चंद्र ग्रहण के बारें में संपूर्ण जानकारी

What is Lunar Eclipse in Hindi

चंद्र ग्रहण के बारे में तो हम सभी जानते हैं तथा उसे हमने देखा भी हुआ हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस स्थिति में चंद्रग्रहण लगता हैं (Lunar Eclipse Information in Hindi)? क्या आपने कभी सोचा हैं कि चंद्र ग्रहण मुख्यतया पूर्णिमा के समय ही क्यों लगता हैं? उस समय सूर्य, चंद्रमा तथा पृथ्वी की स्थिति कैसी होती हैं (Chandra Grahan ke bare me Jankari)। आज हम आपको चंद्र ग्रहण लगने की संपूर्ण जानकारी देंगे तथा आपको बताएँगे कि उस समय क्या स्थिति होती हैं व हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए (Chandra Grahan kya hai)।

चंद्र ग्रहण क्या होता हैं? (Chandra Grahan Definition in Hindi)

यह एक सामान्य भोगौलिक घटना होती है जिसमे सूर्य तथा चंद्रमा के बीच हमारी पृथ्वी आ जाती है तथा अपनी छाया से चंद्रमा को ढक लेती है। उस समय चंद्रमा तक सूर्य का प्रकाश नही पहुँच पाता जिस कारण उसका तेज कम हो जाता हैं (Chandra Grahan ke bare me bataye)।

इसे भी पढ़ें: जून 2020 को लगेगा उपच्छाया चंद्र ग्रहण

हमारे सौर मंडल में सभी वस्तुएं सूर्य के प्रकाश के कारण ही हमे दिखाई देती है चाहे वह सजीव वस्तु हो या निर्जीव (Chandra Grahan kyon lagta hai)। आप और हम भी एक दूसरे को सूर्य के प्रकाश के कारण ही देख पाते हैं। उसी प्रकार जब चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश पड़ता हैं तभी वह पृथ्वी पर दिखाई पड़ता हैं।

चंद्र ग्रहण के समय स्थिति (Chandra Grahan Kyon Lagta Hai)

हमारी पृथ्वी सूर्य के विभिन्न ग्रहों में से एक ग्रह हैं जो उसके चारो ओर चक्कर लगाती है। उसी प्रकार चंद्रमा भी पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह है जो निरंतर हमारी पृथ्वी के चारो ओर चक्कर लगाता है (Chandra Grahan Information in Hindi)। इसी प्रकार चक्कर लगाते हुए एक स्थिति ऐसी आती है जब तीनों एक पंक्ति में आ जाते हैं जिसमे सूर्य के ठीक सीधी रेखा में पृथ्वी तथा उसकी सीधी रेखा में चंद्रमा आ जाता हैं।

ऐसी स्थिति में चंद्रमा तथा सूर्य के बीचो बीच पृथ्वी आ जाती हैं (Lunar Eclipse Meaning in Hindi)। चूँकि पृथ्वी का आकर चंद्रमा से बहुत बड़ा होता हैं इसलिये सूर्य का प्रकाश उस तक पहुँच नही पाता तथा वह पृथ्वी की छाया में पूरी तरह ढक जाता हैं। इसी कारण चंद्र ग्रहण लगता हैं। यह आवश्यक नही है कि तीनों एक ही रेखा में आये, केवल चंद्रमा द्वारा संपूर्ण रूप से पृथ्वी की छाया क्षेत्र में आने से ही चंद्र ग्रहण लग जाता है। पृथ्वी के पीछे चंद्रमा की विभिन्न स्थितियों के कारण ही चंद्रग्रहण तीन प्रकार का होता हैं।

इसे भी पढ़ें: चंद्र ग्रहण पर इन 10 बातों का अवश्य ध्यान रखें

चंद्र ग्रहण के प्रकार (Types of Lunar Eclipse in Hindi)

चंद्र ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं जिसमे एक हैं पूर्ण चंद्र ग्रहण जिसमे हमें पूरा चाँद लाल दिखाई देता हैं, दूसरा हैं अर्ध चंद्र ग्रहण जिसमे हमें आधा चाँद लाल तथा बाकि आधा मटमैला दिखाई पड़ता हैं, तीसरा हैं उपच्छाया चंद्र ग्रहण जिसमे हमें पूरा चाँद ही मटमैला दिखाई पड़ता हैं। विस्तार से पढ़ें..

