अन्नपूर्णा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित (Annapurna Stotram In Hindi)

Annapurna Stotram

अन्नपूर्णा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित (Annapurna Stotram In Hindi)

हमें जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है और इसी से ही हमारे शरीर में काम करने की शक्ति आती है। यदि भोजन ना हो तो हम ज्यादा दिनों तक जीवित नही रह सकते हैं। हिन्दू धर्म में भोजन को ईश्वर का प्रसाद माना गया है और उसके लिए माँ अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना गया है। ऐसे में हमें भोजन ग्रहण करने से पहले ईश्वर व माँ अन्नपूर्णा को धन्यवाद अर्पित करना चाहिए। अन्नपूर्णा स्तोत्रम् (Annapurna Stotram) का महत्व भी इसी कारण बढ़ जाता है।

आज के इस लेख में हम आपके साथ अन्नपूर्णा स्तोत्र (Annapoorna Stotram) ही सांझा करने जा रहे हैं। इतना ही नहीं, हम आपके साथ अन्नपूर्णा स्तोत्रम् हिंदी अर्थ सहित (Annapurna Stotram In Hindi) भी सांझा करेंगे ताकि आप उसका संपूर्ण भावार्थ समझ सकें। अंत में आपको अन्नपूर्णा स्तोत्र के लाभ व महत्व भी पढ़ने को मिलेगा। तो आइये पढ़ें अन्नपूर्णा स्तोत्र लिरिक्स।

अन्नपूर्णा स्तोत्रम् (Annapurna Stotram)

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी

निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी।

प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी

मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी।

काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी

चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी।

सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमाशङ्करी

कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी।

मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी

लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी।

श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

उर्वीसर्वजनेश्वरी भगवती मातान्नपूर्णेश्वरी

वेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी।

सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी

काश्मीरात्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी।

कामाकाङ्क्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी

वामं स्वादुपयोधरप्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी।

भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी

चन्द्रार्काग्निसमानकुन्तलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी।

मालापुस्तकपाशासाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी

साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरश्रीधरी।

दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे।

ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति।।

माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः।

बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्।।

अन्नपूर्णा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित (Annapurna Stotram In Hindi)

नित्यानन्दकरी वराभयकरी सौन्दर्यरत्नाकरी

निर्धूताखिलघोरपावनकरी प्रत्यक्षमाहेश्वरी।

प्रालेयाचलवंशपावनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

हे माँ अन्नपूर्णा!! आप सभी को सदैव आनंद देती हो। आपका एक हाथ वर मुद्रा में है जो हमारा भय दूर करता है। आप सुंदर व रत्नों के आभूषण पहनी हुई हो। आप हम सभी के पापों का नाश कर देती हो। आप साक्षात माहेश्वरी हो। आपने हिमालय पर्वत के घर जन्म लेकर उनके वंश को पवित्र कर दिया है। आप ही काशी नगरी की देवी हो। हे माता अन्नपूर्णा!! अब आप बिना देरी किये इस भक्त को भिक्षा रूप में अन्न प्रदान करें।

नानारत्नविचित्रभूषणकरी हेमाम्बराडम्बरी

मुक्ताहारविलम्बमानविलसद्वक्षोजकुम्भान्तरी।

काश्मीरागरुवासिताङ्गरुचिरे काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

आपने भिन्न-भिन्न प्रकार के रत्न जड़ित आभूषणों को पहना हुआ है। आपने अपने गले में कई तरह के मोतियों की माला पहनी हुई है और आपका वर्ण श्वेत है अर्थात आपका सफेद रंग है। आपके शरीर से केसर व अगर की सुगंध आ रही है। आप ही काशी नगरी की देवी हो। हे माता अन्नपूर्णा!! अब आप बिना देरी किये इस भक्त को भिक्षा रूप में अन्न प्रदान करें।

