कुंभकरण 6 महीने तक क्यों सोता रहता था?

Kumbhkaran 6 Mahine Kyon Sota Tha

कुंभकरण महान ऋषि विश्रवा व माता कैकसी का पुत्र व लंका के राजा रावण का छोटा भाई था (Kumbhkaran Sleeping)। वह बचपन से ही विशाल शरीर का था जो दिन-प्रतिदिन सामान्य मनुष्यों के शरीर से बहुत बड़ा होता जा रहा था (Kumbhkaran Kitne Din Sota Tha)। इसी कारण उसे इतनी भूख लगती थी कि वह प्रतिदिन अकेले ही सैकड़ों लोगों का खाना खा जाता था (Kumbhkaran 6 Mahine Kyon Sota Tha)। उसके कारण पृथ्वी पर अन्न भंडार की भी कमी होने लगी थी जिस कारण उसे छह माह तक सोने का वरदान या यूँ कहे कि श्राप मिला था। आइए जानते हैं।

कुंभकरण के छह माह तक सोने का कारण (Why Kumbhakarna Sleep For 6 Months In Hindi)

भगवान ब्रह्मा की तपस्या

कुंभकरण के इतने विशाल शरीर व पराक्रम के कारण आकाश में देवता भी उससे ईर्ष्या करने लगे थे लेकिन रावण के भय के कारण उसका कुछ नही कर सकते थे। एक दिन कुंभकरण ने अपने दोनों भाई रावण व विभीषण के साथ मिलकर भगवान ब्रह्मा की कठोर तपस्या की। तीनों भाइयों की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें दर्शन दिए।

राजा इंद्र का डर (Why Kumbhakarna Used To Sleep For Six Months)

कुंभकरण भगवान ब्रह्मा से प्रसन होकर उनसे इंद्र का राज सिंहासन मांगने वाला था। इसके बाद देवताओं पर कुंभकरण का अधिकार हो जाता जिससे इंद्र बहुत डर गए। किंतु वे भगवान ब्रह्मा को वरदान देने से मना नही कर सकते थे क्योंकि किसी को भी उसकी तपस्या का फल देना उनका कर्तव्य था। इसलिये वे माता सरस्वती के पास सहायता मांगने के लिए गए।

माता सरस्वती का उपाय (Kumbhakaran 6 Mahine Tak Kyo Sota Rahata Tha)

जब देव इंद्र माता सरस्वती के पास गए व उन्हें सारी बात बताई तो माता सरस्वती ने एक योजना बनाई। उन्होंने देव इंद्र को कहा कि जब कुंभकरण भगवान ब्रह्मा जी से वरदान मांग रहा होगा तब माता सरस्वती उसकी जिव्हा पर बैठ जाएगी जिस कारण वह इन्द्रासन की जगह निद्रासन मांग लेगा।

कुंभकरण ने माँगा इन्द्रासन की जगह निद्रासन (Kumbhkaran Asked For Nidrasan From Lord Brahma)

जब भगवान ब्रह्मा ने कुंभकरण की तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान मांगने को कहा तभी देवी सरस्वती कुंभकरण की जिव्हा पर आकर बैठ गयी जिसके कारण कुंभकरण के मुहं से इंद्रासन की जगह निद्रासन निकला। भगवान ब्रह्मा ने उसे यह वरदान दे दिया जिसके फलस्वरूप अब वह जीवन भर केवल सोता ही रहेगा। यह देखकर कुंभकरण व उसके दोनों भाई बहुत डर गए।

रावण की भगवान ब्रह्मा से याचना (Kumbhkaran Kitne Din Jagta Tha)

जब रावण ने अपने भाई की यह स्थिति देखी तो उसने भगवान ब्रह्मा से याचना की कि जिस मनुष्य को आपने बनाया है उसे आप इस तरह जीवन भर के लिए नींद में सुलाकर उसका जीवन मृत्यु से पहले ही समाप्त कर देंगे। रावण का अपने भाई के प्रति प्रेम व कुंभकरण का दुःख देखकर भगवान ब्रह्मा को उन पर दया आ गयी (Kumbhkaran Kitna Jagta Tha)।

उन्होंने कहा कि चूँकि ब्रह्म वाक्य झुठलाया नही जा सकता है फिर भी वे कुंभकरण को 6 माह में एक दिन निद्रा से जागने की अनुमति देते है। अर्थात कुंभकरण 6 माह तक गहरी निद्रा में सोएगा व केवल एक दिन के लिए जागेगा तथा उसके पश्चात फिर 6 मास के लिए सो जायेगा (Kumbhkaran Kitne Din Sota Tha Aur Kitne Din Jagta Tha)।

इस घटना के बाद कुंभकरण 6 माह तक लगातार सोता था व केवल एक दिन के लिए जागता था व उसी दिन सारे कार्य, भोजन इत्यादि करता था। इस प्रकार इंद्र की चाल व माता सरस्वती के कारण कुंभकरण छह माह तक सोता रहता था।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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