भगवान ब्रह्मा आरती हिंदी अर्थ सहित | Brahma Aarti Lyrics With Hindi Meaning

Brahma Ji Ki Aarti

भगवान ब्रह्मा त्रिदेव में से एक व इस सृष्टि के रचयिता माने जाते हैं। हालाँकि उनका एकमात्र मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है लेकिन हम सभी के रचयिता होने के कारण उनकी महत्ता अत्यधिक बढ़ जाती है। ऐसे में आप भी ब्रह्मा जी की आरती (Brahma Ji Ki Aarti) करना चाहते होंगे।

इसलिए इस लेख में हम सभी सर्वप्रथम ब्रह्मा आरती का पाठ (Brahma Aarti) करेंगे। तत्पश्चात ब्रह्मा आरती का हिंदी अनुवाद आपके लिए किया जाएगा ताकि आप इसका संपूर्ण ज्ञान ले सकें। आइए पढ़ते हैं आरती ब्रह्मा जी की (Aarti Brahma Ji Ki)।

ब्रह्मा जी की आरती (Brahma Ji Ki Aarti)

पितु मातु सहायक स्वामी सखा,

तुम ही एक नाथ हमारे हो।

जिनके कछु और आधार नहीं,

तिनके तुम ही रखवारे हो।

सब भांति सदा सुखदायक हो,

दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।

प्रतिपाल करो सारे जग को,

अतिशय करुणा उर धारे हो।

भूल गये हैं हम तो तुमको,

तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।

उपकारन को कछु अंत नहीं,

छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो।

महाराज महा महिमा तुम्हरी,

मुझसे विरले बुधवारे हो।

शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि,

मन मंदिर के उजियारे हो।

इस जीवन के तुम जीवन हो,

इन प्राणण के तुम प्यारे हो।

तुम सों प्रभु पाए प्रताप हरि,

केहि के अब और सहारे हो।

ब्रह्मा आरती हिंदी अर्थसहित (Brahma Aarti In Hindi Meaning)

पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो।

हे भगवान ब्रह्मा!! आप ही हमारे माता-पिता, साथी, स्वामी सभी हो। आप ही हम सभी का पालन-पोषण करते हो।

जिनके कछु और आधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो।

जिनका इस सृष्टि या ब्रह्मांड में कोई और नही है, उनकी देखरेख भी आप ही करते हो।

सब भांति सदा सुखदायक हो, दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।

आप सभी को हमेशा सुख प्रदान करते हो व सभी के दुखों, कष्टों, पापों का नाश करते हो।

प्रतिपाल करो सारे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो।

आप इस संपूर्ण जगत का पालन-पोषण करते हो और सभी के ऊपर कृपा दृष्टि रखते हो।

भूल गये हैं हम तो तुमको, तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।

हम आपको भूल गए हैं क्योंकि आप तो हमारी सुध तक नही लेते हो।

उपकारन को कछु अंत नहीं, छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो।

आपके उपकार का कोई अंत नही है क्योंकि यह सभी के ऊपर विभिन्न रूपों से रहता है।

महाराज महा महिमा तुम्हरी, मुझसे विरले बुधवारे हो।

हे ब्रह्मा भगवान, आपकी महिमा अपरंपार है और आप मुझसे मिलें।

शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि, मन मंदिर के उजियारे हो।

आपके आगमन से घर में शुभ कार्य होते हैं, शांति स्थापित होती है और प्रेम का संचार होता है। आप मनुष्य के मन को भी एक नयी दिशा दिखाते हो।

इस जीवन के तुम जीवन हो, इन प्राणण के तुम प्यारे हो।

आप ही ने मुझे यह जीवन दिया है और अब आप मुझे अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय हो।

तुम सों प्रभु पाए प्रताप हरि, केहि के अब और सहारे हो।

आपके ध्यान से हम साक्षात् श्री हरि अर्थात भगवान विष्णु को प्राप्त कर सकते हैं तो फिर किसी और का सहारा क्यों ही चाहिए।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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