बद्रीनाथ आरती (Badrinath Aarti): सनातन धर्म में चार धाम माने गए हैं जो भारत देश के उत्तर, दक्षिण, पूर्व व पश्चिमी छोर पर स्थित हैं। इसी क्रम में भारत के उत्तरी छोर पर स्थित बद्रीनाथ धाम भक्तों के बीच बहुत प्रसिद्ध है जो बर्फीली पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहाँ सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है। इसी के साथ ही यहाँ पर सुबह-शाम बद्रीनाथ आरती भी की जाती है।
ऐसे में आज के इस लेख के माध्यम से हम आपके साथ मिलकर बद्रीनाथ की आरती ही करेंगे। इतना ही नहीं यहाँ आपको बद्रीनाथ जी की आरती (Badrinath Ji Ki Aarti) अर्थ सहित भी पढ़ने को मिलेगी ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें। अंत में हम आपके साथ श्री बद्रीनाथ जी की आरती का महत्व व लाभ भी सांझा करेंगे। तो आइये सबसे पहले करते हैं आरती बद्रीनाथ जी की।
Badrinath Aarti | बद्रीनाथ आरती
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्।
निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम्।
वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्॥
शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम्।
जोग ध्यान अपार लीला, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर, धूप दीप प्रकाशितम्।
सिद्ध मुनिजन करत जय जय, बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
यक्ष किन्नर करत कौतुक, ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम्।
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
कैलाश में एक देव निरंजन, शैल शिखर महेश्वरम्।
राजयुधिष्ठिर करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
श्री बद्रजी के पंच रत्न, पढ्त पाप विनाशनम्।
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य, प्राप्यते फलदायकम्॥
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्।
निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
Badrinath Ji Ki Aarti | बद्रीनाथ जी की आरती – अर्थ सहित
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्।
निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
बद्रीनाथ धाम मंदिर के आसपास वायु बहुत ही शांत, सुगंधित और शीतल रूप में बह रही है अर्थात वहां की हवा में ठंडक और सुंगंध दोनों ही है। वहीं बर्फ की पहाड़ियों से घिरा हुआ बद्रीनाथ जी का मंदिर स्थित है। वहां पास में अलकनंदा जो गंगा की तरह ही निर्मल है, बह रही है। वहीं पर हम सभी के ईश्वर बद्रीनाथ जी विराजमान हैं।
शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम्।
वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्॥
वहां पर शेषनाग दिन-रात बद्रीनाथ जी का ध्यान करते हैं। इसी के साथ महादेव भी उनका ही ध्यान करते हैं। सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा भी बद्रीनाथ जी की स्तुति करते हैं। हम सभी का भरण-पोषण करने वाले बद्रीनाथ जी की जय हो।
शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम्।
जोग ध्यान अपार लीला, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
माँ आदिशक्ति, महागौरी, भगवान गणेश, शारदा माता और नारद मुनि सभी बद्रीनाथ जी के नाम का ही उच्चारण करते हैं। जो भी बद्रीनाथ जी का ध्यान करता है, उस पर उनकी कृपा होती है और वह नारायण की लीला को देखता है। बद्रीनाथ जी हम सभी का पालन-पोषण करते हैं।
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर, धूप दीप प्रकाशितम्।
सिद्ध मुनिजन करत जय जय, बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
देवताओं के राजा इंद्र, चंद्र देव, यक्ष कुबेर इत्यादि सभी देवी-देवता बद्रीनाथ धाम में धूप-दीप प्रज्ज्वलित कर उनकी आरती करते हैं। सभी सिद्ध पुरुष, ऋषि-मुनि उनके नाम की ही जय-जयकार करते हैं। भगवान बद्रीनाथ के इस रूप की जय हो।
यक्ष किन्नर करत कौतुक, ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम्।
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
