी की आरती का महत्व

ईश्वर ने इस सृष्टि की रचना की है और उनके ऊपर कोई नहीं है। किन्तु इसी के साथ हमें सनातन धर्म में यह भी शिक्षा दी गयी है कि जो तत्व व अन्य कारक मनुष्य जीवन के लिए आवश्यक है, उनका उचित सम्मान किया जाना और उनकी रक्षा करना भी हमारा परम कर्तव्य है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि वे तत्व ही नहीं रहेंगे तो हमारे लिए इस पृथ्वी पर रहना मुश्किल हो जाएगा।

यमुना जी आरती (Yamuna Ji Aarti) के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है कि माता यमुना का हमारे लिए कितना महत्व है। यमुना जी की आरती में माता यमुना के गुणों, महत्व, शक्तियों तथा उद्देश्यों पर प्रकाश डाला गया है। इसी के साथ-साथ उनकी आराधना भी की गयी है। यही यमुना माता की आरती का महत्व होता है।

यमुना आरती के लाभ

जो लोग यमुना नदी के किनारे रहते हैं या वे यमुना के दर्शन करने जाते हैं तो उन्हें अवश्य ही यमुना आरती का पाठ करना चाहिए। इसके माध्यम से यमुना जी हमने बहुत प्रसन्न होती हैं और अपना आशीर्वाद हमें देती हैं। यमुना माता को यमराज की बहन माना जाता है। ऐसे में हम यमुना माता को प्रसन्न कर यमराज के प्रकोप से बच सकते हैं और अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होते हैं।

इतना ही नहीं, यमुना माता का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से भी है। श्रीकृष्ण ने अपना बचपन यमुना जी के किनारे ही व्यतीत किया था। ऐसे में जो भक्तगण प्रतिदिन सच्चे मन के साथ यमुनाजी की आरती करते हैं और उनके नाम का जाप करते हैं, उन पर स्वयं श्रीहरि की कृपा होती है। श्रीहरि की कृपा होने से व्यक्ति की सभी समस्याएं दूर हो जाती है और वह अंत समय में मोक्ष को प्राप्त करता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने दोनों तरह की प्राचीन व नवीन यमुना जी की आरती (Yamunaji Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने यमुना माता आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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