आज हम मकर संक्रांति पर 10 लाइन (Makar Sankranti In Hindi) के जरिए आपको इस त्यौहार के बारे में संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। हर वर्ष जनवरी के महीने में मकर संक्रांति का पर्व बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह भारत के हर राज्य में मनाया जाता है लेकिन विभिन्न राज्यों में इसे अपनी मान्यता और भाषा के आधार पर अलग-अलग नाम दिए गए हैं।
ऐसे में यदि आप मकर संक्रांति पर कुछ लिखने का सोच रहे हैं या आपको इस पर कुछ बोलना है तो हमारा लिखा यह लेख आपको बहुत मदद करेगा। कहने को तो हम मकर संक्रांति के ऊपर 10 पंक्तियाँ लिख रहे हैं लेकिन इसे आप मकर संक्रांति पर निबंध (Sankranti Festival In Hindi) मानकर ही चलिए। वह इसलिए क्योंकि इन पंक्तियों में ही मकर संक्रांति त्योहार का पूरा सार छुपा हुआ है। आइए जानते हैं।
Makar Sankranti In Hindi | मकर संक्रांति पर 10 लाइन
मकर संक्रांति त्योहार का महत्व आप इसी बात से समझ सकते हैं कि सदियों पहले हमारे ऋषि-मुनियों ने सूर्य देव की दिशा व दशा बदलने की स्थिति के अनुसार ही इस त्योहार को मनाने का निर्णय लिया था। इतना ही नहीं, यह त्योहार ऋतु परिवर्तन, किसानों की फसल और धार्मिक महत्व भी लिए हुए है।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए आज हम आपके सामने मकर संक्रांति पर निबंध हिंदी में (Essay On Makar Sankranti In Hindi) रखने जा रहे हैं। चलिए पढ़ते हैं।
- हिन्दू धर्म में मनाए जाने वाले सभी त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार मनाये जाते हैं जिस कारण अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार वे हर वर्ष अलग-अलग तिथियों और कभी-कभी अलग-अलग माह में पड़ते हैं किंतु मकर संक्रांति का त्यौहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आयोजित किये जाने के पश्चात भी यह अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 13 से 15 जनवरी के बीच ही पड़ता है।
- यह पर्व सूर्य देव की अपनी दिशा बदलने से जुड़ा है। छह माह तक सूर्य देव दक्षिणायन में रहते है और मकर संक्रांति के ही दिन वे उत्तरायण में प्रवेश कर जाते है। इसी कारण इसे राजस्थान और गुजरात में उत्तरायण पर्व के नाम से जाना जाता है। उत्तरायण में प्रवेश करने के साथ ही देवताओं के लिए छह माह का दिन और दानवों के लिए छह माह की रात शुरू हो जाती हैं।
- यह पर्व देश के किसानो से भी जुड़ा हुआ हैं क्योंकि इसी समय सभी किसानो की धान की फसले तैयार हो जाती हैं और वे इसे उत्सव के रूप में आयोजित करते हैं। इस समय देशभर के किसानो के घर धन-धान्य से भर जाते हैं। इसी उपलक्ष्य में तमिलनाडु और केरल के किसान पोंगल और असम के किसान बिहू मनाते हैं।
- सूर्य देव बारह माह में बारी-बारी से बारह राशियों में निवास करते हैं। मकर संक्रांति के दिन ही सूर्य देव धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं। इसलिये इसके नाम में मकर जुड़ा। संक्रांति का अर्थ होता हैं संक्रमण अर्थात प्रवेश करना। इस प्रकार मकर संक्रांति के नाम का अर्थ हुआ मकर राशि में प्रवेश करना।
- मकर संक्रांति के पर्व के साथ ही शरद ऋतु का समापन हो जाता हैं और बसंत ऋतु का मौसम आ जाता है। चारो और हरियाली छाई रहती हैं और मौसम भी सुहावना हो जाता हैं। इस दिन के बाद से दिन बड़े और राते छोटी होने लगती हैं।
