सूर्य आरती इन हिंदी – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Surya Dev Ki Aarti

आज हम सूर्य आरती (Surya Aarti) का पाठ करेंगे। सभी देवताओं के राजा इंद्र देव को माना जाता है। एक तरह से स्वर्ग लोक में सभी देवता निवास करते हैं और वहाँ के राजा इंद्र देव होते हैं। वही देवता से ऊपर स्थान त्रिदेव व माँ आदिशक्ति का होता है। किंतु यदि हम पृथ्वी लोक के बारे में बात करे तो पृथ्वीवासियों के लिए सबसे बड़े देवता इंद्र नहीं बल्कि सूर्य देव होते हैं।

वह इसलिए क्योंकि पृथ्वी का अस्तित्व सूर्य देव के कारण ही है और हमारा अस्तित्व पृथ्वी के कारण है। इसलिए जब ईश्वर भी मानव अवतार लेकर इस पृथ्वी पर जन्म लेते हैं तो वे सूर्य देव की उपासना करते हैं। ऐसे में आज हम सूर्य आरती इन हिंदी में (Surya Aarti In Hindi) अर्थ सहित भी पढ़ेंगे।

लेख की शुरुआत सूर्य वंदना से होगी। फिर सूर्य आरती दी जाएगी। तत्पश्चात सूर्य आरती का अर्थ बताया जाएगा। अंत में हम आपको सूर्य आरती के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी बताएँगे। आइए सबसे पहले करते आरती सूर्य देव की।

Surya Aarti | सूर्य आरती

॥ सूर्य वंदना ॥

नमो नमस्ते अस्तु सदा विभावसो,
सर्वात्मने सप्तहयाय भानवे।
अनन्त शक्तिर्मणि भूषणेन,
वदस्व भक्तिं मम मुक्ति मव्ययाम॥

॥ सूर्य आरती ॥

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान॥

ॐ जय सूर्य भगवान…॥

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी।
तुम चार भुजाधारी॥

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे
तुम हो देव महान॥

ॐ जय सूर्य भगवान…॥

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते।
सब तब दर्शन पाते॥

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा।
करे सब तब गुणगान॥

ॐ जय सूर्य भगवान…॥

संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते।
गोधन तब घर आते॥

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में।
हो तव महिमा गान॥

ॐ जय सूर्य भगवान…॥

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते।
आदित्य हृदय जपते॥

स्तोत्र यह मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी।
दे नव जीवनदान॥

ॐ जय सूर्य भगवान…॥

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार।
महिमा तब अपरम्पार॥

प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते।
बल, बुद्धि और ज्ञान॥

ॐ जय सूर्य भगवान…॥

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने।
तुम ही सर्वशक्तिमान॥

ॐ जय सूर्य भगवान…॥

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल।
तुम भुवनों के प्रतिपाल॥

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी।
शुभकारी अंशुमान॥

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान॥

Surya Aarti In Hindi | सूर्य आरती इन हिंदी

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान॥

सूर्य भगवान की जय हो, दिनकर भगवान की जय हो। आप ही इस जगत की आँखें हैं अर्थात आपके कारण ही हम देख पाते हैं। आप तीनों गुणों से संपन्न हैं। संपूर्ण धरती आपका ही ध्यान करती है। हे सूर्य भगवान!! आपकी जय हो।

सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी।
तुम चार भुजाधारी॥

अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे।
तुम हो देव महान॥

प्रभु!! आपके रथ के सारथी अरुण देव हैं और आप श्वेत रंग का कमल धारण किये हुए रहते हो। आपकी चार भुजाएं हैं। आपके रथ को सात घोड़े खींच रहे हैं और आप अपने तेज से करोड़ों किरणों को फैला रहे हैं। आप सभी देवों में महान हैं।

ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते।
सब तब दर्शन पाते॥

फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा।
करे सब तब गुणगान॥

प्रातःकाल के समय जब आप अपने रथ पर सवार होकर आते हैं तब हम सभी को आपके दर्शन हो पाते हैं। आपके प्रकाश से ही संपूर्ण पृथ्वी पर अंधकार नष्ट होकर उजाला फैलता है और सभी मनुष्य नींद से जाग जाते हैं। इसी कारण सभी आपका गुणगान करते हैं।

संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते।
गोधन तब घर आते॥

गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में।
हो तव महिमा गान॥

संध्या के समय आप पुनः अपने धाम में चले जाते हैं और आपको जाता देखकर सभी मनुष्य अपना काम समाप्त कर अपने घरों को लौट जाते हैं। गोधूलि के समय में अर्थात सूर्य ढलने के समय में विश्व के हर घर के हर आँगन में आपकी ही महिमा का गुणगान किया जाता है।

देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते।
आदित्य हृदय जपते॥

स्तोत्र यह मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी।
दे नव जीवनदान॥

