विंध्यवासिनी आरती – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

Vindheshwari Aarti

आज के इस लेख में हम विन्ध्येश्वरी आरती (Vindheshwari Aarti) का पाठ करने जा रहे हैं। माँ आदिशक्ति के कई रूप हैं और हर रूप भक्तों के लिए पूजनीय है। माँ के भिन्न-भिन्न रूप अलग-अलग महत्व रखते हैं और उन्हीं गुणों को आत्मसात करने के लिए या उद्देश्य प्राप्ति के लिए उनकी पूजा की जाती है। इसी में माँ दुर्गा का एक रूप माँ विन्ध्येश्वरी बहुत ही महत्वपूर्ण है जिनका अस्तित्व इस सृष्टि से पहले भी था और बाद में भी रहेगा।

आज के इस लेख में ना केवल आपको विंध्यवासिनी आरती (Vindhyavasini Aarti) पढ़ने को मिलेगी अपितु उसी के साथ ही उसका अर्थ भी जानने को मिलेगा। इससे आपको मां विंध्यवासिनी की आरती का महत्व समझ में आएगा। इसी के साथ आपको विंधेश्वरी आरती को पढ़ने के फायदे भी जानने को मिलेंगे। तो चलिए सबसे पहले पढ़ते हैं मां विन्ध्येश्वरी आरती हिंदी में।

Vindheshwari Aarti | विन्ध्येश्वरी आरती

सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी,
तेरा पार न पाया॥ टेक॥

पान सुपारी ध्वाजा नारियल,
ले तेरी भेंट चढ़ाया॥

सुवा चोली तेरे अंग विराजै,
केसर तिलक लगाया॥

नंगे पांव तेरे अकबर आया,
सोने का छत्र चढ़ाया॥

ऊँचे ऊँचे पर्वत बना देवालय,
नीचे शहर बसाया॥

सतयुग त्रेता द्वापर मध्ये,
कलयुग राज सवाया॥

धूप दीप नैवेद्य आरती,
मोहन भोग लगाया॥

ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गावैं,
मनवांछित फल पाया॥

Vindhyavasini Aarti | विंध्यवासिनी आरती – अर्थ सहित

सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी, तेरा पार न पाया॥टेक॥

माँ विंध्यवासिनी जो विन्ध्य पर्वत पर रहती हैं, वे मेरी प्रार्थना को सुन लें। कोई भी भक्तगण आपको पार नहीं पा सका है और आप ही हम सभी का भला करती हो।

पान सुपारी ध्वाजा नारियल, ले तेरी भेंट चढ़ाया॥

हम सभी भक्तगण पान, सुपारी, ध्वजा व नारियल को आपके दरबार में आकर भेंट चढ़ाते हैं। आपको यह सभी बहुत प्रिय हैं, इसलिए भक्तगण आपको यह चढ़ाते हैं।

सुवा चोली तेरे अंग विराजै, केसर तिलक लगाया॥

आपने भगवा चोली ओढ़ी हुई है और केसर का तिलक लगाया हुआ है जो बहुत ही सुन्दर लग रहा है। यही आपके रूप को दिखाता है।

नंगे पांव तेरे अकबर आया, सोने का छत्र चढ़ाया॥

एक समय में, जब भारत देश पर मुस्लिम आक्रांताओं का शासन था और दुष्ट अकबर के राज में हर ओर त्राहिमाम मचा हुआ था तब वह दुष्ट राजा भी भय के मारे आपके दरबार में आया था और सोने से बना हुआ छत्र चढ़ा कर गया था।

ऊँचे ऊँचे पर्वत बना देवालय, नीचे शहर बसाया॥

आपने अपना निवास स्थान पर्वतों को बनाया जहाँ आपका मंदिर स्थापित है। उसके नीचे आपने मनुष्यों के रहने के लिए एक नगरी बसा दी।

सतयुग त्रेता द्वापर मध्ये, कलयुग राज सवाया॥

आपने इस कल्प के चारों युगों में अपना राज बसाया है तथा भक्तों की रक्षा की है। फिर चाहे वह सतयुग, त्रेतायुग व द्वापर युग हो या अभी चल रहा कलियुग हो।

धूप दीप नैवेद्य आरती, मोहन भोग लगाया॥

हम सभी धूप, दीपक व नैवेद्य के साथ आपकी आरती करते हैं और आपको नाना प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाते हैं।

ध्यानू भगत मैया तेरे गुण गावैं, मनवांछित फल पाया॥

जो भी भक्तगण सच्चे मन से आपकी आरती करता है और आपका ध्यान करता है, उसे इच्छा अनुसार फल की प्राप्ति होती है और उसके सभी काम बन जाते हैं।

विन्ध्येश्वरी आरती का महत्व

ऊपर आपने माँ विन्ध्येश्वरी आरती पढ़ी और साथ ही उसका अर्थ भी जाना। तो इसे पढ़ कर अवश्य ही आपको यह समझ में आ गया होगा कि माँ विन्ध्येश्वरी का एक ही रूप नहीं है या उन्हें एक ही नाम से नहीं जाना जाता है बल्कि उनके कई रूप व कई नाम हैं। ऐसे में माँ विन्ध्येश्वरी साक्षात माँ दुर्गा का ही रूप हैं और इस रूप में उनकी महत्ता अत्यधिक बढ़ जाती है।

विन्ध्येश्वरी आरती के माध्यम से हम सभी को माँ के गुणों व महत्व के बारे में समझाने का प्रयास किया गया है। इससे हमें यह पता चलता है कि यदि हम सच्चे मन से माँ की पूजा करते हैं और उनका ध्यान करते हैं तो अवश्य ही हमें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। यही विन्ध्येश्वरी आरती का महत्व है।

विंध्यवासिनी आरती के फायदे

अंत में हम यह भी जानेंगे कि विन्ध्येश्वरी आरती या जिसे हम विंध्यवासिनी आरती भी कह सकते हैं, उसे पढ़ने से हमें क्या-क्या लाभ मिलते हैं। तो यहाँ हम आपको बता दें कि माँ के 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ माँ विंध्यवासिनी का भी है जो उत्तर प्रदेश राज्य में विन्ध्य पर्वत पर स्थित है। उसकी महत्ता इतनी अधिक है कि हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु वहां मातारानी के दर्शन करने हेतु आते हैं।

इसलिए यदि आप अपने घर पर ही नियमित रूप से माँ विंध्यवासिनी की आरती का पाठ करते हैं और सच्चे मन से माँ का ध्यान करते हैं तो माँ की कृपा दृष्टि आप पर होती है। इससे ना केवल आपका मन शांत व निर्मल होता है बल्कि आपके जीवन में जो भी कठिनाइयाँ आ रही थी, वह भी स्वतः ही दूर हो जाती है। आपके घर में भी सुख-समृद्धि में वृद्धि देखने को मिलती है तथा तनाव दूर होता है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने विन्ध्येश्वरी आरती (Vindheshwari Aarti) पढ़ ली है। साथ ही आपने विंध्यवासिनी आरती के फायदे, अर्थ और उसका महत्व जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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