केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Mandir) 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग व पंच केदार में से एक केदार है। देवभूमि उत्तराखंड की पहाड़ियों के बीच स्थित इस मंदिर की छवि ही कुछ निराली है। केदारनाथ मंदिर की छवि जितनी मनोहर है, उतना ही इसका इतिहास व इससे जुड़ी कथा का भी महत्व है। केदारनाथ मंदिर की कहानी पांडवों व महादेव से जुड़ी हुई है।
हर वर्ष लाखों करोड़ों लोग केदारनाथ धाम मंदिर की यात्रा (Kedarnath Dham Mandir) पर निकलते हैं। अब तो भारत सरकार व उत्तराखंड सरकार ने वहां बहुत विकास करवा दिया है। इस कारण लाखों श्रद्धालु बिना किसी झंझट के केदारनाथ पहुँच रहे हैं। आज हम आपको केदारनाथ मंदिर की हरेक जानकारी देने वाले हैं ताकि आप भी यहाँ की यात्रा को आनंदमय बना सकें।
Kedarnath Mandir | केदारनाथ मंदिर के बारे में
वर्ष 2013 में केदारनाथ आपदा के बाद यहाँ आने वाले भक्तों की संख्या में लगभग 10 गुणा तक की वृद्धि देखी गई है। भारत सरकार ने केदारनाथ मंदिर के पुनरुथान में बहुत काम किया है। अब तो केदारनाथ मंदिर के यात्रा मार्ग को बहुत ही सुविधाजनक बना दिया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर सकें।
ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ केदारनाथ मंदिर की कहानी, केदारनाथ का मौसम (Kedarnath Ka Mausam), वहां पहुँचने का रास्ता, मंदिर की सुंदरता, आसपास के दर्शनीय स्थल इत्यादि के बारे में पूरी जानकारी देने वाले हैं। तो चलिए शुरू करते हैं।
केदारनाथ मंदिर की कहानी
अगर आप केदारनाथ यात्रा करने का सोच रहे हैं तो सबसे पहले आवश्यक है इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानना। इस स्थल से कई पौराणिक कथाएं जुडी हुई है जिसमें से सबसे मुख्य व मानी जाने वाली पांडव काल की है।
कहते हैं महाभारत के भीषण युद्ध के बाद पांडव अपने पापों की मुक्ति के लिए भगवान शिव को ढूंढते हुए यहाँ तक पहुंचे। चूँकि महादेव उनसे कुंठित थे, इसलिए उन्होंने एक बैल का रूप ले लिया किंतु भीम ने उन्हें पहचान लिया व उनको पकड़ने दोड़े। यह देखकर भगवान शिव धरती में अंतर्धान होने लगे लेकिन भीम ने बैल की पीठ पकड़ ली। तब से यहाँ बैल के पीठ रुपी मूर्ति की पूजा की जाती है।
इसके बाद आदि शंकराचार्य ने आज से कुछ हजारों वर्ष पहले इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। इसके बाद शंकराचार्य ने यहीं समाधि ले ली थी। उनकी समाधि केदारनाथ मंदिर के पास ही स्थित है।
Kedarnath Ka Mausam | केदारनाथ का मौसम
यहाँ की यात्रा करने से पहले आपका यह भी जानना आवश्यक है कि मंदिर किस मौसम व महीने में खुला रहता है व कब बंद। इसी के साथ किस मौसम में मंदिर का तापमान व स्थिति कैसी रहती है।
- मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के लिए अप्रैल माह में खुलते हैं। अप्रैल से लेकर जून तक का महीना मौसम के अनुसार सबसे उत्तम है। इस समय यहाँ का तापमान लगभग 17 डिग्री रहता है। वर्ष के इस समय में श्रद्धालुओं की सबसे ज्यादा भीड़ भगवान शिव के दर्शन करने यहाँ आती है।
- जुलाई से सितम्बर के महीने में यहाँ वर्षा होती है जिस कारण लैंडस्लाइड, फिसलकर गिरने व भूस्खलन की समस्या बनी रहती है। इसलिए इस मौसम में यात्रा करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि यात्रा कहीं बंद तो नही है।
- सितम्बर से नवंबर के बीच यहाँ फिर से श्रद्दालुओं का जमावड़ा उमड़ पड़ता है व बारिश के बाद यहाँ का मौसम सुहाना व ठंडा भी हो जाता है। इस समय आप यहाँ हल्की बर्फ बारी का आनंद भी उठा सकते हैं।
