गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ – भावार्थ, नियम, चालीसा, लाभ व नुकसान सहित

Gayatri Mantra In Hindi

आज हम आपको गायत्री मंत्र का अर्थ (Gayatri Mantra In Hindi) बताने जा रहे हैं। हिन्दू धर्म में हजारों तरह के मंत्र लिखे गए हैं जिनका अपना-अपना महत्व होता है। यह सभी मंत्र चारों वेद, शास्त्रों, पुराणों तथा अन्य महाकाव्यों में मिल जाते हैं व सभी की अपनी-अपनी महिमा है।

इन सभी में सर्वोच्च मंत्र गायत्री मंत्र को ही माना गया है जिसका महत्व स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने भी बताया है। अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश देते समय श्रीकृष्ण ने कहा था कि गायत्री मंत्र मैं स्वयं ही हूँ। ऐसे में गायत्री मंत्र का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है। आप सभी को भी गायत्री मंत्र तो याद होगा लेकिन बहुत कम लोग होंगे जिन्हें गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ (Gayatri Mantra Meaning In Hindi) भी पता होगा।

ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ गायत्री मंत्र के प्रत्येक अक्षर व शब्द का अर्थ साझा करने जा रहे हैं। इससे आपको गायत्री मंत्र का अर्थ व महिमा दोनों के बारे में ही जानकारी मिल जाएगी। इसी के साथ ही गायत्री मंत्र के लाभ तथा अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी इस लेख के माध्यम से मिलेगी। आइए जाने गायत्री मंत्र का अर्थ हिंदी में

Gayatri Mantra In Hindi | गायत्री मंत्र का अर्थ

अब हम आपको सबसे पहले गायत्री मंत्र लिखित में देने जा रहे हैं ताकि आप उसका उच्चारण कर सकें। वैसे आपमें से अधिकतर लोगों को यह गायत्री मंत्र याद ही होगा क्योंकि विद्यालय में प्रार्थना के समय में इसका जाप अवश्य करवाया जाता था। साथ ही हर पूजा-पद्धति में भी गायत्री मंत्र का जाप प्रमुख तौर पर किया ही जाता है। फिर भी आपके लिए गायत्री मंत्र नीचे दिया जा रहा है।

ॐ भूर्भवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्॥

ऊपर दिए गए गायत्री मंत्र में कुल चौबीस अक्षर हैं और इनमे से हरेक अक्षर का अपना अलग महत्व है जो किसी ना किसी चीज़ का सूचक है। एक तरह से यह चौबीस अक्षर चौबीस भिन्न-भिन्न देवी-देवताओं के सूचक भी माने जाते हैं जो गायत्री मंत्र के महत्व को और भी बढ़ाने का कार्य करते हैं।

Gayatri Mantra Meaning In Hindi | गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ

अभी तक आपने गायत्री मंत्र को पढ़ लिया है लेकिन अब समय आ गया है इसके अर्थ को जानने का। गायत्री मंत्र के अर्थ को एक तरह से नहीं बल्कि कई तरह से परिभाषित किया जा सकता है क्योंकि इसमें शब्दों के अनुसार अलग अर्थ निकलता है जबकि अक्षरों के अनुसार अलग अर्थ निकाला जा सकता है। यही तो गायत्री मंत्र की महिमा है जो इसे सबसे प्रमुख व महत्वपूर्ण बनाती है।

इसे आप इसी बात से ही समझ सकते हैं कि गायत्री माता को वेदों की जननी कहा जाता है और उनके द्वारा ही सभी वेद, शास्त्र, पुराण इत्यादि का वर्णन किया गया है। ऋग्वेद की शुरुआत ही गायत्री मंत्र के शब्द से होती है और सभी वेदों का सार इसी मंत्र में निहित है। एक तरह से यदि कोई व्यक्ति वेदों को नहीं पढ़ सकता है लेकिन उसे इन्हें पढ़ने का पुण्य चाहिए तो वह केवल गायत्री मंत्र का जाप कर सकता है। ऐसे में आइये जाने हर शब्द के अनुसार गायत्री मंत्र का अर्थ।

