आज के इस लेख में हम आपके साथ महाकाल स्तोत्र (Mahakal Stotram) का पाठ करेंगे। भगवान शिव को महाकाल के नाम से जाना जाता है अर्थात काल के भी काल। समय को तीन चक्रों में बांटा गया है जिन्हें हम भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल के नाम से जानते हैं और इन तीनों काल के स्वामी को ही महाकाल अर्थात शिव कहा जाता है।
महाकाल का मंदिर उज्जैन के शिप्रा नदी के किनारे स्थित है। ऐसे में महाकाल स्तोत्र (Mahakaal Stotram) के माध्यम से उनकी आराधना की जाती है। लेख के अंत में आपको महाकाल स्तोत्र के लाभ व महत्व भी पढ़ने को मिलेंगे। तो आइये सबसे पहले पढ़ते हैं श्री महाकाल स्तोत्र।
Mahakal Stotram | महाकाल स्तोत्र
ॐ महाकाल महाकाय महाकाल जगत्पते।
महाकाल महायोगिन् महाकाल नमोऽस्तुते॥
महाकाल महादेव महाकाल महाप्रभो।
महाकाल महारुद्र महाकाल नमोऽस्तुते॥
महाकाल महाज्ञान महाकाल तमोऽपहन्।
महाकाल महाकाल महाकाल नमोऽस्तुते॥
भवाय च नमस्तुभ्यं शर्वाय च नमो नमः।
रुद्राय च नमस्तुभ्यं पशूनां पतये नमः॥
उग्राय च नमस्तुभ्यं महादेवाय वै नमः।
भीमाय च नमस्तुभ्यं ईशानाय नमो नमः॥
ईश्वराय नमस्तुभ्यं तत्पुरुषाय वै नमः॥
सद्योजात नमस्तुभ्यं शुक्लवर्ण नमो नमः।
अधः कालाग्निरुद्राय रुद्ररूपाय वै नमः॥
स्थित्युत्पत्तिलयानां च हेतुरूपाय वै नमः।
परमेश्वररूपस्त्वं नील एवं नमोऽस्तुते॥
पवनाय नमस्तुभ्यं हुताशन नमोऽस्तुते।
सोमरूप नमस्तुभ्यं सूर्यरूप नमोऽस्तुते॥
यजमान नमस्तुभ्यं आकाशाय नमो नमः।
सर्वरूप नमस्तुभ्यं विश्वरूप नमोऽस्तुते॥
ब्रह्मरूप नमस्तुभ्यं विष्णुरूप नमोऽस्तुते।
रुद्ररूप नमस्तुभ्यं महाकाल नमोऽस्तुते॥
स्थावराय नमस्तुभ्यं जङ्गमाय नमो नमः।
नमः स्थावरजङ्गमाभ्यां शाश्वताय नमो नमः॥
हुं हुङ्कार नमस्तुभ्यं निष्कलाय नमो नमः।
अनाद्यन्त महाकाल निर्गुणाय नमो नमः॥
प्रसीद मे नमो नित्यं मेघवर्ण नमोऽस्तुते।
प्रसीद मे महेशान दिग्वासाय नमो नमः॥
ॐ ह्रीं मायास्वरूपाय सच्चिदानन्दतेजसे।
स्वाहा सम्पूर्णमन्त्राय सोऽहं हंसाय ते नमः॥
॥ फलश्रुति ॥
इत्येवं देव देवस्य महाकालस्य भैरवि।
कीर्तितं पूजनं सम्यक् साधकानां सुखावहम्॥
तो यह था भगवान शिव को समर्पित महाकाल स्तोत्र (Mahakal Stotra)। इसका आपको प्रतिदिन और मुख्यतया सोमवार के दिन जाप करना चाहिए। आइए जाने इसका जाप करने से आपको क्या कुछ लाभ देखने को मिलते हैं और उसका क्या महत्व है।
महाकाल स्तोत्र का महत्व
शिव ही इस सृष्टि के आधार हैं और वे ही हमारे विनाशक हैं। शिव ही मृत्यु हैं, वे ही भय हैं, वे ही अहंकार का अंत हैं और वे ही कालचक्र हैं। एक तरह से हमारा भूतकाल, वर्तमानकाल व भविष्यकाल शिव के ही चरणों में समर्पित है। उनके कई रूप हैं और अपने हरेक रूप में वे मनुष्य के अहम का अंत कर देते हैं। इसमें से उनका महाकाल रूप बहुत ही विस्मयकारी है क्योंकि यह समयचक्र को भी बाँध लेता है।
