आज हम शीतला माता की आरती (Shitala Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। माँ आदिशक्ति के कई रूप हैं जो उनके विभिन्न गुणों का वर्णन करते हैं। इसी में एक प्रसिद्ध रूप है माता शीतला का। एक ऐसा रोग है जो बच्चों में हो ही जाता है या फिर यूँ कहें कि यह रोग हर व्यक्ति को अपने जीवन में एक बार होता ही है। इसे चेचक रोग या छोटी माता निकलना कहा जाता है जिसमे हमारे शरीर पर छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं।
इस रोग का शीतला माता ही इसका निवारण कर सकती हैं जिसके लिए हमें शीतला माता आरती (Sheetla Mata Aarti) का पाठ करना होता है। आज हम आपके साथ शीतला आरती हिंदी में भी साझा करेंगे ताकि आप इसका संपूर्ण अर्थ व महत्व जान सकें। यदि शीतला आरती को अर्थ सहित पढ़ लिया जाए तो यह बहुत लाभकारी होता है। अंत में हम आपको शीतला आरती पढ़ने के फायदे भी बताएँगे। तो आइए पढ़ते हैं शीतला माता की आरती।
Shitala Mata Ki Aarti | शीतला माता की आरती
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भाता।
ऋद्धि-सिद्धि मिल चँवर डोलावें, जगमग छवि छाता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता।
वेद पुराण वरणत, पार नहीं पाता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
इन्द्र मृदंग बजावत, चन्द्र वीणा हाथा।
सूरज ताल बजावै, नारद मुनि गाता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
घण्टा शंख शहनाई बाजै मन भाता।
करै भक्त जन आरती, लखि लखि हर्षाता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
ब्रह्म रूप वरदानी, तुही तीन काल ज्ञाता।
भक्तन को सुख देती, मातु पिता भ्राता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
जो जन ध्यान लगावे, प्रेम शक्ति पाता।
सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
रोगों से जो पीड़ित कोई, शरण तेरी आता।
कोढ़ी पावे निर्मल काया, अन्ध नेत्र पाता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
बांझ पुत्र को पावे, दारिद्र कट जाता।
ताको भजै जो नाहीं, सिर धुनि पछताता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
शीतल करती जन की, तू ही है जग त्राता।
उत्पत्ति बाला बिनाशन, तू सब की माता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
दास नारायण कर जोरी माता।
भक्ति आपनी दीजैं, और न कुछ माता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता॥
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
Sheetla Mata Aarti | शीतला माता आरती – अर्थ सहित
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता॥
हे शीतला माता!! आपकी जय हो। हे हम सभी की माता शीतला!! आपकी जय हो। आप ही माँ आदिशक्ति हो और हमें हर तरह का सुख प्रदान करती हो।
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भाता।
ऋद्धि-सिद्धि मिल चँवर डोलावें, जगमग छवि छाता॥
आपका सिंहासन रत्नों से जड़ित है और उस पर सफेद रंग का छत्र लगा हुआ है जो आपको अच्छा लगता है। रिद्धि व सिद्धि मिलकर आपको चंवर कर रहे हैं और आपकी छवि ही इस जगत को रोशनी प्रदान करती है।
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता।
वेद पुराण वरणत, पार नहीं पाता॥
भगवान विष्णु आपके सेवक हैं तो वहीं भगवान शिव भी आपका ही ध्यान करते हैं। सभी वेद व पुराण मिलकर भी आपको पार नहीं पा सकते हैं।
इन्द्र मृदंग बजावत, चन्द्र वीणा हाथा।
सूरज ताल बजावै, नारद मुनि गाता॥
आपकी सेवा में देव इंद्र मृदंग बजा रहे हैं और चंद्रमा ने अपने हाथों में वीणा पकड़ी हुई है। सूरज देव ताल बजा रहे हैं और उसकी धुन पर नारद मुनि गा रहे हैं।
घण्टा शंख शहनाई बाजै मन भाता।
करै भक्त जन आरती, लखि लखि हर्षाता॥
आपकी पूजा में घंटा, शंख व शहनाई बज रही है जो हर किसी का मन मोह लेती है। हम सभी भक्तजन आपकी ही आरती करते हैं जिससे हमारे मन को सुख प्राप्त होता है।
ब्रह्म रूप वरदानी, तुही तीन काल ज्ञाता।
भक्तन को सुख देती, मातु पिता भ्राता॥
आप ही ब्रह्म रूप है जिससे यह ब्रह्मांड है। आप तीनों कालों की स्वामिनी हो।आप ही अपने भक्तों को माता, पिता व भाई के रूप में सभी तरह का सुख प्रदान करती हो।
जो जन ध्यान लगावे, प्रेम शक्ति पाता।
सकल मनोरथ पावे, भवनिधि तर जाता॥