देवता, असुर, पुरुष, महिला व ऋषि-मुनि सभी आपके ही भजन करते हैं और आपका नाम हृदय से लेते हैं। यह स्तोत्र अत्यंत मंगलकारी व अद्भुत है और यह हम सभी को एक नया जीवन प्रदान करता है।

तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार।
महिमा तब अपरम्पार॥

प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते।
बल, बुद्धि और ज्ञान॥

सूर्य भगवान ही तीनों काल (भूतकाल, वर्तमान काल व भविष्यकाल) के रचियता हैं और वही इस पृथ्वी के आधार हैं अर्थात उन्हीं के कारण इस पृथ्वी का अस्तित्व है। सूर्य देव की महिमा सभी से अपरंपार है। आप हम सभी के प्राणदाता हो और आप ही अपने भक्तों को बल, बुद्धि व ज्ञान देते हैं।

भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥

वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने।
तुम ही सर्वशक्तिमान॥

पृथ्वी, जल व वायु में रहने वाले सभी जीव-जंतुओं, मनुष्यों व अन्य सजीव जीवों के प्राणदाता सूर्य देव ही हैं। वे ही सभी जीवों के प्राण हैं। आपके बारे में तो वेदों व पुराणों में भी लिखा गया है कि आप ही सबसे शक्तिमान हैं।

पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल।
तुम भुवनों के प्रतिपाल॥

ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी।
शुभकारी अंशुमान॥

सभी दिशाएं व दस दिक्पाल आप ही की पूजा करते हैं और आप ही सभी भुवनों के रक्षक हैं। ऋतुएं आप ही के कारण आती व जाती हैं। आप सदैव रहने वाले हैं और कभी नष्ट नही किये जा सकते हैं। आप शुभ फल देने वाले हैं और आपका अंश हर प्राणी में व्याप्त है।

इस तरह से आज आपने सूर्य आरती (Aarti Surya Dev Ki) को हिंदी में अर्थ सहित पढ़ लिया है। अब हम सूर्य आरती पढ़ने के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लेते हैं।

सूर्य आरती का महत्व

यदि हम सूर्य आरती के अर्थ को समझकर उसके भावार्थ को समझेंगे तो पाएंगे कि पृथ्वी के लिए सबसे बड़े देवता सूर्य देव ही हैं। हालाँकि इंद्र देव को सबसे महान बताया गया है लेकिन वे स्वर्ग लोक में सभी देवताओं के राजा हैं किंतु यदि पृथ्वी की बात की जाए तो पृथ्वी के लिए सबसे महान देवता सूर्य देव को माना गया है।

यही कारण है कि जब भगवान विष्णु ने मानव रूप में श्रीराम व श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया तो वे भी सूर्य देव के उपासक रहे किंतु विष्णु भगवान ने कभी सूर्य देव की आराधना नही की। ऐसा इसलिए क्योंकि ईश्वर सर्वोच्च है व उनके सामने सभी देव तुच्छ हैं। यहाँ तक कि आप कभी भी इंद्र देव को भी सूर्य की उपासना करते हुए नही देखेंगे किंतु वही ईश्वर या देवता मानव रूप में जन्म लेते हैं तो उनके लिए सूर्य देव आराध्य बन जाते हैं।

बस सूर्य भगवान की इसी महत्ता का बखान सूर्यदेव आरती के माध्यम से हमें बताया गया है। सूर्य देव के कारण ही इस पृथ्वी का अस्तित्व है और पृथ्वी के अस्तित्व के कारण ही हम सभी का अस्तित्व है। जिस दिन सूर्य का अंत समय आएगा उस दिन पृथ्वी भी नही बचेगी। इन्हीं कुछ कारणों से सूर्य देव आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

सूर्य आरती के लाभ

यदि आप सच्चे मन के साथ सूर्य आरती का पाठ (Aarti Surya Dev Ki) करते हैं तो इससे कई लाभ देखने को मिलते हैं। सूर्य देव के कारण ही हमें अन्न व जल की प्राप्ति होती है। ऐसे में आपके घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। सूर्य देव की कृपा से आपके शरीर के सभी विकार भी दूर हो जाते हैं।

सूर्य आरती के निरंतर पाठ से आपकी आध्यात्मिक व मानसिक चेतना में वृद्धि देखने को मिलती है। यदि आपको कोई असाध्य रोग है तो वह भी सूर्य देव के प्रभाव से दूर हो जाता है। वही कुंडली में किसी भी प्रकार के दोष को दूर करने के लिए भी सूर्य आरती का पाठ किया जाता है। यहीं सब सूर्य आरती के लाभ होते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने सूर्य आरती (Surya Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने सूर्य आरती के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी जान लिया है। आशा है कि आपको धर्मयात्रा के द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं या इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपको प्रत्युत्तर देंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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