कृष्ण जी की आरती – भावार्थ, महत्व व लाभ सहित

Krishna Bhagwan Ki Aarti

कृष्ण जी की आरती (Krishna Ji Ki Aarti) करने से सभी कार्य मंगल होते हैं। इसलिए आज हम आपके साथ  साझा करेंगे। अब कृष्ण जी की तो कई साड़ी आरतियां है, उनमे से मंगल गोपाल वाली आरती आपको इस लेख में पढ़ने को मिलेगी। इस आरती को करने से हमारा और हमारे परिवार का मंगल ही मंगल होता है।

इस लेख में आपको सर्वप्रथम कृष्ण जी आरती (Krishna Ji Aarti) पढ़ने को मिलेगी। तत्पश्चात उस आरती का भावार्थ भी आपको समझाया जाएगा। आरती का भावार्थ समझकर उसे पढ़ने से और भी आनंद मिलता है। इसके पश्चात कृष्ण जी आरती का महत्व और लाभ भी साझा किया जाएगा। तो आइए सबसे पहले पढ़ते है भगवान कृष्ण जी की आरती हिंदी में।

Krishna Ji Ki Aarti | कृष्ण जी की आरती

मंगल आरती गुपाल की।
नित प्रति मंगल होत निरख मुख,
चितवन नयन बिसाल की॥

मंगल रूप स्याम सुंदर को,
मंगल भृकुटी सुभाल की॥

चत्रभुज दास सदा मंगल निधि,
बानिक गिरिधर लाल की॥

मंगल आरती कीजे भोर।

मंगल जन्म कर्म गुण मंगल,
मंगल जसुदा माखन चोर।
मंगल बेनु, मुकुट बार मंगल,
मंगल रूप रमे मन मोर॥

जन भगवान जगत में मंगल,
मंगल राधा जुगल किशोर॥

मंगल आरती कर मन मोर।
भरम निसा बीती, भयो भोर॥

मंगल बाजत झालर ताल,
मंगल रूप उठे नंदलाल॥

मंगल धूपदीप कर जोर,
मंगल सब बिधि गावत होर॥

मंगल उदयो मंगल रास,
मंगल बल परमानन्द दास॥

मंगल माधौ नाम उचार।

मंगल बदन कमल, कर मंगल,
मंगल जनकी सदा संभार॥

देखत मंगल, पूजत मंगल,
गावत मंगल चरित उदार।
मंगल श्रवण, कथा रस मंगल,
मंगल पनु वासुदेव कुमार॥

गोकुल मंगल, मधुवन मंगल,
मंगल रुचि वृंदावन चंद।
मंगल करत गोवर्धन धारी,
मंगल वेश जसोदानंद॥

मंगल धेनु, रेनु भू मंगल,
मंगल मधुर बजावत बेन।
मंगल गोपबधू परिरम्भन,
मंगल कालिंदी पय फेन॥

मंगल चरण कमल मुनि बंदित,
मंगल कीर्ति जगत निवास।
अनुदिन मंगल ध्यान धरत मुनि,
मंगल मति परमानन्द दास॥

मंगल रूप जसोदानंद।

मंगल मुकुट, श्रवण में कुण्डल,
मंगल तिलक बिराजत चंद॥

मंगल भूषण सब अंग सोहत,
मंगल मूर्ति आनंद कंद।
मंगल लकुट कांख में चापे,
मंगल मुरली बजावत मंद॥

मंगल चाल मनोहर,
मंगल दर्शन होत मिटे दुःख द्वंद।
मंगल बज्रपति नाम सबन को,
मंगल जस गावत श्रुति छंद॥

सब बिधि मंगल नंद को लाल।
कमल नयन बलि जाय जसोदा,
न्हात खिजो जिन मेरे बाल॥

मंगल गावत मंगल मूर्ति,
मंगल लीला ललित गुपाल।
मंगल बृजबासिन के घर घर,
नाचत गावत दे कर ताल॥

मंगल वृंदावन के रंजन,
मंगल मुरली शब्द रसाल।
मंगल जस गावे परमानन्द,
सखा मंडली मध्य गुपाल॥

