छठी मैया की क्या कहानी है? जाने छठ माता की कहानी

छठ पूजा की कहानी

आज हम आपको छठ पूजा की कहानी (Chhath Puja Ki Kahani) देने जा रहे हैं। छठ पूजा का सभी उत्तर भारतीयों मुख्यतया उत्तर प्रदेश व बिहार के लोगो के लिए विशेष महत्व है। साथ ही इसे नेपाल में भी मनाया जाता है। इस दिन गंगा नदी या उनकी सहायक नदियों में खड़े होकर सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है।

इस दिन छठी माता और सूर्य देव की पूजा की जाती है ऐसे में आपके लिए छठ माता की कहानी (Chhath Mata Ki Kahani) और उनका महत्व जानना आवश्यक है। आज के इस लेख में हम आपको छठ पूजा का महाभारत काल से क्या संबंध रहा है, उसके बारे में बताएँगे।

छठ पूजा की कहानी | Chhath Puja Ki Kahani

छठ पूजा का व्रत स्वयं ईश्वरीय और दैवीय अवतारों के द्वारा रखा गया है। महाभारत काल में कई लोगो के द्वारा इस व्रत को रखा गया जिस कारण इसकी महत्ता और बढ़ गई। सबसे पहले तो छठ का व्रत रामायण काल में माता सीता के द्वारा किया गया था। उसके बाद ही श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था।

फिर महाभारत काल में छठ पूजा का महत्व और ज्यादा बढ़ गया था। उस समय छठी माता और सूर्य देव की उपासना मुख्य रूप से कुंती, द्रौपदी और कर्ण के द्वारा की गई थी। उसमे से द्रौपदी ने तो छठी मैया के नाम का व्रत भी रखा था। आइए तीनो कथाओं के बारे में जान लेते हैं।

छठ पूजा का माता कुंती से संबंध

माता कुंती को वरदान प्राप्त था कि वे जिस देवता का आह्वान करेंगी उससे उन्हें एक पुत्र की प्राप्ति होगी। इस वरदान की महत्ता को समझने के लिए कुंती ने सर्वप्रथम सूर्य देव को बुलाने का विचार किया। इसके लिए उन्होंने छठ पूजा की व सूर्य देव का आह्वान किया।

फलस्वरूप सूर्य देव के आशीर्वाद से कुंती को कर्ण नामक पुत्र की प्राप्ति हुई। चूँकि तब तक कुंती का विवाह नही हुआ था इसलिये उसने कर्ण का परित्याग कर दिया था। इसके पश्चात कर्ण का पालन-पोषण एक सेवक के घर में हुआ था।

छठ पूजा का देवी द्रौपदी से संबंध

छठ माता की कहानी (Chhath Mata Ki Kahani) का मुख्य संबंध द्रौपदी से रहा है। द्रौपदी एक दिव्य कन्या व पञ्चकन्यायों में से एक कन्या थी जिसे हिंदू धर्म में पांच सर्वश्रेष्ठ कन्या माना गया हैं। देवी द्रौपदी श्रीकृष्ण की धर्म बहन, पांचो पांडवो की पत्नी व इंद्रप्रस्थ राज्य की वित्त मंत्री थी। जब पांडव शकुनी के द्वारा छले गए प्रपंच में अपना सब कुछ हार गए थे तब द्रौपदी ने श्रीकृष्ण से सहायता मांगी व कोई मार्ग दिखाने को कहा था।

तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को छठ व्रत रखने व सूर्य देव की उपासना करने का सुझाव दिया था। श्रीकृष्ण के कहेनुसार द्रौपदी ने छठ पूजा की व सूर्य देव का आभार प्रकट किया। उसके पश्चात पांडवो की समस्याएं धीरे-धीरे समाप्त हो गयी व उन्हें अपना खोया हुआ मान-सम्मान पुनः प्राप्त हुआ।

छठ पूजा का राजा कर्ण से संबंध

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि कर्ण सूर्य देव के ही धर्म पुत्र थे जिसका कुंती ने त्याग कर दिया था। आगे चलकर कर्ण कौरवो की सहायता से अंगदेश के राजा बने थे। वे अत्यंत पराक्रमी होने के साथ-साथ सूर्य देव के उपासक भी थे।

उनके बारे में तो यह भी मान्यता है कि वे स्नान करने के पश्चात कई घंटो तक जल में खड़े होकर सूर्य देव की आराधना किया करते थे व उन्हें अर्घ्य देते थे। छठ पूजा में भी अपने आधे शरीर को पानी में डुबोकर सूर्य देव को अर्घ्य दिए जाने की परंपरा प्रचलित है।

इन सब कथाओं के कारण छठ पूजा का महत्व पहले की अपेक्षा और अधिक बढ़ गया था। आजकल यह पूरे उत्तर भारत व विदेशो में भी प्रचलन में है। तो यह थी छठ पूजा की कहानी (Chhath Puja Ki Kahani) और उसका महाभारत काल से संबंध।

छठ माता की कहानी से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: छठी मैया की क्या कहानी है?

उत्तर: छठी माता के नाम का व्रत रखने से लोगों को संतान प्राप्ति होती है इसका व्रत मुख्य रूप से विवाहत दंपत्तियों के द्वारा रखा जाता है इससे उन्हें पुत्र प्राप्ति होती है और साथ ही संतान का स्वास्थ्य बेहतर होता है

प्रश्न: छठ माता कौन सी देवी है?

उत्तर: छठ माता को प्रकृति का छठा अंश माना जाता है उन्हें सूर्य देव की बहन, भगवान कार्तिक की पत्नी और भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री कहा गया है

प्रश्न: छठ माता किसकी अवतार है?

उत्तर: छठ माता को प्रकृति का ही एक अंश माना गया है उन्हें प्रकृति का छठा भाग कहा गया है जिस कारण उनका नाम छठी रखा गया

प्रश्न: छठ माता का पिता कौन है?

उत्तर: छठ माता के पिता भगवान ब्रह्मा माने जाते हैं वह इसलिए क्योंकि छठी माता प्रकृति का ही एक रूप है और प्रकृति की उत्पत्ति भगवान ब्रह्मा ने ही की थी

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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