कैला मैया की आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Kaila Maiya Ki Aarti

आज हम आपके साथ कैला मैया की आरती (Kaila Maiya Ki Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। आपको अवश्य ही श्रीकृष्ण के जन्म की कथा याद होगी। उस समय कैसे श्रीकृष्ण के पिता वासुदेव यमुना नगरी को पार करके उन्हें नंद बाबा व यशोदा माता के घर छोड़ आते हैं और उनकी पुत्री को अपने साथ ले आते हैं।

जब कंस उस कन्या को देवकी-वासुदेव की कन्या समझ कर मारने लगता है तो वह एक देवी में परिवर्तित हो जाती हैं। उन्हीं देवी को कलियुग में कैला देवी के नाम से पूजा जाता है। कैला माता का मुख्य मंदिर राजस्थान के करौली शहर में स्थित है और इस शहर का नाम भी उन्हीं के नाम पर ही रखा गया है।

कैला माता की आरती (Kaila Mata Ki Aarti) को कुछ लोग अशुद्ध रूप में केला मैया की आरती भी कह देते हैं। ऐसे में आज हम आपके साथ कैला देवी आरती का हिंदी अनुवाद साझा करेंगे ताकि आप उसका भावार्थ जान सकें। अंत में आपके साथ कैला मैया की आरती के लाभ व महत्व भी साझा किये जाएंगे।

Kaila Maiya Ki Aarti | कैला मैया की आरती

ॐ जय कैला रानी, मैया जय कैला रानी।
ज्योति अखंड दिये माँ, तुम सब जगजानी॥

तुम हो शक्ति भवानी, मनवांछित फल दाता।
अद्भुत रूप अलौकिक, सदानन्द माता॥
ॐ जय कैला रानी।

गिरि त्रिकूट पर आप बिराजी, चामुंडा संगा।
भक्तन पाप नसावौं, बन पावन गंगा॥
ॐ जय कैला रानी।

भक्त बहोरा द्वारे रहता, करता अगवानी।
लाल ध्वजा नभ चूमत, राजेश्वर रानी॥
ॐ जय कैला रानी।

नौबत बजे भवन में, शंखनाद भारी।
जोगन गावत नाचत, दे दे कर तारी॥
ॐ जय कैला रानी।

ध्वजा नारियल रोली, पान सुपारी साथा।
लेकर पड़े प्रेम से, जो जन यहाँ आता॥
ॐ जय कैला रानी।

दर्श पार्श कर माँ के, मुक्ती जान पाता।
भक्त सरन है तेरी, रख अपने साथा॥
ॐ जय कैला रानी।

कैला जी की आरती, जो जन है गाता।
भक्त कहे भव सागर, पार उतर जाता॥

ॐ जय कैला रानी, मैया जय कैला रानी।
ज्योति अखंड दिये माँ, तुम सब जगजानी॥
ॐ जय कैला रानी।

Kaila Mata Ki Aarti | कैला माता की आरती – अर्थ सहित

ॐ जय कैला रानी, मैया जय कैला रानी।
ज्योति अखंड दिये माँ, तुम सब जगजानी॥

कैला रानी की जय हो। हम सभी की माता कैला रानी की जय हो। कैला माँ की ज्योति अखंड है जो सदियों से जलती आ रही है। कैला माँ इस जगत की हरेक बात को जानती हैं।

तुम हो शक्ति भवानी, मनवांछित फल दाता।
अद्भुत रूप अलौकिक, सदानन्द माता॥

माँ कैला ही आदिशक्ति व भवानी माता हैं और उनकी आराधना करने से हमें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। कैला माता का रूप अद्भुत व अलौकिक है जो हम सभी को आनंद प्रदान करता है।

गिरि त्रिकूट पर आप बिराजी, चामुंडा संगा।
भक्तन पाप नसावौं, बन पावन गंगा॥

त्रिकूट पर्वत पर कैला देवी विराजमान हैं और उनके साथ में चामुंडा माता भी विराजती हैं। वे गंगा माता की भांति ही अपने भक्तों के पापों को धो देती हैं अर्थात उन्हें नष्ट कर देती हैं।

भक्त बहोरा द्वारे रहता, करता अगवानी।
लाल ध्वजा नभ चूमत, राजेश्वर रानी॥

प्रति वर्ष करोड़ो भक्त कैला माता के दरबार में धोक लगाने आते हैं। माँ कैला का लाल रंग का ध्वजा आकाश में लहरा रहा है और वे इस जगत की रानी व ईश्वरी हैं।

नौबत बजे भवन में, शंखनाद भारी।
जोगन गावत नाचत, दे दे कर तारी॥

माँ कैला देवी के मंदिर में शंखनाद हो रहा है जिसकी ध्वनि चारों दिशाओं में गुंजायेमान है। उनके मंदिर प्रांगन में तो सभी योगिनियाँ व भैरव बाबा नृत्य कर रहे हैं।

ध्वजा नारियल रोली, पान सुपारी साथा।
लेकर पड़े प्रेम से, जो जन यहाँ आता॥

मातारानी के भक्त उन्हें प्रेम से ध्वजा, नारियल, रोली, पान, सुपारी इत्यादि चढाते हैं और उनकी जय-जयकार करते हैं।

दर्श पार्श कर माँ के, मुक्ती जान पाता।
भक्त सरन है तेरी, रख अपने साथा॥

जो भी कैला माता के दर्शन कर लेता है और उन्हें स्पर्श कर लेता है, उसे इस जीवन से मुक्ति मिल जाती है। हम भक्तगण आपकी शरण में आये हैं और अब आप हमें अपने चरणों में स्थान दीजिये।

कैला जी की आरती, जो जन है गाता।
भक्त कहे भव सागर, पार उतर जाता॥

जो कोई भी कैला देवी आरती (Kaila Devi Aarti) को गाता है और उनका ध्यान करता है, वह अवश्य ही कैला माता की कृपा से इस भवसागर को पार कर मुक्ति पा लेता है।

कैला देवी आरती का महत्व

कैला देवी को एक तरह से श्रीकृष्ण की बहन ही माना जाता है जिनका जन्म यशोदा माता के गर्भ से हुआ था। उस समय श्रीकृष्ण के माता-पिता देवकी व वासुदेव कंस के कारागृह में बंद थे और उनके सात बड़े भाइयों की हत्या कंस पहले ही कर चुका था। ऐसे में भगवान विष्णु के आठवें अवतार तथा देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाले आठवें पुत्र श्रीकृष्ण की सहायता करने को स्वयं महामाया ने यशोदा के गर्भ से जन्म लिया था।

जब वासुदेव ने रात के अँधेरे में दोनों शिशुओं की अदला-बदली कर दी तो कंस कैला देवी को देवकी-वासुदेव की संतान समझ कर मारने वाला था किन्तु उसी समय महामाया ने अपना प्रभाव दिखाया। उन्होंने कंस को चेतावनी दी और उसके बाद वहां से चली गयी। महामाया के अनुसार कलियुग में उन्हें कैला देवी के नाम से पूजा जाएगा। ऐसे में कैला देवी आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

कैला मैया की आरती के लाभ

यदि आप प्रतिदिन कैला माता का ध्यान कर कैला आरती का पाठ करते हैं तो उसके कई लाभ आपको देखने को मिलते हैं। इसका सबसे बड़ा लाभ तो यही है कि आपके ऊपर इस सांसारिक मोहमाया का कोई प्रभाव नहीं होता है और आप उससे मुक्त हो जाते हैं। एक तरह से हम कई तरह के सांसारिक बंधनों से बंधे होते हैं जो हमें अपना कर्म करने से रोकते हैं। तो इन्हीं बंधनों से हम कैला देवी आरती के माध्यम से मुक्त हो सकते हैं।

इसी के साथ ही कलियुग में कैला देवी को प्रमुख देवी माना गया है। उनकी आराधना करने से हमें जल्दी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। यदि कैला माता का कोई भक्त सच्चे मन से उनका ध्यान करता है और कैला माता की आरती का पाठ करता है तो उसका उद्धार होना तय है। वह भवसागर को पार कर मोक्ष को प्राप्त कर लेता है और श्रीहरि के चरणों में स्थान पाता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने कैला मैया की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Kaila Maiya Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने कैला माता की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

कैला माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: केला मैया की पूजा कैसे करें?

उत्तर: केला मैया की पूजा करने के लिए आपको हर रविवार के दिन कैला माता की चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए और उनका सच्चे मन से ध्यान करना चाहिए।

प्रश्न: कैला देवी किसकी बहन थी?

उत्तर: कैला देवी को श्रीकृष्ण की बहन माना जा सकता है क्योंकि कृष्ण का जन्म देवकी के गर्भ से हुआ था और कैला देवी का यशोदा के गर्भ से लेकिन दोनों के बीच शिशुओं की अदला-बदली हो गयी थी।

प्रश्न: कैला देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

उत्तर: कैला देवी को कलियुग की देवी माना गया है और उनकी आराधना करने से हमें जल्दी सिद्धियाँ प्राप्त होती है। इसी कारण कैला देवी मंदिर प्रसिद्ध है।

प्रश्न: कैला देवी का मंदिर कौन सी नदी पर स्थित है?

उत्तर: कैला देवी का मंदिर कालीसिल नदी पर स्थित है जिसका निर्माण सोलहवीं शताब्दी में राजा भोमपाल के द्वारा करवाया गया था।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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