प्रजापत्य विवाह कैसे किया जाता है? जाने प्रजापत्य विवाह क्या होता है

प्रजापत्य विवाह (Prajapatya Vivah)

प्रजापत्य विवाह (Prajapatya Vivah): मनुस्मृति में कुल आठ प्रकार के विवाह बताए गए हैं जिसमे से ब्रह्म विवाह को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। प्रजापत्य विवाह भी ब्रह्म विवाह का ही एक रूप हैं, बस इसमें कुछ नियम बदल जाते है। हालाँकि इसे एक तरह से ब्रह्म विवाह का ही एक संकुचित रूप माना गया है।

ऐसे में आपके मन में प्रजापत्य विवाह को लेकर कई तरह के प्रश्न उठ रहे होंगे। जैसे कि प्रजापत्य विवाह क्या है (Prajapatya Vivah Kya Hai) या यह कैसे होता है, इत्यादि। इसलिए आज हम आपको प्रजापत्य विवाह के बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।

Prajapatya Vivah Kya Hai | प्रजापत्य विवाह क्या है?

आज के समय में जिसे बाल विवाह की संज्ञा दी गयी हैं, यह वही विवाह होता है। ब्रह्म विवाह में कन्या व पुरुष के ब्रह्मचर्य आश्रम की आयु पूर्ण होने के पश्चात उन दोनों की सहमति से विवाह करवाया जाता है जबकि प्रजापत्य विवाह में दोनों का छोटी आयु में ही उनकी आज्ञा के बिना विवाह करवा दिया जाता है।

इसमें वधु का पिता अपनी कन्या को वर को न सौंपकर वर के पिता को सौंपता हैं जबकि ब्रह्म विवाह में कन्या का पिता अपनी कन्या को वर को ही सौंपता हैं। हालाँकि इस तरह के विवाह में कन्या को विवाह के बाद ही अपने ससुराल नहीं भेजा जाता है। जब वह बड़ी हो जाती है और उसके मासिक धर्म शुरू हो जाते हैं, तब वर-वधु दोनों के पिता की सहमति से कन्या को अपने ससुराल में भेजा जाता है।

इसे आप इस तरह से समझी कि ब्रह्म विवाह में लड़की की अपने मायके से विदाई उसी समय हो जाती है जबकि प्रजापत्य विवाह में उसकी विदाई कुछ वर्षों के पश्चात की जाती है। प्राचीन भारत में प्रजापत्य विवाह की ही प्रधानता थी किंतु आज के समय में यह बहुत कम हो गया है। साथ ही यह कानून की नजरों में भी अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

प्रजापत्य विवाह कैसे किया जाता है?

इसके सभी नियम ब्रह्म विवाह के समान ही है बस कुछ बातो को छोड़कर। ब्रह्म विवाह में वर पक्ष के लोग कन्या के घर जाते है और रिश्ता पक्का करते है जबकि प्रजापत्य विवाह में कन्या पक्ष की ओर से उसके पिता व अन्य रिश्तेदार उसके लिए उचित वर की तलाश करते है। जब उन्हें एक उचित वर मिल जाता है तब वे वर पक्ष के सामने विवाह का प्रस्ताव रखते है।

वर पक्ष की सहमति मिलने के पश्चात दोनों के बीच विवाह पक्का मान लिया जाता है। इसमें उस कन्या की सहमति की कोई आवश्यकता नही होती है क्योंकि वह आयु में भी छोटी होती है। इसके बाद सभी नियम व विवाह पद्धति ब्रह्म विवाह के ही समान है।

प्रजापत्य विवाह के नियम

  • इसमें कन्या की आज्ञा लेने की कोई आवश्यकता नही होती।
  • कन्यादान के अलावा किसी और प्रकार के पैसो या वस्तु का लेनदेन पूर्णतया वर्जित होता है।
  • एक मुख्य नियम यह हैं कि इसमें अपने पिता पक्ष की ओर से पांच पीढ़ियाँ और माता पक्ष की ओर से तीन पीढ़ियों के बीच विवाह निषेध होता हैं।
  • वर व वधु दोनों पक्ष के लोग किसी गलत गतिविधि इत्यादि में सलंग्न नही होने चाहिए।
  • कन्या का पिता अपनी पुत्री को वर को न सौंपकर वर के पिता को सौंपता है।

इस तरह से आज आपने प्रजापत्य विवाह क्या है (Prajapatya Vivah Kya Hai), यह कैसे किया जाता है और इसके नियम सहित संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर ली है। हालाँकि आज के समय में आप प्रजापत्य विवाह नहीं कर सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो उसे भारतीय कानून के अनुसार बाल विवाह अधिनियम के अंतर्गत दंड दिया जा सकता है।

प्रजापत्य विवाह से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: प्रजापति विवाह क्या है?

उत्तर: प्रजापति विवाह शुद्ध नाम नहीं है इसका शुद्ध नाम प्रजापत्य विवाह है इसे हम आज के समय में बाल विवाह की संज्ञा दे सकते हैं जिसमें नाबालिग लड़का-लड़की का उनके माता-पिता की सहमति से विवाह करवा दिया जाता था

प्रश्न: प्रजापति विवाह किसे कहते हैं?

उत्तर: प्रजापति विवाह अनुचित शब्द है जबकि उचित शब्द प्रजापत्य विवाह है इसमें वधु का पिता अपनी कन्या को वर को सौंपने की बजाए उसके पिता को सौंपता है एक तरह से यह बाल विवाह होता है जिसमें कन्या के बालिग होने पर उसको ससुराल भेजा जाता है

प्रश्न: प्रजापत्य विवाह किसे कहते हैं?

उत्तर: प्रजापत्य विवाह वह विवाह होता है जिसमें लड़का व लड़की के बालिग होने से पहले ही उनकी सहमति के बिना उनका विवाह करवा दिया जाता है हालाँकि इसमें दोनों के माता-पिता की सहमति आवश्यक होती है

प्रश्न: प्रजापत्य विवाह क्या होता है?

उत्तर: प्रजापत्य विवाह को बाल विवाह कहा जा सकता है आज के समय में यह अवश्य ही कानूनन अपराध है लेकिन पहले के समय में यह बहुत प्रचलित था

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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