ब्रह्मचारिणी: नवदुर्गा का द्वितीय रूप

Brahmacharini Mata In Hindi

नवरात्र में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करने का विधान हैं जिनमे उनका दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी (Brahmacharini Mata) के नाम से विख्यात है। माँ दुर्गा का यह रूप हमें तपस्या व वैराग्य का भाव दिखाता हैं जिससे मनुष्य में सांसारिक मोहमाया के जाल से मुक्ति मिलती है (Brahmacharini Devi)। माँ ब्रह्मचारिणी के नाम का अर्थ ही हमेशा ब्रह्म में लीन रहने वाली माता से हैं। आइये माता ब्रह्मचारिणी के बारे में जानते हैं।

देवी ब्रह्मचारिणी के बारे में जानकारी (Brahmacharini Devi)

ब्रह्मचारिणी नाम का अर्थ (Brahmacharini Meaning In Hindi)

ब्रह्मचारिणी दो शब्दों के मेल से बना हैं जिसमें ब्रह्म का अर्थ तपस्या या ब्रह्म में लीन होने से होता हैं व चारिणी का अर्थ आचरण करने से हैं। अर्थात जो देवी सदैव ब्रह्म में लीन रहने वाली तथा उनका आचरण करने वाली होती हैं उसे ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना गया। यह भक्तों को तपस्या, त्याग, सदाचार व वैराग्य का संदेश देती हैं।

माँ ब्रह्मचारिणी का रूप (Maa Brahmacharini Navdurga)

जैसा कि हमनें आपको बताया कि ब्रह्मचारिणी माँ हमेशा तप पर बल देती हैं इसलिये वे अपने दाहिने हाथ में जप की माला तथा बाहिने हाथ में कमंडल को धारण किए रहती हैं। वे किसी वाहन पर सवार न होकर सीधे खड़ी रहकर अपने भक्तों को निहार रही होती है। उनके हाथ में जप की माला यह प्रदर्शित करती हैं कि वे हमेशा तपस्या पर बल देती है।

माँ ब्रह्मचारिणी के अन्य नाम (Mata Brahmacharini Names)

तपस्या की देवी होने के कारण इन्हें तपश्चारिणी के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव की आराधना करते समय इन्होने पत्तों को भी खाना छोड़ दिया था तथा निर्जला व्रत किया था, इसलिये इनका एक नाम अपर्णा भी पड़ा (Brahmacharini Mata Ki Katha)। इसके अलावा इन्हें उमा के नाम से भी जाना जाता है।

माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र (Brahmacharini Mantra)

#1. दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

#2. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

माँ ब्रह्मचारिणी ध्यान मंत्र (Brahmacharini Mata Ki Aarti)

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

माँ ब्रह्मचारिणी पूजा विधि (Maa Brahmacharini Puja Vidhi)

सबसे पहले चौकी पर माँ की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा करे। उनकी पूजा करने के लिए रोली, चंदन, अक्षत, कुमकुम व पुष्प ले। एक हाथ में पुष्प लेकर उनका ध्यान करे व ऊपर दिए गए मंत्रों का पाठ करे। माँ को मुख्यतया चीनी या शक्कर का भोग लगायें। इसके अलावा उन्हें श्वेत वस्त्रों तथा घी, पंचामृत इत्यादि (Maa Brahmacharini Bhog) चढ़ाएं।

माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व (Goddess Brahmacharini Importance In Hindi)

जिन मनुष्यों का स्वाधिष्ठान चक्र कमजोर होता है उन्हें माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करने का अत्यंत लाभ प्राप्त होता है। स्वाधिष्ठान चक्र के कमजोर होने से हमारा तात्पर्य आपके अंदर विश्वास की कमी का होना, किसी अनहोनी की आशंका का सताते रहना तथा अत्यधिक कामुकता से हैं।

यदि आप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करेंगे तो आपके अंदर तप व ध्यान की शक्ति का जागरण होगा तथा आप अपने मन को नियंत्रित करना सीख पाएंगे। साथ ही आत्म-विश्वास में बढ़ोत्तरी होगी जिससे आपका मनोबल बढ़ेगा।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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