- नवंबर से मार्च के बीच यहाँ भीषण बर्फ बारी व ठंड के कारण मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं व यहाँ से मूर्ति को उठाकर उखीमठ स्थापित कर दिया जाता है। इस समय मंदिर बंद रहता है व वहां के निवासी भी कहीं और रहने चले जाते हैं।
इस तरह से आप Kedarnath Mandir अप्रैल से नवंबर के महीने में जा सकते हैं। हालाँकि जाने से पहले भी एक बार आप वहां के मौसम का अपडेट ले लेंगे तो यह आपके लिए ही बेहतर रहेगा। बारिश के मौसम में वहां कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
केदारनाथ का रास्ता
अब आपने मौसम के बारे में जान लिया है तो बात आती है केदारनाथ पहुँचने की। इसके लिए पहले हमें इसकी भौगोलिक स्थिति को समझना होगा। केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। केदारनाथ पहुँचने के लिए सबसे पहले आपको गौरीकुंड पहुंचना होगा। आइए जाने गौरीकुंड तक कैसे पहुंचा जा सकता है।
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हवाईजहाज से
यदि आप हवाई मार्ग से जाने का सोच रहे हैं तो यहाँ से सबसे पास का एअरपोर्ट जॉली ग्राउंड एअरपोर्ट, देहरादून है। यहाँ से केदारनाथ की दूरी 200 किलोमीटर के पास रह जाती है जिसके लिए आप बस या टैक्सी बुक करवा सकते हैं।
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रेल मार्ग से
गौरीकुंड के सबसे पास रेलवे स्टेशन ऋषिकेश रेलवे स्टेशन है। यहाँ से भी केदारनाथ 200 किलोमीटर के आसपास है। आगे का रास्ता आप बस या टैक्सी से कर सकते हैं।
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सड़क मार्ग से
यदि आप दिल्ली, चंडीगढ़ या आसपास के इलाके में रहते हैं तो आप अपने शहर से ऋषिकेश या सीधा गौरीकुंड की बस का भी पता कर सकते हैं। दिल्ली से रात को 8 से 9 बजे के बीच गौरीकुंड की एक बस भी चलती है।
गौरीकुंड से केदारनाथ
केदारनाथ जाने के लिए सभी भक्तों को गौरीकुंड पहुंचना पड़ता है। एक तरह से केदारनाथ के रास्ते के लिए सड़क यहाँ से खत्म हो जाती है। इससे आगे का रास्ता आपको पहाड़ों पर चढ़कर पार करना होता है। हालाँकि आज के समय के अनुसार कई तरह की सुविधाएँ उपलब्ध है। गौरीकुंड से केदारनाथ की दूरी 16 किलोमीटर है।
ऐसे में यदि आप गौरीकुंड पहुँच चुके हैं तो जान लें कि यहाँ से केदारनाथ की चढ़ाई 16 किलोमीटर की होगी। इस दूरी को आपको चढ़कर या फिर अन्य माध्यमों से तय करना पड़ेगा। गौरीकुंड से केदारनाथ पहुँचने के कुल 4 माध्यम हैं। आइए उनके बारे में भी जान लेते हैं।
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पैदल यात्रा या ट्रेक करके
यदि आप शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं व 16 किलोमीटर का ट्रेक कर सकते हैं तो इससे उत्तम विकल्प कुछ और नहीं। ट्रेक करते समय आप अपने मार्ग में बहुत सुंदर व अद्भुत दृश्य देख पाएंगे व प्रकृति का असली आनंद उठा पाएंगे। अधिकतर भक्तगण केदारनाथ की पैदल यात्रा ही करते हैं।
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घोड़े पर
यदि आपकी उम्र ज्यादा है या आप पैदल यात्रा कर पाने में असमर्थ हैं तो आप घोड़े पर यात्रा करने का विकल्प भी चुन सकते हैं। इसके लिए आपको ऊपर तक की चढ़ाई के लिए 2 हजार रूपए के आसपास व वापस नीचे उतरने के लिए 1 हज़ार रूपए के आसपास का मूल्य चुकाना पड़ेगा।
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पालकी से
आप चाहें तो घोड़े की बजाए पालकी का विकल्प भी चुन सकते हैं। इसमें आपको पालकी में बिठाकर ऊपर तक पहुंचाया जाएगा। इसके भी मूल्य समयानुसार व वजनानुसार अलग-अलग हैं।
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हवाई मार्ग से
