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Gori Stuti

आज हम गौरी स्तुति रामायण lyrics को हिंदी अर्थ सहित (Gori Stuti) समझेंगेरामायण में सीता गौरी पूजन तो हर कोई जानता है और सभी ने रामायण धारावाहिक में इसे देखा भी होगा। तो यह उसी समय की बात है जब माता सीता ने पुष्प वाटिका में श्रीराम को देखा था। उसके बाद वे सीधे गौरी मंदिर गयी थी और गौरी स्तुति की रचना की थी।

आज के इस लेख में हम आपके साथ गौरी स्तुति इन हिंदी PDF फाइल और इमेज भी साझा करेंगे ताकि आप उसे अपने मोबाइल में सेव करके रख सके। इसी के साथ ही आपको गौरी स्तुति के फायदे व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइए सबसे पहले गौरी स्तुति हिंदी में अर्थ सहित पढ़ लेते हैं।

Gori Stuti | गौरी स्तुति रामायण Lyrics – अर्थ सहित

जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि जब पुष्प वाटिका में माता सीता श्रीराम को देखती हैं तो उसी समय वे गौरी के मंदिर में जाकर गौरी स्तुति की रचना करती हैं। अब ऊपर आपने जो गौरी स्तुति पढ़ी वह रामायण में लिखी हुई है लेकिन इसमें से केवल प्रथम पांच पंक्तियाँ ही माता सीता के द्वारा रचित है तथा अन्य पंक्तियों में सीता गौरी पूजन की क्रिया, गौरी माता का सीता को आशीर्वाद देना तथा माता सीता का आशीर्वाद पाकर स्नेह से मंदिर से चले जाने को बताया गया है।

अब हम भक्तों को तो इन सभी पंक्तियों को मिलाकर ही गौरी स्तुति का पाठ करना होता है, तभी यह हमारे लिए लाभदायक होती है। तो आइये इस गौरी स्तुति का हिंदी अर्थ आपको समझा देते हैं।

जय जय जय गिरिराज किसोरी।
जय महेस मुख चंद चकोरी॥

जय गजबदन हरानन माता।
जगत जननि दामिनी दुति गाता॥

देवी पूजि पद कमल तुम्हारे।
सुर नर मुनि जन होहिं सुखारे॥

मोर मनोरथ जानहु नीकें।
बसहु सदा उर पुर सबहीं के॥

कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं।
कीन्हेऊं प्रगट न कारन तेहिं॥

माता सीता गौरी मंदिर पहुँच कर माता गौरी के सामने हाथ जोड़कर कहती हैं कि हे पर्वत पुत्री गौरी माता!! आपकी जय हो, जय हो, जय हो। आप चंद्रमा जैसे मुख वाले शिव शंकर के मुख को हमेशा निहारती रहती हैं। आप ही गणेश व कार्तिक की माता हैं। आप ही इस सृष्टि की जननी व विद्युत के जैसी गति वाली हो।

देवता, मनुष्य व ऋषि-मुनि जो भी देवी गौरी के चरण पूजता है और उनका ध्यान करता है, उसे हर तरह का सुख प्राप्त होता है। अब आप मेरी इच्छा को तो जानती ही हैं क्योंकि आप तो सभी के हृदय में निवास करती हैं। अब मैं किस प्रकार अपनी इच्छा आपके सामने प्रकट करूँ क्योंकि आप तो अंतर्यामी हैं और मेरी मनः स्थिति भलीभांति जानती हैं।

बिनय प्रेम बस भई भवानी।
खसी माल मुरति मुसकानि॥

सादर सियं प्रसाद सिर धरेऊ।
बोली गौरी हरषु हियं भरऊ॥

माता सीता के द्वारा अपने प्रति यह प्रेम देखकर माता गौरी की मूर्ति मुस्कुराने लगती है और बहुत प्रसन्न हो जाती है। माता गौरी अपने गले में पहनी माला को नीचे माता सीता के गले में गिराकर उन्हें आशीर्वाद देती हैं और हर्षित होकर उनसे कहती हैं कि…

सुनु सिय सत्य असीस हमारी।
पूजिहिं मनुकामना तुम्हारी॥

नारद बचन सदा सूचि साचा।
सो बर मिलहि जाहिं मन राचा॥

मनु जाहिं राचेउ मिलहिं सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुना निधान सुजान सीलु सनेहु जानत रावरो॥

