सूर्य ग्रहण कब लगता है? आइए जाने सूर्य ग्रहण कब होता है

Surya Grahan Kab Hota Hai

आज हम जानेंगे कि सूर्य ग्रहण कब होता है (Surya Grahan Kab Hota Hai) और उस समय किस तरह की स्थिति बनती है। क्या आप जानते हैं कि जिस दिन पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है, उसी दिन अमावस्या भी होती है। यह तो वही बात हुई कि सूर्य ग्रहण के समय जो चंद्रमा सूर्य को कुछ समय के लिए पूर्ण रूप से ढक लेता है, वही चंद्रमा रात को बिल्कुल भी नहीं दिखाई पड़ता।

इस पहेली को समझने के लिए पहले हमें यह समझना होगा कि अमावस्या तथा सूर्य ग्रहण के समय क्या स्थिति बनती है। इसलिए ही हमने आपको पहले ही बताया कि आज हम जानेंगे कि सूर्य ग्रहण कब लगता है (Surya Grahan Kab Lagta Hai) और उस समय सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की क्या स्थिति बनती है। आइए जानते हैं।

Surya Grahan Kab Hota Hai | सूर्य ग्रहण कब होता है?

पृथ्वी निरंतर सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है तथा उसी प्रकार चंद्रमा भी पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। अमावस्या की स्थिति तब बनती है जब चंद्रमा पृथ्वी तथा सूर्य के बीच में आ जाता है जिससे चंद्रमा के ठीक सामने तो सूर्य का प्रकाश पड़ता है लेकिन उसका पृथ्वी की ओर वाला हिस्सा सूर्य के प्रकाश से वंचित रह जाता है जिस कारण पृथ्वी पर चाँद बिल्कुल भी नहीं दिखाई पड़ता। उसी रात को हम अमावस्या की रात कहते हैं।

पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय भी ऐसी ही स्थिति बनती है और चंद्रमा पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य में एक सीधी रेखा में आ जाता है जिस कारण चंद्रमा पृथ्वी के कुछ भाग को अपनी छाया से पूर्ण रूप से ढक लेता है या यू कहें कि उस क्षेत्र पर सूर्य का प्रकाश पहुँचने में गतिरोध उत्पन्न कर देता है। इस स्थिति में पृथ्वी के उस क्षेत्र पर पूर्ण सूर्य ग्रहण लग जाता है।

अब आप सोच रहे होंगे कि जब अमावस्या तथा पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय एक जैसी ही स्थिति बनती है तो हर अमावस्या की रात को पूर्ण सूर्य ग्रहण क्यों नहीं लगता या हर अमावस्या की रात को पृथ्वी के किसी क्षेत्र पर पूर्ण सूर्य ग्रहण क्यों नहीं होता? आइए इसका उत्तर भी जानते हैं।

Surya Grahan Kab Lagta Hai | सूर्य ग्रहण कब लगता है?

हमने आपको यह कहा कि अमावस्या के समय चंद्रमा पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य में आ जाता है लेकिन इसका तात्पर्य यह बिल्कुल नहीं कि तीनों एक ही सीधी रेखा में हो। दरअसल चंद्रमा पृथ्वी की कक्षा में 5 डिग्री का कोण बनाता हुआ घूमता है अर्थात वह पृथ्वी के चारों ओर एक ही वृत्ताकार रेखा में घूमे यह संभव नहीं। चंद्रमा के पृथ्वी की कक्षा में झुके होने के कारण वह उसकी कक्षा के कभी ऊपर तो कभी नीचे होता है।

इसे आप नीचे दिए गए चित्र के माध्यम से समझ सकते हैं जिसमें बीच में पृथ्वी स्थित है तथा उसके चारों ओर चंद्रमा की अलग-अलग समय में अलग-अलग घूमने की दिशा बताई गई है।

Lunar Eclipse In Hindi
Solar Eclipse In Hindi

इस स्थिति में जब चंद्रमा पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य में आ जाए लेकिन तीनों एक ही रेखा में हो तभी पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता है तथा उस दिन अमावस्या भी होती है। अन्य किसी भी अमावस्या के दिन वे सीधी रेखा में नहीं होते। इसलिए हर अमावस्या के दिन पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होता तथा यह सीधी रेखा की स्थिति 1-2 वर्ष में आने के कारण उस दिन पूर्ण सूर्य ग्रहण लगता है।

इस तरह से आज आपने यह जान लिया है कि सूर्य ग्रहण कब होता है (Surya Grahan Kab Hota Hai) और उस समय सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी किस तरह की स्थिति बनाते हैं

सूर्य ग्रहण से जुड़े प्रश्नोत्तर

प्रश्न: सूर्य ग्रहण कब और कैसे होता है?

उत्तर: जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है उस समय सूर्य की किरणें पृथ्वी तक या तो पहुँच नहीं पाती है या कुछ क्षेत्रों में नहीं पहुँचती है उस समय सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है

प्रश्न: सूर्य ग्रहण अमावस्या को ही क्यों होता है?

उत्तर: सूर्य ग्रहण में चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच में होता है यह स्थिति अमावस्या के लिए भी होती है वहीं सूर्य ग्रहण के समय चंद्रमा दोनों के ठीक बिल्कुल बीच में आ जाता है

प्रश्न: पृथ्वी पर कितने ग्रहण है?

उत्तर: पृथ्वी पर दो तरह के ग्रहण होते हैं जिन्हें हम सूर्य और चंद्र ग्रहण के नाम से जानते हैं अब इसमें से सूर्य ग्रहण के चार और चंद्र ग्रहण के तीन प्रकार होते हैं

प्रश्न: सूर्य ग्रहण का मुख्य कारण क्या है?

उत्तर: सूर्य ग्रहण का मुख्य कारण चंद्रमा का पृथ्वी के चक्कर लगाते हुए सूर्य और पृथ्वी के ठीक बीच में आ जाना है या उस स्थिति में आ जाना जिस कारण सूर्य की किरणें कुछ समय के लिए पृथ्वी पर सीधे ना पहुँच पाए

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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