गोवर्धन की आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

गोवर्धन की आरती (Govardhan Ki Aarti)

आज के इस लेख में हम आपके साथ गोवर्धन जी की आरती (Govardhan Ji Ki Aarti) हिंदी में अर्थ सहित साझा करेंगे। इसे पढ़ कर आपको गोवर्धन देवता के बारे में जानने और उनके महत्व को समझने में सहायता मिलेगी। श्रीकृष्ण ने अपने जीवनकाल में कई तरह की शिक्षाएं दी थी जो आज भी उतनी ही मान्य है जितनी द्वापर युग में थी।

इसमें से एक शिक्षा इंद्र देव का मान भंग कर गोवर्धन पर्वत को अपनी एक ऊँगली पर उठाना भी था जिसे हम गिरिराज के नाम से भी जानते हैं। यहीं कारण है कि आज हम गोवर्धन की आरती (Govardhan Ki Aarti) तो करेंगे ही बल्कि उसका अर्थ भी जानेंगे। लेख के अंत में गोवर्धन आरती का महत्व व लाभ भी जानने को मिलेगा। आइए सबसे पहले गोवर्धन जी की आरती हिंदी में अर्थ सहित पढ़ लेते हैं।

Govardhan Ji Ki Aarti | गोवर्धन जी की आरती – अर्थ सहित

श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ॥

गोवर्धन महाराज की जय हो। हे गोवर्धन महाराज!! कृपया करके हमारी प्रार्थना को सुन लीजिये। आपने मस्तक पर मुकुट पहन रखा है जो आपकी शोभा को बढ़ाने का कार्य कर रहा है।

तोपे पान चढ़े, तोपे फूल चढ़े,
तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ,
श्री गोवर्धन महाराज॥

आपकी पूजा में पान, फूल व दूध चढ़ाया जाता है। आपने अपने मस्तक पर मुकुट पहन रखा है और आपकी जय हो।

तेरी सात कोस की परिकम्मा,
और चकलेश्वर है विश्राम।

गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा सात कोस की होती है जो बहुत ही शुभ फल देने वाली होती है। इस परिक्रमा के दौरान भक्तगण चकलेश्वर में विश्राम करते हैं।

तेरे गले में कंठा साज रेहेओ,
ठोड़ी पे हीरा लाल।

आपके गले में कंठा बहुत ही सजा हुआ लग रहा है और ठोड़ी पर हीरा लाल है।

तेरे कानन कुंडल चमक रहेओ,
तेरी झांकी बनी विशाल।

आपने कानो में कुंडल पहन रखे हैं जो चमक रहे हैं तो वहीं आपकी झांकी बहुत ही विशाल व अद्भुत है।

गिरिराज धारण प्रभु तेरी शरण,
करो भक्त का बेड़ा पार।

हम सभी गिरिराज प्रभु की शरण में आये हुए हैं और अब आप ही अपने भक्तों का बेड़ा पार लगवा सकते हैं।

ऊपर आपने गोवर्धन की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Govardhan Ki Aarti) पढ़ ली है। इससे आपको गोवर्धन आरती का भावार्थ समझ में आ गया होगा। अब हम गोवर्धन जी की आरती के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।

गोवर्धन आरती का महत्व

जब भी किसी महापुरुष, देवता, ईश्वर, संत, गुरु इत्यादि पर आरती लिखी जाती है तो उसके पीछे का उद्देश्य उस आरती के माध्यम से उनके जीवन का संक्षिप्त रूप में परिचय देना, उनकी उपलब्धियां बताना, उनके कार्यों को दिखलाना तथा उनसे मिलती शिक्षा को देना होता है। श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी ऊँगली पर उठा कर और गोकुलवासियों को इंद्र देव की बजाये गोवर्धन पर्वत की पूजा करके, जो प्रकृति प्रेम का सन्देश दिया था, वही इस गोवर्धन आरती में बताया गया है।

गोवर्धन जी की आरती को पढ़ कर आपको गोवर्धन पर्वत की महानता के बारे में तो ज्ञान होता ही है किन्तु इसी के साथ-साथ आप यह भी समझ पाने में सक्षम होते हैं कि आसपास जो भी तत्व हमारे जीवन को सुचारू रूप से चलाने में प्रयासरत हैं, वे भी हमारे लिए उतने ही मूल्यवान है। ऐसे में सनातन धर्म में प्रकृति के सरंक्षण, उसकी देखभाल और उसके साथ ही जीवनयापन करने की प्रेरणा इस गोवर्धन की आरती के माध्यम से मिलती है।

गोवर्धन आरती के लाभ

यदि आप प्रतिदिन गोवर्धन आरती का पाठ करते हैं तो आपके अंदर प्रकृति प्रेम तो जागृत होता ही है और उसी के साथ-साथ आपको प्रकृति से एक अलग जुड़ाव का भी अनुभव होता है जो आज के समय में बहुत आवश्यक है। मानव की बढ़ती आकांक्षाओं और तकनीक के कारण प्रकृति का जिस तरह से दिन-प्रतिदिन दोहन हो रहा है, वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। ऐसे में गोवर्धन जी की आरती हमें बहुत कुछ सिखा कर जाती है।

गोवर्धन महाराज की आरती को पढ़ कर आपके अंदर प्रकृति प्रेम जागृत होता है और आप उसके सरंक्षण का कार्य करते हैं। अब आप जितना ज्यादा प्रकृति के साथ समय बिताएंगे और उसकी देखभाल करेंगे, उतना ही आप शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहेंगे व इसी के साथ-साथ अपनी आने वाली पीढ़ी को एक स्वच्छ व स्वस्थ धरती सौंप कर जायेंगे।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने गोवर्धन जी की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Govardhan Ji Ki Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने गोवर्धन आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

गोवर्धन आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: गोवर्धन पूजा का मंत्र कौन सा है?

उत्तर: गोवर्धन पूजा का मंत्र “ओम कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतः क्लेशनाशय गोविंदाय नमो नमः॥” है जिसका जाप आप गोवर्धन पूजा के समय कर सकते हैं।

प्रश्न: गोवर्धन जी की पूजा कैसे की जाती है?

उत्तर: इसके लिए आपको गाय के ताजा गोबर से अपने घर के आँगन में गोवर्धन पर्वत की आकृति बनानी होती है और फिर गोवर्धन आरती का पाठ कर उनकी पूजा करनी होती है।

प्रश्न: गोवर्धन कौन सा भगवान है?

उत्तर: द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र देव का मान भंग करने तथा मनुष्य को प्रकृति प्रेम का संदेश देने के लिए मथुरा में स्थित गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। इसी के बाद से ही उन्हें गिरिराज की उपाधि मिली थी।

प्रश्न: गोवर्धन महाराज की पूजा क्यों की जाती है?

उत्तर: द्वापर युग में स्वयं श्रीकृष्ण ने ही गोवर्धन पूजा करने का महत्व बताया था जो प्रकृति प्रेम से जुड़ा हुआ है। उसी के बाद से ही गोवर्धन महाराज की पूजा की जाती है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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