आप चाहें तो फाटा या सरसी से हवाई मार्ग द्वारा भी सीधा केदारनाथ पहुँच सकते हैं। इसके लिए आपको सरकारी व निजी दोनों हवाई यात्रा करने का विकल्प मिल जाएगा लेकिन इससे आप वहां के मार्ग की प्राकृतिक सुंदरता को देखने से वंचित रह जाएंगे।
इस तरह से आप विभिन्न माध्यमों से Kedarnath Dham Mandir पहुँच जाएंगे। इस बात का ध्यान रखें कि तीर्थ को सुगमता से पूरा नहीं किया जा सकता है और उसके लिए थोड़े कष्ट झेलने आवश्यक हैं। ऐसे में सरल माध्यम से तीर्थ पहुँचने की बजाए, अपने पैरों को थोड़ा कष्ट अवश्य दें।
केदारनाथ धाम की सुंदरता
अब आप अंततः केदारनाथ मंदिर पहुँच गए हैं तो आपको वहां की सुंदरता के बारे में भी जान लेना चाहिए। यह समुंद्र तट से लगभग 12 हज़ार फीट ऊपर मन्दाकिनी नदी के पास स्थित है जहाँ की भव्यता देखते ही बनती है। मंदिर 6 फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है व यहाँ बाहर नंदी महाराज विराजमान हैं।
यहाँ द्रौपदी सहित पांचों पांडवों की मूर्तियाँ स्थापित है व साथ ही नंदी की पीठ के रूप में महादेव की पूजा की जाती है। सुबह व शाम को होने वाली आरती, मंत्रोच्चार व ॐ मंत्र का जाप आपमें एक नई ऊर्जा भर देगा। मंदिर के आसपास का परिसर व उसका नजारा इतना अद्भुत है कि आप अपलक देखते रह जाएंगे। आपको यहाँ इतनी शांति व शुद्ध हवा का अनुभव होगा कि आप अपनी यात्रा को कभी नही भुला पाएंगे।
Kedarnath Dham Mandir | केदारनाथ के दर्शनीय स्थल
अब आप इतनी सुंदर जगह पर आए हैं तो आपको यह जानकर और भी खुशी होगी कि यहाँ देखने के लिए सिर्फ केदारनाथ मंदिर ही नहीं अपितु आसपास और भी बहुत स्थल हैं जो आप देख सकते हैं। आइए उनके बारे में बात करते हैं।
#1. भीमशिला
सबसे पहले बात करते हैं भीमशिला की जिसकी वजह से आज हमारा केदारनाथ मंदिर बचा हुआ है। आपको 2013 में आई भयानक त्रासदा याद ही होगी जिसने कितनी भीषण तबाही उत्तराखंड में मचाई थी व मंदिर के आसपास के क्षेत्र को तहस नहस कर दिया था।
किंतु उसी समय बाढ़ के पानी में बहती हुई एक विशाल चट्टान आई और ठीक मंदिर के पीछे रुक गई जिससे बाढ़ का पानी दो हिस्से में बंट गया व मंदिर को कोई नुकसान नही पहुंचा। आज भी यह चट्टान मंदिर के पीछे स्थित है व भीमशिला के रूप में पूजी जाती है।
#2. शंकराचार्य समाधि
मंदिर के पास ही आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि भी स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के 4 धामों की स्थापना करने के बाद केदारनाथ में ही 32 वर्ष की आयु में समाधि ले ली थी। आज भी उनकी समाधि की पूजा यहाँ की जाती है।
#3. वासुकी ताल
केदारनाथ से 8 किलोमीटर ऊपर ट्रेक करके आप वासुकी ताल पहुँच सकते हैं जहाँ आपको ब्रह्म कमल भी देखने को मिलेंगे। यहाँ का पानी एक दम क्रिस्टल की तरफ साफ है व यहाँ से आप चौखम्भा की चोटियों को भी देख सकते हैं।
#4. गाँधी सरोवर
इसे कान्तिसरोवर या चोराबरी ताल भी कहा जाता है। यहाँ पर गाँधी जी की अस्थियों के कुछ अवशेष बहाए गए थे इसलिए इसे गाँधी सरोवर भी कहा जाता है। यहाँ का ट्रेक बहुत हरा भरा है व यहाँ से आप केदारनाथ व कीर्ति स्तम्भ की चोटियों को देख सकते हैं।
#5. गौरीकुंड
जब आप केदारनाथ की यात्रा आरंभ करते हैं तब आपको इस कुंड में स्नान करना होता है। इस ठंडी जगह पर भी इस कुंड का पानी गरम होता है। यहाँ 2 कुंड हैं जिसमें एक में स्नान किया जाता है व दूसरे में पूजन किया जाता है।
इन सभी के अलावा भी केदारनाथ घाटी के आसपास और भी कई जगह है, जहाँ आप घूमने जा सकते हैं। जैसे कि भैरव मंदिर, फाटा, त्रियुगीनारायण मंदिर, उखीमठ, अगस्तयमुनि इत्यादि।
साथ में क्या लेकर जाएँ?
