आज हम मैं तो आरती उतारू रे संतोषी माता की (Main To Aarti Utaru Re Santoshi Mata Ki) का पाठ करेंगे। सन 1975 में एक फिल्म आयी थी जिसका नाम था जय संतोषी मां। इस फिल्म के आने के बाद संतोषी माता हर घर में प्रसिद्ध हो गयी थी और देखते ही देखते यह प्रसिद्धि बढ़ती चली गयी। इससे पहले बहुत कम लोग ही संतोषी माता की आराधना किया करते थे लेकिन अब हर कोई संतोषी माता को जानता है और उन्हें मानता है।
इस फिल्म में संतोषी मां की आरती (Santoshi Man Ki Aarti) मैं तो आरती उतारू रे बहुत प्रसिद्ध हुई थी। आरती के बोल “जय जय संतोषी माता जय जय मां” ने भक्तों के दिलों में एक अलग जगह बना ली थी। यही कारण है कि आज के इस लेख में हम आपको संतोषी माँ की आरती अर्थ सहित भी देंगे। अंत में संतोषी आरती का महत्व व लाभ भी जानने को मिलेगा। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं संतोषी मां की आरती हिंदी में।
Main To Aarti Utaru Re Santoshi Mata Ki | संतोषी मां की आरती
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की,
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की,
मैं तो आरती उतारूँ रे॥
जय जय संतोषी माता जय जय माँ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
बड़ी ममता है बड़ा प्यार माँ की आँखों में,
माँ की आँखों में।
बड़ी करुणा माया दुलार माँ की आँखों में,
माँ की आँखों में॥
क्यूँ ना देखूँ मैं बारम्बार माँ की आँखों में,
क्यूँ ना देखूँ मैं बारम्बार माँ की आँखों में।
दिखे हर घड़ी, दिखे हर घड़ी नया चमत्कार माँ की आँखों में,
माँ की आँखों में॥
नृत्य करो झूम झूम, छम छमा छम झूम झूम,
नृत्य करो झूम झूम, छम छमा छम झूम झूम,
झांकी निहारो रे, बाकि बाकि झांकी निहारो रे॥
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की,
मैं तो आरती उतारूँ रे॥
जय जय संतोषी माता जय जय माँ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
सदा होती है जय-जयकार माँ के मंदिर में,
माँ के मंदिर में।
नित्त झांझर की होवे झंकार माँ के मंदिर में,
माँ के मंदिर में॥
सदा मंजीरे करते पुकार माँ के मंदिर में,
माँ के मंदिर में, सदा मंजीरे।
वरदान के भरे हैं भंडार, माँ के मंदिर में,
माँ के मंदिर में॥
दीप धरो धूप करूँ, प्रेम सहित भक्ति करूँ,
दीप धरो धूप करूँ, प्रेम सहित भक्ति करूँ,
जीवन सुधारो रे,
प्यारा प्यारा जीवन सुधारो रे॥
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की,
मैं तो आरती उतारूँ रे॥
जय जय संतोषी माता जय जय माँ।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
Santoshi Man Ki Aarti | मैं तो आरती उतारू रे संतोषी माता की – अर्थ सहित
मैं तो आरती उतारूँ रे संतोषी माता की।
जय जय संतोषी माता जय जय माँ॥
हम सभी माँ संतोषी की आरती करते हैं और उनकी जय-जयकार करते हैं। संतोषी माता की जय हो, जय हो, जय हो।
बड़ी ममता है बड़ा प्यार माँ की आँखों में,
बड़ी करुणा माया दुलार माँ की आँखों में,
क्यूँ ना देखूँ मैं बारम्बार माँ की आँखों में॥
संतोषी माँ की आँखों में अपने भक्तों के लिए ममता व प्यार उमड़ रहा है अर्थात वे हम सभी को बहुत प्रेम करती हैं। माँ संतोषी की आँखों में अपने भक्तों के लिए करुणा व दुलार भी है अर्थात वे हमें अपना बच्चा मानकर हमारी ओर देखती हैं। अब माँ संतोषी की ऐसी करुणामयी आँखों की ओर मैं क्यों ना देखूं। उनकी आँखों में तो हमेशा ही हमारा देखने का मन करेगा।
दिखे हर घड़ी नया चमत्कार माँ की आँखों में,
नृत्य करो झूम झूम, छम छमा छम झूम झूम,
झांकी निहारो रे, बाकि बाकि झांकी निहारो रे॥
संतोषी माता की आँखों में तो हर पल नया चमत्कार देखने को मिलता है क्योंकि वही इस संपूर्ण सृष्टि की जननी हैं। हम सभी संतोषी आरती करते हुए मातारानी के सामने झूम-झूम कर नृत्य करते हैं और उनकी मूर्ती को निहारते हैं।
सदा होती है जय-जयकार माँ के मंदिर में,
नित्त झांझर की होवे झंकार माँ के मंदिर में,
सदा मंजीरे करते पुकार माँ के मंदिर में॥
संतोषी माँ के मंदिर में सदैव ही उनके नाम की जय-जयकार होती रहती है। वहां पर नृत्य करते हुए भक्तों की झांझर बजती रहती है। कई भक्त मातारानी की आरती करते समय मंजीरे बजाते हैं और माँ को पुकारते हैं।
वरदान के भरे हैं भंडार, माँ के मंदिर में,
दीप धरो धूप करूँ, प्रेम सहित भक्ति करूँ,
जीवन सुधारो रे, प्यारा प्यारा जीवन सुधारो रे॥
माता संतोषी इतनी दयावान हैं कि उनके सामने चाहे कितने ही वरदान मांग लो लेकिन मातारानी के पास इन्हें देने की कमी नहीं होगी अर्थात माता संतोषी अपने भक्तों को सबकुछ दे देती हैं। मैं संतोषी माता के सामने दीपक व धूप जलाकार प्रेम सहित उनकी भक्ति करता हूँ और उनके सामने यह याचना करता हूँ कि अब आप मेरे जीवन में सुधार ला दो और मुझे सद्मार्ग पर आगे बढ़ाओ।
संतोषी मां की आरती का महत्व
अभी तक आपने संतोषी माता जी की आरती पढ़ ली है और साथ ही उसका अर्थ भी जान लिया है। इसे पढ़कर अवश्य ही आपको संतोषी माता के गुणों व महत्व के बारे में ज्ञान हो गया होगा। संतोषी माता को संतोष की देवी माना जाता है और मनुष्य को जितनी जल्दी संतोष मिल जाता है, उसके लिए उतना ही उचित रहता है।
यही जय जय संतोषी माता जय जय मां आरती के माध्यम से बताने का प्रयास किया गया है कि मनुष्य के लिए संतोष का कितना अधिक महत्व होता है। फिर चाहे मनुष्य के पास कितना ही धन हो, रिश्ते हो तथा उसे किसी भी चीज़ की कमी ना हो लेकिन यदि उसके जीवन में संतोष नहीं है तो वह उन सभी के होते हुए भी उनका आनंद नहीं ले पायेगा।
संतोषी आरती के लाभ
अब यदि आप प्रतिदिन संतोषी आरती का पाठ करते हैं और संतोषी माँ का ध्यान करते हैं तो अवश्य ही उसका सकारात्मक परिणाम देखने को मिलता है। जो भी व्यक्ति सच्चे मन से संतोषी माँ की आरती को पढ़ता है, उस पर अवश्य ही संतोषी माता की कृपा दृष्टि होती है। ऐसे में उसके मन में किसी बात को लेकर असंतोष पनप रहा है या किसी बात की चिंता खाए जा रही है तो वह समाप्त हो जाती है।
प्रतिदिन मां संतोषी की आरती के पाठ से व्यक्ति को परम सुख की प्राप्ति होती है और वह सांसारिक मोहमाया को समझने लगता है। इससे उसके हृदय में शांति का अनुभव होता है और जो वह चाहता है, उसकी प्राप्ति हो जाती है। अब व्यक्ति का हृदय शांत हो जाए और उसे संतोष मिल जाए तो उससे बढ़कर सुखी मनुष्य इस विश्व में कोई दूसरा नहीं होगा। ऐसे में आपको प्रतिदिन जय संतोषी माता आरती का पाठ करना चाहिए।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने मैं तो आरती उतारू रे संतोषी माता की हिंदी में अर्थ सहित (Main To Aarti Utaru Re Santoshi Mata Ki) पढ़ ली है। साथ ही आपने संतोषी आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
संतोषी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: संतोषी माता को क्या पसंद है?
उत्तर: संतोषी माता आरती में यह उल्लेख मिलता है कि माता संतोषी को गुड़ व चना भोग रूप में बहुत स्वादिष्ट लगते हैं। ऐसे में हमें उन्हें गुड़ चने का ही भोग मुख्य रूप से लगाना चाहिए।
प्रश्न: संतोषी माता किसकी कुलदेवी है?
उत्तर: संतोषी माता भगवान गणेश व रिद्धि-सिद्धि की पुत्री हैं और संतोषी माता का किसी की कुलदेवी होना या ना होना, उस व्यक्ति के परिवार व जाति पर निर्भर करता है।
प्रश्न: संतोषी माता को खटाई पसंद क्यों नहीं है?
उत्तर: प्रसाद में कभी भी खट्टी चीज़ों का उपयोग करने की मनाही होती है व केवल मीठे का ही भोग लगाया जाता है। इसी क्रिया में संतोषी माँ को भी खटाई पसंद नहीं होती है।
प्रश्न: संतोषी माता के व्रत में केले खा सकते हैं क्या?
उत्तर: आप निश्चिंत होकर संतोषी माता के व्रत में केले खा सकते हैं क्योंकि यह खट्टा नहीं होता है। संतोषी माता को खटाई पसंद नहीं होती है, इसलिए उनके व्रत में खट्टे फलों का सेवन करने की मनाही होती है।
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