क्या आप जानते हैं कि अगस्त्य मुनि को तमिल भाषा का पिता (Father Of Tamil Language) कहा जाता है। तमिल भाषा को मुख्य तौर पर तमिलनाडु राज्य व पुदुचेरी में बोला जाता है। इसके अलावा यह कुछ अन्य देशों में भी मुख्य तौर पर बोली जाती है। जैसे कि श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी इत्यादि।
अगस्त्य मुनि एक महान तपस्वी थे जिनके पास अपार शक्तियां व असीमित ज्ञान था। उनके तपोबल के सामने समस्त देवतागण भी नतमस्तक होते थे। उन्होंने ही भगवान शिव से तमिल भाषा का ज्ञान लेकर दक्षिण भारत में संगम की सभ्यता को स्थापित किया था। इसलिए उन्हें तमिल भाषा का पितामह भी कहा जाता है। आइए जानते हैं संगम सभ्यता में उनका योगदान।
Father Of Tamil Language | अगस्त्य मुनि व तमिल भाषा
जब भगवान शिव का विवाह हो रहा था तब समस्त देवतागण, सिद्धि प्राप्त मनुष्य, ऋषि, मुनि इत्यादि उत्तर दिशा में चले गए थे। इस कारण दक्षिण भारत की धरती धर्म विहीन हो गई थी। तब पृथ्वी पर संतुलन स्थापित करने के उद्देश्य से भगवान शिव ने अगस्त्य मुनि को आदेश दिया था कि वे यात्रा करके उत्तर से दक्षिण में जाकर रहें ताकि पृथ्वी का उचित संतुलन बना रहे।
भगवान शिव से आदेश पाकर अगस्त्य मुनि विंध्याचल पर्वत पार करके दक्षिण भारत की ओर चले गए व वहीं अपना आश्रम बनाकर रहने लगे। उनकी शक्ति व तप से दक्षिण भारत व उत्तर भारत में संतुलन बना रहा।
-
तमिल भाषा का पिता
इसके पश्चात भगवान शिव ने स्वयं अगस्त्य मुनि को तमिल भाषा का ज्ञान दिया जिसे उन्होंने लिपिबद्ध किया। हालाँकि तमिल भाषा पहले से भी संगम में बोलचाल में थी किंतु उसे पूर्णतया लिपिबद्ध करके त्रुटिरहित करने का कार्य अगस्त्य मुनि ने भगवान शिव की सहायता से किया।
भगवान शिव से तमिल भाषा का संपूर्ण ज्ञान मिलने के बाद अगस्त्य मुनि ने तमिल की व्याकरण को लिखा व उसका संगम सभ्यता में प्रचार प्रसार किया। उनके द्वारा दक्षिण में तमिल भाषा की पुनः स्थापना हुई व इसके बाद तमिल भी विश्व में एक सम्मानित भाषा बन गई।
-
कावेरी नदी को दक्षिण में लाना
भारत की महान नदियाँ जैसे कि गंगा, यमुना व सरस्वती उत्तर भारत में थी व वहाँ के लोगों की प्यास बुझाती थी। दक्षिण भारत में एक भी पवित्र नदी ना होने के कारण वहाँ के लोग इसके सुख से वंचित रह जाते थे। जब अगस्त्य मुनि दक्षिण भारत में रहने लगे तब उन्हें वहाँ के लोगों की समस्या का पता चला। इसके पश्चात वे भगवान ब्रह्मा से सहायता मांगने के लिए गए।
भगवान ब्रह्मा ने अगस्त्य मुनि की समस्या को सुना व उन्हें कावेरी नदी प्रदान की। अगस्त्य मुनि ब्रह्म लोक से कावेरी नदी को अपने कमंडल में लेकर दक्षिण भारत में पहुंचे व वहाँ उसका जल प्रवाहित किया। तब से लेकर आज तक कावेरी नदी दक्षिण भारत की सबसे पवित्र नदी मानी जाती है जो वहाँ के करोड़ों लोगों की प्रतिदिन प्यास बुझाती है।
इस तरह से अगस्त्य ऋषि ने दक्षिण भारत का कई मायनों में उद्धार किया था। साथ ही उन्होंने तमिल भाषा व उसकी व्याकरण का महान ज्ञान भी दिया। इस कारण उन्हें तमिल भाषा के पिता (Father Of Tamil Language) की उपाधि दी गई है।
तमिल भाषा के पिता से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: तमिल भाषा का जनक कौन है?
उत्तर: तमिल भाषा के जनक महर्षि अगस्त्य मुनि को माना जाता है। उन्होंने भगवान शिव से तमिल भाषा का ज्ञान लेकर दक्षिण भारत के लोगों को दिया था।
प्रश्न: तमिल भाषा की उत्पत्ति कब हुई थी?
उत्तर: तमिल भाषा की उत्पत्ति आज से हजारों वर्ष पहले महर्षि अगस्त्य मुनि के द्वारा हुई थी। उन्होंने ही दक्षिण भारत को इस भाषा का ज्ञान दिया था।
प्रश्न: तमिल भाषा कैसे बनी?
उत्तर: सबसे पहले भगवान शिव ने अगस्त्य ऋषि को तमिल भाषा का ज्ञान दिया। उसके बाद उनके आदेशानुसार अगस्त्य ऋषि ने दक्षिण भारत को इस भाषा से अवगत करवाया।
प्रश्न: तमिल भाषा की रचना किसने की?
उत्तर: तमिल भाषा की रचना ऋषि अगस्त्य के द्वारा की गई थी। उन्हें तमिल भाषा का ज्ञान महादेव ने दिया था।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: