हमारे इतिहास में कोप भवन (Kop Bhawan) की परंपरा भी थी जिसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण रामायण के समय का है। जब श्रीराम के राज्याभिषेक का सुनकर रानी कैकई कोप भवन में चली गई थी। ऐसा करके उन्होंने महाराज दशरथ से अपनी नाराजगी प्रकट की थी। इसके बाद ही श्रीराम को चौदह वर्ष के वनवास पर भेज दिया गया था।
वैसे यहाँ हम रामायण के उस प्रसंग के बारे में नहीं बल्कि उस घटना के कारण चर्चा में आए कोप भवन के बारे में बताने वाले हैं। इस लेख में हमने कोप भवन का अर्थ (Kop Bhavan) विस्तार से समझाया है। साथ ही यह भी बताया है कि आखिरकार इसे बनाया किस उद्देश्य से जाता था, आइए जानते हैं।
Kop Bhawan | कोप भवन
इसका निर्माण राजमहल के पास किया जाता था। इसके चारों ओर केवल अँधेरा होता था व कोई राजसी या विशिष्ट वस्तु नहीं रखी होती थी। कहने का अर्थ यह हुआ कि इस भवन में किसी भी तरह की राजसी सुख-सुविधा नहीं हुआ करती थी। यहाँ तक कि किसी सिपाही को भी Kop Bhawan के अंदर आने की अनुमति नहीं होती थी। एक तरह से यह अँधेरे में घिरी हुई एक काल कोठरी होती थी जिसे भवन का रूप दिया होता था।
जब कोई रानी या राजपरिवार का सदस्य राजा से नाराज़ होता था तो वह उस कोपभवन में चला जाता था। यह कोपभवन मुख्यतया राजा की रानियों के लिए होता था। चूँकि राजमहल में सभी सुख-सुविधाओं की वस्तु उपलब्ध होती थी। इसलिए रानियाँ कोप भवन जैसी वीरान जगह पर जाकर राजा के प्रति अपना क्रोध प्रकट करती थी।
अब किसी रानी को Kop Bhavan में जाने की आवश्यकता क्यों पड़ती थी व इससे राजा पर क्या प्रभाव पड़ता था? यह समझने के लिए तो आपको कोप भवन का अर्थ समझना होगा। आइए उसके बारे में भी जान लेते हैं।
Kop Bhavan | कोप भवन का अर्थ
कोप का अर्थ होता है क्रोध या दुःख में रोना। इसलिए इस महल का नाम कोप भवन रखा गया था। उस समय एक राजा की कई रानियाँ होती थी। राजा दशरथ की भी तीन-तीन रानियाँ थी। कुछ राजाओं की इससे भी अधिक रानियाँ हुआ करती थी। साथ ही राजा दिनभर अपने मंत्रियों, राज्य के लोगों व अन्य कामों में व्यस्त रहते थे। इस कारण उन्हें किसी-किसी रानी से मिले हुए महीनों बीत जाया करते थे।
ऐसे में जब कोई रानी राजा से नाराज़ हो जाती तो वह अपना क्रोध दिखाने के लिए सब त्याग कर इस भवन में जाती थी। Kop Bhavan में जाने से पहले रानी को अपने सभी राजसी वस्त्रों व आभूषणों का त्याग करना होता था। बिना कोई श्रृंगार के रानी को इसमें जाना होता था। जब राजा को यह बात पता चलती थी तो उसे उस रात रानी के पास कोपभवन में जाना अनिवार्य हो जाता था अन्यथा रानी के द्वारा स्वयं के शरीर का त्याग भी किया जा सकता था।
उपरोक्त कारणों से Kop Bhawan का प्रभाव बहुत बढ़ जाता था। हालाँकि रानी के इस महल में जाने की संभावना बहुत कम होती थी। पर जब भी कोई रानी इस भवन में जाती थी तो स्वयं राजा की प्रतिष्ठा पर प्रश्न उठता था। इसी कारण राजा का वहाँ जाकर रानी को मनाना अत्यंत आवश्यक हो जाता था। इसी कारण जब कैकई कोप भवन में गई तो राजा दशरथ सब कार्य छोड़कर उन्हें मनाने वहाँ गए थे।
कोप भवन से जुड़े प्रश्नोत्तर
प्रश्न: कैकेयी कोप भवन में क्यों चली गई?
उत्तर: महाराज दशरथ ने श्रीराम के राज्याभिषेक की घोषणा कर दी थी। इससे नाराज़ होकर रानी कैकई कोप भवन में चली गई थी।
प्रश्न: कोप भवन का क्या अर्थ है कौन कोप भवन मेंगया और क्यों?
उत्तर: इसका अर्थ होता है एक ऐसा भवन जिसमें जाकर विलाप किया जाता है। रानी कैकई राजा दशरथ से नज़र होकर इसमें गई थी।
प्रश्न: कोप भवन क्या है?
उत्तर: राजभवन के पास यह एक ऐसा भवन होता है जहाँ राजसी सुख-सुविधाएँ नहीं होती है। साथ ही वहाँ एकदम अँधेरा होता है।
प्रश्न: कोप भवन का मतलब क्या होता है?
उत्तर: इसका मतलब होता है एक ऐसा भवन जो काल कोठरी जैसा होता है। वहाँ रानियाँ राजा से नाराज़ होकर चली जाया करती थी।
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