असुर विवाह (Asur Vivah): मनुस्मृति के अनुसार हिन्दू धर्म में कुल आठ प्रकार के विवाह मान्यता प्राप्त हैं। इनमें से पहले पांच को उचित तथा बाद के तीन विवाह को अनुचित माना गया है। अनुचित विवाह की श्रेणी में सबसे पहले असुर विवाह आता हैं। इस विवाह को निम्न विवाह की श्रेणी में रखा गया है।
ऐसे में आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा होगा कि आखिरकार यह असुर विवाह क्या है (Asur Vivah Kya Hai) और इसके क्या नियम है!! तो आज आप यह जान ले कि असुर विवाह कन्या की आज्ञा के बिना किया जाने वाला विवाह होता है। आइए असुर विवाह के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
Asur Vivah Kya Hai | असुर विवाह क्या है?
यह विवाह सामान्यतया निर्धन परिवारों की कन्याओं के साथ ज्यादा होता था। इसमें कन्या पक्ष के लोग एक निश्चित मूल्य को लेकर वर पक्ष को अपनी कन्या दान कर देते थे या यूँ कहे कि यह एक तरह से कन्या का सौदा होता था। इस सौदे में वर पक्ष के लोग उस कन्या को अपनी वधु के रूप में लेने के लिए उसका एक उचित मूल्य कन्या पक्ष को चुकाते थे और विवाह करवा दिया जाता था।
असुर विवाह कैसे होता है?
Asur Vivah सामन्यतया उन परिस्थितियों में होता हैं जब पुरुष कन्या के लायक नही होता था लेकिन फिर भी अपने पैसो के दम पर उससे विवाह करने की क्षमता रखता था। इसमें किसी प्रकार की जोर-जबरदस्ती नही की जाती थी। कन्या पक्ष के घरवालो की अनुमति के साथ ही इस विवाह को संपन्न करवाया जाता था।
असुर विवाह तब होता था जब:
- वर पक्ष धनवान हो और उसका किसी ऐसी स्त्री पर मन आ जाये जो निर्धन परिवार से हो और वह उसके परिवार को बहुत सारा धन दे दे।
- पुरुष में किसी प्रकार का कोई दोष हो।
- पुरुष कन्या पक्ष से निचली जाति का हो।
- पुरुष कोई गलत संगत में हो या नशा इत्यादि करता हो जिस कारण उसका विवाह नही हो पा रहा हो तो वह कन्या का सौदा करके विवाह कर ले।
- किसी अन्य कारण से पुरुष उस स्त्री के लायक ना हो लेकिन धन के बलबूते पर वह उसे प्राप्त कर ले इत्यादि।
Asur Vivah में वर पक्ष के लोग कन्या पक्ष से बातचीत करते हैं और विवाह का प्रस्ताव रखते है। उसके बदले दोनों के बीच पैसो को लेकर बात होती है। यदि दोनों पक्ष इससे सहमत हो जाते हैं तो विवाह करवा दिया जाता है।
असुर विवाह की मान्यता
हालाँकि मनुस्मृति में असुर विवाह को एक गलत या अनुचित विवाह की संज्ञा दी गयी हैं लेकिन फिर भी विवाह को विवाह ही माना गया है। इसमें दोनों पक्ष की अनुमति के साथ अग्नि को साक्षी मानकर विवाह किया जाता है इसलिये इसे विवाह की मान्यता प्राप्त होगी।
इस तरह से आज आपने जान लिया है कि असुर विवाह क्या है (Asur Vivah Kya Hai) और यह किन परिस्थितियों में किया जाता था। यह आठ प्रकार के विवाहों में छठे और निम्न स्तर के तीन विवाहों में पहले नंबर पर आता है।
असुर विवाह से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: असुर विवाह क्या होता है?
उत्तर: असुर विवाह वह होता है जिसमें कन्या की आज्ञा के बिना ही उसका विवाह करवा दिया जाता है। इसी के साथ ही वर पक्ष के लोग कन्या के परिवार को उसका मूल्य चुकाते हैं।
प्रश्न: असुर विवाह किसे कहते हैं?
उत्तर: असुर विवाह उसे कहा जाता है जिसमें लड़का और लड़की के परिवार वाले विवाह के लिए सौदा करते हैं। इसमें लड़के के परिवारवाले लड़की के परिवारवालों को पैसा या बहुमूल्य सामान देते हैं।
प्रश्न: असुर विवाह से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: असुर विवाह का तात्पर्य लड़की की आज्ञा के बिना उसका विवाह किसी पुरुष से करवा देना। इसी के साथ ही लड़की के पिता या घरवालों के द्वारा इसके बदले में लड़के वालों से पैसे लेना।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: