भगवान श्रीराम ने अपने राज्याभिषेक के कुछ वर्षों के पश्चात अश्वमेघ यज्ञ (Shri Ram Ashwamedh Yagya) करने का निर्णय लिया था लेकिन क्यों? दरअसल यह यज्ञ आदिकाल से भारत के सबसे शक्तिशाली राजा करते आ रहे थे। इस यज्ञ का उद्देश्य संपूर्ण भारत में एक सर्वश्रेष्ठ शक्ति स्थापित कर (Ashwamedh Yagya By Sri Ram) सभी को उसके अधीन कार्य करना होता था। इसके द्वारा संपूर्ण भारत एक सूत्र में बंधकर कार्य करता था। आज हम जानेंगे कि श्रीराम के द्वारा अश्वमेघ यज्ञ करने के क्या मुख्य कारण थे।
श्रीराम के द्वारा अश्वमेघ यज्ञ करना (Reasons Of Ashwamedha Yagna In Ramayana In Hindi)
ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति
लंका का राजा रावण पुलत्स्य ऋषि का पौत्र तथा ऋषि विश्रवा का पुत्र था। हालाँकि उसकी माता राक्षस कुल की थी लेकिन पिता के ब्राह्मण होने के कारण रावण भी एक ब्राह्मण था। भगवान श्रीराम के द्वारा रावण तथा उनके वंश का वध किये जाने के कारण उनके ऊपर ब्रह्म हत्या का दोष था।
शास्त्रों में ब्रह्म हत्या को अति-निंदनीय बताया गया हैं जिसका भगवान श्रीराम ने अभी तक प्रायश्चित नही किया था। इसी कारण उनके राज में कंबोधर ऋषि ने भी उनसे अन्न लेना अस्वीकार कर दिया था। अश्वमेघ यज्ञ के द्वारा भगवान श्रीराम ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त हो सकते थे। इसलिये उन्होंने इस यज्ञ को करने का निर्णय लिया।
संपूर्ण भारत को एक शक्ति में पिरोना (Ashwamedh Yagya In Ramayana In Hindi)
यह रीति बहुत पहले से चली आ रही थी। भारत देश पर किसी एक राजा का आधिपत्य न होकर यह विभिन्न संप्रदायों तथा राज्यों में विभाजित रहता था जिस पर अनेक छोटे बड़े राजाओं का शासन होता था। ऐसे में भारत के सबसे बड़े राज्य का शक्तिशाली राजा भारत का मुख्य राजा माना जाता था (Story Of Ashwamedha Yagna In Ramayana In Hindi)।
जब कभी भी कोई शक्तिशाली राजा आता तो वह संपूर्ण भारत या भारत की अत्यधिक भूमि पर एकछत्र शासन स्थापित करने के लिए अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन करवाता था। इस यज्ञ के पश्चात एक घोड़ा भारत की भूमि पर छोड़ा जाता था जो चारो ओर भ्रमण कर वापस आता था। जहाँ-जहाँ वह भ्रमण करता था वहां-वहां की भूमि उस राजा के अधीन हो जाती थी।
इसी कारण भगवान श्रीराम ने संपूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोने तथा भविष्य में किसी प्रकार के युद्ध को रोकने के उद्देश्य से अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन करवाया ताकि भारत के विभिन्न राज्य आपस में बंटे न होकर एक बड़े राजा के अधीन होकर कार्य करे।