बिजली महादेव मंदिर कहां है? जाने बिजली महादेव की कहानी

बिजली महादेव की कहानी

हिमाचल के कुल्लू जिले में स्थित बिजली महादेव की कहानी (Bijli Mahadev Ki Kahani) के बारे में हर कोई जानना चाहता है। दरअसल यह हिमाचल की पहाड़ी पर स्थित एक ऐसा शिव मंदिर है जहाँ हर बारह वर्षों में एक बार आकाशीय बिजली (Bijli Mahadev Lightning) गिरती है। इस बिजली से वहां स्थित शिवलिंग खंडित हो जाता है जिसका फिर पुनर्निर्माण किया जाता है।

ऐसे में यह बिजली महादेव मंदिर कहां है और इसका क्या रहस्य है, इसके बारे में हर कोई जानने को इच्छुक रहता है। साथ ही हर वर्ष लाखों लोग बिजली महादेव ट्रेक पर भी जाते हैं और इस अद्भुत शिवलिंग के दर्शन करते हैं। तो चलिए आज हम आपको बिजली महादेव मंदिर की कहानी सहित इस ट्रेक की संपूर्ण जानकारी देंगे।

बिजली महादेव की कहानी

बिजली महादेव का नाम कैसे पड़ा व इसके पीछे का क्या रहस्य है? आज हम इसके बारे में जानेंगे। दरअसल इसके पीछे एक चमत्कारिक रहस्य जुड़ा हुआ है जिसकी वजह से यह अपने भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। कहते हैं कि यहाँ के शिवलिंग पर प्रत्येक 12 वर्षों में एक बार आकाशीय बिजली गिरती है जिसके बाद शिवलिंग कई टुकड़ों में टूटकर बिखर जाता है।

इसके बाद उस मंदिर के पुजारी बिखरे हुए शिवलिंग के टुकड़ों को लेकर उसे मक्खन की सहायता से फिर से जोड़ते हैं व कुछ समय बाद ही वह एक दम नए शिवलिंग की तरह लगता है। दरअसल बिजली महादेव की कहानी (Bijli Mahadev Ki Kahani) उस मंदिर से नहीं बल्कि जिस पहाड़ी पर वह स्थित है, उससे जुड़ी हुई है।

एक समय पहले कुलंत नाम का एक राक्षस हुआ था। उसने सर्प का रूप ले लिया था और वह ब्यास नदी के प्रवाह को रोककर उस पूरे शहर को डुबो देना चाहता था। तब महादेव ने उस राक्षस का वध कर दिया था। उसी राक्षस के शरीर से ही पहाड़ी का निर्माण हुआ जिस पर बिजली महादेव मंदिर स्थित है। ध्यान से देखने पर यह पहाड़ी एक सर्प के आकार में दिखती है।

यहाँ स्थित शिवलिंग के पास कान लगाकर सुनने से नदी के बहते हुए पानी की आवाज़ सुनाई देती है। यह आवाज़ पहाड़ के नीचे बहती हुई पार्वती नदी की होती है। यदि आप भी यहाँ घूमने का मन बना रहे हैं या बिजली महादेव के रहस्यों के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो आज हम आपको इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे।

बिजली महादेव मंदिर कहां है?

बिजली महादेव मंदिर हिमाचल राज्य के कुल्लू जिले में स्थित है जो कि भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। इस जगह की धार्मिक मान्यता तो है ही, साथ ही यह ट्रैकिंग में रुचि रखने वालों के बीच भी बहुत लोकप्रिय है। बिजली महादेव ब्यास नदी के किनारे बसा हुआ है व इसकी पहाड़ी से आसपास के पहाड़ों का जो अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है वह देखने दूर-दूर से लोग यहाँ पहुँचते हैं।

यह कुल्लू शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके सबसे पास का गाँव चांसरी गाँव है जहाँ से बिजली महादेव पहुंचा जा सकता है। यह मंदिर समुद्र तल से करीब 2,460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

बिजली महादेव ट्रेक

आप बस या स्वयं के वाहन से कुल्लू जिले तक पहुँच सकते हैं। यदि आप बस से आए हैं तो आप कुल्लू बस स्टैंड पर उतर कर वहां से लोकल बस या टैक्सी करके चांसरी गाँव तक पहुंचें। यदि आप स्वयं का वाहन लेकर आए हैं तो आप सीधे चांसरी गाँव पहुंचें और वहां पार्किंग में अपना वाहन खड़ा कर दें। इससे आगे आप वाहन लेकर नही जा सकते हैं क्योंकि इसके बाद ट्रेक का रास्ता शुरू हो जाता है।

चांसरी गाँव से बिजली महादेव पहुँचने का ट्रेक कुल 3 किलोमीटर लंबा है जिसे आप 2 से 3 घंटों में पूरा कर सकते हैं। बीच में आराम करने के लिए 5 से 6 पॉइंट्स भी आपको मिल जाएंगे। जिनको साँस लेने की समस्या है या कोई अन्य बीमारी है, वे ट्रेक ना करें। वैसे बिजली महादेव का ट्रेक कोई ज्यादा बड़ा नही है और यह बहुत ज्यादा मुश्किल भी नही है। इसलिए यदि आप ट्रैकिंग में रुचि रखते हैं तो आपको यहाँ अवश्य होकर आना चाहिए।

Bijli Mahadev Lightning | बिजली महादेव के आसपास का दृश्य

जब आप 3 किलोमीटर का ट्रेक करके सबसे ऊपर पहुंचेंगे तो वहां का सुंदर दृश्य देखकर आपका मन प्रफुल्लित हो जाएगा। यहाँ के पहाड़ों से ऊपर का दृश्य इतना मनोहर है कि पूछो मत। आपको अपने आसपास चारों ओर विभिन्न पहाड़ों की शृंखला दिखाई देगी।

आपको वहां रुकने के लिए विभिन्न कैम्प्स व कमरे भी आसानी से मिल जाएंगे। वैसे तो यहाँ आप एक दिन में ही ट्रेक पूरा करके शाम तक नीचे आ सकते हैं लेकिन यदि आप वहां रात में रुकने का भी मन बना रहे हैं तो कोई समस्या नही। आप चाहें तो वहीं जाकर कैंप या होटल में कमरा बुक करवा सकते हैं। आप खुद का कैंप लगाना चाहें तो वह भी लगा सकते हैं।

कब जाएं बिजली महादेव?

यहाँ का ट्रेक आम लोगों के लिए हमेशा खुला रहता है। आप किसी भी मौसम में व किसी भी महीने में यहाँ की यात्रा कर सकते हैं। यदि आपको ज्यादा ठंड नही पसंद है तो आप जून-जुलाई के महीने में यहाँ जा सकते हैं। यदि आपको बर्फ या स्नोफॉल का आनंद लेना है तो आप ठंड के मौसम में यहाँ जाएं।

इस बात का ध्यान रखें कि ठंड के मौसम में यहाँ ट्रेक के रास्तों पर बर्फ जमी होती है और पूरा पहाड़ बर्फ से ढका होता है। इसलिए ट्रैकिंग करने में कुछ समस्या आ सकती है। अपने साथ केवल आवश्यक सामान ही रखें जैसे कि सहारे के लिए छड़ी, टोर्च, एनर्जी बार्स, रेनकोट, गर्म कपड़े, चश्मा, ट्रैकिंग वाले जूते इत्यादि। जो सामान इतना जरुरी नही है उसे साथ लेकर ना चलें क्योंकि इससे आपका बोझ और बढ़ेगा व आपको ट्रेक करने में समस्या होगी।

साथ ही ऊपर पहुँचने पर आपको अपने मोबाइल में नेटवर्क मुश्किल से ही मिलेगा। इसलिए अपने जानने वालों को पहले से ही बता दें ताकि वे बाद में परेशान ना हो। हालाँकि यदि आपके पास बीएसएनएल की सिम है तो चिंता करने की कोई आवश्यकता नही है क्योंकि उसका नेटवर्क ऐसे दुर्गम स्थानों पर आसानी से मिल जाता है।

बिजली महादेव मंदिर से जुड़े प्रश्नोत्तर

प्रश्न: बिजली महादेव की कहानी क्या है?

उत्तर: एक समय पहले कुलंत नाम के राक्षस का वध महादेव के हाथों से हुआ था उसी राक्षस के शरीर से उस पहाड़ी का निर्माण हुआ था जिस पर बिजली महादेव मंदिर स्थित है

प्रश्न: बिजली महादेव पर बिजली क्यों गिरती है?

उत्तर: महादेव ने इंद्र देव को कहा था कि वह इस घाटी में बिजली गिराएंगे तो वह क्षेत्र के लोगों को नुकसान से बचाने के लिए उसे अपने ऊपर ले लेंगे इसलिए बिजली महादेव पर बिजली गिरती है

प्रश्न: बिजली महादेव की उम्र कितनी है?

उत्तर: बिजली महादेव पर हर बारह वर्ष में एक बार बिजली गिरती है जिस कारण वहां का शिवलिंग खंडित हो जाता है उसके बाद उस शिवलिंग का पुनः निर्माण कर दिया जाता है

प्रश्न: बिजली महादेव के दर्शन कैसे करें?

उत्तर: बिजली महादेव के दर्शन करने के लिए आपको हिमाचल के कुल्लू जिले में पहुंचना होगा वहां से आपको चांसरी गाँव में जाना होगा और उसके बाद 3 किलोमीटर का ट्रेक है

प्रश्न: बिजली महादेव के दर्शन कब करें?

उत्तर: आप वर्ष के किसी भी महीने में बिजली महादेव के दर्शन करने हेतु जा सकते हैं हालाँकि बारिश के मौसम में वहां जाने से बचना चाहिए

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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