श्रीराम के द्वारा राजधर्म की परिभाषा तथा सामान्य नागरिक के धर्म से उसका अंतर

Raj Dharma In Hindi

भगवान श्रीराम ने एक राजा के धर्म अर्थात राजधर्म (Raj Dharma In Hindi) की व्याख्या बहुत ही सुंदर तथा सरल शब्दों में की हैं। उन्होंने यह भी समझाया हैं कि एक सामान्य नागरिक के कर्त्तव्य व एक राजा के कर्तव्य में क्या अंतर होता है। आज हम श्रीराम के द्वारा राजधर्म की व्याख्या (Raja Ka Kya Dharm Hota Hai) को विस्तार से जानेंगे। साथ ही उनके द्वारा इसके लिए क्या उदाहरण व बलिदान दिया गया इसके बारे में भी बात करेंगे।

भगवान श्रीराम के द्वारा एक सामान्य नागरिक के धर्म की व्याख्या

राज धर्म के बारे में जानने से पहले आवश्यक हैं कि पहले हम एक सामान्य नागरिक के धर्म तथा उसके कर्तव्यों के बारे में जाने जो प्रभु श्रीराम ने बताये थे। एक सामान्य नागरिक को सबसे पहले अपने परिवार के हित की चिंता करनी चाहिए अर्थात सबसे पहले उसे अपने माता-पिता, पति/पत्नी, बच्चों, भाई-बहन तथा अपने निकट सगे-संबंधियों के हित के बारे में सोचना चाहिए तथा सुख-दुःख में उनका साथी बनना चाहिए।

यदि उन्हें कोई कष्ट या दुःख हैं तो उस नागरिक का यह कर्तव्य बनता हैं कि वह उसका निवारण करने के लिए उपाय करे तथा उन्हें कोई कष्ट न होने दे। इस प्रकार सामान्य नागरिक के यह प्रथम कर्तव्य होते हैं जिनका उसे निर्वहन करना चाहिए।

भगवान श्रीराम के द्वारा राजधर्म की व्याख्या (Raj Dharma In Hindi)

अब जानते हैं कि श्रीराम ने राजधर्म की क्या व्याख्या की थी। उन्होंने बताया था कि जब भी कोई नागरिक राजमुकुट धारण कर एक राजा की पदवी स्वीकार कर लेता हैं (Raja Ka Dharm Kya Hai) तो वह अपना संपूर्ण जीवन प्रजा हित के लिए न्यौछावर कर देता है। राजा बनने के पश्चात उसकी पदवी तो बढ़ जाती हैं लेकिन साथ में उसके कर्तव्य भी अत्यधिक बढ़ जाते है।

एक राजा के लिए निजी सुख दुःख, राय, परिवार इत्यादि कुछ मायने नही रखता क्योंकि उसके लिए पूरी प्रजा उसका परिवार (Duties Of King In Rajdharma In Hindi) होती है। उसे कोई भी निर्णय अपनी प्रजा के मत के अनुसार ही करने चाहिए, चाहे वह निजी तौर पर उससे सहमत हो या असहमत। एक उत्तरदायी राजा होने के नाते वह केवल उन्हें समझा सकता हैं लेकिन अपनी प्रजा के मत के विरुद्ध कोई भी निर्णय नही ले सकता।

एक राजा को प्रजा का निर्णय हर स्थिति में स्वीकार करना ही होगा तभी वह राजा (Raj Dharm Kya Hai) हैं। राजा का अर्थ ही यह हैं कि वह प्रजा के द्वारा चुना गया हैं तथा उसके मत से प्रजा की अधिकांश जनता सहमत हैं। ऐसे में राजा का मत यदि प्रजा की अधिकांश जनता के विरुद्ध हैं तो इसका अर्थ यह हुआ कि (Raj Dharm Kya Hona Chahiye) उसको राजा बने रहने का कोई अधिकार नही। अंतिम निर्णय केवल और केवल प्रजा का ही होगा चाहे वह धर्म या निति विरुद्ध ही क्यों न हो।

इस प्रकार प्रभु श्रीराम ने एक राजा के राजधर्म की सीधी तथा सरल भाषा में व्याख्या की हैं जो राजधर्म के मूल्यों को स्थापित करती है।

राजधर्म को निभाने के लिए श्रीराम का बलिदान (Shri Ram Dwara Rajdharm Ki Vyakhya)

यह तो हम सब जानते हैं कि भगवान श्रीराम तथा माता सीता का प्रेम कितना अमूल्य था तथा जीवनभर दोनों एक दूसरे के प्रेम में रहे लेकिन फिर भी श्रीराम को सीता का त्याग करना पड़ा लेकिन क्यों? इसका उत्तर है राजधर्म।

जब भगवान श्रीराम दुष्ट रावण पर विजय पाकर माता सीता समेत अयोध्या लौट आये तो बड़ी धूमधाम से उनका राज्याभिषेक किया गया लेकिन कुछ ही समय में अयोध्या की प्रजा के द्वारा माता सीता के चरित्र पर लांछन लगाया जाने लगा। अयोध्या की अधिकांश प्रजा का यह मत था कि माता सीता लंका में एक वर्ष से ज्यादा रही हैं ऐसे में उनकी पवित्रता पर संदेह क्यों न किया जाये?

हालाँकि भगवान श्रीराम निजी तौर पर इससे पूर्णतया असहमत थे तथा माता सीता को निर्दोष मानते थे लेकिन अयोध्या की प्रजा के सामने श्रीराम विद्रोह नही कर सकते थे अन्यथा इससे राजधर्म की मर्यादा को नुकसान होता। साथ ही वे राजा की पदवी को भी नही छोड़ सकते थे क्योंकि उन्होंने राजमुकुट पहनते समय यह प्रतिज्ञा ली थी कि अब से उनका जीवन अयोध्या की प्रजा को समर्पित हैं।

इसी कारण विवश होकर श्रीराम तथा माता सीता को एक बेहद कठोर निर्णय लेना पड़ा जिससे श्रीराम के द्वारा माता सीता का जीवनभर के लिए त्याग कर दिया गया तथा माता सीता वन में चली गयी। इस प्रकार प्रभु श्रीराम ने राजधर्म का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया तथा दिखा दिया कि राजधर्म के सामने एक राजा का निजी मत, रिश्ते, सुख-दुःख इत्यादि का कोई भी मोल नही होता।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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