योगानन्दकरी रिपुक्षयकरी धर्मार्थनिष्ठाकरी

चन्द्रार्कानलभासमानलहरी त्रैलोक्यरक्षाकरी।

सर्वैश्वर्यसमस्तवाञ्छितकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

आप ही योग के आनंद में समाहित हो अर्थात आपके द्वारा ही योग संभव हो पाता है। आप ही हमारे शत्रुओं का नाश करती हो। आप धर्म व अर्थ के लिए लोगों में निष्ठा जगाने का कार्य करती हो। आपके अंदर सूर्य, चंद्रमा तथा अग्नि तीनों की शक्तियां समाहित है। आप तीनों लोकों की रक्षा करती हो। आप अपने भक्तों को यश प्रदान करने वाली और उनकी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली माँ अन्नपूर्णा हो। आप ही काशी नगरी की देवी हो। हे माता अन्नपूर्णा!! अब आप बिना देरी किये इस भक्त को भिक्षा रूप में अन्न प्रदान करें।

कैलासाचलकन्दरालयकरी गौरी उमाशङ्करी

कौमारी निगमार्थगोचरकरी ओङ्कारबीजाक्षरी।

मोक्षद्वारकपाटपाटनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

आप भगवान शिव के साथ कैलाश नगरी में निवास करती हो। आपके कुछ अन्य नाम गौरी, उमा, शंकरी तथा कौमारी है। आप ही वेदों के अर्थ को समझाती हो और ओंकार या के रूप में बीज अक्षर भी आप ही हो। आप ही मोक्ष नगरी के द्वार की पालनहारी हो अर्थात आप ही मोक्ष प्रदान करने वाली हो। आप ही काशी नगरी की देवी हो। हे माता अन्नपूर्णा!! अब आप बिना देरी किये इस भक्त को भिक्षा रूप में अन्न प्रदान करें।

दृश्यादृश्यविभूतिवाहनकरी ब्रह्माण्डभाण्डोदरी

लीलानाटकसूत्रभेदनकरी विज्ञानदीपाङ्कुरी।

श्रीविश्वेशमनःप्रसादनकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

आप दिखाई देने वाले तथा ना दिखाई देने वाले सभी का प्रतिनिधित्व करती हो। संपूर्ण ब्रह्माण्ड आपके उदर (पेट) में स्थित है। आपकी माया के प्रभाव से ही इस विश्व में सभी अपना-अपना कार्य कर रहे हैं। आप ही विज्ञान की जननी हैं और सभी आविष्कार आपके कारण ही संभव हो पाते हैं। आप ही भगवान विश्वनाथ को प्रसन्न करती हो। आप ही काशी नगरी की देवी हो। हे माता अन्नपूर्णा!! अब आप बिना देरी किये इस भक्त को भिक्षा रूप में अन्न प्रदान करें।

उर्वीसर्वजनेश्वरी भगवती मातान्नपूर्णेश्वरी

वेणीनीलसमानकुन्तलहरी नित्यान्नदानेश्वरी।

सर्वानन्दकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

आप इस पृथ्वी पर रह रहे सभी प्राणियों की देवी हो। आप ही भगवती व माता अन्नपूर्णा हो। आप ही हम सभी को अन्न व भोजन प्रदान करने वाली हो। आपके बाल नीले रंग के समान दिखाई देते हैं। आप ही हम सभी को अन्न दान रूप में प्रदान करती हो। आप ही हम सभी को आनंद व शुभ फल देने वाली माँ अन्नपूर्णा हो। आप ही काशी नगरी की देवी हो। हे माता अन्नपूर्णा!! अब आप बिना देरी किये इस भक्त को भिक्षा रूप में अन्न प्रदान करें।

आदिक्षान्तसमस्तवर्णनकरी शम्भोस्त्रिभावाकरी

काश्मीरात्रिजलेश्वरी त्रिलहरी नित्याङ्कुरा शर्वरी।

कामाकाङ्क्षकरी जनोदयकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

आप ही सभी के मन को शांत करने वाली और उन्हें शब्दों व तंत्र-मंत्र के द्वारा शिक्षा प्रदान करने वाली संपूर्ण वर्णमाला हो। आप ही भगवान शिव के स्त्री व पुरुष दोनों भावो को प्रदर्शित करती हैं जिसे हम अर्धनारीश्वर के नाम से भी जानते हैं। आप तीनों लोकों (स्वर्ग, भूलोक, पाताल) में जल या देवी का प्रतिनिधित्व करती हो। माँ गंगा, यमुना व सरस्वती नदियाँ भी आप ही हो।