  • ॐ- यह शब्द सभी मंत्रों का स्रोत है और ब्रह्माण्ड का मूल है। एक तरह से शब्द ब्रह्माण्ड का ही सूचक है।
  • भू- यह ब्रह्माण्ड में स्थित हमारी पृथ्वी या भूमि का परिचायक है जो हमारा आधार है।
  • भवः- ब्रह्माण्ड में भूमि के अतिरिक्त जो अंतरिक्ष है, यह शब्द उसी का परिसूचक है।
  • स्वः- यह शब्द स्वर्ग लोक का सूचक है जहाँ सभी देवी-देवता निवास करते हैं।
  • तत्- यह ईश्वर के परम रूप अर्थात परमात्मा का सूचक है जो उनके महत्व को दर्शाता है।
  • सवितुर- पृथ्वी जिसके कारण गतिमान है या टिकी हुई है यह उसका सूचक है जो मुख्य रूप से सूर्य देव को इंगित करता है।
  • वरेण्यं- यह पूजनीय शब्द को इंगित कर रहा है जिनकी हमें पूजा करनी चाहिए।
  • भर्गो- यह शब्द हमारे सभी तरह के पापों, अज्ञानता व बुद्धिहीनता इत्यादि को हरने की बात कर रहा है ताकि हमारे अंदर शांति, प्रकाश व ज्ञान का संचार हो सके।।
  • देवस्य- यह ईश्वर की शक्ति व ज्ञान को प्रदर्शित कर रहा है जिसे हम आदि शक्ति या मातारानी से जोड़ कर भी देख सकते हैं।
  • धीमहि- यह योग के द्वारा ध्यान मुद्रा में जाने की बात कर रहा है जिसके द्वारा हम अपने अंदर ही परमात्मा या ब्रह्माण्ड का स्वरुप देख सकते हैं।
  • धियो- यह शब्द बुद्धि का परिचायक है जो भगवान गणेश को भी इंगित करता है। बुद्धि के बिना कुछ भी संभव नहीं है और परमात्मा को पाने के लिए इसका सदुपयोग किया जाना आवश्यक होता है।
  • यो- इस शब्द से तात्पर्य “जो” है अर्थात “जिसे”।
  • नः- यह हम शब्द का सूचक है जिसके द्वारा हम अपनी बात कर रहे हैं।
  • प्रचोदयात्- इस शब्द का तात्पर्य प्रकाशित करने अर्थात ज्ञान का भंडार भरने से हैं।

इस तरह से आपने एक-एक शब्द के माध्यम से गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ (Gayatri Mantra Meaning In Hindi) जान लिया है। चलिए अब गायत्री मंत्र का हिंदी में उच्चारण सहित इसकी महिमा के बारे में भी जान लेते हैं।

गायत्री मंत्र का हिंदी में उच्चारण

ऊपर आपने गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्द का अर्थ जान लिया है तो उसके अनुसार गायत्री मंत्र का हिंदी अर्थ यह होता है:

“हम ब्रह्माण्ड स्वरुप उस ईश्वरीय शक्ति का ध्यान करते हैं जिसने पृथ्वी, अंतरिक्ष तथा स्वर्ग लोक का निर्माण किया है, उनकी शक्ति से ही सूर्य तारा है जिनके कारण हमारा आधार अर्थात पृथ्वी टिकी हुई है, इसलिए हम सभी को उनकी पूजा करनी चाहिए।

उस ईश्वरीय महा आदिशक्ति को हम योग की ध्यान शक्ति से पा सकते हैं जिससे हम अपने अंदर फैले अज्ञान, पाप, नकारात्मक भावनाओं का नाश कर सकते हैं। हे ईश्वर!! आप हमें बुद्धि प्रदान कर हमारे अंधकार रूपी जीवन में प्रकाश फैला दो।”

गायत्री मंत्र का अर्थ व महिमा

ऊपर आपने गायत्री मंत्र शब्दार्थ व उसके अनुसार उसका संपूर्ण विवरण जान लिया है लेकिन अब हम आपके सामने उसके भावार्थ का सरल भाषा में अनुवाद करने जा रहे हैं ताकि आप उसका तात्पर्य अच्छे से जान सकें।