चंद्र ग्रहण ज्यादातर पूर्णिमा के दिन ही क्यों लगता हैं? (Why Chandra Grahan Happens on Purnima in Hindi)

जैसा कि हमनें आपको बताया कि चंद्र ग्रहण मुख्यतया पूर्णिमा के दिन लगता है लेकिन ऐसा क्यों? इसका कारण इसकी स्थिति पर निर्भर करता हैं। चंद्र ग्रहण की स्थिति तभी उत्पन्न होती हैं जब पृथ्वी पर सूर्य एक दम सामने तथा चंद्रमा एक दम पीछे की ओर होता हैं। इस स्थिति में पृथ्वी पर उस दिन चंद्रमा पूर्ण दिखाई देता हैं लेकिन ग्रहण रूप में।

पूर्णिमा भी उसी दिन लगती हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के पीछे चला जाता है। इस कारण सूर्य का प्रकाश चंद्रमा तक संपूर्ण रूप से पड़कर पृथ्वी पर भी पूर्ण रूप से पहुँचता हैं तथा उसका कोई भाग ढका नही होता है। विस्तार से पढ़ें..

चंद्र ग्रहण के दिन चाँद लाल क्यों दिखाई देता हैं? (Reason Behind Red Moon in Hindi)

इसे हम प्रकाश तथा परछाई का खेल कह सकते हैं। दरअसल सूर्य का प्रकाश धरती पर उसके वायुमंडल तथा वातावरण से होकर गुजरता हैं जो सूर्य के प्रकाश के विभिन्न रंगों को सोख लेता हैं तथा केवल लाल रंग ही मुख्यतया दिखाई पड़ता है। हम यह कह सकते हैं कि इसी रंग का प्रभाव हमारी आखों पर पड़ता है जिससे हमें सौरमंडल की चीज़े दृश्यमान होती है।

चंद्र ग्रहण के दिन हमारे ऊपर सूर्य का प्रकाश चंद्रमा से होकर नही आता क्योंकि वह धरती की परछाई में होता हैं। ऐसे स्थिति में चंद्रमा पर प्रकाश धरती से परावर्तित होकर टेढ़ा पहुँचता हैं जो उसका लाल कर देता हैं। इस कारण चंद्र ग्रहण के दिन हमे वह ज्यादा लाल दिखाई पड़ता है। विस्तार से पढ़ें..

चंद्र ग्रहण के समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए (Things to Take Care While Chandra Grahan in Hindi)

वैसे तो चंद्र ग्रहण सूर्य ग्रहण से कम प्रभावी होता है तथा इसका प्रभाव भी उसकी अपेक्षा कम पड़ता हैं लेकिन फिर भी हमें इस समय सावधानी रखने की आवश्यकता होती हैं। आइये जाने उस समय आप क्या-क्या कर सकते हैं तथा क्या नहीं।

  • चंद्र ग्रहण को नंगी आखों से देखा जा सकता हैं लेकिन बेहतर होगा आप इसे देखने के लिए किसी चश्मे इत्यादि का प्रयोग करे।
  • चंद्र ग्रहण शुरू होने से कुछ घंटे पहले सूतक काल लग जाता हैं जो उसके समाप्त होने के कुछ समय तक रहता हैं। इस समय में किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
  • चन्द्र ग्रहण के समय भगवान के मंदिर, पूजा स्थल इत्यादि को बंद कर दिया जाता हैं तथा भगवान की मूर्तियों को भी ढक दिया जाता हैं।
  • चंद्र ग्रहण लगने से पहले ही भोजन कर लेना चाहिए तथा भोजन को बचाकर नही रखना चाहिए अन्यथा यह दूषित हो जाता है।
  • पीने के जल में भी तुलसी का पत्ता डालकर रखना चाहिए जिससे ग्रहण का प्रभाव उस पर नही पड़ता है।
  • ग्रहण समाप्त होने के पश्चात घर को गंगा जल से साफ किया जाना चाहिए तथा स्नान करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को इस समय घर से बाहर निकलने या ग्रहण को देखने की पूर्णतया मनाही होती हैं।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.