महाकाली आरती (Mahakali Aarti) | महा काली आरती (Maha Kali Aarti)

Mahakali Ki Aarti

महाकाली की आरती (Mahakali Ki Aarti)

माँ महाकाली का रूप अत्यधिक क्रोधित व मन को भयभीत कर देने वाला होता है। माँ दुर्गा या आदि शक्ति के भिन्न-भिन्न गुणों व उद्देश्यों की पूर्ति के अनुसार भिन्न-भिन्न रूप हैं। इन सभी रूपों में से माँ महाकाली का रूप अत्यधिक भयंकर है किन्तु माँ का यह रूप दुष्टों, पापियों व अधर्मियों का नाश करने के उद्देश्य से ही प्रकट हुआ है। ऐसे में हमें भी अपने शत्रुओं व संकटों का नाश करने के लिए महाकाली की आरती (Mahakali Ki Aarti) का पाठ करना चाहिए।

क्या आप जानते हैं कि महाकाली आरती (Mahakali Aarti) एक नहीं बल्कि दो-दो हैं। इसमें से एक सर्वप्रसिद्ध है तो दूसरी कम लोगों को ज्ञात होती है। ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके सामने दोनों तरह की महा काली आरती (Maha Kali Aarti) रखने जा रहे हैं। इतना ही नहीं, आपको महाकाली जी की आरती के साथ-साथ उसका अर्थ भी जानने को मिलेगा ताकि आप इसके महत्व को भी समझ सकें। अंत में आपको महाकाली आरती के लाभ भी पढ़ने को मिलेंगे। तो आइये पढ़ते हैं श्री महाकाली आरती अर्थ सहित।

महाकाली की आरती (Mahakali Ki Aarti)

मंगल की सेवा, सुन मेरी देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े।

पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट धरे।

सुन जगदम्बे, कर न विलम्बे, संतन के भण्डार भरे।

संतन-प्रतिपाली, सदा खुशहाली, मैया जै काली कल्याण करे।

बुद्धि विधाता, तू जग माता, मेरा कारज सिद्ध करे।

चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन परे।

जब-जब भीर पड़ी भक्तन पर, तब-तब आय सहाय करे।

बार-बार तैं सब जग मोहयो, तरुणी रूप अनूप धरे।

माता होकर पुत्र खिलावे, कहीं भार्या भोग करे।

सन्तन सुखदाई सदा सहाई, सन्त खड़े जयकार करे।

ब्रह्मा विष्णु महेश सहसफण लिए, भेंट देन तेरे द्वार खड़े।

अटल सिहांसन बैठी मेरी माता, सिर सोने का छत्र फिरे।

वार शनिश्चर कुंकुम बरणो, जब लुँकड़ पर हुकुम करे।

खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिए, रक्तबीज को भस्म करे।

शुंभ निशुंभ को क्षण में मारे, महिषासुर को पकड़ दले।

आदित वारी आदि भवानी, जन अपने का कष्ट हरे।

कुपित होय के दानव मारे, चण्ड मुण्ड सब चूर करे।

जब तुम देखी दया रूप हो, पल में संकट दूर करे।

सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे।

सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे।

सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी, अटल भवन में राज करे।

दर्शन पावें मंगल गावें, सिद्ध साधक तेरी भेंट धरे।

ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शिव शंकर ध्यान धरे।

इन्द्र कृष्ण तेरी करें आरती, चँवर कुबेर डुलाय रहे।

जय जननी जय मातु भवानी, अचल भवन में राज करे।

संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जय काली कल्याण करे।

महा काली आरती – अर्थ सहित (Maha Kali Aarti – With Meaning)

मंगल की सेवा, सुन मेरी देवा, हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े।

पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट धरे।

हे महाकाली माँ!! आप हम सभी का मंगल करती हैं और अब आप मेरी विनती सुन लीजिये। मैं हाथ जोड़कर आपके समक्ष खड़ा हूँ। मैं पान, सुपारी, ध्वजा, नारियल इत्यादि आपको भेंट चढ़ाने के लिए साथ लाया हूँ।

सुन जगदम्बे, कर न विलम्बे, संतन के भण्डार भरे।

संतन-प्रतिपाली, सदा खुशहाली, मैया जै काली कल्याण करे।

हे माँ जगदंबा!! अब आप अपने भक्तों के घरों में सुख-समृद्धि लाने में किसी भी तरह की देरी मत कीजिये। आप अपनी संतान का हमेशा भला करती हैं, उन्हें खुशियाँ देती हैं और कल्याण करती हैं।

बुद्धि विधाता, तू जग माता, मेरा कारज सिद्ध करे।

चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन परे।

आप ही हमें बुद्धि प्रदान करने वाली हैं, आप ही इस जगत की जननी हैं, आप ही मेरा काम बना सकती हैं। हम सभी आपकी ही शरण में आये हैं और आपका ही हमें आश्रय है।

जब-जब भीर पड़ी भक्तन पर, तब-तब आय सहाय करे।

बार-बार तैं सब जग मोहयो, तरुणी रूप अनूप धरे।

जब कभी भी आपके भक्तों पर किसी प्रकार का संकट आया है, तब-तब आपने उनकी सहायता की है। आपने अपने नाना प्रकार के अवतार लेकर इस जगत के लोगों का मन मोह लिया है।

माता होकर पुत्र खिलावे, कहीं भार्या भोग करे।

सन्तन सुखदाई सदा सहाई, सन्त खड़े जयकार करे।

कहीं पर आप माता के रूप में अपने पुत्र को खिलाती हैं तो कहीं आप पत्नी के रूप में सेवा करती हैं। आप हमेशा ही संतों के हित के कार्य करती हैं और सभी संत भी आपकी जय-जयकार करते हैं।

ब्रह्मा विष्णु महेश सहसफण लिए, भेंट देन तेरे द्वार खड़े।

अटल सिहांसन बैठी मेरी माता, सिर सोने का छत्र फिरे।

स्वयं भगवान ब्रह्मा, विष्णु व महेश भी नाना प्रकार की भेंट लेकर आपके द्वार पर खड़े हैं। आप अटल सिंहासन पर बैठी हुई हैं और आपका छत्र सोने का बना हुआ है।

वार शनिश्चर कुंकुम बरणो, जब लुँकड़ पर हुकुम करे।

खड्ग खप्पर त्रिशुल हाथ लिए, रक्तबीज को भस्म करे।

शनिवार के दिन आपको कुमकुम चढ़ाने से शनि ग्रह शांत हो जाता है। आपने अपने हाथ में खड्ग, खप्पर व त्रिशूल लेकर रक्तबीज राक्षस का अंत कर दिया था।

शुंभ निशुंभ को क्षण में मारे, महिषासुर को पकड़ दले।

आदित वारी आदि भवानी, जन अपने का कष्ट हरे।

आपने ही शुम्भ-निशुम्भ राक्षसों का वध कर दिया था और दुष्ट महिषासुर का अंत करने वाली भी आप ही थी। आप आदि काल से हैं और आपका रूप अनंत है। आप ही इस जगत के लोगों के कष्ट दूर करती हैं।

कुपित होय के दानव मारे, चण्ड मुण्ड सब चूर करे।

जब तुम देखी दया रूप हो, पल में संकट दूर करे।

आपने पापियों को देखकर क्रोधवश उनका अंत कर दिया तथा चंड-मुंड राक्षसों का संहार किया। वहीं दूसरी ओर, आपका रूप दयावान भी है जो अपने भक्तों के संकटों को एक पल में ही दूर कर देता है।

सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की अर्ज कबूल करे।

सात बार की महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे।

आप अपना सौम्य रूप धरकर अपने भक्तों की हरेक इच्छा को पूरी करती हैं। आपकी महिमा तो अपरंपार है और कोई भी इसका वर्णन नहीं कर सकता है।

सिंह पीठ पर चढ़ी भवानी, अटल भवन में राज करे।

दर्शन पावें मंगल गावें, सिद्ध साधक तेरी भेंट धरे।

आपकी सवारी सिंह है और आप इस पर सवार होकर ही आती हैं। आप अटल भवन में राज करती हैं। जो भी आपका दर्शन कर लेता है, वह मंगल ही मंगल गाता है और हम सभी आपके सामने भेंट स्वरुप अपनी भक्ति चढ़ाते हैं।

ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे, शिव शंकर ध्यान धरे।

इन्द्र कृष्ण तेरी करें आरती, चँवर कुबेर डुलाय रहे।

भगवान ब्रह्मा आपके द्वार पर आकर वेदों का पाठ करते हैं और शिवजी आपका ही ध्यान करते हैं। देव इंद्र व श्रीकृष्ण आपकी आरती करते हैं और कुबेर जी आपको चंवर करते हैं।

