बहुत लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिरकार सीता माता धरती में क्यों समाई थी!! क्या इसके अलावा कोई और विकल्प नहीं था तथा क्या श्रीराम इतने कठोर थे कि उन्होंने बार-बार माता सीता के चरित्र पर संदेह किया!! ऐसे में बहुत से लोग सीता माता के धरती में समाने के ऊपर और जानना चाहते हैं।
इसलिए आज हम आपके सभी प्रश्नों के उत्तर देने वाले हैं। जैसे कि सीता की मृत्यु कैसे हुई, सीता धरती में क्यों समाई और सीता माता धरती में कहां समाई थी, इत्यादि। आइए सीता माता के धरती में समाने से संबंधित घटनाक्रम के बारे में जान लेते हैं।
इसके लिए सबसे पहले आपको राजधर्म क्या होता है तथा इसकी क्या परिभाषा है इसके बारे में जानना आवश्यक है। एक राजा प्रजा से बनता है तथा राजा का यह उत्तरदायित्व होता है कि वह हमेशा प्रजा हित में ही कोई निर्णय ले। चूँकि एक प्रजा के द्वारा ही राजा का चुनाव किया जाता है तो राजा को अपने सभी निर्णय वही लेने होते हैं जो प्रजा के अधिकांश लोगों का मत होता है अन्यथा उसे राजा रह जाने का कोई अधिकार नहीं होता। इसी को राजधर्म कहा गया है। यह माता सीता के धरती में समाने का एक मुख्य कारण था।
अब आते हैं असली घटनाक्रम के ऊपर। यह लव कुश के राम दरबार में रामायण कथा सुनाने और फिर उसके अंत में उन्हें श्रीराम का पुत्र बनाने से संबंधित है। दरअसल जब माता सीता को वनवास हुआ था तब वे गर्भवती थी। उन्होंने वाल्मीकि आश्रम में शरण ली थी और वहीं उन्होंने दो पुत्रों लव व कुश को जन्म दिया था। लव कुश का लालन-पालन वहीं हुआ था और वाल्मीकि जी सही समय आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
जब लव कुश बड़े हो गए तब वे दोनों अपने गुरु वाल्मीकि के आदेशानुसार अयोध्या में गए तथा सभी को रामायण कथा सुनाई। अंत में उन्होंने राज दरबार में स्वयं को श्रीराम तथा माता सीता का पुत्र बताया। इसके पश्चात अयोध्या की प्रजा के द्वारा इस पर प्रश्न चिन्ह लगाया गया। श्रीराम ने जब यह सुना तो लोकमत को ध्यान में रखकर उन्होंने सीता को स्वयं यहाँ आकर इसका प्रमाण देने को कहा तथा अपनी शुद्धता की शपथ लेने का आदेश दिया।
माता सीता ने जब यह सुना तो उनका मन कुंठित हो गया। इतने वर्षों से अयोध्या की प्रजा के मत को ध्यान में रखकर वे वन में रह रही थी तथा इसके पश्चात भी उनकी शुद्धता का प्रमाण माँगा जा रहा था। इसलिए उन्होंने इस अपवाद को हमेशा के लिए समाप्त कर देने का निश्चय किया जिससे आगे कभी यह समस्या खड़ी ही न हो।
जब माता सीता राज दरबार में पहुँची तो वहाँ सभी के सामने उन्हें अपनी शुद्धता की शपथ लेने को कहा गया। यह सुनकर माता सीता ने सभी के सामने शपथ ली कि यदि उन्होंने मन, वचन तथा कर्म से केवल भगवान श्रीराम की ही आराधना की है तथा उन्हें ही अपना पति माना हो तो इसी समय यह धरती फट जाए तथा वे उसमें समा जाए।
माता सीता के इतना कहते ही एक जोरदार गर्जना हुई तथा धरती फट कर दो हिस्सों में बंट गई। उसमें से धरती माँ अवतरित हुई तथा माता सीता को अपने साथ लेकर चली गई। इस प्रकार माता सीता ने स्वयं के लिए उपजे इस विवाद को हमेशा के लिए शांत कर दिया। इस तरह से माता सीता की मृत्यु हो गई थी।
सीता माता के धरती में समाने से संबंधित दो मुख्य कारण थे। एक था श्रीराम के द्वारा राजधर्म का संदेश दिया जाना तो वहीं दूसरा सीता माता का धरती पर उद्देश्य पूरा हो जाना। आइए आज हम आपको इन दोनों कारणों के बारे में बता देते हैं।
वहीं इसके पीछे महर्षि भृगु के द्वारा भगवान विष्णु को दिया गया श्राप भी था। हालाँकि उसका संबंध माता सीता के धरती में समाने से नहीं बल्कि राम सिया के वियोग से था। उन्होंने श्राप दिया था कि भगवान विष्णु को मानव अवतार में अपनी पत्नी का वियोग सहना पड़ेगा। उस श्राप के अनुसार माता सीता और भगवान श्रीराम पुनः साथ नहीं रह सकते थे अन्यथा श्राप झूठा सिद्ध हो जाता।
माता सीता अयोध्या के राजभवन के पास में ही समा गई थी। वर्तमान समय में यह उत्तर प्रदेश राज्य के भदोही जिले में बने हुए सीतामढ़ी मंदिर को माना जाता है। यह मंदिर प्रयागराज और काशी के बीच में स्थित है। हर वर्ष लाखों लोग माता सीता के समाधि स्थल पर माथा टेकने आते हैं। वहीं कुछ लोगों के अनुसार माता सीता का समाधि स्थल यह ना होकर कहीं और है।
आशा है कि आपको आपके प्रश्न सीता माता धरती में क्यों समाई थी व उसके पीछे क्या कुछ कारण थे, का उत्तर मिल गया होगा। वैसे यह ईश्वर की लीला है और हर ईश्वरीय लीला में कोई ना कोई संदेश अवश्य छुपा हुआ होता है।
माता सीता के धरती में समाने से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: सीता ने समाधि क्यों ली?
उत्तर: माता सीता ने अपनी प्रमाणिकता सिद्ध करने के उद्देश्य से धरती में समाधि ले ली थी। उनके कहते ही धरती फट गई थी और माता सीता उसमें समा गई थी।
प्रश्न: सीता जी कौन सी जगह समाई थी?
उत्तर: माता सीता का समाधि स्थल उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में बने हुए सीतामढ़ी मंदिर को माना जाता है। यह प्रयागराज और बनारस के बीच में पड़ता है।
प्रश्न: सीता देवी पृथ्वी के अंदर क्यों गई थी?
उत्तर: अयोध्यावासी बार-बार माता सीता को अपनी पवित्रता सिद्ध करने को कह रहे थे। इससे परेशान होकर माता सीता हमेशा के लिए पृथ्वी के अंदर समा गई थी और इस अपवाद को समाप्त कर दिया था।
प्रश्न: सीता जी पृथ्वी के अंदर क्यों गई थी?
उत्तर: सीता जी के पृथ्वी के अंदर जाने के कई कारण थे। जैसे कि लोक अपवाद को हमेशा के लिए समाप्त कर देना, श्रीराम का राजधर्म और महर्षि भृगु का श्राप।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
अन्य संबंधित लेख:
आज के इस लेख में आपको संतोषी चालीसा (Santoshi Chalisa) पढ़ने को मिलेगी। सनातन धर्म…
आज हम आपके साथ वैष्णो देवी की आरती (Vaishno Devi Ki Aarti) का पाठ करेंगे।…
आज के इस लेख में आपको तुलसी आरती (Tulsi Aarti) हिंदी में अर्थ सहित पढ़ने…
आज हम तुलसी चालीसा (Tulsi Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे…
आज हम आपके साथ महाकाली माता की आरती (Mahakali Mata Ki Aarti) का पाठ करेंगे। जब…
आज हम आपके साथ श्री महाकाली चालीसा (Mahakali Chalisa Lyrics) का पाठ करेंगे। जब भी…
This website uses cookies.
View Comments
जय श्री राम जय श्री राम जय राम जय राम जय जय राम
जय श्री राधे राधे
Jai shree ram
अत्यंत दुख हुआ ऐसी पीड़ा और न्याय अन्याय की व्यथा जानकर जय श्री राजा रामचन्द्र 🙏