बगलामुखी माता की आरती (Baglamukhi Mata Ki Aarti)

Baglamukhi Aarti

बगलामुखी आरती (Baglamukhi Aarti) – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

माता सती के द्वारा अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाने की अनुमति लेते समय उन्होंने शिवजी को अपना प्रभाव दिखाने के उद्देश्य से दस महाविद्याओं को प्रकट किया था जिसमे से आठवीं महाविद्या बगलामुखी माता थी। माता बगलामुखी के द्वारा हमारे शत्रुओं का नाश किया जाता है तथा वाकशुद्धि भी की जाती है। ऐसे में भक्तों के द्वारा बगलामुखी आरती (Baglamukhi Aarti) का पाठ किया जाना बहुत ही लाभकारी सिद्ध होता है।

आज के इस लेख में हम आपके साथ बगलामुखी माता की आरती का पाठ (Baglamukhi Mata Ki Aarti) ही करने जा रहे हैं। इतना ही नहीं आपको बगलामुखी आरती हिंदी में (Baglamukhi Aarti In Hindi) भी पढ़ने को मिलेगी ताकि आप इसका संपूर्ण भावार्थ समझ सकें। अंत में आपको मां बगलामुखी आरती के फायदे व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइये पढ़ें बगलामुखी माता आरती।

बगलामुखी आरती (Baglamukhi Aarti)

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरती करहुँ तुम्हारी।

पीत वसन तन पर तव सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी।

कर-कमलों में मुद्गर धारै, अस्तुति करहिं सकल नर-नारी।

चम्पक माल गले लहरावे, सुर नर मुनि जय जयति उचारी।

त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब, भक्ति सदा तव है सुखकारी।

पालत हरत सृजत तुम जग को, सब जीवन की हो रखवारी।

मोह निशा में भ्रमत सकल जन, करहु हृदय महँ, तुम उजियारी।

तिमिर नशावहु ज्ञान बढ़ावहु, अम्बे तुमही हो असुरारी।

संतन को सुख देत सदा ही, सब जन की तुम प्राण पियारी।

तव चरणन जो ध्यान लगावै, ताको हो सब भव-भयकारी।

॥ दोहा ॥

बगलामुखी की आरती, पढ़ै सुनै जो कोय।
विनती कुलपति मिश्र की, सुख-संपत्ति सब होय॥

बगलामुखी आरती हिंदी में (Baglamukhi Aarti In Hindi)

जय जय श्री बगलामुखी माता, आरती करहुँ तुम्हारी।

बगलामुखी माता की जय हो, जय हो, जय हो। मैं बगलामुखी माता की आरती करता हूँ।

पीत वसन तन पर तव सोहै, कुण्डल की छबि न्यारी।

माँ बगलामुखी ने पीले रंग के वस्त्र पहने हुए हैं जो उन पर बहुत सुन्दर लग रहे हैं। उनके कानो में कुंडल बहुत ही शोभा दे रहे हैं।

कर-कमलों में मुद्गर धारै, अस्तुति करहिं सकल नर-नारी।

उन्होंने अपने हाथों में मुद्गर पकड़ा हुआ है और हम सभी पुरुष व महिला, माता बगलामुखी की आरती करते हैं।

चम्पक माल गले लहरावे, सुर नर मुनि जय जयति उचारी।

बगलामुखी माता ने अपने गले में चम्पक की माला पहन रखी है। देवता, मनुष्य व ऋषि-मुनि सभी माँ बगलामुखी के नाम की ही जय-जयकार करते हैं।

त्रिविध ताप मिटि जात सकल सब, भक्ति सदा तव है सुखकारी।

माँ बगलामुखी के आशीर्वाद से हमारे सभी संकट व दुःख समाप्त हो जाते हैं। माँ बगलामुखी की भक्ति करने से हमें परम सुख की प्राप्ति होती है।

पालत हरत सृजत तुम जग को, सब जीवन की हो रखवारी।

मां बगलामुखी ही इस जगत की जननी हैं, वे ही इसका पालन-पोषण करती हैं और वे ही इसका नाश भी करती हैं। हम सभी के जीवन की रक्षा करने का कार्य उन्हीं का ही है।

मोह निशा में भ्रमत सकल जन, करहु हृदय महँ, तुम उजियारी।

हम सभी मनुष्य मोहमाया के चक्कर में आकर अपनी दिशा भटक जाते हैं लेकिन माँ बगलामुखी अपने प्रकाश के माध्यम से हमारे अंधकार रुपी अज्ञान का नाश कर देती हैं।

तिमिर नशावहु ज्ञान बढ़ावहु, अम्बे तुमही हो असुरारी।

माँ बगलामुखी के द्वारा अंधकार का नाश कर ज्ञान की ज्योति जलायी जाती है। वे माँ अम्बा के रूप में असुरों का नाश कर धर्म की रक्षा करती हैं।

संतन को सुख देत सदा ही, सब जन की तुम प्राण पियारी।

माँ बगलामुखी अपनी संतान अर्थात भक्तों को हमेशा ही सुख देती हैं। बगलामुखी माता हम सभी को अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय हैं।

तव चरणन जो ध्यान लगावै, ताको हो सब भव-भयकारी।

जो भी भक्तगण माता बगलामुखी के चरणों का ध्यान लगाता है और उनकी आराधना करता है, उसके सभी संकट, दुःख, डर इत्यादि समाप्त हो जाते हैं।

॥ दोहा ॥

बगलामुखी की आरती, पढ़ै सुनै जो कोय।
विनती कुलपति मिश्र की, सुख-संपत्ति सब होय॥

जो भी भक्तगण माँ बगलामुखी की आरती को ध्यान से पढ़ता है या इसे सुनता है, तो कुलपति मिश्रा जी की माँ बगलामुखी से याचना है कि वे उन्हें हर तरह की सुख-संपत्ति प्रदान करें।

बगलामुखी माता की आरती (Baglamukhi Mata Ki Aarti) – महत्व

माँ बगलामुखी को दस महाविद्याओं में आठवीं महाविद्या माना जाता है जिनकी पूजा गुप्त नवरात्रों में की जाती है। अब यह गुप्त नवरात्र 10 दिनों के होते हैं जिनमें मातारानी के 10 भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा करने का विधान है। तो इन सभी रूपों में से माता बगलामुखी की महत्ता सबसे अधिक है क्योंकि उन्हें शत्रुओं का नाश करने वाली प्रमुख देवी का दर्जा प्राप्त है।

यही कारण है कि उनकी आरती को भी शत्रु नाशक बगलामुखी आरती कह दिया जाता है ताकि हमें इसका महत्व अच्छे से समझ में आ सके। मां बगलामुखी आरती के माध्यम से हमें बगलामुखी माता के गुणों, महत्व, शक्तियों तथा उद्देश्य के बारे में बताया गया है और यही बगलामुखी आरती का महत्व होता है। ऐसे में हर किसी को प्रतिदिन बगलामुखी माता आरती का पाठ करना चाहिए।

मां बगलामुखी आरती के फायदे (Maa Baglamukhi Aarti Benefits In Hindi)

अब आपको साथ के साथ माँ बगलामुखी की आरती से मिलने वाले अन्य लाभों के बारे में भी जान लेना चाहिए। इसका एक मुख्य लाभ तो आपने जान ही लिया है जिसके तहत हमारे शत्रुओं का नाश हो जाता है किन्तु यहाँ शत्रु के साथ-साथ संकटों का नाश करने के लिए भी बगलामुखी माता की आरती का पाठ किया जाता है। एक तरह से कहा जाए तो यदि व्यक्ति के जीवन में किसी प्रकार का संकट आ खड़ा हुआ है और उसे इस संकट का कोई उपाय नहीं मिल रहा है तो ऐसी स्थिति में बगलामुखी मां की आरती का पाठ किया जा सकता है।

मां बगलामुखी की आरती का एक अन्य लाभ यह भी मिलता है कि इससे व्यक्ति की वाक् शुद्धि होती है। कहने का अर्थ यह हुआ कि यदि किसी व्यक्ति को बोलने में कोई परेशानी, तुतलाहट, उच्चारण में गलतियाँ, अटकने या हकलाने की समस्या हो तो यह सब माँ बगलामुखी के आशीर्वाद और उनकी आरती के पाठ से ठीक हो जाती है।

बगलामुखी आरती से संबंधित प्रश्नोत्तर

प्रश्न: मां बगलामुखी का कौन सा वार होता है?

उत्तर: मातारानी के हरेक रूप की पूजा मुख्य तौर पर शुक्रवार के दिन की जाती है। ऐसे में मां बगलामुखी का वार भी शुक्रवार को ही माना जाएगा।

प्रश्न: मां बगलामुखी की पूजा कब करनी चाहिए?

उत्तर: हर वर्ष वैशाख मास के शुल्क पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन माँ बगलामुखी जी की जयंती मनाई जाती है और उनकी पूजा की जाती है।

प्रश्न: बगलामुखी माता का भोग क्या है?

उत्तर: बगलामुखी माँ को पीले रंग की वस्तुएं बहुत पसंद आती है। ऐसे ने उन्हें पीले रंग के चावल, लड्डू, पुष्प इत्यादि का भोग लगाया जा सकता है।

प्रश्न: बगलामुखी की पूजा करने से क्या होता है?

उत्तर: माता बगलामुखी की पूजा करने से व्यक्ति के शत्रुओं का नाश हो जाता है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

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