Krishna Ji Aarti | कृष्ण जी आरती – भावार्थ

यह आरती श्री कृष्ण के मंगल स्वरुप को दर्शाती है जिसमे उनके रूप का चित्रण किया गया है। जैसे कि उनके कानों के कुण्डल, गले में पुष्प की माला, सांवला मुख, सिर पर मोर मुकुट और मोर की पंख, हाथों में बांसुरी व होठों पर मुस्कान लिए वृंदावन में गाय माता को चराते व घूमते कृष्ण स्वरुप का दर्शन इस आरती के माध्यम से करने को मिलता है।

इस आरती का भावार्थ श्री कृष्ण की भांति अपने दुखों में भी प्रसन्न रहने और हमेशा अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का है। जीवन में कष्ट कभी समाप्त नही होंगे, यह छोटे या बड़े रूप में हमेशा हमारे साथ रहेंगे। ऐसे में यदि हम हमेशा उनकी चिंता करेंगे और याचना करते रहेंगे तो पूरा जीवन यूँ ही दुःख में व्यतीत हो जाएगा।

इसलिए जिन श्री कृष्ण को जन्म लेते ही अपने माता-पिता से दूर होना पड़ा, जिन्हें अपने कर्तव्य के निर्वहन के लिए अपनी प्रेमिका राधा का सदा के लिए त्याग करना पड़ा, जो महाभारत जैसे भीषण युद्ध में भी सदैव मुस्कुराते रहे, ऐसे श्री कृष्ण के गुणों का वर्णन करती हुई यह आरती अत्यंत मंगलमयी है।

इस तरह से आज आपने कृष्ण आरती (Krishna Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ ली है। अब हम कृष्ण आरती पढ़ने से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व को भी जान लेते हैं।

कृष्ण जी आरती का महत्व

भगवान श्री कृष्ण जी की आरती के माध्यम से हमें श्रीकृष्ण के गुणों, शक्तियों, महिमा, महत्व इत्यादि के बारे में जानकारी मिलती है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का एक ऐसा पूर्ण अवतार है जो सभी गुणों से संपन्न है। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में एक नहीं बल्कि कई उद्देश्यों को पूरा किया है। अपने कर्मों के द्वारा उन्होंने हमें कई तरह की शिक्षा भी दी है।

श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में ही कलियुग के अंत तक की शिक्षा दे दी थी। जैसे-जैसे कलियुग का समयकाल आगे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे ही श्रीकृष्ण भी अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण के बारे में और अधिक जानने और उनके गुणों को आत्मसात करने के उद्देश्य से ही श्री कृष्ण आरती का पाठ किया जाता है। यहीं कृष्ण जी की आरती का महत्व है।

कृष्ण जी की आरती पढ़ने के फायदे

यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ कृष्ण जी आरती का पाठ करते हैं तो इससे श्रीकृष्ण आपसे प्रसन्न होते हैं। श्रीकृष्ण के प्रसन्न होने का अर्थ हुआ, आपकी सभी तरह की दुविधाओं, संकटों, कष्टों, परेशानियों, विघ्नों, दुविधाओं, उलझनों, मतभेदों, समस्याओं, नकारात्मकता, द्वेष, ईर्ष्या, इत्यादि का अंत हो जाना।

श्रीकृष्ण की कृपा से हमारा जीवन सरल हो जाता है, घर में सुख-शांति का वास होता है, व्यापार, करियर व नौकरी में उन्नति होती है, शिक्षा में अव्वलता आती है, स्वास्थ्य उत्तम होता है, रिश्ते मधुर बनते हैं और समाज में प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है। इसलिए आपको शुद्ध तन, निर्मल मन और स्वच्छ स्थान पर कृष्ण जी की आरती का पाठ करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने कृष्ण जी की आरती (Krishna Ji Ki Aarti) को अर्थ सहित पढ़ लिया है। आशा है कि आपको धर्मयात्रा संस्था के द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। हमारी और से आप सभी को जय श्रीकृष्ण।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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