नटवर जी कान्हा का ही एक रूप (Shri Natwar Ji Ki Aarti) हैं या यूँ कहें कि श्री कृष्ण के सैकड़ों नामो में से एक नाम नटवर भी है। श्री कृष्ण के इसी रूप को समर्पित आरती कीजे श्री नटवर जी की बहुत प्रसिद्ध है। इसलिए आज हम आपको सर्वप्रथम श्री नटवर जी की आरती लिखित में देंगे।
तत्पश्चात इस श्री कृष्ण भगवान की आरती (Shri Krishna Bhagwan Ki Aarti) का हिंदी अनुवाद आपके लिए किया जाएगा। अंत में हम आपको इस आरती को पढ़ने से मिलने वाले फायदे और उसके महत्व के बारे में भी बताएँगे। तो आइए सबसे पहले पढ़ते हैं श्रीकृष्ण भगवान की नटवर आरती।
Shri Natwar Ji Ki Aarti | श्री नटवर जी की आरती
आरती कीजै श्री नटवर जी की।
गोवर्धन धर वंशीधर की॥
नंद सुवन जसुमति के लाला,
गोधन गोपी प्रिय गोपाला,
देवप्रिय असुरन के काला,
मोहन विश्वविमोहन वर की॥
आरती कीजे श्री नटवर जी की…
जय वासुदेव देवकी नंदन,
कालयवन कंसादि निकंदन,
जगदाधार अजय जगवंदन,
नित्य नवीन परम सुंदर की॥
आरती कीजै श्री नटवर जी की…
अकल कलाधर सकल विश्वधर,
विश्वम्भर कामद करुणाकर,
अजर, अमर, मायिक, मायाहर,
निर्गुण चिन्मय गुणमंदिर की॥
आरती कीजे श्री नटवर जी की…
पांडव पूत परीक्षित रक्षक,
अतुलित अहि अघ मूषक भक्षक,
जगमय जगत निरीह निरीक्षक,
ब्रह्म परात्पर परमेश्वर की॥
आरती कीजै श्री नटवर जी की…
नित्य सत्य गोलोक विहारी,
अजाव्यक्त लीलावपुधारी,
लीलामय लीलाविस्तारी,
मधुर मनोहर राधावर की॥
आरती कीजे श्री नटवर जी की॥
Shri Krishna Bhagwan Ki Aarti | श्री कृष्ण भगवान की आरती अर्थ सहित
आरती कीजै श्री नटवर जी की।
गोवर्धन धर वंशीधर की॥
हम सभी नटवर जी की आरती करते हैं। वही नटवर जी जिन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था तथा जिनके हाथों में बांसुरी रहती है।
नंद सुवन जसुमति के लाला,
गोधन गोपी प्रिय गोपाला,
देवप्रिय असुरन के काला,
मोहन विश्वविमोहन वर की॥
नंद बाबा व यशोदा माता के पुत्र, गाय माता के रक्षक और उनके प्रिय, सभी देवताओं के प्रिय और असुरों का नाश करने वाले, सभी के मन को मोह लेने वाले और विश्व को अपनी सुंदरता में मोहित कर देने वाले नटवर लाल की जय हो।
जय वासुदेव देवकी नंदन,
कालयवन कंसादि निकंदन,
जगदाधार अजय जगवंदन,
नित्य नवीन परम सुंदर की॥
वासुदेव और देवकी के नंद लाल, कालयवन व कंस इत्यादि राक्षसों का नाश करने वाले, जगत के आधार, हमेशा विजयी रहने वाले, संपूर्ण जगत में वंदनीय, सभी में सबसे सुंदर नटवर लाल की जय हो।
अकल कलाधर सकल विश्वधर,
विश्वम्भर कामद करुणाकर,
अजर, अमर, मायिक, मायाहर,
निर्गुण चिन्मय गुणमंदिर की॥
सभी कलाओं में निपुण, विश्व का उद्धार करने वाले, विश्व का कल्याण करने वाले और सभी के ऊपर करुणा की दृष्टि रखने वाले, जिनका कोई अंत नही, कोई शुरुआत नही, माया को हरने वाले, सभी गुणों से रहित श्रीकृष्ण की जय हो।
पांडव पूत परीक्षित रक्षक,
अतुलित अहि अघ मूषक भक्षक,
जगमय जगत निरीह निरीक्षक,
ब्रह्म परात्पर परमेश्वर की॥