जो कोई भी माता शीतला का ध्यान लगाता है, उसे प्रेम रूप में शक्ति मिलती है। उसके सभी काम बन जाते हैं और इच्छाएं पूर्ण हो जाती है। इसके साथ ही वह भाव सागर को भी पार कर लेता है तथा मोक्ष प्राप्त करता है।
रोगों से जो पीड़ित कोई, शरण तेरी आता।
कोढ़ी पावे निर्मल काया, अन्ध नेत्र पाता॥
जिस किसी व्यक्ति को तरह-तरह के रोग सता रहे हैं और वह यदि आपकी शरण में आता है तो उसके रोग दूर हो जाते हैं। कूबड़ व्यक्ति का शरीर ठीक हो जाता है तो वहीं अंधे व्यक्ति को रोशनी मिलती है।
बांझ पुत्र को पावे, दारिद्र कट जाता।
ताको भजै जो नाहीं, सिर धुनि पछताता॥
बाँझ स्त्री को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। मनुष्य गरीब से अमीर हो जाता है। जो मनुष्य आपकी पूजा नहीं करता है, उसे इसका बहुत पछतावा होता है और वह कई तरह के दुखों का भागी बनता है।
शीतल करती जन की, तू ही है जग त्राता।
उत्पत्ति बाला बिनाशन, तू सब की माता॥
आप ही हमारे मन व शरीर को शीतल करने का काम करती हैं और इस जगत के दुखों को दूर करती हैं। आप ही सभी के कष्टों को दूर कर माँ के रूप में हमारा ध्यान रखती हैं।
दास नारायण कर जोरी माता।
भक्ति आपनी दीजैं, और न कुछ माता॥
यह नारायण आपका सेवक, आपके सामने हाथ जोड़ कर विनती करता है कि अब आप इस भक्त पर कृपा कीजिये और इसे अपनी भक्ति प्रदान कीजिये। इसके अलावा हमें और कुछ भी नहीं चाहिए।
शीतला माता आरती का महत्व
शीतला माता की आरती के माध्यम से हमें माता शीतला के बारे में बहुत कुछ पता चलता है। ऊपर आपने माता शीतला की आरती पढ़ी और साथ ही उसका अर्थ भी जाना। इससे आपको माता शीतला के गुणों, महत्व व उनके कार्यों बारे में ज्ञान हुआ। यही शीतला माता आरती का महत्व होता है जो हम सभी के लिए जानना जरुरी है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो शीतला आरती माता शीतला के बारे में शुरू से लेकर अंत तक सब कुछ बता देती है।
इसलिए यदि आप शीतला जी की आरती का पाठ कर रहे हैं या उसे सुन रहे हैं तो इससे शीतला माता के महत्व का ज्ञान होता है। माता शीतला को चेचक की माता भी कहा जाता है। ऐसे में जब कभी भी किसी को चेचक रोग हो जाता है और उसके शरीर पर छोटे-छोटे दाने होने लग जाते हैं तो हम उसे छोटी माता का निकलना भी कह देते हैं। यह रोग मनुष्य को जीवन में एक ना एक बार होता ही है और उसे दूर करने के लिए माता शीतला आरती का ही पाठ करना चाहिए।
शीतला माता की आरती के फायदे
साथ के साथ आपको यह भी जान लेना चाहिए कि शीतला माँ की आरती पढ़ने से हमें क्या कुछ लाभ मिलता है। तो यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि शीतला माता के प्रकोप से ही किसी व्यक्ति या बच्चे को चेचक का रोग होता है और इसे शांत करने के लिए शीतला माता का प्रसन्न होना बहुत जरुरी होता है। शीतला माता की कथा भी इसी से ही जुड़ी हुई है और तब शीतला माता को ठंडे भोजन का भोग लगाया गया था जिस कारण वे शांत हुई थी।
ऐसे में यदि किसी को चेचक रोग हो गया है तो उसे ना केवल शीतला माता की आरती का पाठ करना चाहिए बल्कि साथ के साथ शीतला माता को बासी या ठंडे भोजन का भोग लगाना चाहिए ताकि वे जल्दी से जल्दी शांत हो जाए। यदि शीतला माता आरती का निरंतर पाठ किया जाए तो व्यक्ति चेचक रोग से जल्दी मुक्त हो जाता है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने शीतला माता की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Shitala Mata Ki Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने शीतला माता आरती के फायदे और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
शीतला माता की आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: शीतला माता का मंत्र क्या है?
उत्तर: शीतला माता का मंत्र “ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः” है।
प्रश्न: शीतला की पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर: माता शीतला की पूजा करने के लिए शीतला चालीसा आरती का पाठ करना चाहिए और साथ ही उन्हें ठंडे व बासी भोजन का भोग लगाना चाहिए।
प्रश्न: शीतला माता को खुश कैसे करें?
उत्तर: शीतला माता को खुश करने के लिए आपको सच्चे मन से माँ शीतला चालीसा व आरती का पाठ करना चाहिए।
प्रश्न: शीतला माता को कौन सा रंग पसंद है?
उत्तर: शीतला माता को नारंगी, संतरी व लाल रंग पसंद है।
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