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नर्मदा अष्टक हिंदी में अर्थ

आज के इस लेख में हम आपके साथ नर्मदा अष्टकम (Narmada Ashtakam) का पाठ करने जा रहे हैं। हिन्दू धर्म में पर्वतों, नदियों, पशु-पक्षियों, जीव-जंतुओं, पंच-तत्वों इत्यादि को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। अब नदियाँ जिस भी क्षेत्र से होकर बहती हैं, उस भूभाग में रह रहे लोगों के लिए वह जीवनदायिनी का कार्य करती हैं। इसी में एक नर्मदा नदी है जो मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र व गुजरात राज्यों में बहती है।

आज हम आपके साथ नर्मदा अष्टकम PDF (Narmada Ashtakam PDF) फाइल और इमेज भी साझा करेंगे। इसे आप अपने मोबाइल या कंप्यूटर में सेव करके रख सकते हैं और जब मन चाहे, तब उसे पढ़ सकते हैं। आइए सबसे पहले नर्मदा अष्टकम लिरिक्स आपके सामने रख देते हैं।

Narmada Ashtakam | नर्मदा अष्टकम

यह नर्मदा अष्टकम का मूल स्वरुप है जो ग्रंथों में लिखा गया है। इसे हम नर्मदा अष्टकम संस्कृत में कहकर भी संबोधित कर सकते हैं।

सबिन्दुसिन्धुसुस्खलत्तरङ्गभङ्गरञ्जितं
द्विषत्सु पापजातजातकारिवारिसंयुतम्।
कृतान्तदूतकालभूतभीतिहारिवर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥

त्वदम्बुलीनदीनमीनदिव्यसम्प्रदायकं
कलौ मलौघभारहारि सर्वतीर्थनायकम्।
सुमच्छकच्छनक्रचक्रचक्रवाकशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥

महागभीरनीरपूरपापधूतभूतलं
ध्वनत्समस्तपातकारिदारितापदाचलम्।
जगल्लये महाभये मृकण्डसूनुहर्म्यदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥

गतं तदैव मे भवं त्वदम्बुवीक्षितं यदा
मृकण्डसूनुशौनकासुरारिसेवि सर्वदा।
पुनर्भवाब्धिजन्मजं भवाब्धिदुःखवर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥

अलक्षलक्षकिन्नरामरासुरादिपूजितं
सुलक्षनीरतीरधीरपक्षिलक्षकूजितम्।
वसिष्ठसिष्टपिप्पलादिकर्दमादिशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥

सनत्कुमारनाचिकेतकश्यपादिषट्पदैः
धृतं स्वकीयमानसेषु नारदादिषट्पदैः।
रवीन्दुरन्तिदेवदेवराजकर्मशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥

अलक्षलक्षलक्षपापलक्षसारसायुधं
ततस्तु जीवजन्तुतन्तुभुक्तिमुक्तिदायकम्।
विरञ्चिविष्णुशङ्करस्वकीयधामवर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥

अहोऽमृतं स्वनं श्रुतं महेशकेशजातटे
किरातसूतवाडवेषु पण्डिते शठे नटे।
दुरन्तपापतापहारिसर्वजन्तुशर्मदे
त्वदीयपादपङ्कजं नमामि देवि नर्मदे॥

इदं तु नर्मदाष्टकं त्रिकालमेव ये सदा
पठन्ति ते निरन्तरं न यान्ति दुर्गतिं कदा।
सुलभ्य देहदुर्लभं महेशधामगौरवं
पुनर्भवा नरा न वै विलोकयन्ति रैरवम्॥

नर्मदा अष्टकम इमेज

यह रही नर्मदा अष्टकम की इमेज:

नर्मदा अष्टकम (Narmada Ashtakam)

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नर्मदा अष्टकम PDF | Narmada Ashtakam PDF

अब हम Narmada Ashtakam PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं

यह रहा उसका लिंक: नर्मदा अष्टकम PDF

ऊपर आपको लाल रंग में नर्मदा अष्टकम PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने नर्मदा अष्टकम (Narmada Ashtakam) पढ़ लिया हैं। यदि आपको नर्मदा अष्टकम PDF फाइल या इमेज डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

नर्मदा अष्टक से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: नर्मदा नदी किसकी बेटी थी?

उत्तर: नर्मदा नदी को मैखल पर्वत की पुत्री माना जाता है क्योंकि वहीं के अमरकंटक से नर्मदा नदी का उद्गम होता है।

प्रश्न: नमामि देवी नर्मदे का मतलब क्या होता है?

उत्तर: नमामि देवी नर्मदे का मतलब हुआ कि नर्मदा माता सभी की देवी हैं व पूजनीय हैं। ऐसे में हमारा उनको नमन है।

प्रश्न: नर्मदा नदी उल्टी क्यों होती है?

उत्तर: देश की ज्यादातर नदियाँ पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है किन्तु नर्मदा नदी पूर्व से पश्चिम में बहती हुई अरब सागर में गिर जाती है जिसका कारण रिफ्ट वैली को माना जाता है।

प्रश्न: भारत की ऐसी कौन सी नदी है जिसका हर पत्थर शिवलिंग होता है?

उत्तर: नर्मदा नदी को भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त है कि उनका जल जिस भी पत्थर को छू जाता है या उनके किनारे जो भी पत्थर है, वह सभी शिवलिंग है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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