हर वर्ष सिख धर्म के लोग 13 जनवरी के दिन लोहड़ी का पवित्र त्यौहार मनाते हैं। इसके ठीक अगले दिन अर्थात 14 जनवरी को माघी पर्व (Maghi In Hindi) मनाया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ माह में पड़ता है, इसलिये इसे माघी पर्व के नाम से जाना जाता हैं।
इस पर्व की शुरुआत गुरु अमर दास जी ने की थी लेकिन बाद में यह चालीस सिखों के बलिदान से याद किया जाने लगा। इस दिन लगने अले मेले को माघी मेला (Maghi Da Mela) के नाम से जाना जाता है। आइए इस पर्व से जुड़ी घटना के बारे में जानते हैं।
Maghi In Hindi | सिखों का माघी पर्व
सिखों के तीसरे गुरु गुरु अमर दास जी ने इस पर्व की शुरुआत की थी। उन्होंने सिखों को दिवाली और बैसाखी मनाने के साथ-साथ इस दिन को भी मनाने को कहा था। इस दिन उन्होंने सभी सिखों को इकट्ठे होकर नदी-तालाब में स्नान करने और खुशियाँ मनाने का संदेश दिया था। आइए जाने इस दिन से जुड़ा इतिहास:
पंजाब के मुक्तसर शहर में श्री मुक्तसर साहिब गुरूद्वारे में ही सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी रहते थे। उन्हें मुगल आक्रांताओं के द्वारा समय-समय पर धमकियाँ मिलती रहती थी। वे इस किले में अपने चालीस शिष्यों के साथ रहते थे।
एक दिन मुगलों ने इस किले को घेर लिया और उन्हें यहाँ से चले जाने को कहा। तब गुरु गोविन्द सिंह जी ने अपने सभी शिष्यों को कहा कि यदि वे यहाँ से चले जाना चाहते हैं तो जा सकते हैं लेकिन उन्हें यह लिखकर देना होगा और साथ ही शिष्य का पद त्यागना होगा।
सभी शिष्य भय के मारे वहां से चले गए और गुरु अकेले रह गए थे। जब वे सभी अपने घरो को पहुंचे तो सभी ने गुरु को अकेला छोड़कर आने के लिए उन्हें बहुत दुत्कारा। शर्म के मारे सभी चालीस सिख वापस उस किले में आए और गुरु से क्षमा याचना की।
इसके बाद मुगल सेना ने उस किले पर आक्रमण कर दिया। उन चालीस शिष्यों ने गुरु रक्षा के लिए मुगल सेना के साथ भयंकर युद्ध किया। यह युद्ध सन 1705 में लड़ा गया था। मुगल सेना वजीर खान के नेतृत्व में लड़ रही थी। श्री मुक्तसर साहिब के पास जो पानी का कुंड था वही सभी चालीस सिख शिष्य शहीद हो गए थे।
गुरु गोविन्द सिंह ने रखा मुक्तसर शहर का नाम
इसके बाद गुरु गोविन्द सिंह जी ने उन चालीस सिखों की याद में उस शहर का नाम ही मुक्तसर रखा। मुक्तसर दो शब्दों के मेल से बना है, “मुक्त” अर्थात चालीस सिखों की मुक्ति और “सर” अर्थात जिस सरोवर के पास वे सब शहीद हुए।
Maghi Da Mela | माघी मेला
इस दिन सभी सिख पंजाब के मुक्तसर शहर में इकट्ठे होते हैं और श्री मुक्तसर साहिब के सरोवर में स्नान करते है। सभी मिलकर उन चालीस सिखों की शहीदी को याद करते हैं। इस दिन मुक्तसर शहर में माघी मेले का भी आयोजन किया जाता हैं। यह मेला केवल मुक्तसर शहर में ही नही अपितु पंजाब के विभिन्न शहरो में लगता हैं।
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माघी के दिन बनने वाली खीर
इस दिन मीठी या गुड़ वाली खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। इसको माघी पर्व (Maghi In Hindi) से एक दिन पहले की शाम को ही बना लिया जाता हैं और फिर इसे ठंडा होने के लिए रख दिया जाता है। अगले दिन सुबह तक यह खीर ठंडी हो जाती है और तब इसे स्नान करने के पश्चात प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता हैं।
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अन्य राज्यों में माघी त्योहार
वैसे तो यह मुख्यतया सिखों व पंजाब राज्य का त्यौहार है लेकिन इसके साथ ही इसे हरियाणा व हिमाचल प्रदेश में भी आयोजित किया जाता है।
माघी मेले से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: हम माघी क्यों मनाते हैं?
उत्तर: इस दिन मुगलों के अत्याचार में चालीस सिखों की निर्मम हत्या कर दी गई थी। उसके बाद से माघी पर्व मनाया जाने लगा।
प्रश्न: माघी पर्व क्या है?
उत्तर: जिस दिन पूरे भारतवर्ष में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा होता है, उस दिन पंजाब के मुक्तसर में माघी मेले का आयोजन किया जाता है।
प्रश्न: माघी मेला को पंजाबी में क्या कहते हैं?
उत्तर: माघी मेला को पंजाबी में माघी मेला ही कहते हैं। यह हिन्दू धर्म के माघ महीने में पड़ता है, जिस कारण इसका नाम माघी मेला रखा गया है।
प्रश्न: सिख माघी क्यों मनाते हैं?
उत्तर: सिखों के तीसरे गुरु गुरु अमरदास जी ने सिखों को आदेश दिया था कि वे माघी त्योहार को मनाया करे। उसके बाद से सिख हर वर्ष मकर संक्रांति वाले दिन माघी पर्व मनाते हैं।
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