ऐसे में शिव के इस महाकाल रूप की महिमा का वर्णन करने हेतु ही महाकाल स्तोत्र की रचना की गयी है। इसके माध्यम से महाकाल के बारे में जानकारी तो दी ही गयी है बल्कि उसी के साथ ही महाकाल की आराधना भी की गयी है। यही श्री महाकाल स्तोत्र का महत्व होता है।
महाकाल स्तोत्र लाभ
अब यदि आप सच्चे मन के साथ भगवान शिव का ध्यान कर महाकाल स्तोत्रं का पाठ करते हैं तो इससे आपको एक नहीं बल्कि कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं। सबसे पहला और बड़ा लाभ तो यही है कि आप अकाल मृत्यु से बच जाते हैं। अकाल मृत्यु का अर्थ हुआ कि बिना किसी संदेश के आपके प्राण पहले ही चले जाएं जैसे कि कोई दुर्घटना हो जाना। महाकाल की कृपा से आप अकाल मृत्यु से बच जाते हैं और स्वस्थ रहते हैं।
श्री महाकाल स्तोत्र के माध्यम से आपके ऊपर से नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है और साथ ही सभी तरह के भय भी दूर हो जाते हैं। अब वह भय चाहे अंधकार, अग्नि, जल इत्यादि किसी का भी क्यों ना हो। ग्रह दोष तथा कुंडली के सभी दोष भी श्री महाकाल स्तोत्र के माध्यम से दूर हो जाते हैं। आपको परम सत्य का ज्ञान होता है और मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है। एक तरह से आप मानव जीवन में रहते हुए भी जीवन-मरण के परम सत्य का ज्ञान प्राप्त कर पाने में सक्षम हो जाते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने महाकाल स्तोत्र का पाठ (Mahakal Stotra) कर लिया हैं। साथ ही आपने महाकाल स्तोत्र के निरंतर जाप से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
महाकाल स्तोत्र से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: महाकाल को क्या पसंद है?
उत्तर: महाकाल तो भोले हैं और साथ ही इस सृष्टि के विनाशक भी। उन्हें तो सृष्टि के मूल तत्व पसंद है जैसे कि चिता की भस्म, बिल्व पत्र, भांग, धतूरा इत्यादि।
प्रश्न: महाकाल कौन से भगवान हैं?
उत्तर: भगवान शिव के कई नाम हैं और अपने नाम के अनुसार ही वे भिन्न-भिन्न गुणों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी में उनका एक गुण काल के भी काल का है जिस कारण उन्हें महाकाल के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न: महाकाल की पत्नी कौन है?
उत्तर: वैसे तो भगवान शिव की पत्नी माँ पार्वती हैं जिन्हें हम माँ उमा, गौरी, आदिशक्ति या अन्य नामो से भी पुकार सकते हैं। भगवान महाकाल की पत्नी को मुख्यतया महाकाली माना जाता है जो माँ आदिशक्ति का ही एक प्रचंड रूप हैं।
प्रश्न: क्या हम महाकाल शिवलिंग को छू सकते हैं?
उत्तर: हां, आप पवित्र महाकालेश्वर शिवलिंग को छू सकते हैं लेकिन वर्तमान समय में शिवलिंग को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए इसमें कई तरह की सावधानियां बरती जा रही है।
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