  1. गायत्री मंत्र के द्वारा यह बताने का प्रयास किया जा रहा है कि यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड ही परमात्मा है या परमात्मा ही यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड है और उसी के द्वारा ही इस सृष्टि का निर्माण किया गया है।
  2. चूँकि ब्रह्माण्ड में सबकुछ अंतरिक्ष रूप में है अर्थात खाली जगह है तो उसी बीच ईश्वर ने अपनी शक्ति से हमारे रहने के लिए आधार रूप में पृथ्वी का निर्माण किया है।
  3. इस पृथ्वी को टिके रहने के लिए ईश्वर ने ही अपनी शक्ति से सूर्य देव का निर्माण किया है जिसके कारण वह अपनी सतह पर घूम रही है और गतिमान है।
  4. यदि हमें ईश्वर की शक्ति को अपने अंदर पाना है तो उसका सबसे सरल उपाय है योग की ध्यान मुद्रा में जाना जिसमें हम परमात्मा के अंश आत्मा के जरिये ही उन्हें अपने अंदर अनुभव कर सकते हैं।
  5. इसके द्वारा हमारे शरीर को एक नयी चेतना व ऊर्जा मिलती है तथा हमारी आत्मा तृप्त हो जाती है। इस क्रिया से हमारे अंदर की सभी नकारात्मक भावनाएं समाप्त हो जाती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
  6. इतना ही नहीं, गायत्री मंत्र के शब्दों के द्वारा यह भी बताया गया है कि यदि हमें ज्ञान व बुद्धि प्राप्त करनी है तो उसका भी एकमात्र स्रोत ईश्वरीय शक्ति ही है जो हमें विभिन्न वेदों, शास्त्रों, पुराणों, महाकाव्यों के द्वारा बताई गयी है।
  7. इसे सच्चे गुरु के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है जो हमारे जीवन को सत्यमार्ग पर आगे ले जाने का कार्य करता है। इसके द्वारा ही हम मोक्ष पा सकते हैं और जीवन-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो सकते हैं।

गायत्री मंत्र का अर्थ (Gayatri Mantra In Hindi) ही उसकी महिमा का वर्णन करता है। यहीं कारण है कि सभी तरह के मंत्रों में गायत्री मंत्र को विशेष महत्व दिया जाता है।

गायत्री मंत्र हिंदी में

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि गायत्री मंत्र के कई अर्थ निकलते हैं जिनमें से प्रमुख अर्थ उसके शब्दों के आधार पर होता है। इसके बारे में हमने आपको ऊपर ही बता दिया है लेकिन गायत्री चालीसा के माध्यम से इसके शब्दों के साथ-साथ प्रत्येक अक्षर के अनुसार भी इसकी एक अलग व्याख्या की गयी है जिसके बारे में आपका जानना आवश्यक हो जाता है। आइये पहले गायत्री चालीसा में उपलब्ध उस चौपाई को पढ़ लिया जाए जहाँ इसके शब्द की अलग से व्याख्या की गयी है।

गायत्री मंत्र चालीसा

गायत्री चालीसा की पंक्तियों में कुल 13 पंक्तियों को गायत्री मंत्र के प्रत्येक अक्षर का महत्व दर्शाने के लिए लिखा गया है ताकि इसकी दूरदर्शिता को समझा जा सके। आइये पढ़ें गायत्री चालीसा मंत्र की उन 13 पंक्तियों को।

ॐ-तत्व निर्गुण जग जाना, भूः-मम रूप चतुर्दल माना।

र्भुवः- भुवन पालन शुचिकारी, स्वः- रक्षा सोलह दलधारी।

त- विधि रूप जन पालन हारी, त्स- रस रूप ब्रह्म सुखकारी।

वि- कचित गंध शिशिर संयुक्ता, तु- रमित घट घट जीवन मुक्ता।

व- नत शब्द सुविग्रह कारण, रे- स्व शरीर तत्वनत धारण।

ण्य- सर्वत्र सुपालन कर्त्ता, भ- भवन बीच मुद मंगल भर्ता।

र्गो- संयुक्त गंध अविनाशी, दे- तन बुद्धि वचन सुखरासी।

व- सत् ब्रह्म युग बाहु स्वरुपा, स्य- तनु लसत षत दल अनुरूपा।

धी- जनु प्रकृति शब्द नित कारण, म- नितब्रह्म रूपिणी नित धारण।

हि- यहिसर्व परब्रह्म प्रकाशन, धियो- बुद्धि बल विद्या वासन।

यो- सर्वत्रलसत थल जल निधि, नः- नित तेज पुंज जग बहु विधि।

प्र- बलअनि अकाया नित कारण, चो- परिपूरण श्री शिव धारण।

द- मन करति अघ प्रगटनि शक्ति, यात- ज्ञान प्रविशन हरि भक्ति।

गायत्री चालीसा मंत्र का अर्थ

अब आपने ऊपर गायत्री मंत्र के प्रत्येक शब्दों को गायत्री चालीसा में लिखित रूप में पढ़ लिया है लेकिन इनका अर्थ क्या होता है, यह जानना भी तो अति-आवश्यक हो जाता है। गायत्री मंत्र का अर्थ (Gayatri Mantra In Hindi) जानने के साथ ही गायत्री चालीसा मंत्र का अर्थ भी जान लेना चाहिए। तो अब हम आपके सामने गायत्री चालीसा मंत्र का हिंदी अर्थ रखने जा रहे हैं।

