कृष्ण आरती लिरिक्स इन हिंदी – अर्थ, भावार्थ, महत्व व लाभ सहित

Krishna Bhagwan Ki Aarti

आज हम आपको कृष्ण आरती इन हिंदी (Krishna Aarti In Hindi) में देने जा रहे हैं। कृष्ण भगवान की कई आरतियाँ प्रसिद्ध है और आज हम आपके साथ कृष्ण भगवान के यशोदालाल के रूप की आरती साझा करेंगे। यह आरती यशोदा माता की श्रीकृष्ण के प्रति ममता को समर्पित है। इस लेख में आपको कृष्ण आरती हिंदी में पढ़ने को मिलेगी।

आपको यहाँ कृष्ण आरती लिरिक्स (Krishna Aarti Lyrics In Hindi) का हिंदी अनुवाद तो मिलेगा ही, साथ ही हम उसका भावार्थ भी समझाएंगे। अंत में श्री कृष्ण आरती लिरिक्स का महत्व व उसे पढ़ने के लाभ भी बताए जाएंगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं कृष्ण आरती इन हिंदी अर्थ सहित।

Krishna Aarti In Hindi | कृष्ण आरती इन हिंदी

आरती करत यशोदा प्रमुदित,
फूली अंग ना मात।
बल बल कहि दुलरावत,
आनंद मगन भई पुलकात॥

सुबरन-थार रत्न-दीपावली,
चित्रित घृत-भीनी बात।
कल सिंदूर दूब दधि अच्छत,
तिलक करत बहु भांत॥

अन्न चतुर्विध बिबिध भोज,
दुंदुभी बाजत बहु जात।
नाचत गोप कुंकुमा छिरकत,
देत अखिल नगदात॥

बरसत कुसुम निकर सुर नर मुनि,
व्रजजुवती मुसकात।
कृष्णदास प्रभु गिरधर को मुख,
निरख लजत ससिकांत॥

Krishna Aarti Lyrics In Hindi | कृष्ण आरती लिरिक्स इन हिंदी

आरती करत यशोदा प्रमुदित,
फूली अंग ना मात।
बल बल कहि दुलरावत,
आनंद मगन भई पुलकात॥

माँ यशोदा हर्षभाव के साथ श्रीकृष्ण की आरती कर रही है। इसे करते हुए वे फूली नहीं समा रही है। वे श्रीकृष्ण पर अपना प्यार लुटा रही है और उन्हें दुलार रही है। ऐसा करते हुए वे आनंद में मगन होकर घूम रही है।

सुबरन-थार रत्न-दीपावली,
चित्रित घृत-भीनी बात।
कल सिंदूर दूब दधि अच्छत,
तिलक करत बहु भांत॥

रत्नों से जड़ित पूजा की थाली में दीपों को सजाया गया है। उस थाली में घी की बाती जल रही है। माता यशोदा ने उस थाली में सिंदूर, दूब, दही, अक्षत इत्यादि भी रखा है और उससे वे श्रीकृष्ण को तिलक कर रही हैं।

अन्न चतुर्विध बिबिध भोज,
दुंदुभी बाजत बहु जात।
नाचत गोप कुंकुमा छिरकत,
देत अखिल नगदात॥

माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को नाना प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया है। इसी दौरान दुंदुभी भी बज रही है। गोपियों भी कुमकुम को उड़ाते हुए नृत्य कर रही हैं। सभी श्रीकृष्ण पर धन और धान्य लुटा रहे हैं।

बरसत कुसुम निकर सुर नर मुनि,
व्रजजुवती मुसकात।
कृष्णदास प्रभु गिरधर को मुख,
निरख लजत ससिकांत॥

आकाश से सभी देवतागण, मनुष्य और ऋषि-मुनि भी श्रीकृष्ण पर पुष्पों की वर्षा कर रहे हैं। यह देखकर ब्रज की युवतियां मुस्कुरा रही है। कृष्णदास जी कहते हैं कि श्रीकृष्ण का मनोहर रूप देखकर स्वयं चंद्रमा भी लज्जित हो जाते हैं।

कृष्ण आरती का भावार्थ

इस आरती का भावार्थ बहुत ही सीधा, स्पष्ट व माँ की ममता से परिपूर्ण है। हालाँकि श्रीकृष्ण जन्म लेते ही अपने असली माता-पिता देवकी व वासुदेव से अलग हो गए थे लेकिन यशोदा माँ व नंदबाबा के रूप में उन्हें माता-पिता का भरपूर प्रेम मिला।

माता यशोदा ने कृष्ण के लाड-प्यार में कोई कमी नही आने दी थी। फिर चाहे कान्हा के कितने ही नखरे, अटखेलियाँ, शिकायतें इत्यादि क्यों ना हो। यशोदा माँ की तो ऐसी स्थिति थी कि गाँव के सभी लोग उनके लल्ला के प्यारे मुखड़े पर आनंदित रहते थे और बांसुरी की धुन सुनने को लालायित रहते थे तो दूसरी और कान्हा की मस्ती से परेशान होकर यशोदा को शिकायत भी करते रहते थे।

बस इन्हीं कुछ झलकियों का वर्णन इस आरती के माध्यम से किया गया है कि कैसे यशोदा माँ कान्हा को नहलाती हैं, उन्हें तैयार करती हैं, कुमकुम-चंदन का तिलक लगाती हैं, वस्त्र पहनाती हैं, उन्हें माखन खाने को देती हैं इत्यादि।

कृष्ण आरती लिरिक्स का महत्व

भगवान श्रीकृष्ण आरती के माध्यम से हमें श्रीकृष्ण के गुणों, शक्तियों, महिमा, महत्व इत्यादि के बारे में जानकारी मिलती है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का एक ऐसा पूर्ण अवतार है जो सभी गुणों से संपन्न है। उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में एक नहीं बल्कि कई उद्देश्यों को पूरा किया है। अपने कर्मों के द्वारा उन्होंने हमें कई तरह की शिक्षा भी दी है।

श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में ही कलियुग के अंत तक की शिक्षा दे दी थी। जैसे-जैसे कलियुग का समयकाल आगे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे ही श्रीकृष्ण भी अधिक प्रासंगिक होते जा रहे हैं। ऐसे में श्रीकृष्ण के बारे में और अधिक जानने और उनके गुणों को आत्मसात करने के उद्देश्य से ही श्रीकृष्ण आरती का पाठ किया जाता है। यहीं कृष्ण आरती लिरिक्स का महत्व है।

कृष्ण आरती पढ़ने के लाभ

यदि आप प्रतिदिन सच्चे मन के साथ कृष्ण आरती लिरिक्स का पाठ करते हैं तो इससे श्रीकृष्ण आपसे प्रसन्न होते हैं। श्रीकृष्ण के प्रसन्न होने का अर्थ हुआ, आपकी सभी तरह की दुविधाओं, संकटों, कष्टों, परेशानियों, विघ्नों, दुविधाओं, उलझनों, मतभेदों, समस्याओं, नकारात्मकता, द्वेष, ईर्ष्या, इत्यादि का अंत हो जाना।

श्रीकृष्ण की कृपा से हमारा जीवन सरल हो जाता है, घर में सुख-शांति का वास होता है, व्यापार, करियर व नौकरी में उन्नति होती है, शिक्षा में अव्वलता आती है, स्वास्थ्य उत्तम होता है, रिश्ते मधुर बनते हैं और समाज में प्रतिष्ठा में बढ़ोत्तरी देखने को मिलती है। इसलिए आपको शुद्ध तन, निर्मल मन और स्वच्छ स्थान पर श्रीकृष्ण आरती का पाठ करना चाहिए।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने कृष्ण आरती इन हिंदी (Krishna Aarti In Hindi) में पढ़ ली है। आशा है कि आपको धर्मयात्रा संस्था के द्वारा दी गई यह जानकारी पसंद आई होगी। यदि आप अपनी प्रतिक्रिया देना चाहते हैं या इस विषय पर हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट कर सकते हैं। हमारी और से आप सभी को जय श्रीकृष्ण।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझ से किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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