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Guru Brihaspati Chalisa

आज हम आपके साथ बृहस्पति चालीसा (Brihaspati Chalisa) का पाठ करेंगे। बृहस्पति जी देवताओं के गुरु माने जाते हैं और गुरु की हम सभी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसी को देखते हुए ही सप्ताह में भी एक दिन गुरु के नाम पर अर्थात बृहस्पति जी के नाम पर रखा गया है। यही कारण है कि हम सभी उसे गुरुवार या बृहस्पतिवार कहकर संबोधित करते हैं।

आज के इस लेख में हम आपके साथ बृहस्पति चालीसा PDF (Brihaspati Chalisa PDF) फाइल और इमेज भी साझा करेंगे। इसे आप आगे कभी पढ़ने के लिए अपने मोबाइल में सेव करके रख सकते हैं। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्री बृहस्पति चालीसा।

Brihaspati Chalisa | बृहस्पति चालीसा

॥ दोहा ॥

प्रन्वाऊ प्रथम गुरु चरण,
बुद्धि ज्ञान गुन खान।
श्री गणेश शारद सहित,
बसों हृदय में आन॥

अज्ञानी मति मंद मैं,
हैं गुरुस्वामी सुजान।
दोषों से मैं भरा हुआ हूँ,
तुम हो कृपा निधान॥

॥ चालीसा ॥

जय नारायण जय निखिलेशवर,
विश्व प्रसिद्ध अखिल तंत्रेश्वर।

यंत्र-मंत्र विज्ञान के ज्ञाता,
भारत भू के प्रेम प्रेनता।

जब जब हुई धरम की हानि,
सिद्धाश्रम ने पठए ज्ञानी।

सच्चिदानंद गुरु के प्यारे,
सिद्धाश्रम से आप पधारे।

उच्चकोटि के ऋषि-मुनि स्वेच्छा,
ओय करन धरम की रक्षा।

अबकी बार आपकी बारी,
त्राहि त्राहि है धरा पुकारी।

मरुन्धर प्रान्त खरंटिया ग्रामा,
मुल्तानचंद पिता कर नामा।

शेषशायी सपने में आये,
माता को दर्शन दिखलाए।

रुपादेवि मातु अति धार्मिक,
जनम भयो शुभ इक्कीस तारीख।

जन्म दिवस तिथि शुभ साधक की,
पूजा करते आराधक की।

जन्म वृतन्त सुनायए नवीना,
मंत्र नारायण नाम करि दीना।

नाम नारायण भव भय हारी,
सिद्ध योगी मानव तन धारी।

ऋषिवर ब्रह्म तत्व से ऊर्जित,
आत्म स्वरुप गुरु गोरवान्वित।

एक बार संग सखा भवन में,
करि स्नान लगे चिन्तन में।

चिन्तन करत समाधि लागी,
सुध-बुध हीन भये अनुरागी।

पूर्ण करि संसार की रीती,
शंकर जैसे बने गृहस्थी।

अदभुत संगम प्रभु माया का,
अवलोकन है विधि छाया का।

युग-युग से भव बंधन रीती,
जंहा नारायण वाही भगवती।

सांसारिक मन हुए अति ग्लानी,
तब हिमगिरी गमन की ठानी।

अठारह वर्ष हिमालय घूमे,
सर्व सिद्धिया गुरु पग चूमें।

त्याग अटल सिद्धाश्रम आसन,
करम भूमि आए नारायण।

धरा गगन ब्रह्मण में गूंजी,
जय गुरुदेव साधना पूंजी।

सर्व धर्महित शिविर पुरोधा,
कर्मक्षेत्र के अतुलित योधा।

हृदय विशाल शास्त्र भण्डारा,
भारत का भौतिक उजियारा।

एक सौ छप्पन ग्रन्थ रचयिता,
सीधी साधक विश्व विजेता।

प्रिय लेखक प्रिय गूढ़ प्रवक्ता,
भूत-भविष्य के आप विधाता।

आयुर्वेद ज्योतिष के सागर,
षोडश कला युक्त परमेश्वर।

रतन पारखी विघन हरंता,
सन्यासी अनन्यतम संता।

अदभुत चमत्कार दिखलाया,
पारद का शिवलिंग बनाया।

वेद पुराण शास्त्र सब गाते,
पारेश्वर दुर्लभ कहलाते।

पूजा कर नित ध्यान लगावे,
वो नर सिद्धाश्रम में जावे।

चारो वेद कंठ में धारे,
पूजनीय जन-जन के प्यारे।

चिन्तन करत मंत्र जब गाएं,
विश्वामित्र वशिष्ठ बुलाएं।

मंत्र नमो नारायण सांचा,
ध्यानत भागत भूत-पिशाचा।

प्रातः कल करहि निखिलायन,
मन प्रसन्न नित तेजस्वी तन।

निर्मल मन से जो भी ध्यावे,
रिद्धि सिद्धि सुख-सम्पति पावे।

पथ करही नित जो चालीसा,
शांति प्रदान करहि योगिसा।

अष्टोत्तर शत पाठ करत जो,
सर्व सिद्धिया पावत जन सो।

श्री गुरु चरण की धारा,
सिद्धाश्रम साधक परिवारा।

जय-जय-जय आनंद के स्वामी,
बारम्बार नमामी नमामी।

बृहस्पति चालीसा इमेज

यह रही बृहस्पति चालीसा की इमेज:

बृहस्पति चालीसा (Brihaspati Chalisa)
बृहस्पति चालीसा (Brihaspati Chalisa)

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बृहस्पति चालीसा PDF | Brihaspati Chalisa PDF

अब हम Brihaspati Chalisa PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: बृहस्पति चालीसा PDF

ऊपर आपको लाल रंग में बृहस्पति चालीसा PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने बृहस्पति चालीसा का पाठ (Brihaspati Chalisa) कर लिया हैं। यदि आपको बृहस्पति चालीसा PDF फाइल या इमेज डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

बृहस्पति चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: बृहस्पति को खुश करने के लिए क्या करें?

उत्तर: यदि आप बृहस्पति जी को खुश करना चाहते हैं तो आपको हर गुरुवार के दिन बृहस्पति जी का ध्यान कर उनकी चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए।

प्रश्न: बृहस्पति देव का मंत्र क्या है?

उत्तर: बृहस्पति देव का मंत्र “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः। ॐ बृं बृहस्पतये नमः। विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्। विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।” है।

प्रश्न: बृहस्पति कैसे लिखेंगे?

उत्तर: यदि आप बृहस्पति को लिखना चाहते हैं तो अंग्रेजी भाषा में उसकी स्पेलिंग Brihaspati होती है।

प्रश्न: बृहस्पति तेज होने से क्या होता है?

उत्तर: यदि किसी व्यक्ति का बृहस्पति ग्रह तेज या मजबूत है तो उस व्यक्ति का भाग्य भी मजबूत बनता है क्योंकि बृहस्पति ग्रह का सीधा संबंध व्यक्ति के भाग्य से होता है।

प्रश्न: बृहस्पति मजबूत होने से क्या होता है?

उत्तर: बृहस्पति मजबूत होने से व्यक्ति का भाग्य अच्छा होता है। उसके घर व वैवाहिक जीवन में शांति व सुख आता है तथा साथ ही आर्थिक रूप से संपन्नता भी देखने को मिलती है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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