- शनि देव को सूर्य देव का पुत्र माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन ही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों की चाल कुछ इस तरह से बनती हैं कि सूर्य देव सब कुछ भुलाकर अपने पुत्र शनि देव से मिलने उनके घर जाते हैं। इसलिये ज्योतिष शास्त्र में इस दिन का विशेष महत्व हैं जिस दिन सूर्य देव की उपासना कर और शनि देव को खुश करके कई सिद्धियाँ प्राप्त की जाती हैं।
- आपने माँ गंगा की भागीरथ के द्वारा पुनः पृथ्वी लोक पर लाने की कथा तो सुनी ही होगी लेकिन शायद आप यह नही जानते होंगे कि माँ गंगा मकर संक्रांति के दिन ही पृथ्वी लोक पर आयी थी। इसी दिन ही माँ गंगा भागीरथ जी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा के आदेश पर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई महासमुंद्र में जा मिली थी और अपने पवित्र जल से सभी को तृप्त किया था।
- महाभारत के प्रमुख पात्र भीष्म पितामह माँ गंगा के ही पुत्र थे जिन्हें युद्ध में अर्जुन ने अपने बाणों की बौछार से छलनी कर दिया था। हालाँकि उन्हें इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था इसलिये उन्होंने अपने प्राण मकर संक्रांति के पावन दिन ही त्यागने का निश्चय किया था। जिस दिन मकर संक्रांति का त्यौहार आया तब उन्होंने अपनी इच्छा मृत्यु के वरदान के फलस्वरूप अपने प्राण त्याग दिए थे।
- इस दिन लोग मुख्यतया गुड़ और तिल का दान करते हैं और इन्ही चीजों को मिलाकर स्पेशल व्यंजन बनाए जाते हैं जैसे कि तिल के लड्डू, तिल पिट्ठा इत्यादि। इसके अलावा मकर संक्रांति में चावल और मूंग दाल की खिचड़ी बनाने की भी परंपरा हैं। गुजरात में इस दिन अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का भी आयोजन किया जाता हैं जिसमे देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग भाग लेते हैं।
- मकर संक्रांति को दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना में केवल संक्रांति, तमिलनाडु और केरल में पोंगल, असम में माघ बिहू, हरियाणा-पंजाब व हिमाचल प्रदेश में माघी, राजस्थान व गुजरात में उत्तरायण, बांग्लादेश में शक्रैन इत्यादि कई नामो से जाना जाता हैं।
तो यह थी मकर संक्रांति पर 10 लाइन (Makar Sankranti In Hindi), जिसमें इस त्यौहार का पूरा सार छिपा हुआ है। आशा है कि आपको मकर संक्रांति के बारे में मूलभूत जानकारी मिल गई होगी। फिर भी यदि आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप नीचे कमेंट करके हमसे पूछ सकते हैं।
मकर संक्रांति पर निबंध से संबंधित प्रश्नोत्तर
प्रश्न: मकर संक्रांति के पीछे की कहानी क्या है?
उत्तर: मकर संक्रांति के पीछे एक नहीं बल्कि तीन कहानियां है। इन कहानियों का संबंध सूर्य देव, गंगा माता और भीष्म पितामह से है। सूर्य देव इसी दिन अपने पुत्र शनि से मिलने गए थे।
प्रश्न: मकर संक्रांति मनाने का क्या कारण है?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से निकल कर मकर राशि में प्रवेश कर जाते हैं। इसके बाद मौसम में परिवर्तन देखने को मिलता है और दिन बड़े होते चले जाते हैं।
प्रश्न: मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी क्यों मनाई जाती है?
उत्तर: मकर संक्रांति का पर्व किसानों के लिए बहुत आनंदमय होता है क्योंकि यह उनकी फसलों की कटाई का समय होता है। ऐसे में पके हुए धान से खिचड़ी मनाने की परंपरा है।
प्रश्न: मकर संक्रांति का भगवान कौन है?
उत्तर: मकर संक्रांति के दिन मुख्यतया सूर्य देव की पूजा की जाती है। सूर्य देव के कारण ही पृथ्वी पर अन्न उगाया जा सकता है और जल होता है। ऐसे में मनुष्य व पृथ्वी लोक का अस्तित्व सूर्य देव के कारण ही है।
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