  1. गायत्री मंत्र का प्रथम अक्षर “ॐ” इस सृष्टि का निर्गुण व प्रथम शब्द है।
  2. “भू” का अर्थ पृथ्वी से है जिस पर हम टिके हुए हैं।
  3. “र्भुवः” शब्द का अर्थ इस पृथ्वी का पालन करने वाले अर्थात भगवान विष्णु से है।
  4. “स्वः” शब्द के द्वारा विष्णु इसकी रक्षा सोलह सेनाओं के साथ करते हैं।
  5. “त” शब्द के द्वारा इस जगत का पालन किया जाता है।
  6. “त्स” शब्द आनंद व सुख देने वाला है।
  7. “वि” शब्द अपने में सुगंध लिए हुए है जो चन्द्रमा के समान है।
  8. “तु” शब्द हर मनुष्य में जीवन को प्रदान करने वाला है।
  9. शब्द हमारे शरीर के रूप का परिचायक है
  10. रे शब्द शरीर जिन पंच तत्वों से बना है, उसे दिखाता है।
  11. “ण्य” शब्द से हर जगह हमारा पालन-पोषण होता है।
  12. “भ” हमारा मंगल करता है।
  13. “र्गो” से हमे सभी तरह की सुगंध का आभास होता है।
  14. “दे” शब्द से हमारे शरीर को सुख मिलता है।
  15. “व” शब्द ब्रह्मा के स्वरुप को प्रदर्शित करता है।
  16. “स्य” हमारे शरीर के अनुरूप होने को दिखाता है।
  17. धी शब्द प्रकृति की उत्पत्ति के कारण का बोध कराता है
  18. शब्द ब्रह्म रूप का बोध कराता है।
  19. हि शब्द ज्ञान के प्रकाश का सूचक है
  20. धियो शब्द हमें बुद्धि, विद्या व बल प्रदान करता है।
  21. यो शब्द भूमि, समुंद्र व निधि का बोध कराता है
  22. नः शब्द गायत्री माता के संपूर्ण जगत में फैले हुए तेज को बताता है।
  23. प्र शब्द हमारी प्राणवायु का सूचक है जिससे हम सांस ले पाते हैं
  24. चो शब्द शिव भगवान का सूचक है जो हमारा अंत करेंगे।
  25. शब्द का अर्थ है हमारे मन के अंदर पैदा हो रहे नकारात्मक विचारों का अंत करने वाली शक्ति
  26. यात शब्द श्री विष्णु की भक्ति का सूचक है।

गायत्री मंत्र की उत्पत्ति

अब यदि आप गायत्री मंत्र की उत्पत्ति कब हुई थी, इसके बारे में जानना चाहते हैं तो यह भी एक रोचक किस्सा है। दरअसल सृष्टि का निर्माण भगवान ब्रह्मा ने किया था लेकिन पहले उनकी उत्पत्ति भी तो हुई होगी, इसी कारण ही तो वे सृष्टि का निर्माण कर पाए थे। इसके अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से कमल का पुष्प निकला था जिसमें से भगवान ब्रह्मा प्रकट हुए थे।

जब ब्रह्मा जी का निर्माण हुआ तब उनके ऊपर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था जिसकी व्याख्या उन्होंने अपने चारों मुखों से की थी जो बाद में चल कर वेद कहलाये। इसी कारण गायत्री मंत्र का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है क्योंकि इसी के कारण ही चारों वेद अस्तित्व में आये थे।

गायत्री मंत्र कब करना चाहिए?

