Atri Muni Ashram: उत्तराखंड में स्थित अत्रि मुनि आश्रम की जानकारी

अनुसूया माता मंदिर (Anusuya Mata Mandir)

उत्तराखंड के चमोली में स्थित अनुसूया माता मंदिर (Anusuya Mata Mandir) का अपना अलग महत्व है। यह तुंगनाथ मंदिर से ज्यादा दूर नहीं है। यहाँ आने वाले बहुत से भक्तगण तुंगनाथ या अन्य केदार के दर्शन करके वापस जाते हैं। अनुसूया माता की कहानी तो आप सभी ने ही सुन रखी होगी। यह वही देवी हैं जिन्होंने त्रिदेव को अपनी शक्ति से शिशु बना दिया था।

इस मंदिर से कुछ दूर अत्रि मुनि आश्रम (Atri Muni Ashram) भी है जिसे अत्रि गुफा के नाम से भी जाना जाता है। माता अनुसूया अत्रि मुनि की ही पत्नी थी। अनुसूया मंदिर आने वाले भक्तगण अत्रि मुनि के आश्रम भी होकर आते हैं। इसलिए आज हम आपको मंदिर व आश्रम दोनों के बारे में ही संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

Anusuya Mata Mandir | अनुसूया माता मंदिर की जानकारी

उत्तराखंड राज्य देवभूमि होने के साथ-साथ चमत्कारों का भी गृह राज्य है। यहाँ के हर एक स्थल, मंदिर व पहाड़ी से कोई ना कोई प्राचीन कथा जुड़ी हुई है। उसी में एक है चमोली जिले में स्थित माता अनुसूया देवी का भव्य मंदिर। माता अनुसूया की कथा त्रिदेव व दत्तात्रेय से जुड़ी हुई है।

मान्यता है कि जिन लोगों को संतान नही हो रही है या स्वस्थ संतान प्राप्ति की इच्छा है वे माता अनुसूया मंदिर में मत्था टेकने आते हैं। आज हम आपको अनुसूया देवी मंदिर चमोली सहित Atri Muni Ashram के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।

अनुसूया मंदिर का इतिहास

पहले हम अनसूया मंदिर का इतिहास (Anusuya Temple History In Hindi) जान लेते हैं। प्राचीन समय में यहाँ ऋषि अत्रि का आश्रम था जिनकी पत्नी का नाम अनुसूया था। माता अनुसूया अपने पतिव्रता धर्म के लिए प्रसिद्ध थी जिस कारण माँ पार्वती, लक्ष्मी व सरस्वती को उनसे ईर्ष्या हुई। इसके लिए उन्होंने अपने पतियों को माता अनुसूया की परीक्षा लेने के लिए भेजा।

इसके बाद भगवान शिव, विष्णु व ब्रह्मा ऋषि के भेष में माता अनुसूया के आश्रम में गए और उनसे भिक्षा मांगी। उस समय माता अनुसूया स्नान कर रही थी तब त्रिदेव ने उन्हें उसी अवस्था में बाहर आकर भिक्षा देने को कहा। यह देखकर माता अनुसूया ने अपने तप से त्रिदेव को शिशुओं में बदल दिया और उन्हें दूध पिलाया।

कई दिन बीत जाने के बाद भी जब त्रिदेव अपने लोक को नही लौटे तो तीनों माताओं ने आकर माता अनुसूया से क्षमा याचना की। इसके बाद माता अनुसूया ने त्रिदेव को मुक्त कर दिया। इसके कुछ दिनों बाद माता अनुसूया के घर त्रिमुखी संतान का जन्म हुआ जिसे आज हम दत्तात्रेय भगवान के नाम से जानते हैं।

अनुसूया देवी मंदिर कहां है?

अनुसूया देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में गोपेश्वर से 13 किलोमीटर दूर मंडल गाँव के पास स्थित है। मंदिर की समुंद्र तट से ऊंचाई लगभग दो हज़ार मीटर के आसपास है। इसके लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड के किसी भी शहर से गोपेश्वर पहुंचना होगा।

फिर गोपेश्वर से आसानी से मंडल गाँव के लिए बस, टैक्सी या जीप मिल जाएगी जो 30 से 45 मिनट में वहां पहुंचा देगी। यहाँ से आगे का रास्ता पैदल पार करना होता है क्योंकि आगे केवल पहाड़ों पर चढ़ाई है। मंडल गाँव से अनुसूया मंदिर की दूरी 5 से 6 किलोमीटर के आसपास है जिसे पूरा करने में 1 से 2 घंटे का समय लगता है।

अनुसूया मंदिर की संरचना

Anusuya Mata Mandir के लिए जब आप चढ़ाई करेंगे तो रास्ते में घने जंगल, रंग-बिरंगे पुष्प व कई तरह के पशु-पक्षी देखने को मिलेंगे। मंदिर पहुँचने के बाद आप देखेंगे कि वह भी चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है जो इसके आकर्षण को और बढ़ा देता है। इन जंगलों में मुख्यतया बांस, बुरांश व देवदार के असंख्य पेड़ देखने को मिलेंगे।

