नवग्रहों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है क्योंकि इनके प्रभाव से ही हमारी कुंडली व भाग्य तय होते हैं। ऐसे में नवग्रह मंत्र (Navgrah Mantra) के जाप से सभी नवग्रहों को प्रसन्न किया जा सकता है। नवग्रह के मंत्र हमारे शारीरिक व मानसिक विकास के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इनसे शरीर में एक नयी चेतना का विकास होता है।
इसलिए आज हम नवग्रह बीज मंत्र (Navgrah Beej Mantra) तो पढ़ेंगे ही लेकिन साथ ही हर नवग्रह मंत्र इन हिंदी अर्थ सहित भी जानेंगे। कहने का तात्पर्य यह हुआ कि नवग्रह मंत्र के साथ-साथ हम उस ग्रह की विशेषता के बारे में भी जानेंगे ताकि हमें इसका संपूर्ण लाभ मिल सके।
इसके साथ ही आपको नवग्रह मंत्र PDF फाइल और फोटो भी मिलेगी। इसे आप अपने मोबाइल में डाउनलोड कर सेव कर सकते हैं। अंत में हम आपको नवग्रह मंत्र के लाभ और उसके महत्व के बारे में भी बताएँगे। आइए सबसे पहले पढ़ते हैं नवग्रह का मंत्र हिंदी में।
Navgrah Mantra | नवग्रह मंत्र
नवग्रह मंत्र जाप से पहले हमें नवग्रह के नाम जानने चाहिए। कुछ लोगों को लगता है कि जो हमारे सौरमंडल के नौ ग्रह है, उन्हें ही नवग्रह के नाम से जाना जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। सनातन धर्म के अनुसार नवग्रह की व्याख्या और महत्व अलग है। नवग्रह में सूर्य को भी एक ग्रह के रूप में माना जाता है जो सबसे पहले आता है।
ऐसे में आपका नवग्रह का नाम क्रमानुसार जानना आवश्यक है। इसके बाद ही आप नवग्रह के मंत्र अच्छे से जान और समझ पाएंगे। तो आइए पहले नवग्रहों के नाम क्रमानुसार जान लेते हैं।
- सूर्य
- चन्द्रमा
- मंगल या भौमाये
- बुध
- गुरु या बृहस्पति
- शुक्र
- शनि
- राहु
- केतु
अब जब हमनें नवग्रहों के नाम क्रमानुसार जान लिए हैं तो चलिए नवग्रह शांति के लिए नवग्रह बीज मंत्र (Navgrah Beej Mantra) का जाप करते हैं। नीचे हम नवग्रह के करमन के अनुसार ही पहले उसका बीज मंत्र देंगे और फिर उसका हिंदी अर्थ बताएँगे।
#1. सूर्य मंत्र
ॐ ह्राँ ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः॥
पृथ्वी के लिए सबसे महान देवता व आराध्य सूर्य देव ही हैं क्योंकि उनके अस्तित्व के कारण ही पृथ्वी का अस्तित्व है और पृथ्वी के कारण ही हम सभी का अस्तित्व है। यही कारण है कि जब श्रीहरि भी श्रीराम या श्रीकृष्ण रूप में पृथ्वी पर अवतार लेते हैं तो वे सूर्य के उपासक बन जाते हैं।
सूर्य बीज मंत्र के जाप से मनुष्य के अंदर चेतना जागृत होती है तथा वह अंधकार से रोशनी की ओर जाता है। सूर्य देव की महत्ता को देखते हुए सूर्य मंत्र के साथ-साथ सूर्य नमस्कार को भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है जो हमें प्रतिदिन करना चाहिए।
#2. चन्द्रमा मंत्र
ॐ श्राँ श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः॥
चंद्रमा हमारी पृथ्वी का उपग्रह होने के साथ-साथ नवग्रह में भी सम्मिलित है। रात्रि के घोर अंधकार में हमें चंद्रमा ही मार्ग दिखाते हैं और साथ ही पृथ्वी को शीतलता भी प्रदान करते हैं। मन में शीतलता का वास होने से हमारा चित्त शांत रहता है और उसमे प्रेम का संचार होता है।
चंद्रमा बीज मंत्र के जाप से मनुष्य के मन को शांति का अनुभव होता है और वह स्थिर रहता है। चंद्रमा मंत्र के कारण ही हम स्वयं को प्रेम से परिपूर्ण कर सकते हैं।
#3. मंगल मंत्र
ॐ क्राँ क्रीं क्रौं सः भौमाये नमः॥
मंगल ग्रह तो नाम से ही अपना परिचय दे देते हैं अर्थात इनका नाम लेने मात्र से ही सभी कार्य मंगल हो जाते हैं। साथ ही मंगल ग्रह को भूमिपुत्र या भौमाये की संज्ञा दी गयी है अर्थात यह पृथ्वी ग्रह से बहुत मिलता जुलता है और उसके सबसे समीप भी है।
मंगल बीज मंत्र के जाप से मनुष्य को सुंदरता मिलती है तथा अमृत रस की प्राप्ति होती है। मंगल मंत्र के कारण ही हम अपने शरीर की बनावट को सही रख पाते हैं और जलपान कर पाते हैं।
#4. बुध मंत्र
ॐ ब्राँ ब्रीं ब्रौं सः बुधाये नमः॥
बुध ग्रह अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सूर्य के सबसे समीप है और इसी कारण इस पर सूर्य का प्रभाव भी अत्यधिक रहता है। बुध ग्रह की स्थिति के कारण ही हमारा भाग्य तय होता है और हमारे घर में लक्ष्मी का प्रवेश होता है।
यदि इनकी स्थिति सही नही है तो घर से लक्ष्मी माँ चली जाती हैं। बुध बीज मंत्र के जाप से मनुष्य को सभी तरह की धन-संपदा की प्राप्ति होती है तथा उसका वैभव बढ़ता है। बुध मंत्र के जाप के कारण ही मनुष्य यश को प्राप्त करता है एवं सुखी रहता है।
#5. गुरु मंत्र
ॐ ग्राँ ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः॥
गुरु ग्रह को बृहस्पति ग्रह की संज्ञा भी दी गयी है और अपने गुण के कारण ही उनका नाम गुरु पड़ा। दरअसल सभी देवताओं के गुरु बृहस्पति ग्रह को कहा जाता है और इसी कारण उनका एक नाम गुरु ग्रह भी पड़ा। वैसे भी हमारे वेदों में गुरु को सबसे महान व समाज को शिक्षा देने वाला कहा गया है जिन्हें ईश्वर से ऊपर की उपाधि प्राप्त है।
गुरु बीज मंत्र के जाप से मनुष्य के ऊपर माँ सरस्वती व भगवान गणेश की कृपा होती है तथा वह बुद्धि व विद्या को प्राप्त करता है। गुरु मंत्र के जाप के कारण ही मनुष्य अपनी बुद्धि व विद्या के बल पर प्रगति करता है व जीवन में आगे बढ़ता है।
#6. शुक्र मंत्र
ॐ द्राँ द्रीं द्रौं सः शुक्राये नमः॥
शुक्र ग्रह को तार्किक क्षमता वाला ग्रह माना गया है और वह हमें तर्क-वितर्क करने की शक्ति प्रदान करते हैं। साथ ही शुक्र ग्रह ही मनुष्य को विज्ञान की समझ देते हैं और उसकी प्रगति करवाते हैं। विज्ञान में जो भी खोज हुई है वह शुक्र ग्रह के कारण ही हुई है।
शुक्र बीज मंत्र के जाप से मनुष्य के मस्तिष्क का विकास होता है और वह अपनी सीमा से परे जाकर विचार करता है तथा अनसुलझे रहस्यों को खोजता है। शुक्र मंत्र के जाप से मनुष्य की तार्किक व वैज्ञानिक क्षमता का विकास होता है।
#7. शनि मंत्र
ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनये नमः॥
शनि ग्रह के प्रभाव के बारे में कौन नही जानता। हम में से बहुत लोग शनि देव के प्रकोप के कारण भयभीत भी रहते हैं लेकिन यह गलत है। शनि ग्रह को तो इस जगत का न्याय का देवता माना गया है जो पापियों व दुष्टों को उनके पाप का दंड देते हैं। उनकी दृष्टि से किसी भी तरह का पाप छिपा नही रह सकता है और वे उचित समय पर हर किसी को उसके पापकर्मों व धर्म विरुद्ध कार्य के लिए उचित दंड भी देते हैं।
ऐसे में शनि बीज मंत्र के जाप से हम उनके प्रकोप को थोड़ा कम कर सकते हैं और उन्हें प्रसन्न कर सकते हैं। शनि मंत्र के जाप से हमारे अंदर सत्कर्म करने और किसी का बुरा ना करने का भाव जागृत होता है जो हमारा ही उद्धार करता है।
#8. राहु मंत्र
ॐ भ्राँ भ्रीं भ्रौं सः राहुवे नमः॥
राहु ग्रह को पाप ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है। वे सांसारिक मोहमाया से दूर करने के लिए तत्पर रहते हैं और कभी भी दुष्टों का साथ नही देते हैं। इनके प्रभाव से सभी डरते हैं और एक बार इनकी कुदृष्टि पड़ गयी तो यह उसे नही छोड़ते।
राहु बीज मंत्र के जाप से हम उन्हें शांत कर सकते हैं और भ्रमजाल से बचे रह सकते हैं। राहु मंत्र का जाप करने पर हम अपने ऊपर हुए भ्रम, मायाजाल, काला जादू इत्यादि को नष्ट कर सकते हैं।
#9. केतु मंत्र
ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतुवे नमः॥
केतु ग्रह को भी पाप ग्रह की श्रेणी में रखा जाता है। केतु ग्रह के प्रभाव से भी सभी मनुष्य भयभीत रहते हैं लेकिन ये हमारे स्वास्थ्य को उत्तम बनाने का कार्य करते हैं। यदि किसी का स्वास्थ्य ठीक नही चल रहा है तो उस मनुष्य पर केतु ग्रह का प्रभाव ठीक नही होता है।
केतु बीज मंत्र के जाप से हम निरोगी व स्वस्थ काया वाले रह सकते हैं। केतु मंत्र का नियमित जाप करने से हम गंभीर बिमारियों से भी छुटकारा पा सकते हैं।
Navgrah Beej Mantra | नवग्रह बीज मंत्र
अब हम आपको सभी नवग्रह बीज मंत्रों को एक साथ दे देते हैं। इससे आपको पढ़ने में आसानी होगी। आइए पढ़ें:
॥ सूर्य बीज मंत्र ॥
ॐ ह्राँ ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः॥
॥ चन्द्रमा बीज मंत्र ॥
ॐ श्राँ श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः॥
॥ मंगल बीज मंत्र ॥
ॐ क्राँ क्रीं क्रौं सः भौमाये नमः॥
॥ बुध बीज मंत्र ॥
ॐ ब्राँ ब्रीं ब्रौं सः बुधाये नमः॥
॥ गुरु बीज मंत्र ॥
ॐ ग्राँ ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः॥
॥ शुक्र बीज मंत्र ॥
ॐ द्राँ द्रीं द्रौं सः शुक्राये नमः॥
॥ शनि बीज मंत्र ॥
ॐ प्राँ प्रीं प्रौं सः शनये नमः॥
॥ राहु बीज मंत्र ॥
ॐ भ्राँ भ्रीं भ्रौं सः राहुवे नमः
॥ केतु बीज मंत्र ॥
ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतुवे नमः॥
तो यह सभी नवग्रहों के बीज मंत्र माने जाते हैं। अब नीचे हम आपको इनकी पीडीएफ फाइल और फोटो भी उपलब्ध करवाने जा रहे हैं।
नवग्रह मंत्र फोटो
यह रही नवग्रह मंत्र की फोटो:
यदि आप मोबाइल में इसे देख रहे हैं तो फोटो पर क्लिक करके रखिए। उसके बाद आपको फोटो डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा। वहीं यदि आप लैपटॉप या कंप्यूटर में इसे देख रहे हैं तो इमेज पर राईट क्लिक करें। इससे आपको इमेज डाउनलोड करने का विकल्प मिल जाएगा।
नवग्रह मंत्र PDF | Navgrah Mantra PDF
