गुरुजी की आरती हिंदी में – महत्व व लाभ सहित

गुरुजी की आरती (Guruji Ki Aarti)

आज हम गुरु जी की आरती (Guru Ji Ki Aarti) का पाठ करेंगे। सनातन धर्म में गुरु का स्थान ईश्वर से भी ऊपर माना गया है क्योंकि सच्चे गुरु के मार्गदर्शन में ही हम ईश्वर के समीप जा सकते हैं। ऐसे में गुरु को ही ब्रह्मा, विष्णु व महेश की उपाधि दी गयी है। यही कारण है कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है जिस दिन हम सभी मिलकर अपने-अपने गुरुओं की पूजा करते हैं।

उस दिन हम सभी गुरुजी की आरती (Guruji Ki Aarti) करते हैं और उनको नमन करते हैं। गुरु की आरती को मुख्य रूप से गुरु पूर्णिमा के दिन किया जाता है जिस कारण इसे गुरु पूर्णिमा की आरती के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही हम आपके साथ गुरु जी की आरती का महत्व व लाभ भी साझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले करते हैं गुरुजी की आरती हिंदी में।

Guru Ji Ki Aarti | गुरु जी की आरती

जय गुरुदेव अमल अविनाशी, ज्ञानरूप अन्तर के वासी।
पग पग पर देते प्रकाश, जैसे किरणें दिनकर कीं।
आरती करूं गुरुवर की॥

जब से शरण तुम्हारी आए, अमृत से मीठे फल पाए।
शरण तुम्हारी क्या है छाया, कल्पवृक्ष तरुवर की।
आरती करूं गुरुवर की॥

ब्रह्मज्ञान के पूर्ण प्रकाशक, योगज्ञान के अटल प्रवर्तक।
जय गुरु चरण-सरोज, मिटा दी व्यथा हमारे उर की।
आरती करूं गुरुवर की॥

अंधकार से हमें निकाला, दिखलाया है अमर उजाला।
कब से जाने छान रहे थे, खाक सुनो दर-दर की।
आरती करूं गुरुवर की॥

संशय मिटा विवेक कराया, भवसागर से पार लंघाया।
अमर प्रदीप जलाकर कर दी, निशा दूर इस तन की।
आरती करूं गुरुवर की॥

भेदों बीच अभेद बताया, आवागमन विमुक्त कराया।
धन्य हुए हम पाकर धारा, ब्रह्मज्ञान निर्झर की।
आरती करूं गुरुवर की॥

करो कृपा सद्गुरु जग-तारन, सत्पथ-दर्शक भ्रांति-निवारण।
जय हो नित्य ज्योति दिखलाने वाले लीलाधर की।
आरती करूं गुरुवर की॥

आरती करूं सद्गुरु की,
प्यारे गुरुवर की आरती,
आरती करूं गुरुवर की॥

ऊपर आपने गुरुदेव जी को समर्पित गुरुजी की आरती (Guruji Ki Aarti) पढ़ ली है। जिस किसी पर गुरु की कृपा हो जाती है, उसका उद्धार हो जाता है। वह इसलिए क्योंकि गुरु से ही हमें ज्ञान प्राप्त होता है और ज्ञान ही हमें ईश्वर तक का मार्ग दिखलाता है।

गुरुजी की आरती का महत्व

एक सच्चा गुरु वह होता है जो अपने शिष्य के अंदर छुपी हुई प्रतिभा को पहचान कर उसका मार्गदर्शन करता है। यदि हमें सच्चा गुरु मिल जाए तो वे हमारा जीवन को परिवर्तित करने की शक्ति रखते हैं। ऐसे में हमारे जीवन में गुरुओं की क्या भूमिका है, यही बताने के लिए ही गुरु जी की आरती की रचना की गयी है।

एक ओर हम कई तरह के भगवानों और देवताओं की आरती पढ़ते हैं किन्तु उन सभी में गुरु की आरती सबसे भिन्न व रोचक है। वह इसलिए क्योंकि हमें ईश्वर व धर्म का ज्ञान गुरु की कृपा से ही मिलता है। यदि वे ही नहीं होंगे तो कौन ही हमें धर्म का ज्ञान देगा। ऐसे में जीवन में क्या सही है और क्या गलत, धर्म व अधर्म क्या है, यह सब बताने का कार्य गुरु का ही होता है। इसी कारण गुरु आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

गुरु जी की आरती के लाभ

यदि हम गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु जी को समर्पित गुरु पूर्णिमा की आरती का पाठ करते हैं और अपने गुरुओं का चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेते हैं तो अवश्य ही इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलते हैं। गुरुओं के आशीर्वाद से हमें ना केवल ज्ञान की प्राप्ति होती है बल्कि उस ज्ञान का किस तरह से जीवन को सरल बनाने में उपयोग किया जाए, इसकी बुद्धि विकसित होती है।

गुरु आरती के माध्यम से हमारे अंदर के अहंकार का नाश होता है और ज्ञान का समावेश होता है। हम अपने साथ संपूर्ण पृथ्वी का भला करने का सोचते हैं और चारों ओर सकारात्मक वातावरण बनाने का प्रयास करते हैं। गुरु जी की आरती के माध्यम से इस पृथ्वी को ही स्वर्ग जैसा बनाया जा सकता है क्योंकि जब हर व्यक्ति गुरु के बताये आदर्शों पर चलेगा तो हर जगह धर्म की ही विजय होगी।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने गुरु जी की आरती (Guru Ji Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने गुरुजी की आरती पढ़ने से मिलने वाले लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

गुरु जी की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: गुरु पूर्णिमा की पूजा कैसे की जाती है?

उत्तर: गुरु पूर्णिमा के दिन आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करके महर्षि वेदव्यास जी की पूजा करनी चाहिए। इसी के साथ ही आदिगुरू के रूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है। आप इस दिन अपने गुरुओं को भी नमन करना ना भूलें।

प्रश्न: गुरु पूर्णिमा के दिन क्या बनाया जाता है?

उत्तर: गुरु पूर्णिमा के दिन आप अपने घर पर कुछ भी पकवान बना सकते हैं लेकिन उसमें मीठा जरुर बनाएं जैसे कि हलवा, खीर या कोई मिठाई इत्यादि।

प्रश्न: गुरु की पूजा कैसे की जाती है?

उत्तर: गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुओं के चरण स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। इसी के साथ ही भगवान शिव की आदिगुरू के रूप में पूजा की जा सकती है।

प्रश्न: गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को क्या देना चाहिए?

उत्तर: गुरु पूर्णिमा के दिन आप अपने गुरु को नए वस्त्र या पुष्प भेंट कर सकते हैं। इसके अलावा यह आप पर निर्भर करता है कि आप अपने गुरु को क्या देना चाहते हैं।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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