मंदिर के बाहर की ओर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित है। मान्यता है कि इस मूर्ति का निर्माण किसी के द्वारा नहीं किया गया है अपितु प्राकृतिक रूप से हुआ है। यह मूर्ति दायीं ओर थोड़ी झुकी हुई है जो कि एक पत्थर पर शिला रूप में निर्मित है। इसमें गणेश जी को देखकर लगता है कि जैसे वो आराम की मुद्रा में हो।

गणेश जी को प्रणाम करके जब आप मंदिर में प्रवेश करेंगे तो मुख्य गर्भगृह में माता अनुसूया की मूर्ति विराजमान है। अनुसूया मूर्ति के एक ओर भगवान दत्तात्रेय की त्रिमुखी मूर्ति भी स्थापित है। इसके अलावा मंदिर में भगवान शिव, माता पार्वती व गणेश की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं।

अत्रि मुनि आश्रम (Atri Muni Ashram)

Atri Muni Ashram Uttarakhand
Atri Muni Ashram Uttarakhand

अनुसूया मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर आगे अत्रि मुनि का आश्रम है जो कि एक गुफा में स्थित है। इसे अत्रि मुनि की गुफा (Atri Gufa) भी कह देते हैं। इस गुफा में अत्रि मुनि की पत्थर से बनी मूर्ति स्थापित है। गुफा के अंदर जाकर आपको सकारात्मक ऊर्जा का संचार अपने अंदर देखने को मिलेगा। यहाँ की शांति व पवित्रता को देखकर भक्तगण बहुत हल्का महसूस करते हैं।

साथ ही इस गुफा के बाहर अमृत गंगा का जल प्रपात भी गिरता है जिसको बिना लांघे परिक्रमा की जाती है। यह भी अपने आप में एक अद्भुत व सैलानियों का मन मोह लेने वाला दृश्य होता है। अनुसूया मंदिर की यात्रा बिना अत्रि मुनि आश्रम जाए पूरी नहीं मानी जाती है। इसलिए यहाँ आने वाले भक्तगण अत्रि गुफा और अनुसूया मंदिर दोनों की यात्रा पर जाते हैं।

अनुसूया मंदिर में संतान प्राप्ति की मान्यता

इससे जुड़ी प्राचीन कथा के कारण, यहाँ पर हर वर्ष हजारों-लाखों की संख्या में दंपत्ति व नव-विवाहित जोड़े संतान प्राप्ति की इच्छा से मत्था टेकने आते हैं। जिन लोगों को कई वर्षों से संतान नही हो रही है या जो स्वस्थ संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं, उनका यहाँ मुख्य रूप से आना होता है। मान्यता है कि जो दंपत्ति यहाँ आकर माता अनुसूया का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं उन्हें जल्द ही एक सुंदर व स्वस्थ संतान की प्राप्ति हो जाती है।

दत्तात्रेय जयंती पर अनुसूया मंदिर में मेला

Bhagwan Dattatreya In Hindi
Bhagwan Dattatreya In Hindi

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की चतुर्दशी व पूर्णिमा के दिन दत्तात्रेय भगवान की जयंती बनाई जाती है। इस अवसर पर Anusuya Mandir में भी भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार दिसंबर माह में पड़ता है। इस दौरान यहाँ लाखों की संख्या में भक्तगण पहुँचते हैं व मातारानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इस मेले में आसपास के गावों के लोग भी अपने-अपने देवता को डोली में बिठाकर अनुसूया मंदिर पहुँचते हैं और माता अनुसूया की परिक्रमा करते हैं। दत्तात्रेय जयंती पर लगने वाले मेले के अलावा नवरात्र के अवसर पर भी यहाँ विशेष आयोजन किया जाता है जिसमे भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

अनुसूया माता मंदिर के आसपास घूमने की जगह

Rudranath Temple In Hindi
Rudranath Temple In Hindi

Anusuya Mandir के पास में जो सबसे प्रसिद्ध स्थल है वह है पंच केदार में से एक रुद्रनाथ मंदिर। रुद्रनाथ मंदिर की चढ़ाई तीन जगह से शुरू होती है जिसमें से एक चढ़ाई मंडल गाँव से शुरू होती है। अनुसूया मंदिर से 23 किलोमीटर ऊपर ही रुद्रनाथ मंदिर स्थित है। इसलिए यहाँ आने वाले भक्तगण रुद्रनाथ मंदिर भी होकर आते हैं।

इसके अलावा आसपास अन्य स्थल भी घूमे जा सकते हैं, जैसे कि:

अनुसूया मंदिर कैसे पहुंचें?

