रविवार की आरती (Ravivar Ki Aarti) के माध्यम से हम सूर्य देव की उपासना करते हैं। स्वर्ग के राजा के रूप में हम सभी इंद्र देव को जानते हैं तो वहीं सृष्टि के सबसे महान ईश्वर के रूप में त्रिदेव का नाम लिया जाता है। किन्तु यदि बात पृथ्वी लोक की आती है तो हमारे लिए सर्वोच्च देवता सूर्य देव बन जाते हैं। यही कारण है कि जब भगवान विष्णु ने भी मनुष्य रूप में पृथ्वी लोक पर अवतार लिया तो श्रीराम व श्रीकृष्ण के रूप में उन्होंने सूर्य देव की उपासना की।
सूर्य देव के महत्व को देखते हुए ही सप्ताह के एक दिन को सूर्य देव को समर्पित किया गया है। इस दिन सभी भक्तगण सूर्य देव को जल अर्पण कर रविवार आरती (Ravivar Aarti) करते हैं। ऐसे में आज के इस लेख में हम आपके साथ रविवार की आरती करने के लाभ व महत्व भी सांझा करेंगे। तो आइए सबसे पहले करते हैं रविवार सूर्य देव की आरती।
Ravivar Ki Aarti | रविवार सूर्य देव की आरती
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…॥
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी,
तुम चार भुजाधारी।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे,
तुम हो देव महान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…॥
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते,
सब तब दर्शन पाते।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा,
करे सब तब गुणगान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…॥
संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते,
गोधन तब घर आते।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में,
हो तव महिमा गान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…॥
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते,
आदित्य हृदय जपते।
स्तोत्र यह मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी,
दे नव जीवनदान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…॥
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार,
महिमा तब अपरम्पार।
प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते,
बल, बुद्धि और ज्ञान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…॥
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं,
सब जीवों के प्राण तुम्हीं।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने,
तुम ही सर्वशक्तिमान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…॥
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल,
तुम भुवनों के प्रतिपाल।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी,
शुभकारी अंशुमान॥
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान॥
ॐ जय सूर्य भगवान…॥
तो यह थी रविवार आरती (Ravivar Aarti)। जो लोग प्रतिदिन सूर्यदेव का ध्यान कर उनकी आरती करते हैं, उन्हें स्वास्थ्य संबंधित कोई भी समस्या नहीं होती है। ऐसे में अब हम रविवार की आरती करने के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।
रविवार की आरती का महत्व
पृथ्वी लोक के वासियों के लिए सबसे बड़े देवता सूर्य देव माने जाते हैं क्योंकि पृथ्वी के टिके रहने और हम प्राणियों को ऊर्जा देने का दायित्व सूर्य देव ही निभाते हैं। यदि सूर्य देव ना हो तो हमारी पृथ्वी सदा के लिए अँधेरे में डूब जाएगी और साथ ही मनुष्य जीवन का अंत हो जाएगा। इसी के साथ ही सूर्य देव की कृपा से ही पृथ्वी पर अन्न उग पाता है जिससे हम सभी अपना जीवनयापन करते हैं।
ऐसे में सूर्य देव के महत्व को दर्शाने के लिए ही रविवार की आरती लिखी गयी है। रविवार सूर्य देव की आरती के माध्यम से सूर्य देव के गुणों, शक्तियों, महत्व इत्यादि पर प्रकाश डाला गया है और उनकी उपासना भी की गयी है। यही रविवार की आरती का महत्व है।
रविवार आरती के लाभ
यदि हम सुबह जल्दी उठकर स्नान इत्यादि करके उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और इसके पश्चात रविवार सूर्य देव की आरती का पाठ करते हैं तो सूर्य देव हमसे बहुत प्रसन्न होते हैं। सूर्य देव के प्रसन्न होने से हमें किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या नहीं होती है तथा मन के सभी विकार दूर होते हैं। सूर्य देव की कृपा से हम शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक रूप से स्वस्थ रहते हैं।
इसी के साथ ही यदि हमारी कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति सही नहीं है या उसमें किसी तरह का दोष है तो वह भी स्वतः ही दूर हो जाता है। सूर्य देव हमारे परिवार में भी सुख-शांति लेकर आते हैं और घर का वातावरण भी सकारात्मक बनता है। यही रविवार की आरती के लाभ हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने रविवार की आरती (Ravivar Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने रविवार सूर्य देव की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
रविवार की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: रविवार की पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर: रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। विधि के अनुसार उस दिन आपको सूर्योदय से पहले ही उठ जाना चाहिए और स्नान आदि करके उगते हुए सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए।
प्रश्न: रविवार को कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?
उत्तर: रविवार का दिन सूर्य देव का होने के कारण उस दिन आप “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं। हालाँकि सूर्य देव को समर्पित कई अन्य मंत्र भी है जिनका जाप किया जा सकता है।
प्रश्न: सूर्य देव को कौन सा फूल चढ़ाया जाता है?
उत्तर: सूर्य देव को गुड़हल का फूल चढ़ाया जा सकता है। मुख्य तौर पर जब उन्हें जल अर्पित किया जाता है, तब उन्हें गुड़हल का फूल चढ़ाया जाता है।
प्रश्न: क्या मैं रविवार के व्रत में सेंधा नमक खा सकता हूं?
उत्तर: जी हां, आप रविवार के व्रत में सेंधा नामक खा सकते हैं और इसमें किसी तरह की मनाही नहीं है।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: