आज हम आपको नमो नमो तुलसी महारानी चालीसा (Tulsi Chalisa) देंगे। वैसे तो तुलसी माता की दो चालीसा है लेकिन उनकी नमो नमो तुलसी महारानी जगत प्रसिद्ध है। हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे को पवित्र व पूजनीय माना गया है। तुलसी को केवल पौधा नहीं अपितु उसे हमारी माता के समान दर्जा दिया गया है। तुलसी माता की कथा वृंदा व भगवान विष्णु से जुड़ी हुई है और इसी कारण भगवान विष्णु की हर पूजा में तुलसी मुख्य रूप से चढ़ाई जाती है।
आज के इस लेख में आपको तुलसी चालीसा इन हिंदी में अर्थ सहित (Tulsi Chalisa In Hindi) भी पढ़ने को मिलेगी। इससे आप तुलसी चालीसा का महत्व समझ पाएंगे। इतना ही नहीं, आज हम आपको तुलसी चालीसा PDF फाइल और इमेज भी देंगे। लेख के अंत में तुलसी चालीसा पढ़ने के लाभ और महत्व के बारे में भी बताया जाएगा। तो आइए सबसे पहले करते हैं तुलसी माता की चालीसा का पाठ।
Tulsi Chalisa | नमो नमो तुलसी महारानी चालीसा
॥ दोहा ॥
श्री तुलसी महारानी,
करूँ विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट,
दीजै मात नशाय॥
॥ चौपाई ॥
नमो नमो तुलसी महारानी,
महिमा अमित न जाए बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना,
जग में छायो सुयश महाना।
विष्णुप्रिया जय जयति भवानि,
तिहूं लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई,
बिना तुम्हारे सफल न होई।
जिन घर तव नहिं होय निवासा,
उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन,
तेहिके काज होय सब पूरन।
कातिक मास महात्म तुम्हारा,
ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी,
पावै सुन्दर वर सुकुमारी।
कर जो पूजा नितप्रति नारी,
सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन,
मिले भक्ति होवै पुलकित मन।
श्रद्धा से पूजै जो कोई,
भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै,
तुम बिन नहीं सफलता पावै।
छायो तब प्रताप जगभारी,
ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन में,
सकल काज सिधि होवै क्षण में।
औषधि रूप आप हो माता,
सब जग में तव यश विख्याता।
देव रिषी मुनि औ तपधारी,
करत सदा तव जय जयकारी।
वेद पुरानन तव यश गाया,
महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि,
नमो नमो जै दुखनिवारनि।
नमो नमो सुखसम्पति देनी,
नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी,
नमो नमो दुष्टन मद छेनी।
नमो नमो भव पार उतारनि,
नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि,
नमो नमो जनकाज संवारनि।
नमो नमो जय कुमति नशावनि,
नमो नमो सब सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई,
ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।
निजजन जानि मोहि अपनाओ,
बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी,
पूरण आशा करहु हमारी।
शरण चरण कर जोरि मनाऊँ,
निशदिन तेरे ही गुण गाऊँ।
करहु मात यह अब मोपर दाया,
निर्मल होय सकल ममकाया।
मांगू मात यह बर दीजै,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जानूं नहिं कुछ नेम अचारा,
छमहु मात अपराध हमारा।
बारह मास करै जो पूजा,
ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे,
फिर सुन्दर स्नान करावे।
चन्दन अक्षत पुष्प चढ़ावे,
धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से,
ध्यान करे हृदय निर्मल से।
पाठ करे फिर चालीसा की,
अस्तुति करे मात तुलसी की।
यह विधि पूजा करे हमेशा,
ताके तन नहिं रहै क्लेशा।
करै मास कार्तिक का साधन,
सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई,
पढ़ै सुने सो भव तर जाई।
॥ दोहा ॥
यह श्री तुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय॥
Tulsi Chalisa In Hindi | तुलसी चालीसा इन हिंदी
॥ दोहा ॥
श्री तुलसी महारानी, करूँ विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय॥
हे तुलसी माता!! मैं सिर झुकाकर आपसे विनती करता हूँ कि यदि मेरे ऊपर कोई संकट या विपदा है तो आप उसको दूर कर दीजिये।
॥ चौपाई ॥
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाए बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।
विष्णुप्रिया जय जयति भवानि, तिहूं लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।
हे तुलसी महारानी!! आपको मेरा नमन है। आपकी महिमा का वर्णन नहीं किया जा सकता है। स्वयं भगवान विष्णु ने आपके मान को बढ़ाया है जिसके कारण आपका यश संपूर्ण विश्व में फैल गया है। आप ही भगवान विष्णु को प्रिय हो और आप ही तीनों लोकों में सुखों की खान हो। जो कोई भी भगवान विष्णु की पूजा करता है, वह आपके बिना संपन्न नहीं हो सकती है।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।
