यह तो सभी जानते हैं कि हनुमान जी ने अशोक वाटिका उजाड़ी (Hanuman Ji Ne Ashok Vatika Ujadi) थी लेकिन इसके पीछे उनका क्या उद्देश्य था, यह जानना महत्वपूर्ण है!! भगवान श्रीराम की आज्ञा के अनुसार वानर सेना का दल चारों दिशाओं में भेजा गया था जिसमें हनुमान दक्षिण दिशा की ओर जाने वाले वानर दल में थे। दक्षिण दिशा में जब अंत में समुंद्र आया तब केवल हनुमान ही उसे लाँघ पाने में सक्षम थे। इसलिए वे अपनी शक्ति का प्रयोग करके सौ योजन का समुंद्र लांघकर लंका पहुँच गए व माता सीता से भेंट की।
माता सीता को सांत्वना देने के बाद हनुमान ने लंका की अशोक वाटिका में (Hanuman ashok Vatika Mein) बहुत उत्पाद मचाया व लंका के सैनिकों के साथ युद्ध किया। इस युद्ध में उन्होंने लंका के सेनापति जंबुमली व रावण के सबसे छोटे पुत्र अक्षय कुमार का भी वध कर डाला।
हनुमान जी ने अशोक वाटिका उजाड़ी लेकिन क्यों?
अशोक वाटिका रावण की सबसे प्रिय वाटिका थी जहाँ वह विचरण करने जाया करता था। उसमें अनेक सुगंधित पुष्प, वृक्ष इत्यादि थे। हनुमान जी ने वहाँ के वृक्षों को उखाड़कर फेंक दिया व फलों को खाने लगे। इसे देखकर लंका के जिस सैनिक ने भी उन्हें रोकने का प्रयास किया हनुमान ने उसका वध कर दिया। यह सब करने के पीछे हनुमान जी के कई तरह के प्रयोजन (Hanuman Ji Ashok Vatika Mein) थे। आइए जानते हैं:
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लंका की शक्तियां देखना
सबसे मुख्य जो प्रयोजन था वह था लंका व उसके सैनिकों की शक्ति का पता लगाना। चूँकि हनुमान अत्यंत बलशाली थे इसलिए उनका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता था। इसलिए वे वानर सेना के लिए लंका के सैनिकों की शक्ति का पता लगाना चाहते थे जिससे वह वापस जाकर उससे उत्तम तैयारी वानर सेना के लिए कर सकें। अपनी बुद्धिमानी के कारण हनुमान ने लंका के राक्षसों का बल, उनकी शक्तियां इत्यादि सबको परख लिया था।
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लंका की कमजोरियों का पता लगाना
साथ ही उन्हें यह भी देखना था कि लंका की कमजोरियां क्या-क्या हैं जिसका लाभ श्रीराम की सेना उठा सकती है। जैसे कि लंका में कहाँ से प्रवेश करना ज्यादा सुरक्षित रहेगा, उसकी कितनी सेना कहाँ तैनात रहती है व कौनसी सेना का नेतृत्व कमजोर है इत्यादि। लंका के सैनिकों की दुर्ग रचना कैसी है व किस द्वार पर कितने प्रहरी रहते हैं, यह सब भी हनुमान ने जांच परख लिया था।
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लंका को क्षति पहुँचाना
हनुमान लंका के कुछ सैनिकों, योद्धाओं के साथ युद्ध करने उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से भड़काना भी चाहते थे जिसके कारण वे बड़ी घटना को अंजाम दे सकें। इसका परिणाम यह हुआ कि उन्हें पकड़कर रावण की सभा में ले जाया गया जहाँ रावण ने हनुमान की पूँछ में आग लगाने का आदेश दे दिया।
अपनी पूँछ में आग लगने के पश्चात हनुमान ने लंका को बहुत क्षति पहुँचाई। उन्होंने लंका के कई अस्त्र-शस्त्र के भंडारों व सुरक्षा के परकोटो को जलाकर ध्वस्त कर डाला। इससे लंका की सुरक्षा व्यवस्था को अत्यधिक क्षति पहुँची थी।
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शत्रु में भय उत्पन्न करना
हनुमान का अंतिम उद्देश्य लंका के सैनिकों व रावण के मन में भय पैदा करना था कि जब भगवान श्रीराम के एक दूत में इतनी शक्ति हो सकती है तो स्वयं उनकी सेना में और उनमें कितनी शक्ति होगी। इससे शत्रु का मनोबल टूटता व भय के कारण राजा के ऊपर भी प्रजा का दबाव बनता।
इस तरह से हनुमान जी ने अशोक वाटिका उजाड़ी (Hanuman Ji Ne Ashok Vatika Ujadi) लेकिन साथ ही लंका के सभी सैनिकों को यह भी दिखा दिया था कि अब श्रीराम अपनी पूरी सेना के साथ जल्द ही लंका पर चढ़ाई कर उन सभी का वध करने वाले हैं।
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