हे सीते!! मैं तुम्हें आशीर्वाद देती हूँ कि तुम्हारी हर मनोकामना पूरी होगी। नारद मुनि के वचन हमेशा ही सत्य होते हैं और तुम्हें मनचाहा वर मिलेगा। जिससे तुम्हें प्रेम हो गया है, तुम्हें वही सुंदर व सांवरा वर आसानी से मिल जाएगा। वे (श्रीराम) करुणा को लिए हुए और बुद्धिमान हैं तथा वे आपके स्नेह को समझ गए हैं।

एही भांती गौरी असीस सुनी सिय सहित हियं हरषीं अली।
तुलसी भवानिहिं पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥

माता गौरी के मुख से इन शब्दों को सुनकर माता सीता बहुत प्रसन्न हो गयी और अपनी सखियों सहित उल्लास मनाया। इसके पश्चात तुलसी व भवानी माता की पूजा करके और मन में मंद-मंद मुस्कुराती हुई माता सीता मंदिर से चली गयी।

रामायण में सीता गौरी पूजन

त्रेता युग में जब भगवान विष्णु ने अयोध्या नगरी में भगवान श्रीराम का रूप लिया, तब माता लक्ष्मी भी जनकपुरी में माता सीता के रूप में अवतरित हुई थी। जब माता सीता विवाह योग्य हो गयी तब उनके पिता राजा जनक ने सीता स्वयंवर का आयोजन किया। तब जनकपुरी की पुष्प वाटिका में माता सीता अपनी सखियों सहित पुष्प लेने आयी थी और उसी समय ही श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण सहित गुरु विश्वामित्र के लिए पुष्प लेने आये थे।

उसी समय माता सीता व श्रीराम का प्रथम मिलन हुआ था और दोनों ने एक-दूसरे को देखा था। दोनों ही एक-दूसरे को देखकर प्रेम में डूब गए थे और इसके तुरंत बाद माता सीता गौरी मंदिर गयी थी। वहां उन्होंने गौरी माता को नमन कर गौरी स्तुति की रचना की थी। यह गौरी स्तुति रामायण में भी उल्लेखित की गयी है ताकि आमजन इसका लाभ उठा सके। गौरी स्तुति के पाठ के पश्चात ही माता गौरी ने माता सीता को श्रीराम से विवाह का आशीर्वाद प्रदान किया था।

गौरी स्तुति के फायदे

यदि किसी कन्या के विवाह में बार-बार अड़चन आ रही है, उसके विवाह में बिना किसी कारण विलंब हो रहा है, उसे अपनी इच्छा के अनुरूप वर चाहिए जो जीवनपर्यंत उसका साथ निभाए, तो उसे सीता माता के द्वारा लिखी गयी इस गौरी स्तुति का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे विवाह में आ रही हर प्रकार की अड़चन व ग्रह दोष दूर हो जाते हैं।

कई बार यह देखने में आता है कि व्यक्ति की कुंडली या ग्रहों की स्थिति इस प्रकार होती है कि उसका विवाह नहीं हो पाता है या विवाह के उपरांत भी अड़चन आती है। ऐसे में मनचाहा वर प्राप्त करने और विवाह बाद शांति से जीवनयापन करने के लिए हर स्त्री को मंगला गौरी स्तुति का पाठ करना चाहिए। पुरुष भी मनचाही स्त्री से विवाह करने के लिए गौरी स्तुति मंत्र का पाठ कर सकता है।

गौरी स्तुति इमेज

यह रही मंगला गौरी स्तुति की इमेज:

गौरी स्तुति (Gauri Stuti)
गौरी स्तुति (Gauri Stuti)

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गौरी स्तुति इन हिंदी PDF

अब हम गौरी स्तुति की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: गौरी स्तुति इन हिंदी PDF

ऊपर आपको लाल रंग में मंगला गौरी स्तुति इन हिंदी PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने गौरी स्तुति हिंदी में अर्थ व लाभ सहित (Gori Stuti) पढ़ ली हैं। यदि आपको गौरी स्तुति की PDF फाइल या इमेज डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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