आप अपने हर रूप में भिन्न गुणों का प्रतिनिधित्व करती हो। आपके कारण ही किसी वस्तु का निर्माण या अंकुरण हो पाता है। आप ही इस सृष्टि का अंधकार व रात्रि हो। आप अपने भक्तों के कर्मों के अनुसार उनका काम बनाने वाली और सभी का भला करने वाली माँ अन्नपूर्णा हो। आप ही काशी नगरी की देवी हो। हे माता अन्नपूर्णा!! अब आप बिना देरी किये इस भक्त को भिक्षा रूप में अन्न प्रदान करें।

देवी सर्वविचित्ररत्नरचिता दाक्षायणी सुन्दरी

वामं स्वादुपयोधरप्रियकरी सौभाग्यमाहेश्वरी।

भक्ताभीष्टकरी सदा शुभकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

आप सभी तरह के विचित्र रत्नों से सुशोभित माँ अन्नपूर्णा हो। आप ही राजा दक्ष की पुत्री सती हो जो शिव की पत्नी बनी थी। आप ही विश्व सुंदरी हो। आप ही अपने भक्तों के बालक स्वरुप को दूध पिलाकर उन्हें बड़ा करती हो। आप ही हम सभी का भाग्य बनाने वाली हो। आप अपने भक्तों की हरेक इच्छा को पूरा करने वाली, शुभ फल देने वाली और संकटों का नाश करने वाली माँ अन्नपूर्णा हो।

चन्द्रार्कानलकोटिकोटिसदृशा चन्द्रांशुबिम्बाधरी

चन्द्रार्काग्निसमानकुन्तलधरी चन्द्रार्कवर्णेश्वरी।

मालापुस्तकपाशासाङ्कुशधरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

आप करोड़ो चंद्रमा, सूर्य व अग्नि की शक्तियों को समाहित किये हुई हो। आप चंद्रमा की किरणों के समान शीतल गुण लिए हुई हो तो वहीं बिम्बा फल के समान अधरों को लिए हुई हो। आपने चंद्रमा, सूर्य व अग्नि की शक्तियों से अपने केश धारण किये हुए हैं। आपने चंद्रमा व सूर्य के समान वर्ण ले रखा है। आपने अपने हाथों में माला, पुस्तक, पाश व अंकुश धारण किया हुआ है। आप ही काशी नगरी की देवी हो। हे माता अन्नपूर्णा!! अब आप बिना देरी किये इस भक्त को भिक्षा रूप में अन्न प्रदान करें।

क्षत्रत्राणकरी महाऽभयकरी माता कृपासागरी

साक्षान्मोक्षकरी सदा शिवकरी विश्वेश्वरश्रीधरी।

दक्षाक्रन्दकरी निरामयकरी काशीपुराधीश्वरी

भिक्षां देहि कृपावलम्बनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।।

आप संकट की घड़ी में अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। आप अपने भक्तों की रक्षा कर उन्हें अभय प्रदान करती हैं। आप ही हम सभी पर अपनी कृपा दृष्टि रखती हैं। आप ही देवी के रूप में हमें मोक्ष प्रदान करने वाली हैं। आप ही पार्वती, विश्व की ईश्वरी, श्री, आदिशक्ति हो। आपने ही यज्ञ की अग्नि में अपने प्राण देकर दक्ष को रुला दिया था। आप ही हम सभी को निरोगी रखती हो। आप ही काशी नगरी की देवी हो। हे माता अन्नपूर्णा!! अब आप बिना देरी किये इस भक्त को भिक्षा रूप में अन्न प्रदान करें।

अन्नपूर्णे सदापूर्णे शङ्करप्राणवल्लभे।

ज्ञानवैराग्यसिद्ध्यर्थं भिक्षां देहि च पार्वति।।

हे माँ अन्नपूर्णा!! आप सभी गुणों में परिपूर्ण हो। आप ही शंकर भगवान को अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय हो। आप ही माँ पार्वती के रूप में हमें ज्ञान, वैराग्य, सिद्धि की भिक्षा देती हो।

माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वरः।

बान्धवाः शिवभक्ताश्च स्वदेशो भुवनत्रयम्।।

देवी पार्वती मेरी माता हैं और भगवान शिव मेरे पिता हैं सभी शिवभक्त मेरे भाई-बहन हैं और तीनों लोक मेरा ही घर है।

अन्नपूर्णा स्तोत्र (Annapoorna Stotram) – महत्व

अभी तक आपने अन्नपूर्णा स्तोत्रम् पढ़ लिया है और साथ ही उसका अर्थ भी जान लिया है। इसे पढ़कर आपको अवश्य ही माँ अन्नपूर्णा के गुणों, महत्व व सिद्धि का ज्ञान हो गया होगा। अन्नपूर्णा माता के स्तोत्र के माध्यम से यही बताने का प्रयास किया गया है कि मनुष्य व अन्य जीव-जंतुओं के लिए भोजन का कितना महत्व होता है और हमें उसका निरादर करने से मना किया गया है।

यदि इस विश्व में भोजन है, तभी हमारा अस्तित्व है और हम उसी के माध्यम से काम करने की शक्ति व ऊर्जा को प्राप्त कर पाते हैं। बिना भोजन के हम कुछ भी कर पाने में असमर्थ होंगे। इसी भाव को व्यक्त करते हुए यह अन्नपूर्णा स्तोत्र लिखा गया है। अन्नपूर्णा माता को हमेशा से ही पूजनीय माना गया है और इसी कारण उनका मुख्य मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास में स्थित है।

अन्नपूर्णा स्तोत्र के लाभ (Maa Annapurna Stotram Benefits In Hindi)

अब यदि आप प्रतिदिन अन्नपूर्णा मां के स्तोत्र का सच्चे मन से पाठ करते हैं और जब भी भोजन ग्रहण करें तब माँ अन्नपूर्णा का ध्यान करते हैं तो आपको कभी भी भोजन की कमी नहीं होगी। इसी के साथ ही ना ही आपको स्वास्थ्य संबंधित किसी तरह की समस्या होने पायेगी। आप हमेशा स्वस्थ बने रहेंगे और घर में भी सुख-शांति का वास होगा।

माँ अन्नपूर्णा के स्तोत्र के निरंतर पाठ से व्यक्ति के शरीर में एक नयी ऊर्जा का संचार होता है जो उसे नए काम शुरू करने तथा अपने पुराने काम को बेहतर ढंग से करने की शक्ति प्रदान करती है। साथ ही यदि उस व्यक्ति को कोई शारीरिक व मानसिक रोग है तो वह भी दूर हो जाता है। इस तरह से मां अन्नपूर्णा स्तोत्रम् के माध्यम से व्यक्ति नयी ऊर्जा व स्वस्थ शरीर के साथ काम करने में समर्थ होता है।

अन्नपूर्णा माता की स्तोत्रम् से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: अन्नपूर्णा देवी को घर में कैसे रखें?

उत्तर: यदि आप देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र को अपने घर पर रखना या लगाना चाहते हैं तो उसके लिए रसोईघर सबसे उत्तम जगह होगी। वहां पर आप आग्नेय कोण में माँ अन्नपूर्णा का चित्र लगा सकते हैं।

प्रश्न: किचन में कौन सी भगवान की फोटो रखनी है?

उत्तर: माँ अन्नपूर्णा को अन्न व भोजन की देवी माना जाता है। अतः आप अपनी किचन (रसोईघर) में मां अन्नपूर्णा की फोटो लगा सकते हैं।

प्रश्न: अन्नपूर्णा देवी क्या है?

उत्तर: हिन्दू धर्म में मनुष्य जीवन के लिए आवश्यक हरेक तत्व को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है और इसमें अन्न बहुत महत्वपूर्ण है। अन्नपूर्णा देवी को अन्न या भोजन देने वाली देवी माना जाता है।

प्रश्न: मां अन्नपूर्णा को कैसे प्रसन्न करें?

उत्तर: यदि आप मां अन्नपूर्णा को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको प्रतिदिन सुबह जल्दी उठकर, फिर नहा-धोकर माँ अन्नपूर्णा चालीसा, आरती व स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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