अब हम नवग्रह मंत्र की PDF फाइल भी आपके साथ साझा कर देते हैं।
यह रहा उसका लिंक: नवग्रह मंत्र PDF
ऊपर आपको लाल रंग में नवग्रह मंत्र PDF फाइल का लिंक दिख रहा होगा। आपको बस उस पर क्लिक करना है और उसके बाद आपके मोबाइल या लैपटॉप में पीडीएफ फाइल खुल जाएगी। फिर आपके सिस्टम में इनस्टॉल एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर के हिसाब से डाउनलोड करने का विकल्प भी ऊपर ही मिल जाएगा।
नवग्रह बीज मंत्र का महत्व
पृथ्वी के ऊपर नवग्रहों का बहुत प्रभाव है क्योंकि हम एक ही आभामंडल में आते हैं। ऐसे में मनुष्य योनी का जन्म अवश्य ही पृथ्वी के क्षेत्र पर हुआ है लेकिन उस पर केवल पृथ्वी के वातावरण व वायुमंडल का प्रभाव ही नही होता अपितु इन सभी नव ग्रहों का भी हमारे ऊपर उतना ही प्रभाव होता है।
ऐसे में हमारी जन्म तिथि व समय के अनुसार हमारी कुंडली का निर्माण किया जाता है तथा विभिन्न ज्योतिषीय आंकड़ों के अनुसार हमारे भविष्य का आंकलन किया जाता है। ऐसे में इन ग्रहों का हमारे ऊपर पड़ने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए और इनकी शांति के उपाय के लिए नवग्रह मंत्र, चालीसा, स्तोत्र व आरती का पाठ किया जाता है।
नवग्रह मंत्र के लाभ
हमारे जीवन में हरेक घटना नवग्रहों की स्थिति के कारण ही घटित होती है। आपके जीवन में चाहे सब कुछ अच्छा चल रहा हो या कोई बुरी घटना घटित हुई हो, वह सभी नवग्रहों की स्थिति के अनुसार ही होता है। यदि नवग्रह में से कोई भी एक ग्रह गलत दिशा या घर में है उसका आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वही यदि सभी ग्रह सही घर में है तो सब कुछ मंगल होता है।
नवग्रह मंत्र के माध्यम से आप एक ही बारी में सभी ग्रहों को प्रसन्न करने का काम कर रहे होते हैं। इसका लाभ यह मिलता है कि सभी ग्रह आप पर अपनी कृपा बरसाते हैं। यदि सभी ग्रह प्रसन्न हो जाते हैं तो आपका जीवन सुखमय बनता है और सभी अनुचित घटनाक्रम का अंत हो जाता है। यहीं नवग्रह मंत्र के लाभ होते हैं।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने नवग्रह मंत्र (Navgrah Mantra) पढ़ ली है। साथ ही आपने नवग्रह बीज मंत्र का अर्थ, महत्व और लाभ भी जान लिया है। यदि आपको नवग्रह मंत्र PDF फाइल या फोटो डाउनलोड करने में किसी तरह की समस्या होती है या आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो आप नीचे कमेंट करें। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।
नोट: यदि आप वैदिक ज्ञान 🔱, धार्मिक कथाएं 🕉️, मंदिर व ऐतिहासिक स्थल 🛕, भारतीय इतिहास, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य 🧠, योग व प्राणायाम 🧘♂️, घरेलू नुस्खे 🥥, धर्म समाचार 📰, शिक्षा व सुविचार 👣, पर्व व उत्सव 🪔, राशिफल 🌌 तथा सनातन धर्म की अन्य धर्म शाखाएं ☸️ (जैन, बौद्ध व सिख) इत्यादि विषयों के बारे में प्रतिदिन कुछ ना कुछ जानना चाहते हैं तो आपको धर्मयात्रा संस्था के विभिन्न सोशल मीडिया खातों से जुड़ना चाहिए। उनके लिंक हैं:
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