अब यदि आप गायत्री मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो इसके लिए दिन के तीन समय को सबसे प्रमुख माना गया है। आप उनमें से किसी भी समय में गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।

  • गायत्री मंत्र जाप करने का प्रथम समय सूर्योदय होने से पहले का माना जाता है। इसके अनुसार आप जिस भी मौसम या दिन में गायत्री मंत्र का जाप करने जा रहे हो, इस बात का ध्यान रखें कि उस समय तक सूर्योदय ना हुआ हो और वह बस होने वाला हो।
  • गायत्री मंत्र के जाप का दूसरा समय दोपहर का माना जाता है। दोपहर में जब सूर्य अपने चरम पर होता है, तब आप किसी भी समय गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।
  • गायत्री मंत्र का जाप संध्या के समय भी किया जा सकता है लेकिन सूर्यास्त होने से पहले तक। कहने का अर्थ यह हुआ कि संध्या में जिस समय सूर्यास्त होने वाला हो या हो रहा हो, उस समय आप गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं।

इनके अलावा भी आप दिन के किसी भी समय में गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं लेकिन ऊपर बताये गए समय में यदि कोई व्यक्ति गायत्री मंत्र का जाप करता है तो उसे सर्वाधिक लाभ मिलता है। हालाँकि कुछ व्यक्तियों का प्रश्न होता है कि क्या गायत्री मंत्र का रात में भी जाप किया जा सकता है या नहीं। तो यहाँ हम आपको बता दें कि आप अवश्य ही गायत्री मंत्र का रात में जाप कर सकते हैं लेकिन वह मन ही मन करें, ना कि बोलकर।

गायत्री मंत्र की सच्चाई

बहुत से लोग गायत्री मंत्र की सच्चाई जानने को भी उत्सुक रहते हैं। आज के समय में जब इंटरनेट पर इतना कंटेंट उपलब्ध है तो यहाँ हम आपको पहले ही सचेत कर दें कि गायत्री मंत्र की सच्चाई बताने के नाम पर बहुत से लोग आपको भ्रमित करने या आपको अनुचित जानकारी देने का प्रयास कर सकते हैं। इसलिए आपको उन पर ध्यान देने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।

गायत्री मंत्र की सच्चाई यही है कि यह संपूर्ण ब्रह्माण्ड की शक्ति को अपने एक छोटे से मंत्र में समेटे हुए है जिसके महत्व का बखान तो ईश्वरीय रूपों ने भी अपने मुख से किया है। एक तरह से हिन्दू धर्म के चारों वेदों का मूल इसी गायत्री मंत्र को ही माना जाता है और यही इसकी सच्चाई है। सनातन धर्म में अन्य कोई भी मंत्र गायत्री मंत्र की बराबरी नहीं कर सकता है और यही मंत्र सर्वोच्च माना जाता है।

गायत्री मंत्र के नियम

आपने गायत्री मंत्र का हिंदी में अर्थ (Gayatri Mantra Meaning In Hindi) तो जान लिया है लेकिन यह भी जान ले कि गायत्री मंत्र का जाप करने के भी कुछ नियम होते हैं जिन्हें यदि आप ध्यान में रख लेंगे तो यह आपके लिए ही बेहतर परिणाम लेकर आएगा। आइये जाने गायत्री मंत्र का जाप करने के नियम।

  • सबसे पहला नियम तो यही है कि आप गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए उसके समय का ध्यान रखें। जो तीन समयकाल हमने आपको बताये हैं, यदि उसी समय गायत्री मंत्र का जाप किया जाए तो यह उत्तम रहता है।
  • गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए आपको एक आसन बिछा कर उस पर बैठ जाना चाहिए और उसके बाद ही इसका जाप करना शुरू करना चाहिए।
  • साथ में यदि आप तुलसी माला ले लेंगे तो इससे आपको अधिक लाभ देखने को मिलेगा लेकिन यह आपके ऊपर निर्भर करता है।
  • यदि आप सूर्योदय के समय गायत्री मंत्र का जाप कर रहे हैं तो मुख पूर्व दिशा में और सूर्यास्त के समय मुख पश्चिम दिशा में होना चाहिए अर्थात सूर्य की ओर।
  • दोपहर के समय या अन्य किसी समय गायत्री मंत्र का जाप करते समय आप उत्तर की ओर मुख कर सकते हैं लेकिन दक्षिण दिशा में बिल्कुल भी ना करें।
  • रात के समय या तो गायत्री मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए या फिर इसे मन ही मन पढ़ना चाहिए।
  • गायत्री मंत्र का जाप करते समय मन को केन्द्रित करना सीखें और उस समय किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार मन में ना आने दें।

