रावण पुत्र अतिकाय का लक्ष्मण के हाथो वध होना

Atikay Vadh

अतिकाय (Atikaya In Hindi) रावण व उसकी दूसरी पत्नी धन्यमालिनी का पुत्र था जो अति-शक्तिशाली और मायासी राक्षस था। अपने पूर्व जन्म में वह महा दैत्य कैटभ था जिसने वैकुण्ठ पर चढ़ाई करके स्वयं भगवन विष्णु तक को चुनौती दी थी। इस जन्म में भी अतिकाय महा-शक्तिशाली व पराक्रमी था जिसने कैलाश पर्वत पर जाकर भगवन शिव का मान भंग किया था। आज हम आपको लक्ष्मण द्वारा उसके वध (Atikay Vadh) की कथा बताएँगे।

अतिकाय के वध की कथा (Atikaya Story In Hindi)

अतिकाय का भगवन शिव से सामना (Atikaya Vs Shiva)

भगवान शिव ने क्रोधित होकर अतिकाय पर अपने त्रिशूल से प्रहार किया था लेकिन उससे भी अतिकाय का कुछ नही हुआ था। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे धनुर्विद्या का ज्ञान दिया था जिससे अतिकाय अत्यंत शक्तिशाली हो गया था।

अतिकाय की लक्ष्मण को चुनौती (Who Is Atikaya In Ramayana)

जब भगवान श्रीराम का रावण से युद्ध चल रहा था तब रावण अपने भाई कुंभकरण की मृत्यु से बहुत द्रवित था। ऐसे समय में उसने अपने पुत्र अतिकाय को युद्ध के लिए भेजा था। अतिकाय ने युद्धभूमि में पहुंचकर श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण को चुनौती दी थी कि जिस प्रकार उसके पिता अपने छोटे भाई कुंभकरण की मृत्यु में पीड़ित हैं उसी प्रकार वह लक्ष्मण का वध करके श्रीराम को तड़पते हुए देखना चाहता हैं। लक्ष्मण ने उससे युद्ध करने की चुनौती स्वीकार कर ली।

लक्ष्मण के द्वारा दारुक का वध

जब लक्ष्मण अतिकाय से युद्ध करने के लिए युद्धभूमि में पहुंचे तब उनका सामना पहले दारुक राक्षस से हुआ। इस युद्ध में लक्ष्मण ने दारुक का मस्तक काटकर अलग कर दिया। इसी बीच अंगद ने रावण पुत्र नारान्तक तथा निकुंभ, हनुमान ने देवांतक तथा त्रिशरा, सुग्रीव ने सेनापति अकम्पन तथा कुंभ का वध कर डाला।

लक्ष्मण व अतिकाय का युद्ध (Lakshman Atikaya Yudh)

दूसरी ओर लक्ष्मण तथा अतिकाय के बीच भीषण युद्ध शुरू हो चुका था। युद्ध के बीच में ही अतिकाय माया से अपने रथ को आकाश में ले गया तथा वहां से लक्ष्मण पर आक्रमण करने लगा। तब हनुमान ने लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठकर युद्ध करने के लिए कहा। शुरू में तो लक्ष्मण ने मना किया लेकिन बाद में वे मान गये। लक्ष्मण हनुमान के कंधे पर बैठे तथा हनुमान उन्हें आकाश में लेकर उड़ गये।

अब आकाश में ही अतिकाय तथा लक्ष्मण के बीच भीषण युद्ध शुरू हो रहा था लेकिन अतिकाय को मारना बहुत मुश्किल था। आकाश में देव इंद्र यह सब देख रहे थे। तब उन्होंने वायु देव को लक्ष्मण के पास भेजा ताकि अतिकाय की मृत्यु का रहस्य लक्ष्मण को बताया जा सके।

वायु देव ने लक्ष्मण को बताया अतिकाय की मृत्यु का रहस्य (Who Killed Atikaya In Ramayana)

देव इंद्र से आज्ञा पाकर वायु देव युद्ध के बीच में लक्ष्मण के पास पहुंचे तथा उन्हें बताया कि अतिकाय को भगवान ब्रह्मा से सुरक्षा कवच मिला हुआ है जिससे उनके द्वारा चलाये गए किसी भी शक्तिबाण से उस कवच का भेदन होना असंभव है। इसलिये उन्होंने लक्ष्मण को अतिकाय का वध करने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाने का उपाय बताया।

लक्ष्मण ने किया अतिकाय का वध (Atikay Vadh)

वायु देव से उपाय जानकर लक्ष्मण ने ब्रह्मास्त्र का संधान किया तथा उसे अतिकाय पर छोड़ दिया। ब्रह्मास्त्र के लगते ही अतिकाय का कवच टूट गया (Atikaya Death) तथा वह रथ सहित भूमि पर गिर पड़ा व अपने प्राण त्याग दिए। इस प्रकार रावण पुत्र अतिकाय का वध (Atikaya Vadh) संभव हो सका था।

लेखक के बारें में: कृष्णा

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