जिस घर में तुलसी का निवास नहीं होता है, वहां भगवान विष्णु भी नहीं बसते हैं। जो कोई भी तुलसी माता का प्रतिदिन ध्यान करता है, उसके सभी काम अपने आप बन जाते हैं। कार्तिक मास आपका ही है जब संपूर्ण विश्व आपकी आराधना करता है। उस समय यदि कोई कुंवारी स्त्री आपकी पूजा कर लेती है तो उसे एक सुन्दर वर की प्राप्ति होती है।
कर जो पूजा नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।
यदि कोई विवाहित नारी आपकी पूजा करती है तो उसके घर में सुख व संपदा आती है तथा उसके पति का काम अच्छा चलता है। यदि कोई वृद्ध नारी आपकी पूजा करती है तो उसे आपकी कृपा से भक्ति मिलती है तथा उसका मन आनंदित होता है। जो कोई भी श्रद्धा भाव से तुलसी माता की चालीसा गाता है, उसे मुक्ति मिल जाती है और वह भाव सागर को पार कर लेता है। भागवत कथा भी आपके बिना सफल नहीं हो सकती है।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन में, सकल काज सिधि होवै क्षण में।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता।
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।
जो कोई भी सच्चे मन से आपका ध्यान करता है, उसका यश संपूर्ण जगत में फैल जाता है। आप ही यंत्र व तंत्र की माता हैं और आपके कारण ही इस जगत में सब काम बनते हैं। आपका उपयोग कई रोगों की औषधि के रूप में भी किया जाता है जिसे संपूर्ण जगत जानता है। देवता, ऋषि, मुनि व तपस्वी लोग सभी आपका ही ध्यान करते हैं और आपकी जय-जयकार करते हैं।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।
वेदों और पुराणों में भी आपके यश का बखान किया गया है और वे भी आपकी महिमा को पार नहीं सके हैं। हम सभी को सुख प्रदान करने वाली, दुखों को दूर करने वाली, सुख-संपत्ति देने वाली, कष्टों का नाश करने वाली, भक्तों के दुःख हरने वाली तथा दुष्टों का नाश करने वाली तुलसी माता!! हम सभी का आपको नमन है।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सब सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।
हमें भव सागर पार करवाने वाली, परलोक में सुधार लाने वाली, भक्तों को मोक्ष देने वाली, हमारे काम सही करने वाली, अज्ञानता का नाश करने वाली तथा हम सभी को सुख ही सुख देने वाली तुलसी माता!! आपको हम सभी का नमन है। हे तुलसी माता!! आपकी जय हो, जय हो। हम सभी अपना शीश झुकाकर आपका ध्यान करते हैं।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।
शरण चरण कर जोरि मनाऊँ, निशदिन तेरे ही गुण गाऊँ।
करहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।
हे तुलसी माता! हमें अपना मान कर अपना लीजिये और हमारे सभी बिगड़े हुए काम बना दीजिये। मैं आपके सामने विनती करता हूँ कि आप हमारी आशाओं को पूरा कीजिये। मैं आपके चरणों का ध्यान कर आपको मनाता हूँ और दिन-रात आपका ही ध्यान करता हूँ। अब आप मुझ पर दया कीजिये और मेरे शरीर को निर्मल बना दीजिये।
मांगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जानूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।
बारह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
मैं आपसे यही वरदान मांगता हूँ कि आप मेरी सभी मनोकामनाओं को पूरा कर दीजिये। मैं तो अज्ञानी हूँ और आप मेरे अपराधों को क्षमा कर दीजिये। जो कोई भी बारह महीने तुलसी माता की पूजा करता है, उसके जैसा इस जगत में कोई दूसरा नहीं होता है।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।
चन्दन अक्षत पुष्प चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसी की।
सबसे पहले गंगा जल लेकर आपको स्नान करवाना चाहिए। उसके बाद आपको चंदन, अक्षत व पुष्प चढ़ाने चाहिए। इसके साथ ही आपके सामने धूप व दीपक जलाना चाहिए और नैवेद्य का भोग लगाना चाहिये। गंगाजल से आचमन कर अर्थात अपनी शुद्धि कर, हमें निर्मल हृदय से माता तुलसी का ध्यान करना चाहिए। इसके पश्चात तुलसी चालीसा का पाठ करना चाहिए।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़ै सुने सो भव तर जाई।
जो कोई भी इस विधि के साथ तुलसी माता की चालीसा का पाठ कर लेता है, उसके सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं। कार्तिक के महीने में यदि हम प्रतिदिन तुलसी चालीसा का पाठ करते हैं और इसे सुनते हैं तो हम भव सागर को पार कर जाते हैं और मोक्ष को प्राप्त करते हैं।