गायत्री मंत्र के लाभ

गायत्री मंत्र का जाप करने के कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। इनमे से पहला लाभ तो यही है कि इससे आपकी आत्मा तृप्त होती है और उसे शांति का अनुभव होता है। इसके फलस्वरूप आपका मन शांत होता है तथा नए कार्य करने की ऊर्जा प्राप्त होती है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह आपकी आत्मा को जागृत कर उसे कार्य करने की शक्ति प्रदान करता है।

इससे आपके दिमाग की सोचने-समझने की शक्ति में भी वृद्धि देखने को मिलती है तथा आप रचनात्मक तरीके से सोच पाते हैं। गायत्री मंत्र के नियमित जाप से आपकी निर्णय शक्ति भी बढ़ती है तथा आप अच्छे व बुरे में भेद करना सीखते हैं। आप ब्रह्माण्ड के मूल तत्व को समझ पाते हैं और उसी दिशा में ही कार्य करते हैं। यह आपको सदैव सकारात्मक कार्य करने की प्रेरणा देता है जिसके फलस्वरूप समाज में आपके मान-सम्मान में वृद्धि देखने को मिलती है।

गायत्री मंत्र के नुकसान

अब यदि आप साथ के साथ गायत्री मंत्र के जाप से होने वाले नुकसान के बारे में जानना चाहते हैं तो यहाँ हम आपको एक बात पहले ही बता दें कि इसके जाप से कोई भी नुकसान देखने को नहीं मिलता है किन्तु यदि आप गायत्री मंत्र के नियमों की अनदेखी करते हुए उसका जाप करते हैं तो अवश्य ही उसका नकारात्मक प्रभाव आपके मन-मस्तिष्क पर देखने को मिल सकता है।

यदि आप गायत्री मंत्र का गलत उच्चारण करते हैं या नियमों की अवहेलना करते हैं तो इससे आपके मन को शांति मिलने की बजाये विपरीत प्रभाव देखने को मिल सकता है। वह इसलिए क्योंकि यह आत्मा को भ्रमित कर मन को अशांत करने का कार्य करता है जिससे आपके दिमाग में भी नकारात्मक विचार आ सकते हैं। इसलिए आपको गायत्री मंत्र के नुकसान से बचने के लिए इसका सही उच्चारण नियमों सहित करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने गायत्री मंत्र का अर्थ (Gayatri Mantra In Hindi) सहित उसके बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली है। आशा है कि आपको धर्मयात्रा संस्था के द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप इस पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या गायत्री मंत्र से संबंधित किसी विषय पर पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।

गायत्री मंत्र से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: हमारा गायत्री मंत्र क्या है?

उत्तर: हमारा गायत्री मंत्र “ॐ भूर्भवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्” है।

प्रश्न: गायत्री मंत्र का जाप कौन सा है?

उत्तर: गायत्री मंत्र का जाप “ॐ भूर्भवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्” है।

प्रश्न: गायत्री मंत्र हिंदी में कैसे लिखा जाता है?

उत्तर: गायत्री मंत्र हिंदी में “ॐ भूर्भवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्” लिखा जाता है।

प्रश्न: ओम भूर्भुव स्व किसका मंत्र है?

उत्तर: ओम भूर्भुव स्व गायत्री माता का मंत्र है जो सनातन धर्म के सभी मंत्रों में सर्वोच्च माना जाता है।

प्रश्न: गायत्री मंत्र कब सोना चाहिए?

उत्तर: आप गायत्री मंत्र को प्रातःकाल में सूर्योदय से पहले, दोपहर में तथा संध्या काल में सूर्यास्त के समय सुन सकते हैं या उसका जाप कर सकते हैं।

प्रश्न: शक्तिशाली मंत्र कौन सा है?

उत्तर: हिन्दू धर्म में सबसे शक्तिशाली मंत्र गायत्री मंत्र को माना जाता है क्योंकि उसके द्वारा ही चारों वेदों की उत्पत्ति संभव हो पायी थी और यही सभी शास्त्रों का सार है।

प्रश्न: गायत्री मंत्र कैसे पढ़ना चाहिए?

उत्तर: गायत्री मंत्र को पढ़ने के लिए आपको स्नान करके, आसन बिछा कर, सूर्य की दिशा में मुख करके, शुद्ध मन से इसका जाप करना चाहिए।

प्रश्न: रोज गायत्री मंत्र करने से क्या होता है?

उत्तर: यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप कर रहा है तो इससे उसकी आत्मा शुद्ध हो जाती है तथा उसमें नए कार्य करने की शक्ति व ऊर्जा समाहित होती है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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