यह भी बहुत आवश्यक है क्योंकि बहुत लोगों को यह जानकारी नही होती है और वहां जाकर उन्हें समस्या का सामना करना पड़ता है। इसलिए हम आपको उन कुछ चुनिंदा व आवश्यक चीजों के बारे में बताएँगे जिन्हें आपको अपनी केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Dham Mandir) के समय अवश्य लेकर जाना चाहिए।
- ऊनी व गर्म कपड़े
- न फिसलने वाले जूते
- रेनकोट या छतरी
- एक से ज्यादा मोजों का जोड़ा
- पहचान पत्र
- ताला-चैन
- आवश्यक दवाइयां
- टोर्चलाइट
- चॉकलेट व ग्लूकोज
- मॉइस्चराइजर
- सिर की गर्म टोपी
- पॉवर बैंक
- स्लीपिंग बैग इत्यादि।
ऐसे में आप केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Mandir) जाने से पहले इन सब सामान की व्यवस्था पहले ही कर लेंगे तो बहुत सही रहेगा। यात्रा के दौरान इनमें से किसी भी चीज़ की कभी भी जरुरत पड़ सकती है।
केदारनाथ मंदिर से जुड़ी अन्य जानकारी
इन सभी के अलावा हम केदारनाथ धाम मंदिर जाने से पहले कुछ अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी आपको दे देते हैं। यदि आप इन्हें भी ध्यान में रखेंगे तो अवश्य ही आपकी यात्रा आनंदमय हो जाएगी।
- मंदिर के कपाट भक्तों के लिए सुबह 6 बजे खुलते हैं व रात 8:30 बजे के पास बंद हो जाते हैं।
- अपने साथ कैश उचित मात्रा में लेकर चलें।
- यात्रा पर जाने से पहले अपना चारधाम बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन कर लेंगे तो बेहतर रहेगा।
- केदारनाथ का पूरा ट्रेक करने में लगभग 5 से 6 घंटों का समय लगता है इसलिए आप जल्दी सुबह के समय अपना ट्रेक शुरू करें।
- यात्रा पर जाने से पहले वहां के मौसम की पूरी जानकारी ले लें व उसी के अनुसार अपनी पैकिंग करें।
- यदि आप विशेष आरती करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अलग से शुल्क चुकाना होगा।
- केदारनाथ के गर्भ गृह में कैमरा ले जाना निषेध है लेकिन आप मंदिर के बाहर की सीनिक ब्यूटी और मंदिर के फोटो ले सकते हैं।
- एक दिन में ही केदारनाथ की चढ़ाई करके वापस आना मुश्किल होता है। इसलिए आपको रात को वहीं ठहराना पड़ता है। सर्दियों से बचने के लिए अपने साथ 2-3 जोड़े मोज़े अवश्य रखें।
- आपको खाने-पीने की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि गौरीकुंड से लेकर केदारनाथ के रास्ते कई लंगर मिलेंगे जहाँ आप भोजन कर सकते हैं।
- दोपहर 3 से 5 के बीच में मंदिर में विशेष पूजा होती है। इसलिए इस समय मंदिर को बंद कर दिया जाता है।
इस तरह से आज के इस लेख में आपने केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Mandir) और उससे जुड़ी हरेक जानकारी ले ली है। आशा है कि आप जब भी केदारनाथ धाम मंदिर की यात्रा पर निकलेंगे तो इस लेख में दी गई जानकारी आपके काम आएगी।
केदारनाथ मंदिर से जुड़े प्रश्नोत्तर
प्रश्न: केदारनाथ मंदिर कब जाना चाहिए?
उत्तर: केदारनाथ मंदिर आप अप्रैल से जून के बीच या फिर अक्टूबर व नवंबर के महीने में जा सकते हैं। ज्यादातर लोग अप्रैल से जून के बीच जाते हैं।
प्रश्न: केदारनाथ की पैदल चढ़ाई कितनी है?
उत्तर: केदारनाथ जाने के लिए आपको गौरीकुंड तक जाना होता है। वहां से केदारनाथ की चढ़ाई कुल 16 किलोमीटर के आसपास है।
प्रश्न: केदारनाथ शिवलिंग के पीछे क्या कहानी है?
उत्तर: यह कथा पांडवों के समयकाल से जुड़ी हुई है। जब भगवान शिव के बैल रुपी अवतार की पीठ यहाँ प्रकट हुई थी।
प्रश्न: केदारनाथ मंदिर 6 महीने बंद क्यों रहता है?
उत्तर: सर्दियों के दौरान यह पूरा क्षेत्र बर्फ से ढक जाता है। ऐसे में यहाँ जाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। इसी कारण केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
प्रश्न: केदारनाथ में क्या क्या चढ़ाया जाता है?
उत्तर: केदारनाथ में आप भगवान शिव को बेल पत्र, धतूरा, भांग, इलाइची इत्यादि चढ़ा सकते हैं।
प्रश्न: क्या हम रात में केदारनाथ मंदिर जा सकते हैं?
उत्तर: केदारनाथ मंदिर रात में 9 बजे तक खुला रहता है, उसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।
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