बटुक भैरव आरती – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Batuk Bhairav Ki Aarti

बटुक भैरव जी भगवान शिव के रूप भैरव बाबा का ही एक रूप हैं। आज हम आपको बटुक भैरव की आरती (Batuk Bhairav Ki Aarti) लिखित रूप में देंगे। बटुक भैरव जी की आरती का अपना अलग महत्व है क्योंकि इसमें बटुक भैरव की महिमा के बारे में बताया गया है और साथ ही उनकी भक्ति करने से हमे क्या लाभ मिलता है, इसका वर्णन किया गया है।

इस लेख में सर्वप्रथम आपको बटुक भैरव आरती (Batuk Bhairav Aarti) पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात बटुक भैरवनाथ आरती का हिंदी अनुवाद आपके लिए किया जाएगा ताकि आप इसका संपूर्ण अर्थ समझ सकें। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं बटुक भैरव की आरती हिंदी में अर्थ सहित।

Batuk Bhairav Ki Aarti | बटुक भैरव की आरती

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा॥

जय भैरव देवा…

तुम्हीं पाप उद्धारक दुःख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपुधारक॥

जय भैरव देवा…

वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूलधारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयहारी॥

जय भैरव देवा…

तुम बिन शिव सेवा सफल नहीं होवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे॥

जय भैरव देवा…

तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा कीजिए भैरव करिए नहीं देरी॥

जय भैरव देवा…

पांव घुंघरू बाजत डमरू डमकावत।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत॥

जय भैरव देवा…

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें॥

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा॥

बटुक भैरव की आरती (Batuk Bhairav Ki Aarti)

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा॥

हे भैरव देवता!! आपकी जय हो, प्रभु आपकी जय हो। आपकी तो माँ काली व गौरी दोनों देवियाँ सेवा करती है।

तुम्हीं पाप उद्धारक दुःख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपुधारक॥

आप ही हम सभी के पापों का नाश करते हैं और हमारे दुखों को हरते हैं। आप अपने भक्तों को सुख देने वाले हैं तथा बच्चें रूप में अत्यंत भीषण भी हैं।

वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूलधारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयहारी॥

आपका वाहन कुत्ता है और आपने अपने हाथों में त्रिशूल पकड़ा हुआ है। आपकी महिमा तो मिटाए नही मिट सकती है और आप हम सभी के भय का नाश करते हैं। आपकी जय हो, जय हो।

तुम बिन शिव सेवा सफल नहीं होवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे॥

आपकी भक्ति किये बिना तो भगवान शिव की भक्ति भी पूर्ण नही मानी जाती है। चार मुख वाले दीपक के दर्शन करने से दुखों का नाश होता है।

तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा कीजिए भैरव करिए नहीं देरी॥

आपको तेल चढ़ाया जाता है और आपकी भाषा दही के जैसी मिश्रित है। अब भैरव बाबा, देर मत कीजिए और हम पर अपनी कृपा कीजिए।

पांव घुंघरू बाजत डमरू डमकावत।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत॥

आपके पावों में घुंघरू बज रहे हैं और हाथों में डमरू है। बटुकनाथ के रूप में आप हर मनुष्य के मन को उल्लासित कर रहे हैं।

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें॥

बटुकनाथ जी की आरती को जो कोई भी मनुष्य गाता है, धरणीधर कहते हैं कि उस मनुष्य की सभी इच्छाएं पूर्ण होती है।

इस तरह से आज आपने बटुक भैरव आरती (Batuk Bhairav Aarti) हिंदी में पढ़ ली है। अब हम बटुक भैरव की आरती का पाठ करने से मिलने वाले फायदों और उसके महत्व के बारे में भी जान लेते हैं।

बटुक भैरव की आरती का महत्व

बटुक भैरव आरती के माध्यम से भैरव बाबा के गुणों, शक्तियों, महत्व, महिमा इत्यादि के ऊपर प्रकाश डाला गया है। बटुक भैरव बाबा मुख्यतया भूतों और प्रेतों के राजा माने जाते हैं। कहने का अर्थ यह हुआ कि उनका इन पर पूर्ण रूप से नियंत्रण रहता है।

बटुक भैरव की आरती के माध्यम से हम भैरव बाबा की आराधना करते हैं। इससे भैरव बाबा आपसे प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा आप पर बरसाते हैं। बटुक भैरव जी के बारे में संपूर्ण परिचय देने और साथ ही उनकी आराधना करने के कारण ही बटुक भैरव की आरती का महत्व बढ़ जाता है।

बटुक भैरव आरती के फायदे

जो भक्तगण प्रतिदिन सच्चे मन के साथ बटुक भैरव की आरती पढ़ते हैं, उन्हें कई तरह के अभूतपूर्व लाभ देखने को मिलते हैं। यदि उनके ऊपर या उनके घर में किसी नकारात्मक शक्ति या भूत-प्रेत का साया है तो वह बटुक भैरव की कृपा से स्वतः ही दूर हो जाता है। भैरव बाबा हमारे ऊपर से नकारात्मक शक्तियों, काला जादू, भूत, प्रेत इत्यादि को दूर करने में अहम भूमिका निभाते हैं।

इसी के साथ ही आपको मानसिक शांति का भी अनुभव होता है। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि यदि आपके मन में बुरे विचार आते हैं या मानसिक अवसाद या किसी बात की चिंता सताती रहती है तो आपको बटुक भैरव आरती पढ़नी चाहिए। इससे आपका मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है। यहीं बटुक भैरव की आरती के फायदे होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने बटुक भैरव की आरती (Batuk Bhairav Ki Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने बटुक भैरव आरती के पाठ से मिलने वाले फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

Recommended For You

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

1 Comment

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *