एक राशन हम सभी के दिमाग में उठता है कि आखिरकार भगवान परशुराम ने अपनी मां क्यों मारी (Parshuram Ne Apni Mata Ko Kyu Mara) और उस समय क्या स्थिति थी!! भगवान परशुराम स्वयं नारायण के छठे अवतार थे जिन्हें आवेशावतार भी कहा जाता है। इसी आवेश (क्रोधित) स्वभाव तथा पितृ भक्ति के कारण एक दिन उन्होंने अपनी ही माता का वध कर दिया था। उनके पिता महान ऋषि जमदग्नि तथा माता रेणुका थी। वे अपने माता-पिता की चौथी संतान थे।
अब परशुराम ने अपनी माता का सिर क्यों काटा (Parshuram Ne Apni Maa Ka Sir Kyu Kata) व उन्होंने ऐसा किसके आदेश पर किया था? दरअसल एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि उनके पिता ने उन्हें उनकी ही माता का मस्तक काटने का आदेश दिया। इसके बाद परशुराम ने अपनी ही माँ का सिर धड़ से अलग कर दिया था। अब उनके पिता ने ऐसा क्यों कहा और अपनी माता का सिर काटने के बाद क्या कुछ हुआ? आज हम आपको उसी घटनाक्रम के बारे में विस्तार से बताएँगे।
परशुराम ने अपनी मां क्यों मारी?
परशुराम ने अपनी मां को क्यों मारा, इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हम उस दिन के घटनाक्रम पर चलते है, जहाँ से इसकी शुरुआत हुई थी। दरअसल परशुराम के पिता जमदग्नि बहुत ही सिद्ध ऋषि थे। उनकी पत्नी का नाम रेणुका था। ऋषि जमदग्नि अपनी पत्नी रेणुका और पांच पुत्रों के साथ अपने आश्रम में रहते थे जिसके पास में ही एक नदी बहती थी।
एक बार परशुराम की माँ रेणुका आश्रम के पास नदी में स्नान करने गयी थी। वहां पर उन्होंने राजा चित्ररथ को अन्य अप्सराओं के साथ स्नान करते तथा क्रीड़ा करते हुए देखा। राजा चित्ररथ दिखने में बहुत आकर्षक तथा सुंदर शरीर वाले थे। अन्य अप्सराओं के साथ उनकी क्रीड़ा को देखकर रेणुका का मन भी प्रफुल्लित हो उठा तथा वह उसे देखती रही। इसी कारण उन्हें स्नान करके वापस आश्रम में आने में देरी हो गयी।
जब रेणुका स्नान करके वापस आश्रम लौटी तो उसके हाव भाव बदले हुए थे तथा उसके मन में अभी भी वही दृश्य चल रहा था। चूँकि ऋषि जमदग्नि एक महान तपस्वी थे तो उन्होंने अपने तप के बल पर संपूर्ण बात का पता लगा लिया तथा रेणुका का मन भी पढ़ लिया। यह देखकर उन्हें इतना ज्यादा क्रोध आया कि उन्होंने अपने सबसे बड़े पुत्र को अपनी माँ का गला काट देने का आदेश दिया।
उनका सबसे बड़ा पुत्र अपनी माँ के प्रेम में ऐसा नही कर पाया। तब उन्होंने अपने दूसरे, तीसरे और चौथे पुत्र को भी यही आदेश दिया लेकिन वे भी ऐसा कर पाने में असक्षम थे। एक ओर माँ की हत्या का पाप लगता तो दूसरी ओर पिता की आज्ञा की अवहेलना करने का पाप। यह एक धर्मसंकट था लेकिन उन्होंने मातृ हत्या करने से मना कर दिया।
अपने पुत्रों के द्वारा स्वयं की ऐसी अवहेलना किये जाने पर ऋषि जमदग्नि को अत्यधिक क्रोध आ गया और उन्होंने अपने तीनों पुत्रों को श्राप दिया कि वे अपना विवेक, बुद्धि तथा सारा ज्ञान खो देंगे।
परशुराम ने अपनी माता का सिर क्यों काटा?
इसके पश्चात ऋषि जमदग्नि ने अपने सबसे छोटे पुत्र परशुराम को अपनी माँ रेणुका का मस्तक धड़ से करने का आदेश दिया। परशुराम अपने पिता के ताप को जानते थे और उनके आदेश की अवहेलना करने के क्या कुछ परिणाम हो सकते हैं, उन्हें इसका भी पता था। उनका इस धरती पर उदय बहुत से उद्देश्यों की पूर्ति करने हेतु हुआ था जो अभी भी अधूरे थे। ऐसे में यदि वे पिता के आदेश की अवहेलना करते तो क्रोधवश उन्हें भी वही श्राप मिल सकता था जो उनके सभी भाइयों को मिला था।
ऐसे में उन्होंने अपने विवेक से काम लिया और अपनी माता का मस्तक काटने का निर्णय (Parshuram Ne Apni Maa Ka Sir Kyu Kata) लिया। पिता का फिर से आदेश मिलते ही परशुराम ने बिना देर किये एक पल में अपनी माँ का सिर धड़ से अलग कर दिया। परशुराम की माँ का सिर जमीन पर गिर पड़ा और उनके धड़ से रक्त की लंबी धार बह निकली। कुछ ही देर में उनकी देह निष्प्राण हो गई।
परशुराम के तीन वरदान
यह देखकर परशुराम के पिता जमदग्नि अत्यधिक प्रसन्न हुए तथा परशुराम को तीन वरदान मांगने को कहा। परशुराम ने समझदारी से काम लेते हुए अपने पिता से तीन वर मांगे जिसके बारे में उन्होंने पहले से ही सोचकर रखा था।
- पहले वर में उन्होंने अपनी माँ को पुनर्जीवित करने को कहा।
- दूसरे वर में उन्होंने माँगा कि उनकी माँ को इस चीज़ की स्मृति न रहे।
- तीसरे वर में उन्होंने अपने तीनो भाइयों का विवेक व बुद्धि मांग ली।
ऋषि जमदग्नि अपने पुत्र परशुराम की समझदारी से बहुत प्रसन्न हुए तथा उन्होंने तुरंत उनके तीनों वरों को पूरा कर दिया। इसके पश्चात सब कुछ फिर से सामान्य हो गया तथा परशुराम जी की माँ पुनः जीवित हो उठी। इसी के साथ ही महर्षि जमदग्नि ने परशुराम को हमेशा अविजयी रहने का भी आशीर्वाद दिया।
मातृ हत्या के पाप से परशुराम का मुक्ति पाना
भगवान परशुराम ने अपनी माँ रेणुका को फिर से जीवित तो करवा लिया था लेकिन उनके ऊपर मातृ हत्या का पाप लग चुका था। इससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी तथा मातृ हत्या के पाप से मुक्ति पायी थी। भगवान शिव ने भी उनकी तपस्या और भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें परशु अस्त्र प्रदान किया था। इसी के बाद से ही उनका नाम राम से परशुराम हो गया था।
इस तरह से आज आपने यह जान लिया है कि भगवान परशुराम ने अपनी मां क्यों मारी (Parshuram Ne Apni Mata Ko Kyu Mara) और उस समय किस तरह की स्थिति थी। परशुराम जी के द्वारा उस समय जो निर्णय लिया गया था, उससे अवश्य ही उन पर मात्र हत्या का कलंक लगा लेकिन इससे उनके उद्देश्य पूर्ति में कोई बाधा नहीं आई।
संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: परशुराम ने अपनी मां को क्यों मारा?
उत्तर: परशुराम ने अपनी मां को अपने पुता जमदग्नि के आदेश पर मारा था। उनके पिता ने उन्हें अपनी माँ का मस्तक काटने का आदेश दिया था जिसकी अवहेलना वे नहीं कर सकते थे।
प्रश्न: परशुराम ने अपनी माता को क्यों मारा?
उत्तर: परशुराम ने अपनी माता को अपने पिता के कहने पर मारा था। उनकी माँ राजा चित्ररथ को स्नान करते देखकर मंत्रमुग्ध हो गई थी जिसका उनके पिता को पता चल गया था।
प्रश्न: परशुराम ने अपनी माँ को क्यों मारा?
उत्तर: परशुराम के द्वारा अपनी माँ को मारने के पीछे का कारण अपने पिता के द्वारा दिया गया आदेश था। उनके आदेश का पालन करने हेतु ही उन्होंने अपनी माँ का सिर धड़ से अलग कर दिया था।
प्रश्न: परशुराम की आयु कितनी थी?
उत्तर: भगवान परशुराम की जन्म त्रेता युग के शुरूआती समयकाल में हुआ था। वे अभी तक जीवित है क्योंकि उन्हें कलियुग के अंत में भगवान कल्कि के गुरु की भूमिका का निर्वहन करना है।
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