माता सीता को अग्नि परीक्षा क्यों देनी पड़ी? जाने इसके पीछे की सच्चाई

Agni Pariksha Of Sita In Hindi

क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीराम ने माता सीता की अग्नि परीक्षा (Sita Agni Pariksha In Hindi) क्यों ली? क्या आप जानते हैं कि रावण कभी माता सीता का अपहरण कर ही नही पाया था? क्या आप जानते है माता सीता की अग्नि परीक्षा के पीछे का क्या रहस्य था? इस कथा का प्रमाण रामायण में तब मिलता हैं (Sita Ki Agni Pariksha In Hindi) जब भगवान श्रीराम लंका के नए राजा विभीषण को अशोक वाटिका से माता सीता को वापस उनके पास भेजने का आदेश देते हैं। आइए जानते हैं माता सीता की अग्नि परीक्षा की सच्चाई।

माता सीता को अग्नि परीक्षा क्यों देनी पड़ी (Agni Pariksha Of Sita In Hindi)

लक्ष्मण का भगवान श्रीराम के समक्ष विद्रोह (Mata Sita Ki Agni Pariksha In Hindi)

विभीषण को माता सीता को भेजने का आदेश देने के पश्चात जब श्रीराम व लक्ष्मण अपनी कुटिया में जाते हैं तब श्रीराम लक्ष्मण को अग्नि का प्रबंध करने को कहते है। यह सुनकर लक्ष्मण संशय में पड़ जाते हैं तथा इसका औचित्य पूछते है। तब भगवान श्रीराम लक्ष्मण को बताते है कि सीता को अग्नि को लाँघ कर उनके पास आना होगा (Why Lord Rama Asked Mata Sita To Go Through Agni Pariksha) अर्थात अग्नि परीक्षा देनी होगी।

यह सुनते ही लक्ष्मण आग-बबूला हो उठते हैं तथा अपने बड़े भाई श्रीराम के सामने ही विद्रोह कर देते हैं। उनकी बातों में क्रोध, दया, ग्लानि व विवशता का भाव होता है। वे श्रीराम को कहते है कि इसमें माता सीता का क्या दोष था तथा क्यों उन्हें अग्नि परीक्षा देनी पड़ेगी (Why Lord Ram Wanted Sita’s Agnipariksha)। यदि वे माता सीता की अग्नि परीक्षा लेंगे तो उनके पुत्र समान होने के कारण लक्ष्मण श्रीराम का विरोध करेगा।

आजकल की पीढ़ी में भी कुछ लोग धर्म को बदनाम करने व तथ्यों को बिना पढ़े लोगो को भ्रमित करने के उद्देश्य से इस बात का आश्रय लेते हैं कि भगवान श्रीराम ने माता सीता के चरित्र पर संदेह किया लेकिन यदि वे रामायण को सही से पढ़ेंगे तो उन्हें संपूर्ण सत्य का ज्ञान होगा। इस बात का उत्तर स्वयं भगवान श्रीराम ने ही दिया था। आज हम आपके समक्ष वही प्रस्तुत करेंगे।

श्रीराम ने माता सीता को अग्नि देव को सौंपा था (Truth Behind Agni Pariksha Of Sita In Hindi)

लक्ष्मण के शब्द श्रीराम के हृदय में लगे तथा उन्होंने उससे कहा कि वे कभी भी सीता के पतिव्रत धर्म तथा पवित्रता पर संदेह कर ही नही सकते। सीता पर संदेह करने का अर्थ होगा स्वयं पर संदेह करना। उन्होंने लक्ष्मण को बताया कि यदि रावण सचमुच की सीता को हाथ भी लगाता तो उसके तेज से रावण के हाथ जल जाते व वह कभी भी उनका हरण नही कर पाता। उन्हें तो अग्निदेव से अपनी सीता वापस चाहिए थी।

इसके पश्चात श्रीराम ने लक्ष्मण को माता सीता की अग्नि परीक्षा लेने का गूढ़ रहस्य (Agni Pariksha Sita Facts) बताया। उन्होंने बताया कि रावण के द्वारा सीता हरण करने तथा स्वर्ण मृग के आने से पूर्व ही श्रीराम को भविष्य में घटित होने वाले संपूर्ण घटनाक्रम का पता चल गया था। तब उन्होंने सीता से कहा था कि (Sita Mata Ko Agni Pariksha Kyon Deni Padi Thi) अब वह समय आ गया हैं जब उन्हें इस धरती पर लीला करनी हैं। इसलिये उन्होंने सीता से अनुरोध किया कि जब तक वे दुष्ट रावण व पापियों का नाश न कर दे तब तक उन्हें अग्नि देव की सुरक्षा में रहना होगा।

इसके पश्चात उन्होंने अग्नि देव का आह्वान किया तथा असली सीता को उन्हें सौंप दिया जिससे कि वे उनके पास सुरक्षित रह सके। अग्नि देव भगवान श्रीराम की आज्ञा पाकर माता सीता को अपने साथ ले गए तथा माता सीता की एक परछाई वहां छोड़ गए जिसे रावण हरके लेकर गया था। इसलिये उन्होंने लक्ष्मण को समझाया कि अब उन्हें अपनी असली सीता को अग्नि देव से वापस लेना होगा क्योंकि उनका उद्देश्य समाप्त हो चुका हैं।

सीता माता की अग्नि परीक्षा (Sita Mata Ki Agni Pariksha Ramayan In Hindi)

जब माता सीता को हनुमान तथा अंगद अशोक वाटिका से श्रीराम के समक्ष लेकर आए तब उन्होंने अपने व माता सीता के बीच में अग्नि को प्रज्जवलित कर दिया व उस अग्नि को लांघकर उनके पास आने को कहा। यह आदेश सुनकर माता सीता ने धधकती अग्नि में प्रवेश किया।

जैसे ही माता सीता ने अग्नि में प्रवेश किया वहां अग्नि देव असली सीता को लेकर प्रकट हो गए। माता सीता की परछाई उस अग्नि में समा गयी तथा अग्नि देव असली सीता को लेकर श्रीराम के समक्ष आ गए। तब अग्नि देव ने पुनः माता सीता को श्रीराम को लौटा दिया था जिसका उल्लेख रामायण में साफ अक्षरों में मिलता हैं। साथ ही यह घटना संपूर्ण वानर सेना के सामने घटित हुई थी।

नोट: यह ध्यान रखिए कि माता सीता स्वयं माँ लक्ष्मी का अवतार थी तथा माता लक्ष्मी का पूर्ण रूप में अपहरण करना सृष्टि में किसी रावण जैसे असुर के लिए तो क्या अन्य किसी के लिए भी असंभव था।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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