आखिरकार अगस्त्य ऋषि ने समुद्र क्यों पिया व इसके पीछे क्या कारण निहित थे। यह कथा तब की है जब देव और दानवों का युद्ध चल रहा था। उस समय देव इंद्र ने दैत्यों के राजा वृत्तासुर का वध कर दिया था। इसके बाद ही ऐसी स्थिति आ पड़ी थी कि अगस्त्य मुनि को समुद्र का जल पीना पड़ा (Agastya Rishi Ka Samundar Peena) था।
अब दूसरा प्रश्न यह भी उठता है कि जब अगस्त्य ऋषि सभी समुद्रों को पी गए थे तो आज हम जो समुद्र देखते हैं, वह कहाँ से आए!! इसके पीछे भी एक कथा जुड़ी हुई है। आज के इस लेख में हम आपको अगस्त ऋषि का समुद्र पीना व पृथ्वी पर फिर से समुद्रों के भर जाने की कथा सुनाएंगे।
अगस्त्य ऋषि ने समुद्र क्यों पिया?
एक समय दैत्यों का राजा वृत्तासुर था जो देव राजा इंद्र व उनकी सेना पर आक्रमण करता रहता था। सभी देवता उससे परेशान थे। इसलिए देव इंद्र ने महर्षि दधीचि की स्तुति कर उनकी हड्डियों से शक्तिशाली वज्र का निर्माण किया। इसी वज्र से देव इंद्र ने दैत्य राजा वृत्तासुर का वध कर दिया था।
अपने राजा वृत्तासुर का वध होते ही दैत्य सेना में हाहाकार मच गया व सभी अपने जीवन की रक्षा करने के लिए इधर-उधर भागने लगे। वृत्तासुर के वध के पश्चात दैत्यों के पास नेतृत्व करने को कोई राजा नहीं था। देवताओं ने पाताल लोक पर आक्रमण कर बहुत राक्षसों को मार डाला था। अब राक्षस ना देवलोक में सुरक्षित थे और ना ही पाताल लोक में। इसमें से कई राक्षस अपना जीवन बचाकर पृथ्वी लोक आ गए थे।
यह देखकर देवता भी पृथ्वी लोक पर आ गए और यहाँ भी राक्षसों का वध करने लगे। देवता सभी राक्षसों को ढूंढ-ढूंढ कर मार रहे थे। इसलिए सभी दैत्यों ने समुंद्र के नीचे छुपने का सोचा ताकि देवता उन्हें ढूंढ ना सकें। यह सोचकर सभी दैत्य समुंद्र की गहराइयों में जाकर छिप गए।
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समुद्र बना राक्षसों की शरण स्थली
दैत्यों के समुंद्र में छिपे होने के कारण देवताओं को उन्हें ढूंढने में बहुत समस्या आ रही थी। चूँकि समुंद्र अति विशाल होने के साथ-साथ बहुत गहरा भी था व साथ ही पानी के अंदर देखा नहीं जा सकता था। इसलिए देवता दैत्यों का वध कर पाने में असमर्थ थे। साथ ही दैत्य रात्रि में समुंद्र से बाहर निकल कर ऋषि मुनियों पर आक्रमण कर उन्हें खा जाते थे जिस कारण देवताओं की शक्ति कम होती जा रही थी।
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देवता गए भगवान विष्णु के पास
दैत्यों के छल से परेशान होकर सभी देवता भगवान विष्णु के पास गए व उनसे सहायता मांगी। भगवान विष्णु ने कहा कि दैत्यों को तभी मारा जा सकता है जब समुंद्र का जल सूख जाए। इसके लिए उन्होंने उपाय सुझाया कि पृथ्वी पर ही अगस्त्य मुनि नामक एक महान तपस्वी रहते हैं जो अपनी शक्ति से समुंद्र के जल को पीकर उसे सुखा सकते हैं।
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अगस्त ऋषि का समुद्र पीना
भगवान विष्णु से आदेश पाकर सभी देवता अगस्त्य मुनि से सहायता मांगने गए। जब ऋषि अगस्त्य ने देवताओं की समस्या सुनी तब वे उनकी सहायता करने को तैयार हो गए। वे सभी देवताओं के साथ समुंद्र के तट पर गए व अपने हाथ से जल लेकर पीने लगे। देखते ही देखते सारे समुंद्र का जल समाप्त हो गया व दैत्य उसमें साफ दिखने लगे।
दैत्यों के बाहर आते ही सभी देवताओं ने उन पर भीषण आक्रमण कर दिया व सभी का वध कर दिया। कुछ दैत्य डरकर वहाँ से भागकर पुनः पाताल लोक चले गए। एक तरह से अगस्त ऋषि का समुद्र पीना (Agastya Rishi Ka Samundar Peena) ही दैत्यों के अंत का कारण बना था।
इस प्रकार अगस्त्य मुनि ने समुंद्र का जल पीकर देवताओं व ऋषि-मुनियों की सहायता की। देवताओं ने राक्षसों का वध करने के पश्चात अगस्त्य मुनि से समुंद्र का जल वापस लौटाने को बोला तो उन्होंने इसमें असमर्थता दिखाई। उन्होंने कहा कि अब वह सारा जल पच चुका है। यह सुनकर देवताओं के सामने फिर एक समस्या आ खड़ी हुई।
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माँ गंगा ने किया पृथ्वी का उद्धार
सभी देवता अगस्त्य मुनि के द्वारा समुंद्र का जल ना लौटा पाने के कारण भगवान ब्रह्मा से सहायता मांगने गए। तब भगवान ब्रह्मा ने उन्हें बताया कि कुछ समय के बाद भागीरथ नाम के महान व्यक्ति इस पृथ्वी पर जन्म लेंगे। उनके तप से माँ गंगा का इस पृथ्वी पर आगमन होगा जिसे भागीरथी के नाम से भी जाना जाएगा। उन्ही माँ गंगा के जल से विश्व के सभी समुंद्र पुनः भर जाएंगे।
इस तरह से अगस्त ऋषि का समुद्र पीना एक बड़ी समस्या में नहीं बदला और भागीरथ के तप से सभी समुद्र फिर से भर गए। आशा है कि अब आपको आपके प्रश्न अगस्त्य ऋषि ने समुद्र क्यों पिया, का उत्तर मिल गया होगा।
अगस्त्य ऋषि के समुद्र पीने से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: कौन से ऋषि समुद्र पी गए थे?
उत्तर: अगस्त्य ऋषि के द्वारा समुद्र का जल पी लिया गया था ताकि देवताओं के द्वारा समुद्र में छिपे हुए राक्षसों का वध किया जा सके।
प्रश्न: रामायण में समुद्र किसने पिया?
उत्तर: रामायण में समुद्र का जल अगस्त्य मुनि के द्वारा पिया गया था। यह उन्होंने देवताओं की सहायता करने के उद्देश्य से किया था।
प्रश्न: अगस्त्य मुनि ने समुद्र को कैसे पिया?
उत्तर: उस समय ऋषि-मुनियों के पास अपने तप की बहुत शक्ति हुआ करती थी। अगस्त्य मुनि तो बहुत ही महान ऋषि थे जिस कारण उन्होंने समुद्र का जल पी लिया था।
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