यक्ष व किन्नर सभी उत्साहपूर्वक बद्रीनाथ जी की जय-जयकार करते हैं। सभी गंधर्व को भी ज्ञान का प्रकाश उन्हीं की कृपा से मिलता है। माता लक्ष्मी व कमला उन पर चंवर कर रही हैं। भगवान बद्रीनाथ हम सभी का उद्धार करते हैं।
कैलाश में एक देव निरंजन, शैल शिखर महेश्वरम्।
राजयुधिष्ठिर करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्॥
कैलाश पर्वत पर एक ऐसे देवता रहते हैं जो निर्गुण और दोषरहित हैं। उन्हें हम सभी देवों के देव महादेव के रूप में जानते हैं। वहीं राजाओं में सर्वश्रेष्ठ युधिष्ठिर भी बद्रीनाथ जी की स्तुति करते हैं। श्री बद्रीनाथ जी की कृपा हम पर यूँ ही बनी रहे।
श्री बद्रजी के पंच रत्न, पढ्त पाप विनाशनम्।
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य, प्राप्यते फलदायकम्॥
बद्र जी के जो पांच रत्न या धाम हैं, उनके दर्शन करने से हम सभी के पापों का नाश हो जाता है। पंच बद्री के दर्शन करना अर्थात करोड़ों बार तीर्थों के दर्शन करने के समान पुण्यदायक है। उनके दर्शन करने से हमें सभी तरह के फल व पुण्य प्राप्त होते हैं।
बद्रीनाथ की आरती का महत्व
भगवान विष्णु का नारायण स्वरुप हम सभी के लिए अद्भुत है क्योंकि इसमें नर और नारायण दोनों आ जाते हैं। एक तरह से नारायण अवतार अपने भक्तों को ही समर्पित किया गया है। भगवान विष्णु ने इस युग के सतयुग में बद्रीनाथ धाम में बैठकर ही कठोर तपस्या की थी। उसी के फलस्वरूप उनके शालिग्राम पत्थर से बनी स्वयंभू मूर्ति यहाँ विराजमान है जिसकी हम सभी पूजा करते हैं।
ऐसे में इस सृष्टि तथा पृथ्वी के लिए नारायण का महत्व व उनकी भूमिका बताने के उद्देश्य से ही इस बद्रीनाथ आरती की रचना की गयी है। बद्रीनाथ जी की आरती के माध्यम से हमें भगवान विष्णु के बारे में तो पता चलता ही है और साथ के साथ उनकी पूजा भी हो जाती है। यही कारण है कि बद्रीनाथ की आरती का महत्व इतना बढ़ जाता है।
बद्रीनाथ आरती के लाभ
यदि आप बद्रीनाथ धाम नहीं जा पाते और फिर भी बद्रीनाथ जी का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं तो आप अपने घर बैठे भी सच्चे मन के साथ भगवान नारायण का ध्यान कर बद्रीनाथ आरती का पाठ कर सकते हैं। वहीं जो भक्तगण बद्रीनाथ धाम जाकर बद्रीनाथ की आरती करते हैं, उन पर तो नारायण की कृपा होती ही है।
मान्यता है कि जिस किसी से भी भगवान बद्रीनाथ प्रसन्न हो जाते हैं उन्हें फिर कभी माँ की कोख से जन्म नहीं लेना पड़ता है। एक तरह से वे जन्म-मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाते हैं और विष्णु लोक में स्थान प्राप्त करते हैं। अब व्यक्ति को बद्रीनाथ जी की आरती करने से मोक्ष मिल जाए तो उससे बड़ा फल क्या ही होगा। यही बद्रीनाथ आरती का मुख्य लाभ होता है।
निष्कर्ष
आज के इस लेख के माध्यम से आपने बद्रीनाथ आरती हिंदी में अर्थ सहित (Badrinath Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने बद्रीनाथ जी की आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।
बद्रीनाथ आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: बद्रीनाथ पर किसकी मूर्ति है?
उत्तर: बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु की नारायण रूप में शालिग्राम पत्थर की स्वयम्भू मूर्ति स्थापित है यहाँ पर भगवान विष्णु ने सतयुग के समय नारायण रूप में तपस्या की थी
प्रश्न: बद्रीनाथ मंदिर की क्या खासियत है?
उत्तर: बद्रीनाथ मंदिर के दर्शन करने पर यह मान्यता है कि यदि यहाँ सच्चे मन से भगवान विष्णु के नारायण स्वरुप के दर्शन कर लिए जाए तो वह माँ के गर्भ से फिर जन्म नहीं लेता अर्थात उसे मोक्ष मिल जाता है
प्रश्न: बद्रीनाथ इतना प्रसिद्ध क्यों है?
उत्तर: सनातन धर्म में सभी मंदिरों व तीर्थों में चार धाम को सर्वोच्च स्थान दिया गया है जिसमें से एक बद्रीनाथ धाम भी है बाकि तीन धाम समुंद्र किनारे स्थित है जबकि यही एक अकेला ऐसा धाम है जो पहाड़ों पर स्थित है
प्रश्न: बद्रीनाथ में कौन सी नदी बहती है?
उत्तर: बद्रीनाथ में अलकनंदा नदी बहती है और भगवान विष्णु को समर्पित यह धाम अलकनंदा नदी के किनारे ही स्थित है जो पहाड़ों से घिरा हुआ है
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