दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी के साथ माँ सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा क्यों की जाती हैं?

Laxmi Ganesh And Saraswasti Pooja On Diwali

कार्तिक मास की अमावस्या को जब हम दिवाली की पूजा करते हैं तो उसमे माँ लक्ष्मी की पूजा मुख्य रूप से की जाती हैं (Why We Worship Laxmi Ganesh And Saraswasti Together Deepawali In Hindi) ताकि हमारे परिवार में कभी धन, वैभव की कमी ना हो। पूरा वर्ष हमारे परिवार पर माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहे यही कामना हम उस दिन करते हैं। किंतु क्या आपने कभी सोचा हैं कि (Deepawali Par Lakshmi Saraswati Ganesh Ki Pooja) माँ लक्ष्मी की पूजा करने के साथ-साथ उस दिन माँ सरस्वती व भगवान गणेश की भी पूजा क्यों की जाती हैं? दरअसल इसके पीछे एक कथा जुड़ी हुई है जो हमे एक शिक्षा प्रदान करती हैं। आइए जानते हैं।

दिवाली पर राजा व लकड़हारे की कथा (Why Worship Lord Ganesha And Saraswati With Goddess Lakshmi On Diwali In Hindi)

प्राचीन समय में एक राजा था जिसके यहाँ एक मेहनती लकड़हारा काम किया करता था। वह प्रतिदिन दिनभर मेहनत करके लकड़ियाँ काटता व अपना जीवनयापन करता था। उसकी मेहनत से राजा बहुत प्रसन्न हुए तथा उसे उपहारस्वरूप चंदन की लकड़ी वाला संपूर्ण वन दे दिया।

वह वन पाकर लकड़हारा बहुत खुश हुआ किंतु उसने पहले की भांति अपना काम करना जारी रखा। दरअसल उसे चंदन की लकड़ी का मोल नही पता था (Maa Laxmi Saraswati And Ganesh Worship Together On Dipawali) तथा ना ही वह इतना पढ़ा-लिखा था। जिस प्रकार वह पहले लकड़ियों को काटकर, फिर उन्हें जलाकर अपना भोजन बनाया करता था, उसी प्रकार वह अब भी किया करता था।

अब वह प्रतिदिन चंदन की लकड़ियाँ काटता व उन्हें जलाकर अपना भोजन बनाता था। चंदन की लकड़ियाँ जलने से उससे जो सुगंध आती थी वह उसी को उपहार मानकर खुश हो जाया करता था।

जब राजा को अपने गुप्तचरों के माध्यम से इस बात का पता चला तो वे बहुत आश्चर्यचकित हुए। तब उन्हें ज्ञान हुआ कि धन की महत्ता तभी हैं जब व्यक्ति के पास ज्ञान व बुद्धि भी हो। यदि मनुष्य के पास ज्ञान या बुद्धि का आभाव हैं तो उस धन का कोई लाभ नही, जैसा कि उस लकड़हारे के साथ हो रहा था।

तो इस कथा से हमे यह शिक्षा मिलती हैं कि लक्ष्मी माता भी वही निवास करती हैं जहाँ सरस्वती माता व भगवान गणेश का वास होता हैं। चूँकि माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं तो सर्वप्रथम हमारे अंदर विद्या का होना अति-आवश्यक हैं। इसी के साथ भगवान गणेश बुद्धि के प्रतीक हैं जो विद्या से आती हैं। बिना विद्या व बुद्धि के मनुष्य कुछ भी नही कर सकता तथा बिना इनके लक्ष्मी भी नही आती।

इसलिये जब भी दिवाली आती हैं तब लक्ष्मी माता के साथ-साथ माँ सरस्वती व भगवान गणेश की पूजा करना आवश्यक होता हैं क्योंकि यदि इनकी पूजा नही की गयी तो माँ लक्ष्मी की पूजा करने का कोई औचित्य नही।

लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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