अभी तक तो हमने आपको मंडल गाँव से अनुसूया मंदिर तक पहुँचने के बारे में जानकारी दी लेकिन अब प्रश्न यह उठता है कि अनुसूया मंदिर के सबसे पास का हवाई अड्डा या रेलवे स्टेशन कौन सा है? आइए इसके बारे में भी जान लेते हैं

  • हवाई मार्ग से अनुसूया मंदिर कैसे जाएं: यदि आप हवाई जहाज से अनुसूया मंदिर जाना चाहते हैं तो गोपेश्वर के सबसे नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का ग्रांट जॉली हवाई अड्डा है। यहाँ से बस या टैक्सी करके गोपेश्वर और फिर मंडल गाँव पहुँचना पड़ेगा।
  • रेल मार्ग से अनुसूया मंदिर कैसे जाएं: यदि आप सभी भारतीयों की पसंदीदा रेलगाड़ी से अनुसूया मंदिर जा रहे हैं तो सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश का है। यहाँ से फिर आपको बस या टैक्सी की सहायता से आगे जाना पड़ेगा।
  • सड़क मार्ग से अनुसूया मंदिर कैसे जाएं: वर्तमान समय में उत्तराखंड राज्य का लगभग हर शहर व कस्बा बसों के द्वारा सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आपको दिल्ली, चंडीगढ़, जयपुर इत्यादि से ऋषिकेश तक की सीधी बस आसानी से मिल जाएगी। फिर वहां से आप आगे के लिए स्थानीय बस या टैक्सी कर सीधे गोपेश्वर तक पहुँच सकते हैं।

अनसूइया मंदिर में कहां रुकें?

इसके बारे में बिल्कुल भी चिंता ना करें क्योंकि रहने के लिए आपको कोई भी असुविधा नही होगी। आप चाहें तो मंडल गाँव में भी रुक सकते हैं जहाँ आपको छोटे होटल, धर्मशाला या लोगों के घरों में होमस्टे की सुविधा मिल जाएगी। इसके अलावा आप वापस गोपेश्वर जा सकते हैं, जहाँ सरकारी विश्राम गृह, बड़े होटल, हॉस्टल, लॉज इत्यादि सभी प्रकार की सुविधाएँ आसानी से उपलब्ध है।

माता अनुसूया मंदिर जाने के लिए टिप्स

Anusuya Mandir जाने से पहले कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, जो कि इस प्रकार है:

  • यहाँ वर्षभर ठंडा मौसम रहता है, इसलिए गर्म कपड़े हमेशा साथ लेकर चलें।
  • चढ़ाई करने के लिए जूते पहने व एक छड़ी भी साथ में रखें। इससे पहाड़ों पर चढ़ने में आसानी होगी।
  • परिवार के साथ जा रहे हैं तो होटल इत्यादि की बुकिंग पहले ही करवा कर रखेंगे तो सही रहेगा।
  • मंदिर के अंदर फोटोग्राफी करना निषेध है।
  • अनुसूया मंदिर के साथ-साथ अत्रि मुनि की गुफा भी अवश्य होकर आएं।
  • अनुसूया मंदिर के साथ यदि रुद्रनाथ मंदिर जाने का भी कार्यक्रम है तो ध्यान रखें यह मंदिर सर्दियों में भीषण बर्फबारी के कारण छह माह के लिए (दीपावली के बाद से अप्रैल-मई तक) बंद रहता है।

इस तरह से आज के इस लेख के माध्यम से आपने Anusuya Mata Mandir के साथ ही Atri Muni Ashram के बारे में संपूर्ण जानकारी ले ली है। आप वर्ष के किसी भी समय यहाँ जाने का कार्यक्रम बना सकते हैं। आशा है कि आपको इस लेख के माध्यम से अत्रि मुनि आश्रम और अनुसूया माता मंदिर के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गयी होगी।

अनसूया मंदिर से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: सती अनुसूया पूर्व जन्म में कौन थी?

उत्तर: सती अनुसूया पूर्व जन्म में कुछ नहीं थी बल्कि यह उनका प्रथम रूप था अपने इस रूप में उन्होंने अपने पति अत्रि मुनि की बहुत सेवा की थी

प्रश्न: सती अनुसुइया किसकी पत्नी थी?

उत्तर: सती अनुसुइया महान ऋषि अत्रि मुनि की पत्नी थी अत्रि मुनि की गणना महानतम ऋषियों में की जाती है

प्रश्न: माता अनुसूया के कितने पुत्र थे?

उत्तर: माता अनुसूया ने त्रिदेव को शिशु रूप में बदल दिया था उनके इस रूप को दत्तात्रेय के नाम से जाना जाता है जो माता अनुसूया के पुत्र रूप में पूजनीय है

प्रश्न: अनुसूया का अर्थ क्या होता है?

उत्तर: अनुसूया का अर्थ होता है हर प्रकार के अहम, ईर्ष्या व बैर-भावना से मुक्त हो जाना इसमें व्यक्ति को किसी से द्वेष नहीं रहता है

नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘‍♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:

अन्य संबंधित लेख:

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.