पांडवों के पुत्र परीक्षित की रक्षा करने वाले, जिनकी तुलना ना की जा सके और असुरों के भक्षक, जगत का हमेशा निरिक्षण करने वाले और दुष्टों का नाश करने वाले, ऐसे परम ब्रह्म भगवान श्री कृष्ण की जय हो।
नित्य सत्य गोलोक विहारी,
अजाव्यक्त लीलावपुधारी,
लीलामय लीलाविस्तारी,
मधुर मनोहर राधावर की॥
सदैव सत्य के पथ पर चलने वाले, गोलोक में विचरण करने वाले, लीलाओं को धारण किये हुए, अपनी लीला को संपूर्ण जगत में फैलाते हुए, सुंदर व मोहक रूप वाले व राधा के स्वामी श्री कृष्ण जी की जय हो।
इस तरह से आज आपने श्री कृष्ण भगवान की आरती (Shri Krishna Bhagwan Ki Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ ली है। अब हम कृष्ण आरती पढ़ने से मिलने वाले लाभ और उसके महत्व को भी जान लेते हैं।
श्री कृष्ण भगवान की आरती का महत्व
श्री कृष्ण भगवान जी की आरती के माध्यम से हमें श्रीकृष्ण के गुणों, शक्तियों, महिमा, महत्व इत्यादि के बारे में जानकारी मिलती है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का एक ऐसा पूर्ण अवतार है जो सभी गुणों से संपन्न है। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में एक नहीं बल्कि कई उद्देश्यों को पूरा किया है। अपने कर्मों के द्वारा उन्होंने हमें कई तरह की शिक्षा भी दी है।
श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में ही कलियुग के अंत तक की शिक्षा दे दी थी। जैसे-जैसे कलियुग का समयकाल आगे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे ही श्रीकृष्ण भी अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण के बारे में और अधिक जानने और उनके गुणों को आत्मसात करने के उद्देश्य से ही श्री कृष्ण जी की आरती का पाठ किया जाता है। यहीं श्री कृष्ण भगवान की आरती का महत्व है।
श्री कृष्ण भगवान की आरती पढ़ने के लाभ
यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ श्री कृष्ण भगवान जी की आरती का पाठ करते हैं तो इससे श्रीकृष्ण आपसे प्रसन्न होते हैं। श्रीकृष्ण के प्रसन्न होने का अर्थ हुआ, आपकी सभी तरह की दुविधाओं, संकटों, कष्टों, परेशानियों, विघ्नों, दुविधाओं, उलझनों, मतभेदों, समस्याओं, नकारात्मकता, द्वेष, ईर्ष्या, इत्यादि का अंत हो जाना।
श्रीकृष्ण की कृपा से हमारा जीवन सरल हो जाता है, घर में सुख-शांति का वास होता है, व्यापार, करियर व नौकरी में उन्नति होती है, शिक्षा में अव्वलता आती है, स्वास्थ्य उत्तम होता है, रिश्ते मधुर बनते हैं और समाज में प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है। इसलिए आपको शुद्ध तन, निर्मल मन और स्वच्छ स्थान पर श्री कृष्ण भगवान की आरती का पाठ करना चाहिए।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने श्री नटवर जी की आरती (Shri Natwar Ji Ki Aarti) को अर्थ सहित पढ़ लिया है। आशा है कि आपको धर्मयात्रा संस्था के द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। हमारी और से आप सभी को जय श्रीकृष्ण।
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