जय जननी जय मातु भवानी, अचल भवन में राज करे।

संतन प्रतिपाली सदा खुशहाली, मैया जय काली कल्याण करे।

हे हम सभी की जननी!! आपकी जय हो। हे हम सभी की माता भवानी!! आपकी जय हो। आप अटल व अविजयी भवन में राज करती हैं। आप अपने भक्तों की हमेशा ही रक्षा करती हैं और उन्हें सुख देती हैं। हे माता महाकाली!! आप हम सभी का कल्याण करें।

महाकाली आरती – द्वितीय (Mahakali Aarti)

जय काली माता, माँ जय महा काली माँ।

रक्बीतज वध कारिणी माता।

सुरनर मुनि ध्याता, माँ जय महा काली माँ।।

दक्ष यज्ञ विदवंस करनी माँ, शुम्भ निशुम्भ हरलि।

मधु और कैटभ नासिनी माता।

महेशासुर मारदिनी, माँ जय महा काली माँ।।

हे हीमा गिरिकी नंदिनी प्रकृति रचा इत्ठि।

काल विनासिनी काली माता।

सुरंजना सुखदात्री हे माता।

अननधम वस्तराँ दायनी माता आदि शक्ति अंबे।

कनकाना कना निवासिनी माता।

भगवती जगदंबे, माँ जय महा काली माँ।।

दक्षिणाकाली आध्याकाली, काली नामा रूपा।

तीनो लोक विचारिती माता धर्मा मोक्ष रूपा।

जय काली माता, माँ जय महा काली माँ।

महाकाली माता की आरती – अर्थ सहित (Mahakali Mata Ki Aarti – With Meaning)

जय काली माता, माँ जय महा काली माँ।

रक्बीतज वध कारिणी माता।

सुरनर मुनि ध्याता, माँ जय महा काली माँ।।

हे काली माता!! आपकी जय हो। हे महाकाली माता!! आपकी जय हो। आपने ही रक्तबीज राक्षस का संहार किया था। सभी देवता, मनुष्य व ऋषि-मुनि आपका ही ध्यान करते हैं और आपकी जय-जयकार करते हैं।

दक्ष यज्ञ विदवंस करनी माँ, शुम्भ निशुम्भ हरलि।

मधु और कैटभ नासिनी माता।

महेशासुर मारदिनी, माँ जय महा काली माँ।।

आपने ही माँ सती के रूप में राजा दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दिया था। आपने ही शुम्भ-निशुम्भ राक्षसों का वध किया था। आपने ही मधु व कैटभ राक्षसों का वध किया था। आप ही महिषासुर को मारकर महिषासुर मर्दिनी कहलायी थी। हे माँ महाकाली माँ!! आपकी जय हो।

हे हीमा गिरिकी नंदिनी प्रकृति रचा इत्ठि।

काल विनासिनी काली माता।

सुरंजना सुखदात्री हे माता।

हे पर्वत पुत्री माँ पार्वती!! हे माँ नंदिनी, हे प्रकृति की रचना करने वाली माँ!! हे काल का भी नाश कर देने वाली काली माँ!! आपकी जय हो। आप ही हमें आनंद व सुख प्रदान करने वाली हो।

अननधम वस्तराँ दायनी माता आदि शक्ति अंबे।

कनकाना कना निवासिनी माता।

भगवती जगदंबे, माँ जय महा काली माँ।।

आप अनंत धाम में वास करती हो। आप ही आदि शक्ति व अम्बा हो। आप इस सृष्टि के हरेक कण में निवास करती हो। आप ही भगवती व जगदंबा हो। हे महाकाली माँ!! आपकी जय हो।

दक्षिणाकाली आध्याकाली, काली नामा रूपा।

तीनो लोक विचारिती माता धर्मा मोक्ष रूपा।

जय काली माता, माँ जय महा काली माँ।

आप ही दक्षिणाकाली व आध्याकाली हो। आपका एक नाम काली भी है। आप ही तीनों लोकों में घूम-घूमकर धर्म की स्थापना करती हो और अधर्मियों का नाश करती हो। आप ही हमें मोक्ष प्रदान करती हो। हे काली माता!! आपकी जय हो। हे महाकाली माता!! आपकी जय हो।

महाकाली जी की आरती – महत्व (Mahakali Ji Ki Aarti – Mahatva)

माँ दुर्गा ने अपने गुणों के अनुसार कई तरह के रूप लिए हैं और उसी के अनुसार ही उनकी पूजा करने का विधान रहा है। अब मातारानी के कुछ रूप बहुत ही मनोहर, मन को शांति देने वाले तथा सौम्य रंग रूप वाले होते हैं लेकिन इन सभी रूपों के विपरीत माँ महाकाली वाला रूप मन को भयभीत कर देने वाला, काले रंग का व गले में राक्षसों के कंकाल लिए हुए होता है। इस रूप में मातारानी रक्त से सनी हुई, क्रोधित व लाल आँखों वाली होती हैं।

महाकाली की आरती के माध्यम से हमें ना केवल माँ महाकाली के रूप का वर्णन मिलता है अपितु उन्होंने किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जन्म लिया था, इसके बारे में भी पता चलता है। ऐसे में धर्म का कार्य करने वाले लोगों को तो माँ महाकाली से भयभीत होने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि जिस तरह से माँ महाकाली सज्जन मनुष्यों की अधर्मी लोगों से रक्षा कर पाने में समर्थ होती हैं, उतना तो मातारानी का कोई भी अन्य रूप नहीं कर सकता है।

इस तरह से माँ महाकाली के महत्व को इस महाकाली आरती के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है। इससे हमें यह ज्ञात होता है कि माँ महाकाली भी उतनी ही आवश्यक हैं जितनी की मातारानी के अन्य रूप। अब यदि पाप बहुत अधिक बढ़ जाता है और वह धर्म के ऊपर हावी होने लगता है तो उस समय माँ महाकाली ही हमारी व धर्म की रक्षा कर सकती हैं और अधर्म का नाश करने में समर्थ होती हैं। यही माँ महाकाली की आरती का महत्व होता है।

महाकाली आरती के लाभ (Maa Mahakali Aarti Benefits In Hindi)

अब यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ महाकाली आरती का पाठ करते हैं और माँ महाकाली का ध्यान करते हैं तो अवश्य ही माँ आपकी हरेक इच्छा को पूरी करती हैं। यदि आपको कोई परेशान कर रहा है या आपके शत्रु हमेशा आपका नुकसान करने की ताक में रहते हैं या आपके जीवन में कई तरह के संकट आये हुए हैं और उनका हल नहीं निकल पा रहा है या फिर आपको किसी अन्य बात को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो निश्चित तौर पर आपको महाकाली माता की आरती का पाठ करना चाहिए।

माँ महाकाली के द्वारा अपने भक्तों की हरसंभव सहायता की जाती है। जो भी भक्तगण सच्चे मन से माँ महाकाली आरती का पाठ करता है तो माँ महाकाली उसके हर तरह के संकटों का नाश कर देती हैं और उसे आगे का मार्ग दिखाती हैं। ऐसे में आपको अपने हर तरह के कष्ट, पीड़ा, दुःख, दर्द, संकट, परेशानियाँ, नकारात्मक भावनाएं इत्यादि को दूर करने के लिए नित्य रूप से महाकाली माता की आरती का पाठ करना चाहिए।

महाकाली माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: महाकाली का जाप कैसे करें?

उत्तर: महाकाली का जाप करने के लिए आपको नियमित तौर पर महाकाली मंत्र, चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए जिससे माँ महाकाली जल्दी प्रसन्न होती हैं।

प्रश्न: मां काली किसकी कुलदेवी है?

उत्तर: अब यह तो व्यक्ति के परिवार, जाति इत्यादि पर निर्भर करता है कि उनकी कुलदेवी कौन सी होगी

प्रश्न: माँ काली को खुश कैसे करे?

उत्तर: माँ काली को खुश करने के लिए आपको नियमित तौर पर महाकाली मंत्र, चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए जिससे माँ महाकाली जल्दी प्रसन्न होती हैं।

प्रश्न: महाकाली की जीभ बाहर क्यों होती है?

उत्तर: महाकाली जब अत्यधिक क्रोध में थी और उनका क्रोध शांत नहीं हो रहा था तो स्वयं महादेव उनके चरणों में लेट गए थे यह देखकर महाकाली की लज्जा के मारे जीभ बाहर निकल गयी थी

प्रश्न: मां काली का गुरु कौन है?

उत्तर: माँ काली आदिशक्ति का एक रूप हैं और उनके कारण ही इस ब्रह्माण्ड की शक्ति है अब ईश्वर या महाशक्ति का कोई गुरु नहीं होता है

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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