॥ दोहा ॥
यह श्री तुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय॥
जो कोई भी भक्तगण इस तुलसी चालीसा का पाठ करता है, उसे श्री हरि की कृपा से सभी सुखों की प्राप्ति होती है और उसकी प्रत्येक इच्छा पूर्ण हो जाती है।
तुलसी चालीसा इमेज
यह रही तुलसी चालीसा की इमेज:
यदि आप मोबाइल में इसे देख रहे हैं तो इमेज पर क्लिक करके रखिए। उसके बाद आपको इमेज डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा। वहीं यदि आप लैपटॉप या कंप्यूटर में इसे देख रहे हैं तो इमेज पर राईट क्लिक करें। इससे आपको इमेज डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा।
तुलसी चालीसा PDF | Tulsi Chalisa PDF
अब हम Tulsi Chalisa PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: तुलसी चालीसा PDF
ऊपर आपको लाल रंग में तुलसी चालीसा PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
तुलसी माता की चालीसा का महत्व
ऊपर आपने माता तुलसी की चालीसा पढ़ ली और वो भी दो-दो। इसी के साथ ही आपने दोनों तरह की ही तुलसी चालीसा का अर्थ भी जान लिया है। इसे पढ़कर आपको तुलसी माता की चालीसा के महत्व का ज्ञान तो हो ही गया होगा, फिर भी हम इसे विस्तृत रूप दे देते हैं। दरअसल तुलसी जी की चालीसा के माध्यम से माँ वृंदा के कर्मों, भक्ति व गुणों के बारे में बताया गया है।
साथ ही यह भी बताया गया है कि किस प्रकार राक्षस कुल में जन्म लेने और राक्षस से ही विवाह करने के पश्चात भी एक स्त्री विष्णु भक्ति से अपने आप को इतिहास में अमर करवा सकती है। भक्त के सामने तो स्वयं भगवान भी हार मान जाते हैं और यही कारण है कि भगवान विष्णु की कोई भी पूजा बिना तुलसी के अधूरी मानी जाती है। इसी के साथ ही भगवान विष्णु के जितने भी रूप हैं, उनकी पूजा में भी तुलसी माता का अत्यधिक महत्व होता है। यही तुलसी चालीसा का महत्व होता है।
तुलसी चालीसा पढ़ने के लाभ
अब यदि आप तुलसी चालीसा को पढ़कर उससे मिलने वाले लाभों के बारे में जानना चाहते हैं तो वह भी हम आपको बता देते हैं। तुलसी चालीसा को पढ़ने से जो सबसे प्रमुख लाभ हम सभी को मिलता है वह है हमारे हृदय का शीतल हो जाना व मन में शांति का अनुभव होना। यह तो हम सभी जानते हैं कि तुलसी भगवान विष्णु को कितनी प्रिय हैं और उसी परमात्मा का अंश हमारे अंदर आत्मा रूप में निवास करता है।
ऐसे में यदि हम प्रतिदिन तुलसी चालीसा का पाठ करते हैं तो उससे हमारे मन व मस्तिष्क में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिलते हैं। यदि हमारे मन में किसी बात को लेकर उहापोह चल रही थी तो वह समाप्त हो जाती है और तनाव दूर होता है। इसी के साथ ही माँ तुलसी के साथ ही भगवान विष्णु भी हमसे प्रसन्न होते हैं और हमारी सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। तुलसी चालीसा के पाठ से हम अपने घर में भी सुख-समृद्धि ला सकते हैं और अशांति दूर कर सकते हैं। इस तरह से तुलसी चालीसा के माध्यम से बहुत से लाभ देखने को मिलते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने नमो नमो तुलसी महारानी चालीसा हिंदी में अर्थ सहित (Tulsi Chalisa) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने तुलसी चालीसा के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आपको तुलसी चालीसा PDF फाइल या इमेज डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या आती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
तुलसी चालीसा से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: तुलसी की पूजा कौन से दिन करते हैं?
उत्तर: तुलसी की पूजा आप किसी भी दिन कर सकते हैं, बस रविवार व एकादशी के दिन को छोड़कर।
प्रश्न: तुलसी जी की पूजा कैसे की जाती है?
उत्तर: तुलसी माता के पौधे के सामने बैठ कर एक दीपक जलाये और तुलसी चालीसा व आरती का पाठ करें।
प्रश्न: तुलसी जी किसकी बेटी थी?
उत्तर: तुलसी जी पहले वृंदा थी जो बाद में तुलसी बनी। माता वृंदा राक्षस राजा कालनेमि की पुत्री थी।
प्रश्न: तुलसी का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर: तुलसी का दूसरा नाम वृंदा है किन्तु इनके कई अन्य नाम भी प्रचलन में हैं जैसे कि हरि प्रिया, विष्णु प्रिया व कृष्ण जीवनी।
प्रश्न: तुलसी में दीपक कब नहीं चलना चाहिए?
उत्तर: तुलसी में रविवार व एकादशी के दिन दीपक नहीं जलाना चाहिए।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख: