बृहस्पति भगवान की आरती हिंदी में – अर्थ, महत्व व लाभ सहित

बृहस्पति आरती (Brihaspati Aarti)

आज के इस लेख में हम आपको बृहस्पति आरती (Brihaspati Aarti) का हिंदी अर्थ बताएँगे। कहने का अर्थ यह हुआ कि आज आपको बृहस्पति आरती का हिंदी अनुवाद पढ़ने को मिलेगा ताकि आप उसका भावार्थ समझ सकें। बृहस्पति जी देवताओं के गुरु माने जाते हैं और गुरु की हम सभी के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

यहीं कारण है कि बृहस्पति भगवान की आरती (Brihaspati Bhagwan Ki Aarti) का महत्व बहुत बढ़ जाता है। लेख के अंत में बृहस्पति आरती के लाभ व महत्व भी जानने को मिलेंगे। आइए सबसे पहले जानते हैं बृहस्पति देव आरती हिंदी में अर्थ सहित।

Brihaspati Aarti | बृहस्पति भगवान की आरती – अर्थ सहित

जय बृहस्पति देवा, ॐ जय बृहस्पति देवा।
छिन छिन भोग लगाऊँ, कदली फल मेवा॥

बृहस्पति देवता की जय हो। हम मंत्र का उच्चारण कर बृहस्पति देवता की जय-जयकार करते हैं। मैं बृहस्पति जी को कदली, फल व मेवा का भोग लगाता हूँ और उनकी पूजा करता हूँ।

तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी॥

बृहस्पति देव परमात्मा का ही रूप हैं और वे इस सृष्टि के हर रहस्य को जानते हैं। वे ही इस जगत के पिता हैं और हम सभी के ईश्वर हैं। बृहस्पति जी हम सभी के स्वामी हैं।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता॥

गुरु बृहस्पति जी के चरणों को छूकर निकल रहा जल अमृत समान होता है और वे हम सभी के जीवन को सुचारू रूप से चलाने में सहायता करते हैं। वे ही हम सभी की हरेक इच्छा को पूरी करने का कार्य करते हैं और अब आप मुझ पर कृपा कीजिये।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े॥

जो कोई भी तन, मन व धन का अर्पण करते हुए भगवान बृहस्पति जी के चरणों में अपना सिर झुकाता है, तो बृहस्पति देव स्वयं प्रकट होकर उस व्यक्ति का उद्धार कर देते हैं।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी॥

बृहस्पति देव दीन-दुखियों की रक्षा करते हैं और हम सभी पर दया व करुणा का भाव रखते हैं। वे अपने भक्तों के हित में कार्य करते हैं। वे ही हम सभी के पाप व दोष को दूर कर देते हैं और इस सांसारिक बंधनों को हरने का कार्य करते हैं।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी॥

बृहस्पति जी हम सभी की मनोकामनाओं को पूरा करने का कार्य करते हैं और इसमें किसी तरह की शंका नहीं होनी चाहिए। हे बृहस्पति गुरुदेव!! हम सभी के दोष दूर कर दीजिये और अपने भक्तों को सुख प्रदान कीजिये।

जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
जेठानंद आनंदकर, सो निश्चय पावे॥

जो कोई भी भक्तगण प्रेम सहित बृहस्पति देव की आरती को गाता है, जेठानंद जी के अनुसार उसे अवश्य ही आनंद की प्राप्ति होती है व उसका उद्धार हो जाता है।

ऊपर आपने बृहस्पति भगवान की आरती (Brihaspati Bhagwan Ki Aarti) को हिंदी में अर्थ सहित लिया है। अब हम बृहस्पति आरती के लाभ और महत्व भी जान लेते हैं।

बृहस्पति भगवान की आरती का महत्व

सनातन धर्म में गुरु के महत्व को ईश्वर से भी ऊपर माना गया है। इसका कारण यह है कि ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग गुरु की कृपा से ही प्रशस्त हो सकता है। वही हमें सही मार्ग बताता है और उस पर आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करता है। किसी भी व्यक्ति के उत्थान में उसके गुरु की भूमिका सर्वोपरि होती है और इसके कई उदाहरण हम अपने गौरवमयी इतिहास में भी देख सकते हैं। इसके साथ ही यह भी देख सकते हैं कि गुरु की उपेक्षा करने पर किस तरह से उस व्यक्ति का पतन हो गया।

गुरु की भूमिका को बताने के उद्देश्य से ही बृहस्पति आरती लिखी गयी है जिसमें सर्वोच्च गुरु बृहस्पति के गुणों, शक्तियों, कर्मों व महत्व इत्यादि का वर्णन किया गया है। बृहस्पति ना केवल देवताओं के गुरु थे बल्कि उनकी कृपा से मनुष्य जाति का भी कल्याण हुआ है। समय-समय पर देवताओं सहित मनुष्यों ने उनसे महत्वपूर्ण विषयों पर विचार-विमर्श किया है और उन्होंने हम सभी का मार्गदर्शन किया है। यही बृहस्पति देव की आरती का महत्व होता है।

बृहस्पति आरती के लाभ

यदि हम प्रत्येक गुरुवार के दिन बृहस्पति भगवान की आरती का पाठ करते हैं और सच्चे मन से गुरु बृहस्पति का ध्यान करते हैं तो हमारा मानसिक विकास बहुत तेजी के साथ होता है। इससे हमारी मानसिक शक्ति मजबूत होती है तथा चीज़ों को सोचने-समझने की अद्भुत शक्ति विकसित होती है। हमारी रचनात्मकता भी निखर कर सामने आती है और हम अपने कार्य भी तेज गति के साथ पूरे कर पाते हैं।

इससे बृहस्पति ग्रह भी मजबूत बनता है जिससे व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में शांति व सुख आता है। बृहस्पति ग्रह हमारी कुंडली में भाग्य को बनाने का कार्य करता है। ऐसे में बृहस्पति आरती के माध्यम से यह ग्रह मजबूत बनता है और भाग्य हमारा साथ देता है। इससे व्यक्ति के सभी रिश्ते मजबूत बनते हैं और उसे अपनी संतान से भी सुख प्राप्त होता है। उसके घर-परिवार में भी शांति का वातावरण बनता है और सभी सदस्यों की उन्नति होती है।

निष्कर्ष

आज के इस लेख के माध्यम से आपने बृहस्पति भगवान की आरती हिंदी में अर्थ सहित (Brihaspati Aarti) पढ़ ली हैं। साथ ही आपने बृहस्पति आरती के लाभ और महत्व के बारे में भी जान लिया है। यदि आप हमसे कुछ पूछना चाहते हैं तो नीचे कमेंट कर सकते हैं। हम जल्द से जल्द आपके प्रश्न का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

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लेखक के बारें में: कृष्णा

सनातन धर्म व भारतवर्ष के हर पहलू के बारे में हर माध्यम से जानकारी जुटाकर उसको संपूर्ण व सत्य रूप से आप लोगों तक पहुँचाना मेरा उद्देश्य है। यदि किसी भी विषय में मुझसे किसी भी प्रकार की कोई त्रुटी हो तो कृपया इस लेख के नीचे टिप्पणी कर मुझे अवगत करें।

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